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22 अप्रैल 2010
भारत में जिंक के दाम बढ़े पर विदेशी बाजार से कम
आर्थिक सुस्ती से उबरने के बाद जिंक की औद्योगिक मांग में बढ़ोतरी हो रही है। इसके कारण पिछले एक साल के दौरान इसकी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन वैश्विक बाजार में तेजी घरेलू बाजार से काफी ज्यादा रही है। विदेशी बाजार में मूल्य 70 फीसदी से अधिक बढ़े हैं जबकि घरेलू बाजार में करीप 45 फीसदी तेजी आई है। इस लिहाज से भारत में जिंक के उपभोक्ता उद्योगों को कम मूल्य वृद्धि के कारण फायदा मिला है। जानकारों के अनुसार भारत में जिंक का उत्पादन बढ़ा है, जबकि पिछले वैश्विक स्तर पर उत्पादन में कमी आई है। दिसंबर 2009 के मुकाबले जनवरी 2010 में वैश्विक उत्पादन 10।20 लाख टन से घटकर 9.8 लाख टन रह गया। इसके विपरीत भारत में जिंक की बढ़ती मांग के साथ इसका उत्पादन भी बढ़ा है। भारतीय खनन मंत्रालय के अनुसार बीते वित्त वर्ष में अप्रैल से जनवरी तक 5.09 लाख टन जिंक का उत्पादन हुआ। पिछली समान की समान अवधि के मुकाबले इसमें करीब सात फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में तीन माह डिलीवरी के दाम साल भर में 1442 डॉलर से बढ़कर 2421 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गए हैं। वहीं घरेलू बाजार में इसके दाम त्तम् रुपये से बढ़कर 108 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। एक महीने के दौरान घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंक की कीमतों में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इंटरनेशनल जिंक स्टडी ग्रुप के मुताबिक चालू वर्ष के जनवरी महीने के दौरान रिफाइंड जिंक की वैश्विक मांग 36.5 फीसदी बढ़कर 9.32 लाख टन हो गई। पिछले जनवरी में यह आंकड़ा 6.83 लाख टन पर था। मांह में वृद्धि यूरोप, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया में इसकी खपत बढ़ने से हुई है। एंजिल ब्रोकिंग के विश्लेषक अनुज गुप्ता का कहना है कि आने वाले दिनों में भी इसकी मांग अधिक रहने की संभावना है। इस साल चीन में जिंक की खपत 10 फीसदी बढ़ने की संभावना है। पिछले साल चीन इसकी खपत 18 फीसदी बढ़कर 47 लाख टन रही थी। भारत में भी इसकी मांग बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है। गुप्ता के मुताबिक भारत, चीन सहित कई देशों में ऑटो सेक्टर में जबरदस्त बिक्री हो रही है। चालू वित्त वर्ष में भी जबरदस्त बिक्री होने की संभावना है। इसके अलावा रियल एस्टेट सेक्टर में भी घरों की मांग बढ़ रह है। यही कारण है कि आने वाले समय में जिंक की मांग और बढ़ने के आसार हैं। ऐसे में इसकी कीमतांे में तेजी बरकरार रह सकती है। भारत के मुकाबले अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंक के दाम अधिक बढ़े है। जिंक का सबसे अधिक उपयोग करीब 50 फीसदी ऑटोमोबाइल सेक्टर में होती है। इसके अलावा निर्माण इंडस्ट्री में गेल्वेनाइजिंग प्रोसेस (स्टील या लोहे को जंगरोधी बनाने के लिए इनके ऊपर जिंक की परत चढ़ाना) में किया है। इसके अलावा एलॉय इंडस्ट्री, बैटरी और रबर गुड्स बनाने में भी इसका उपयोग होता है। बात पते कीभारत, चीन सहित कई देशों में ऑटो सेक्टर की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। इसके अलावा रियल एस्टेट सेक्टर में भी फ्लैटों की मांग बढ़ रह है। यही कारण है कि आने वाले समय में जिंक की मांग और बढ़ने के आसार हैं। (बिज़नस भास्कर)
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