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07 जुलाई 2009
सीटीटी हटने से एक्सचेंजों को राहत
कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी)को लेकर बाजार में पिछले एक साल से लगाए जा रहे कयासों को विराम लग गया है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इसपर सरकार का रुख साफ करते हुए इसे हमेशा के लिए हटा दिया है। जानकारो का मानना है कि सरकार के इस फैसले से खास करके कमोडिटी एक्सचेंजों को बड़ी राहत मिली है। एक्सचेंजों ने इससे पहले इस कर से कारोबार पर असर पड़ने की आशंका जताई थी। सूत्रों के मुताबिक मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पिछले साल बजट में प्रस्तावित इस बजट को हटाने को लेकर लामबंदी कर रहा था। लिहाजा अब देश के तामम एक्सचेंज के साथ एमसीएक्स को भी बड़ी राहत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। माना यह जा राहा है कि इस कर को हटने से मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) नेशनल एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) और नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) को का कारोबार अब पूरी तरह से बच जाएगा। इसके अलावा जल्दी ही देश में शुरू होने वाले दूसरे एक्सचेंजों की कारोबार शुरू करने की राह भी आसान होने की संभावना है। वर्ष 2008 के दौरान कमोडिटी एक्सचेंजों में कुल 50.33 लाख करोड रुपये का कारोबार किया गया। इसमें एमसीएक्स की हिस्सेदारी 42.8 लाख करोड़ रुपये थी। इसके अलावा एनसीडीईएक्स, एनएमसीई प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज है। आने वाले समय में एमएमटीसी और इंडिया बुल्स मिलकर नया कमोजिटी एक्सचेंज खोलने वाले हैं। ऐसे में सरकार पर इन एक्सचेंजों की ओर से सीटीटी वापस लेने लिए भारी दबाव था। इस फैसले के बारे में वायदा व्यापार आयोग (एफएमसी) के अध्यक्ष बी.सी. खटुआ ने बिजनेस भास्कर को बताया कि सरकार द्वारा सीटीटी वापस लेने का निर्णय बाजार की अपेक्षा के अनुरूप है। इससे कमोडिटी के वायदा कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।एमसीएक्स के निदेशक अंजनी सिन्हा के अनुसार सीटीटी के हटने से भारतीय फ्यूचर ट्रेडिंग के तेज विकास का रास्ता साफ हो गया है। फ्यूचर ट्रेडिंग में भारतीय एक्सचेंज विश्व के 25 बड़े एक्सचेंजों में शामिल हो सकते हैं। फ्यूचर ट्रेडिंग का सबसे ज्यादा कारोबार कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ही होता है। सिन्हा ने बताया कि भारतीय कमोडिटी एक्सचेंज इंटरनेशनल एक्सचेंजों के समकक्ष हो जाएंगे और यहां हैजिंग और आसान हो जाएगी। एंजिल ब्रोकिंग के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) दिनेश ठक्कर ने सीटीटी न लगाने के सरकार के फैसले को भारतीय कमोडिटी बाजार के लिए सकारात्मक बताया है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल बजट की घोषणा करते हुए तत्कालीन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने बजट 2008-09 में सेक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (एसटीटी) की तर्ज पर सीटीटी लगाने की घोषणा की थी। चिदंबरम ने कहा था कि यह संसद द्वारा पारित किए वित्त विधेयक का हिस्सा है। सीटीटी के लागू होने के बाद कमोडिटी के फ्यूचर और ऑप्शन में एक लाख रुपये का कारोबार करने पर 17 रुपये टैक्स देना होगा। इसे एक अप्रैल 2008 से लागू किया जाना था लेकिन कमोडिटी ब्रोकरों और एक्सचेंजों के विरोध के कारण यह मामला बार-बार लटकता रहा और अंतरिम बजट में भी इस पर भी कोई निर्णय नहीं लिया गया था। हालांकि इस बीच इसे लगने को लेकर कई बाद अफवाहों का बाजार जरूर गर्म हुआ। लेकिन यह लग नहीं सका। दरअसल सरकार ने एक्सचेंजों पर जिंसों के बढ़ते कारोबार को नियंत्रित करने के लिए सीटीटी लगाने का मन बनाया था। विशेषज्ञों का कहना है कि सीटीटी की व्यवस्था ताइवान को छोड़कर अन्य किसी देश में लागू नहीं है। नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनिल मिश्रा ने इस फैसले को कमोडिटी एक्सचेंजों के प्रति सरकार का सुधारवादी रवैया करार दिया है। (Business Bhaskar)
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