Daily update All Commodity news like : Wheat, Rice, Maize, Guar, Sugar, Gur, Pulses, Spices, Mentha Oil & Oil Complex (Musterd seed & Oil, soyabeen seed & Oil, Groundnet seed & Oil, Pam Oil etc.)
24 अप्रैल 2010
कम सिंचाई में उगने वाली धान की किस्म
मानसून की अनिश्चितता के दौर में किसान को सबसे ज्यादा चिंता धान को लेकर होती है। उड़ीसा में कटक स्थित केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) ने उत्तर भारत के राज्य पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश के लिए एक ऐसी किस्म सीआर-धान 501 विकसित की हैं जिन्हें काफी कम सिंचाई की आवश्यकता होगी। इसके अलावा सीआरआरआई के वैज्ञानिकों ने एरोबिक पद्धति भी विकसित की है, जिसके जरिये धान की खेती करने के लिए पचास फीसदी कम सिंचाई की आवश्यकता होगी। इस विधि से की गई प्रायोगिक खेती के काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं।सीआरआरआई के निदेशक डॉ. टी. के. आध्या ने बिजनेस भास्कर को बताया कि उत्तर भारत के लिए जारी सीआर धान-501 किस्म समान गुण वाली मौजूदा किस्मों सबिता और पूरनेंदू की तुलना में काफी अच्छी पैदावार देती है। उनका कहना है कि कम पानी में सीआर धान-501 किस्म से चार टन प्रति हैक्टेयर की पैदावार हो सकती है। यह किस्म तैयार होने में 155 से 160 दिनों का समय लेती है। इसके चावल के दानों का आकार लंबा और मोटा होता है। डॉ. आध्या के मुताबिक इस किस्म को मौजूदा किस्मों जलप्रिया और बादल की जगह अपनाकर किसान अधिक पैदावार ले सकते हैं। डॉ. आध्या ने बताया कि संस्थान ने मानसून में जारी उतार-चढाव से निपटने में सक्षम एरोबिक धान उगाने की नई तकनीक भी विकसित की है, जिससे पानी की हर बूंद का उपयोग करके पैदावार ली जा सकती है। डॉ. आध्या ने बताया कि एरोबिक धान में पानी की आवश्यकता पारंपरिक पद्धति की तुलना में करीब आधी रहती है। इसके अलावा खेत की खेत को तैयार करने में लगने वाली लागत में भी काफी कमी आ जाती है। डॉ. आध्या के मुताबिक संस्थान में किए गए प्रयोगों से पता चला कि जहां पारंपरिक तरीके से 0.25 से 0.30 ग्राम धान उगाने में एक लीटर पानी के जरूरत होती है।, वहीं एरोबिक पद्धति एक लीटर पानी से 0.40 से 0.50 ग्राम धान उगाया जा सकता है। इस तरह पानी की खपत के लिहाज से एरोबिक पद्धति से दोगुना उत्पादन होगा। इस पद्धति के उपयोग के लिए धान की एपो, सहभागी और आनंदा किस्में उपयुक्त रहती हैं। सीआरआरआई द्वारा इस नई विधि की ट्रेनिंग भी किसानों को दी जा रही है। (बिज़नस भास्कर)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें