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16 मई 2009
सरकारी सख्ती से चीनी की आवक बढ़ी तो भाव नरम
केंद्र सरकार का नया उपाय चीनी की तेजी थामने में कारगर साबित हो रहा है। कोटा की चीनी हर सप्ताह जारी करने के नियम के चलते मिलों की खुले बाजार में बिक्री बढ़ गई है। सप्लाई बढ़ने से दिल्ली बाजार में चीनी की कीमतों में 40-50 रुपये की गिरावट आकर भाव 2450-2500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उधर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के साथ ही अन्य देशों की मांग बढ़ने से चीनी की कीमतों में 40-50 डॉलर प्रति टन की तेजी दर्ज की गई। दिल्ली के चीनी व्यापारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि मिलों द्वारा बिकवाली बढ़ा देने से दिल्ली बाजार में चीनी की आवक बढ़ गई है जबकि स्टॉकिस्टों की मांग कमजोर होने से पिछले दो-तीन दिनों में इसकी कीमतों में 40-50 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। गुरुवार को दिल्ली बाजार में इसकी कीमतें घटकर 2450-2500 रुपये प्रति क्विंटल रह गई। एक्स-फैक्ट्री चीनी के दाम भी घटकर 2300-2350 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। इंडिया शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक शांति लाल जैन ने बताया कि भारत के साथ ही इंडोनेशिया और चीन की मांग से अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले एक सप्ताह में चीनी की कीमतों में 40-50 डॉलर प्रति टन की तेजी आ चुकी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम बढ़कर 435 डॉलर प्रति टन हो गए। इसमें करीब 35 डॉलर का भाड़ा जोड़ने के बाद दाम 470 डॉलर प्रति टन हो जाते हैं। भारत द्वारा करीब 20-21 लाख टन रॉ शुगर के आयात सौदे किए जा चुके हैं। इसमें से 10 लाख टन रॉ शुगर भारत में आ चुकी है तथा लगभग साढ़े चार लाख टन रॉ शुगर को रिफाइंड किया जा चुका है। रॉ शुगर के दाम भी विदेशी बाजार में बढ़कर 15.40 सेंट प्रति पांउड हो गए हैं।ऊंचे दाम की वजह से चालू सीजन में चीनी की मांग में मामूली कमी आ सकती है। चालू फसल सीजन वर्ष 2008-09 (अक्टूबर-सितंबर)में 147 लाख टन उत्पादन और 90 लाख टन बकाया को मिलाकर कुल उपलब्धता 237 लाख टन की बैठेगी। जबकि खपत 210-215 लाख टन होने की संभावना है। पिछले साल देश में चीनी का उत्पादन 264 लाख टन का हुआ था। थाईलैंड जोकि चीनी का प्रमुख निर्यातक देश है, वहां भी वर्ष 2008-09 के दौरान गन्ने का उत्पादन 730 लाख टन से घटकर 670 लाख टन होने की संभावना है। जैन ने माना कि चालू सीजन में चूंकि गन्ना किसानों को अच्छे दाम मिले हैं इसलिए गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी की उम्मीद है। हालांकि गन्ने के मुकाबले अन्य जिंसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए बुवाई क्षेत्रफल में भारी बढ़ोतरी की संभावना कम ही है। गन्ने की कमी के कारण चालू सीजन में उत्तर प्रदेश की मिलों द्वारा गन्ने की खरीद 160-180 रुपये प्रति क्विंटल की दर से करनी पड़ी थी। मिलों ने गन्ने की खरीद तो ऊंचे दामों पर की ही, साथ ही गन्ने में रिकवरी भी कम आने से मिलों की लागत इजाफा हुआ है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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