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26 जून 2009
पहली छमाही में सिर्फ 54 टन चांदी का आयात
अत्यधिक ऊंचे भाव होने के कारण चांदी की मांग पिछले छह महीनों बहुत कम रही। चांदी की औद्योगिक खपत भी इस दौरान बहुत कम रही। इसके कारण चांदी का भारत में आयात जनवरी से जून के दौरान घटकर मात्र 54 टन रह गया। जबकि भारत में हर माह 100 से 300 टन चांदी का आयात होता रहा है।सामान्य तौर पर देश में हर माह करीब 100 से 300 टन चांदी का आयात होता है। पिछले साल देश में करीब दो हजार टन चांदी का आयात हुआ था। बॉम्बे बुलियन मर्चेट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरश हुंडिया के मुताबिक कीमतों में यदि गिरावट नहीं होती है तो आने वाले दिनों में इसकी मांग और कमी देखी जा सकती है।गौरतलब है कि चालू साल के दौरान घरलू बाजार में चांदी की कीमतें करीब 25 फीसदी तक बढ़ चुकी हैं। मौजूदा समय में इसका भाव करीब 22,740 रुपये प्रति किलो है। हुंडिया के मुताबिक दुसरी छमाही के दौरान चांदी के भाव यदि 16-17 हजार रुपये प्रति किलो के आसपास आते हैं तो इसकी मांग में सुधार हो सकता है। हालांकि विदेशों में फंडों की जोरदार खरीद होने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी के भाव गिरने की उम्मीद बहुत कम है। ऐसे में घरेलू बाजार में भी भाव घटने की संभावना नगण्य है। इसके उलट एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश बढ़ने से इसके भाव ऊपर रह सकते हैं। मौजूदा समय में जहां थोड़ी बहुत मांग निकल भी रही है तो उसकी आपूर्ति रिसाक्लिंग से पूरी हो जा रही है। हुंडिया ने बताया कि पिछले छह महीनों से रोजाना बाजार में करीब 2-3 टन पुरानी चांदी आ रही है।उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में यदि मानसून में सुधार होता है और फसलों की पैदावार बढ़ती है तो चांदी के मांग में सुधार होने की उम्मीद की जा सकती है क्योंकि ऐसे में ग्रामीण खरीदारों की खरीद क्षमता में इजाफा होगा। मौजूदा समय में देश के कई इलाकों में किसान बीज खरीदने और खेती के लिए अपने यहां रखे चांदी के स्टॉक को बेच रहे हैं। (Business Bhaskar)
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