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11 जून 2009
अमेरिकी क्रूड स्टॉक गिरने से कच्चे तेल का भाव $71 के पार
लंदन: सात महीनों में पहली बार बुधवार को कच्चा तेल 71 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया। यह कच्चे तेल की मांग में सुधार आने का भी संकेत है। पिछले सप्ताह अमेरिका के क्रूड स्टॉक में गिरावट और सितंबर के बाद पहली बार ऊर्जा विभाग द्वारा क्रूड ऑयल की वैश्विक मांग में बढ़ोतरी का अनुमान जताने के कारण कच्चे तेल में तेजी देखने को मिल रही है। अमेरिकन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट (एपीआई) ने कहा कि 5 जून को खत्म हुए हफ्ते में अमेरिकी क्रूड स्टॉक में 60 लाख बैरल की गिरावट आई है। इस दौरान रिफाइनरियों ने भी उत्पादन में बढ़ोतरी की। दुनिया में ऊर्जा के सबसे बड़ा उपभोक्ता देश अमेरिका में कच्चे तेल का स्टॉक घटने से कमजोर हो रही मांग को सहारा मिला। सितंबर के बाद से पहली बार यूएस एनर्जी इंफॉरमेशन एडमिनिस्ट्रेशन (ईआईए) ने 2009 के लिए वैश्विक मांग में बढ़ोतरी की है। मंगलवार को क्रूड ऑयल की कीमत 70.01 डॉलर प्रति बैरल पर थी। बुधवार को जुलाई डिलीवरी का लाइट क्रूड ऑयल 1.17 डॉलर बढ़कर 71.18 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। नवंबर के बाद से पहली बार कच्चे तेल के भाव 70 डॉलर से ऊपर पहुंचे हैं। लंदन ब्रेंट क्रूड भी एक डॉलर बढ़कर 70.62 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। वीटीबी कैपिटल के एनालिस्ट एंडे क्रुचिनकोव का कहना है, 'कच्चे तेल के स्टॉक में गिरावट और ईआईए द्वारा मांग में बढ़ोतरी होने के अनुमान के बाद से इस बात की उम्मीद लगी है मांग में तेजी आ सकती है।' उन्होंने कहा कि कच्चे तेल में तेजी इस बात से भी है कि अगर ओपेक कच्चे तेल के उत्पादन में कमी करने के फैसले पर कायम रहा तो तीसरी और चौथी तिमाही में वैश्विक स्टॉक में तेजी से गिरावट देखने को मिल सकती है। कच्चा तेल सर्दियों में अपने 30 डॉलर के न्यूनतम स्तर के बाद से अब तक दोगुना हो चुका है। निवेशकों का अनुमान है कि अर्थव्यवस्था में सुधार शुरू हो चुका है और इससे तेल की मांग बढ़ेगी। ओपेक देशों द्वारा 42 लाख बीपीडी की कटौती करने से भी कीमतों को समर्थन मिला है। ग्रुप अब तक कटौती करने की अपनी योजना में 80 फीसदी सफल हो चुका है, लेकिन विशेषज्ञों को अंदेशा है कि अगर कीमतों में तेजी रही तो उत्पादन फिर से बढ़ सकता है। कुवैत के तेल मंत्री ने बुधवार को कहा कि अगर तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल की ओर बढ़ती हैं तो ओपेक देशों को तेल का उत्पादन बढ़ाना चाहिए। ओपेक देश दुनिया के कुल तेल उत्पादन में एक तिहाई का योगदान करते हैं। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी से आर्थिक सुधारों को झटका लग सकता है। (ET Hindi)
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