10 जून 2009
सूखा सहने योग्य मक्के का जीन खोजा मोनसेंटो ने
बहुराष्ट्रीय कंपनी मोनसेंटो और बीएएसएफ के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे वंशाणु (जीन) की पहचान की है जो सूखे की स्थिति में भी मक्का के पौधे को विकास होने में मदद करेगा। प्राकृतिक रूप से प्राप्त इस जीन के सहारे मक्का ऐसे एरिया में भी उगाया जा सकेगा जहां पानी की किल्लत रहती है। इससे सूखे की स्थिति में मक्का की पैदावार प्रभावित नहीं होगी। कंपनी का कहना है कि वे इस जीन को मक्के में डालकर उसे सूखा सहने योग्य बनाएंगे, जिससे पानी की कमी होने पर भी किसान को उत्पादन घटने की समस्या से नहीं जूझना होगा। सूखा सहने योग्य यह मक्का दुनिया की पहली फसल होगी, जिसमें बायोटेक्नोलॉजी के प्रयोग द्वारा सूखा सहने के गुण डाले जाएंगे।दोनों कंपनियों ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि यह जीन एक जीवाणु बैसिलस सबटेलिस से लिया गया है। सीएसपीबी नामक यह जीन जब मक्का के पौधे में डाला गया तो उसमें सूखा सहने की क्षमता विकसित हो गई। यह खोज इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कम बारिश वाले इलाकों में सूखे की समस्या और भीषण होने की आशंका है। इससे खाद्यान्न उत्पादन प्रभावित होगा। इसका एक बड़ा कारण ग्लोबल वर्ा्िमग के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा है। इन कंपनियों को उम्मीद है कि 2012 की शुरूआत में इस नए जीन से युक्त सूखा सहने योग्य मक्के की नई किस्म को नियामक संबंधी सभी तरह की मंजूरी मिलने के बाद बाजार में पेश किया जा सकेगा। (Business Bhaskar)
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