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10 जुलाई 2009
मानसून की बेरुखी चरम पर
इस साल मानसून ने निश्चित तौर पर किसानों को काफी निराश किया है। अब तक के जो आंकड़े सामने आए हैं उसके आधार पर ऐसा कहना शायद गलत नहीं होगा। जुलाई का पहला हफ्ता बीत जाने के बाद भी मानसून की बारिश अभी तक सामान्य से कम है। हालांकि, मौसम विभाग की माने तो आने वाले दिनों में हालात सुधरने की उम्मीद है। भारतीय मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार पहली जून से आठ जुलाई तक पूरे देश में बारिश में तकरीबन 36 फीसदी की कमी रही है। इस अवधि में सामान्य तौर पर 234.7 मिली मीटर बारिश होनी चाहिए, लेकिन सिर्फ 151.0 एमएम बारिश ही रिकार्ड की गई है। मौसम विभाग के निदेशक डॉ. डी.पी.यादव का कहना है कि पूर्वी, दक्षिण और मध्य भारत में पिछले दो हफ्तों से अच्छी बारिश देखी जा रही है। इससे हालात में सुधार की पूरी उम्मीद नजर आ रही है। उनका कहना है कि मानसून अवधि में कुल बारिश के लिहाज से जून के माह में मानसून की 18 फीसदी बारिश होती है, लेकिन इस बार इसमें 48 फीसदी की भारी कमी देखी गई है। मौसम विभाग के मुताबिक पिछले 83 वषों में जून का महीना इस बार सबसे सूखा गया है। मानसून की बारिश और कृषि के लिहाज से जुलाई का महीना काफी महत्वपूर्ण है। मौसम विभाग के अनुसार जुलाई के माह में हालात सुधरते नजर आ रहे हैं। अगर सिर्फ आठ जुलाई तक की बात करें, तो इस दौरान बारिश में आठ फीसदी की कमी रही है। आमतौर पर इस अवधि में 63.5 फीसदी बारिश होती है, लेकिन इस बार सिर्फ 58.2 फीसदी ही वर्षा हुई है। मौसम विभाग ने मानसून के चार महीनों में बारिश के 93 फीसदी रहने का पूर्वानुमान दिया है। मौसम विभाग ने अपनी लांग टर्म एवरेज के मुताबिक जुलाई में 93 फीसदी और अगस्त में 101 फीसदी बारिश होने का अनुमान जताया है। मौसम विभाग के अनुसार एक जून से आठ जुलाई तक देश के 36 मौसम सब-डिवीजनों में से 25 में सामान्य से कम बारिश हुई है। इन 25 सब-डिवीजनों में से भी छह सब-डिवीजनों में बारिश 60 फीसदी से 99 फीसदी तक कम हुई है। मौसम विभाग ने यह भी उम्मीद जताई है कि अगले 48 घंटों में दिल्ली में बारिश होगी और पंजाब में 12 या 13 जुलाई तक मानसून के पहुंचने की उम्मीद है। उधर, स्टैंडर्ड चार्टर्ड ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि जून माह के दौरान भारत में बारिश निश्चित तौर पर काफी कम हुई है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड का कहना है कि भारत में जून माह में होने वाली बारिश खास मायने रखती है क्योंकि इस दौरान वहां कम वर्षा होने से अमूमन फसल पैदावार भी कम होती है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बारिशनागपुर। उत्तर भारत के ज्यादातर इलाके भले ही बारिश के लिए तरस रहे हों, लेकिन मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मानसूनी बारिश हो रही है। मौसम विभाग के मुताबिक पश्चिमी मध्य प्रदेश में मानसून सक्रिय है। दक्षिण-पूर्व मध्य प्रदेश और दक्षिणी छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में हल्की से भारी बारिश की खबरें हैं। टीकमगढ़ और उज्जैन में 70 मिलीमीटर बारिश हुई है। इसके अलावा रीवा, शाहजहांपुर, रायसेन, होशंगाबाद, सिवनी, इंदौर, राजगढ़, गोंदिया, ग्वालियर और भोपाल भी मानसून के प्रभाव वाले इलाकों में शामिल हैं। मौसम विभाग का अनुमान है कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के इन इलाकों के अलावा विदर्भ के कुछ इलाकों में भी गरज के साथ बारिश हो सकती है।अगले 24 घंटे के दौरान मध्य प्रदेश के दक्षिणी भाग और छत्तीसगढ़ के उत्तरी इलाकों में भारी बारिश की संभावना जताई गई है। हालांकि उत्तर भारत में हालात इसके विपरीत हैं। मौसम विभाग ने यहां भी बारिश की संभावना जताई है, लेकिन अभी तक यह इलाका मानसून के लिहाज से समय से पीछे चल रहा है। इसकी वजह से पंजाब और हरियाणा में धान की बुवाई काफी लेट चल रही है। इन राज्यों में अभी तक 50 फीसदी रकबे में ही धान की बुवाई हो पाई है, जबकि पिछले साल इस समय तक 80 फीसदी बुवाई हो चुकी थी। (प्रेट्र) (Business Bhaskar)
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