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01 जून 2009
जेनेटिकली मॉडिफाइड खाद्य उत्पादों के पक्ष में नहीं पर्यावरण मंत्रालय
नई दिल्ली- भारत में जेनेटिकली मॉडिफाइड (जीएम) खाद्य उत्पादों का भविष्य बहुत उज्जवल नहीं है। ऐसा मानना है नए नवेले पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश का। जयराम जीएम बैंगन और टमाटर का समर्थन तो बिल्कुल नहीं करते। साथ ही उनका कहना है कि ऐसे उत्पादों का भविष्य अधर में दिखाई पड़ रहा है। वे कहते हैं, 'मैं जीएम खाद्य उत्पादों को लेकर उत्साहित नहीं हूं। क्या हमें बीटी बैंगन को बढ़ावा देना चाहिए?' मंत्रालय का काम संभालने के साथ ही उन्होंने इस संबंध में अपनी प्राथमिकताओं के बारे चर्चा की। वे आगे कहते हैं, 'बीटी कॉटन और बीटी फूड को एक नजरिए से नहीं देखा जा सकता। हालांकि मैं जीएम चाय, जीएम कॉफी, जीएम रबर के पक्ष में हूं। बीटी सरसों भी महत्वपूर्ण है। मेरा मानना है कि जेनेटिकली मॉडिफाइड फसलों की कुछ भूमिका तो है।' असल में रमेश पहले से ही जीएम खाद्य पदार्थों पसंद नहीं करते। जब वे वाणिज्य राज्यमंत्री थे तब उन्होंने डायरेक्टरेट-जनरल ऑफ फॉरेन टेड (डीजीएफटी) को इस संबंध में एक निदेर्श दिया था। भारतीय सुपर बाजार और खाद्य सीरिज में आयातित जीएम उत्पादों की उपलब्धता संबंधी एक रिपोर्ट पर उन्होंने डीजीएफटी से जवाब मांगा था। जीएम उत्पादों से संबंधित मसलों को हल करने के लिए उन्होंने नेशनल बॉयोटेक्नोलॉजी रेग्युलेटरी अथॉरिटी के गठन की भी बात कही थी। दुनिया के छह प्रमुख देश इन दिनों जीएम फसल और खाद्य उत्पादों का परीक्षण कर रहे हैं। भारत इन छह देशों में से एक है। बीटी बैंगन को जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमिटी (जीईएसी) अनुमति दे सकती है। जीईएसी पर्यावरण मंत्रालय के अधीन समिति है। हालांकि रमेश के मुताबिक वे जेनेटिकली मॉडिफाइड नकदी फसल को बढ़ावा देंगे। बीटी कॉटन के मद्देनजर ऐसा किया जाएगा। बीटी कॉटन की वजह से पैदावर बढ़ी है और इससे देश के किसानों को फायदा हो रहा है। वे कहते हैं, 'बीटी कॉटन ने तो देश में क्रांति ला दी है। इसके चलते भारत दुनिया में बीटी कॉटन पैदा करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश हो गया है। महज छह सालों में यह कमाल हो गया है।' रमेश ने बताया कि गुजरात, पंजाब, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश समेत पूरे देश में बीटी कॉटन के पैदावार में बढ़ोतरी हो रही है। इन क्षेत्रों में पानी की कमी रही है। वे आगे बताते हैं, 'पैदावार में हुई बेहतरीन बढ़ोतरी से भारत और चीन के अंतर कम हुआ है। किसानों अच्छा मुनाफा हो रहा है। इसलिए इस तरह के जीएम फसलों को प्रोत्साहन देना जरूरी है ताकि बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। बीटी कॉटन की वजह से रासायनिक उवर्रकों के इस्तेमाल में कमी आई है।' रमेश, बीटी बैंगन और कुछ दूसरे जीएम खाद्य उत्पादों को लेकर उत्साहित नहीं हैं। ये उत्पाद अभी परीक्षण की दौर से गुजर रहे हैं। बैंगन के अलावा चावल के कई किस्म, टमाटर, आलू, गन्ना, सोया वगैरह जीईएसी की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, यूरोपीय संघ के सभी देश और अफ्रीका के कुछ देशों ने जीएम खाद्य उत्पादों पर अपने देश में पाबंदी या फिर कठोर नियम-कानून लगा रखे हैं। (ET Hindi)
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