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08 जुलाई 2009
मानसून की बेरुखी से धान, मोटे अनाज, तिलहनों की बुवाई धीमी
मानसून की बेरुखी से चालू खरीफ सीजन में धान, मोटे अनाज और तिलहनों की बुवाई पिछड़ रही है जबकि दालों के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। जून महीने में देश के कई राज्यों में मानसून सामान्य से काफी कम रहा है जिसके कारण बुवाई के कार्य में अपेक्षित तेजी नहीं आई है। हालांकि मौसम विभाग ने जुलाई- अगस्त महीने में मानसून अच्छा रहने की संभावना जताई है।कृषि मंत्रालय द्वारा जारी बुवाई आंकड़ों के मुताबिक देश भर में धान की बुवाई 38.14 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 51.80 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से मोटे अनाजों ज्वार, बाजरा और मक्का के बुवाई क्षेत्रफल में करीब 30 फीसदी की कमी आकर कुल बुवाई 26.60 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है। पिछले साल इस समय तक 56.54 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। इसमें सबसे ज्यादा 22.34 फीसदी की कमी बाजरा के बुवाई क्षेत्रफल में आई है। बाजरा की फसल ज्यादातर असिंचित क्षेत्रों में होती है। राजस्थान जो कि बाजरा उत्पादन में देश का अग्रणी राज्य है, में पिछले साल के मुकाबले करीब 19.16 लाख हैक्टेयर कम एरिया में बुवाई हुई है।चालू खरीफ सीजन में तिलहनों की बुवाई अभी तक मात्र 35.58 लाख हैक्टेयर में हुई है जो कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 33.18 फीसदी कम है। पिछले साल की समान अवधि में 68.76 लाख हैक्टेयर में तिलहनों की बुवाई हो चुकी थी। तिलहनों में खरीफ की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई अभी तक मात्र 14.16 लाख हैक्टेयर ही हो पाई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 29.35 फीसदी कम है। मूंगफली की बुवाई में भी 12.20 फीसदी की कमी आकर कुल बुवाई 8.49 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है। मानसून में कमी के बावजूद दलहन के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। चालू बुवाई सीजन में अभी तक 6.56 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी है जो कि पिछले साल की समान अवधि के 4.11 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है। दालों में अरहर और मूंग की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है।गन्ने की बुवाई भी चालू खरीफ सीजन में अभी तक 42.21 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 43.54 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। गन्ने की बुवाई उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में कम हुई है। पिछले साल भी गन्ने की बुवाई कम होने से चीनी के उत्पादन में भारी गिरावट आई थी। इसी के परिणामस्वरूप हमें चीनी का विदेशों से ऊंचे भावों पर आयात करना पड़ रहा है।कॉटन का बुवाई क्षेत्रफल पिछले साल से बढ़ा है। अभी तक पूरे देश में कॉटन की 18.83 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 17.41 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। (Buisness Bhaskar....R S Rana)
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