17 जून 2009

निर्यातकों ने बॉन्ड के लिए लगाई गुहार

नई दिल्ली June 16, 2009
सेवा कर के भुगतान पर मिलने वाले रिफंड में देरी से परेशानी झेल रहे निर्यातकों ने कहा है कि भुगतान के बजाए उनके लिए बॉन्ड ही जारी कर दिया जाए। उनका कहना है फंड की जरूरतें अगर कम हो जाएं तो वे निर्यात की प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकते हैं।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ), जो वाणिज्य मंत्रालय के ट्रेड प्रोमोशन की एक इकाई है उसके अध्यक्ष ए एस शक्तिवेल का कहना है, 'यहां रिफंड की एक व्यवस्था है लेकिन यह बहुत ज्यादा प्रभावी नहीं है क्योंकि इसके लिए बहुत ज्यादा दस्तावेजीकरण करना होता है साथ ही यह बहुत लंबी प्रक्रिया है।'
निर्यातकों द्वारा लगभग 20 सेवाओं का इस्तेमाल करने के बाद सर्विस टैक्स रिफंड दिया जाता है ताकि वे विदेश में बिक्री करने के लिए उत्पादों का निर्माण कर सकें। फिलहाल निर्यातकों को उन सेवाओं का दस्तावेज जमा करना होता है जिनका इस्तेमाल किसी उत्पाद का निर्यात करने के लिए होता है।
निर्यातकों का दावा है कि उन्हें सेवा कर से जुड़ा कोई फायदा नहीं मिला है। इसकी वजह यह है कि भुगतान की प्रक्रिया बेहद जटिल है। शक्तिवेल का कहना है कि गोल्ड कार्ड निर्यातकों के लिए इस स्कीम का अमल किया जा सकता है। अगर यह सफल रहा तो इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
निर्यातकों के लिए गोल्ड कार्ड स्कीम की शुरुआत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने की और इसका विस्तार आसानी से किया जा सकता है और साथ ही जाने-पहचाने निर्यातकों जिनका लोन सेवाओं में बेहतर रिकॉर्ड रहा है उनके लिए क्रेडिट क ी पहुंच भी आसान हो जाएगी।
अगर यह बॉन्ड जारी कर दिया जाता है तो निर्यातक सरकारी प्रतिभूतियों को छूट या प्रीमियम पर बेच सकते हैं और जल्दी पैसे भी पा सकते हैं। एफआईईओ का कहना है कि इस तंत्र से अंतरराष्ट्रीय बाजार में ज्यादा प्रतिस्पर्द्धी कीमतें होंगी। कारोबार विश्लेषकों का कहना है कि इस मुद्दे का प्रभावी हल यही है कि आवेदन की प्रक्रिया को पूरा करने से पहले कुल सर्विस टैक्स के कुछ फीसदी का रिफंड जल्द कर दिया जाए।
बीएमआर एसोसिएट्स के कारोबार विश्लेषक राजीव दिमरी का कहना है, 'सरकार के पास फंड मौजूद न होने की स्थिति में बॉन्ड एक बेहतर उपाय हो सकता है। लेकिन जहां समय से बॉन्ड जारी होने में दिक्कतें हैं तो फिर इससे भी ज्यादा मदद नहीं मिल सकती है। इसके अलावा बॉन्ड का कारोबार स्वतंत्र रूप से होने की जरूरत भी है।' (BS Hindi)

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