10 जून 2009

बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी

नई दिल्ली June 09, 2009
बासमती चावल के निर्यात में पिछले 2-3 महीनों के दौरान जबरदस्त सुधार हुआ है। इसकी प्रमुख वजह है कि पश्चिम एशिया के देशों में बासमती की मांग में बढ़ोतरी हुई है।
निर्यात में सुधार एक साल बाद हुआ है, क्योंकि महंगाई दर पर काबू पाने के लिए सरकार ने बासमती चावल के निर्यात पर 8,000 रुपये प्रति टन निर्यात शुल्क लगा दिया था। इसके साथ ही न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन रखा गया था, जो जनवरी 2009 में घटाकर 1100 डॉलर प्रति टन कर दिया गया।
टिल्डा राइसलैंड के निदेशक आरएस शेषाद्रि ने कहा, 'ईरान में मांग बढ़ी है, क्योंकि वहां पर स्थानीय स्तर पर फसल कम उगाई जाती है और वह खर्चीली है। साथ ही जनवरी में निर्यात कर हटाए जाने का भी असर निर्यात पर पड़ा है, जिससे निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई।' ईरान के साथ साथ सऊदी अरब जैसे देशों में भी निर्यात बढ़ा है।
यहां तक कि निर्यात बाजार में वसूली में भी सुधार हुआ है। इस समय ईरान में कीमतें बड़ा मसला नहीं हैं। जनवरी में कीमतें 1800-1850 डॉलर प्रति टन थीं, जो इस समय बढ़कर 2,000-21,00 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई हैं।
कोहिनूर ब्रांड के नाम से चावल की बिक्री करने वाले कोहिनूर फूड्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक गुरनाम अरोड़ा ने कहा, 'ईरान में मांग में बढ़ोतरी ने प्रमुख भूमिका निभाई है। ईरान में आज कीमतें प्रमुख मसला नहीं हैं। वे बेहतरीन गुणवत्ता का चावल खरीदना चाहते हैं।'
घरेलू मांग में भी मजबूती बनी हुई है। अरोड़ा ने कहा कि हमने घरेलू बिक्री में 100 प्रतिशत की बढ़त जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान देखी है। मांग में बढ़ोतरी हुई है, जिसमें ईरान ने प्रमुख भूमिका निभाई। ऐसी उम्मीद भी थी। अमीरा फूड्स के प्रबंध निदेशक करन चंदाना ने कहा कि कुछ समय के लिए कारोबार कमजोर रहा, जो अब गति पकड़ चुका है।
इस साल भारत का बासमती चावल निर्यात 18 लाख टन पर पहुंच गया है, जो सर्वोच्च स्तर के करीब है। इसकी एक वजह यह भी है कि अक्टूबर 2008 में पूसा-1121 किस्म के चावल को भी बासमती चावल घोषित किया गया।
खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2008-09 के दौरान देश से 11.4 लाख टन बासमती चावल का निर्यात किया गया। इसमें पिछले साल की तुलना में 3 प्रतिशत की गिरावट आई। पूसा -1121 किस्म की ईरान में बेहतर मांग है।
शेषाद्रि ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर में पूसा-1121 को बासमती चावल की श्रेणी में शामिल किए जाने के बाद बासमती के बाजार के आकार में बढ़ोतरी हुई। इसके परिणामस्वरूप इस साल निर्यात 18 लाख टन के आंकडे क़ो छू सकता है, जिसमें 1121 किस्म का ही निर्यात 6-7 लाख टन का होगा।
बाजार खुश
ईरान सहित पश्चिम एशिया के देशों में बासमती की मांग बढ़ीअच्छी गुणवत्ता हो तो मिल रहा है बेहतर दामन्यूनतम निर्यात मूल्य कम किए जाने और निर्यात शुल्क हटाए जाने का सकारात्मक असरपूसा-1121 के बासमती समूह में आने का भी असर (BS Hindi)

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