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12 जून 2009
मुनाफे के लिए गन्ना किसानों ने किया केले की खेती का रुख
पुणे: गन्ने की कीमतों से जुड़ी अनिश्चितता के कारण इसकी खेती करने वाले किसानों की चिंता बढ़ गई है। यही वजह है कि पश्चिमी महाराष्ट्र के ज्यादातर किसान अब अधिक मुनाफे के लिए केले की खेती का रुख कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र केले की खेती करने वाला अग्रणी राज्य है। यहां करीब 87,000 हेक्टेयर इलाके में केले की खेती होती है। केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के आठ जिलों को केला कृषि निर्यात क्षेत्र (एईजेड) घोषित किया है। इन जिलों में जलगांव, नांदुरबर, हिंगोली, नांदेड़, परभानी और पुणे शामिल हैं। अकेले जलगांव जिले में करीब 60,000 हेक्टेयर में केले की खेती होती है जो कुल इलाके के 50 फीसदी से भी ज्यादा है। हाल में अहमदनगर, शोलापुर, पुणे और सतारा जिले के गन्ना किसानों ने भी केले की खेती शुरू कर दी है। राज्य के बागवानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, 'ये किसान आधुनिक तकनीक, मसलन टिश्यू कल्चर और ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल कर केले की खेती करते हैं जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा होता है।' राज्य कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया, 'गन्ने की खेती से उलट केले की कीमतों में उतार-चढ़ाव बेहद कम होता है। टिश्यू कल्चर के दम पर केले के री-प्लांटेशन का खर्च भी कम हो गया है।' ताजे फलों का कारोबार करने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनी यूनीफ्रूटी शोलापुर में अकलुज से केलों का निर्यात करती है जो पारंपरिक रूप से केले की खेती वाला इलाका नहीं है। कंपनी ने भारत में अपना मुख्यालय गुड़गांव में स्थापित किया है। कुछ एशियाई देशों में यूनीफ्रूटी केला और ताजे फलों की वैश्विक कंपनी चिक्विटा ब्रांड्स के साथ मिलकर कारोबार करती है। (BS Hindi)
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