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27 जून 2009
औद्योगिक विकास तेज होने पर चांदी में बढ़त
बाजार में चांदी की चमक तभी चमकेगी, अगर औद्योगिक मांग में बढ़ोतरी होगी। अगले वर्षो में औद्योगिक तेजी आने पर चांदी की मांग इस सेक्टर से बढ़ेगी। इससे भाव बढ़ सकते हैं। पिछले एक साल में विभिन्न जिंसों के दामों में जिस तेजी से बदलाव आया है उसे देखते हुए अगले पांच सालों की स्थिति के बार में अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है। चांदी के औद्योगिक उपयोग को देखते हुए यह काम और कठिन हो जाता है। लंदन स्थित जीएफएमएस रिसर्च संस्थान के अनुसार आने वाले सालों में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रानिक्स क्षेत्र की मांग में कमी से चांदी की औद्योगिक मांग में गिरावट आएगी। साथ ही फोटोग्राफी के मांग भी पिछले साल की भांति कम होगी। पश्चिमी देशों की ओर से चांदी की ज्वैलरी की मांग भी कम होगी। इस तरह से माना जा रहा है कि फ्क्क्9 में चांदी की औद्योगिक मांग करीब ख्क् फीसदी तक कम हो सकती है, जिसके आगे और भी कम होने की संभावना है। फिलहाल चांदी की कुल मांग का करीब स्त्रक् फीसदी औद्योगिक उपयोग होता है। दूसरी ओर निवेश के विकल्प के रूप में चांदी को जरूर मजबूती मिलेगी। खासकर ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) की ओर से चांदी की मांग बढ़ेगी। दूसरी ओर खदानों से इसकी सप्लाई आने वाले सालों में और कम हो सकती है। साथ ही फोटोग्राफी की मांग में कमी को देखते हुए चांदी की स्क्रैप सप्लाई में भी गिरावट के आसार है। इसको देखते हुए माना जा रहा है कि फ्क्क्9 में इसकी कुल सप्लाई में दो फीसदी की कमी आ सकती है जो आने वाले वषरें में बढ़ती जाएगी। मांग और सप्लाई की स्थिति को देखते हुए जीएफएमएस ने अनुमान लगाया है कि विदेशी बाजार में चालू वर्ष के दौरान इसके दाम ख्ख्.म्क्-ख्भ्.ब्क् डॉलर प्रति औंस के बीच रहेंगे। भारतीय बाजार में इसके दाम फ्ख्,क्क्क्-फ्भ्क्क्क् रुपये प्रति किलो के बीच रहने के आसार हैं। पैराडाइम कमोडिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीरने वकील ने बिजनेस भास्कर को बताया कि अगले पांच सालों के हालात के बार में अनुमान लगाना काफी मुश्किल है किंतु यह कहा जा सकता है कि दामों में तेज उतार-चढ़ाव बना रहेगा। यदि डॉलर में कमजोरी आती है तो अगले एक साल के अंदर इसके दाम ख्8 डॉलर प्रति औंस तक जा सकते है। दूसरी ओर कमोडिटी विशेषज्ञ अभिषेक शर्मा कहते है कि चांदी की एक बड़ी मात्रा का उपयोग उद्योगों में होता है। इस लिहाज से इसके दामों का सीधा संबंध अर्थव्यवस्था में सुधार से है। यदि आगे अर्थव्यवस्था में सुधार आता है तो चांदी में हम एक नई ऊंचाई देख सकते हैं। इस समय चांदी ही एक कमोडिटी है, जिसने इन हालातों में भी अपने उच्चतम स्तर को नहीं छुआ है। पिछले एक साल में चांदी के दाम भारतीय बाजार में फ्त्त,क्क्क् रुपये प्रति किलो की ऊंचाई को छूकर ख्त्त,क्क्क् रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए थे, जो इस समय वापस इसी तरह अंतसराष्ट्रीय बाजार में दाम ख्8 डॉलर प्रति औंस की ऊंचाई से कम होकर 9.म् डॉलर तक गिर गये थे। ये बताता ह कि पिछले एक साल में दामों में किस उतार-चढ़ाव रहा है। (Business Bhaskar)
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