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29 मई 2009
माइक्रो न्यूट्रिएंट बने दीपक फर्टिलाइजर्स के लिए मुनाफे का उर्वरक
पुणे: एकीकृत केमिकल और फर्टिलाइजर कंपनी दीपक फर्टिलाइजर एंड फार्मास्युटिकल्स कॉरपोरेशन (डीएफपीसीएल) मार्केटिंग और किसानों से सीधे जमा किए गए बागवानी उत्पादों व सब्जियों के निर्यात के जरिए अपने कारोबार को बढ़ा रही है। यह कंपनी के माइक्रो न्यूट्रिएंट कारोबार की तरफ एक और कदम है, जिसके बाद कंपनी खास मिट्टी और एग्री उत्पादों की जरूरत के हिसाब से एक प्लांट लगा सकती है। मौजूदा वक्त में, डीएफपीसीएल माइक्रो न्यूट्रिएंट का आयात करती है। इस आयात के जरिए कंपनी ने वित्त वर्ष 2008-09 में 148 करोड़ रुपए से ज्यादा जुटाए थे, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में कंपनी ने इस मद से 87.65 करोड़ रुपए जुटाए थे। ये उत्पाद सरकार की सब्सिडी के अधीन नहीं आते हैं, इससे ये उत्पादक कंपनियों के लिए काफी आकर्षक बने हुए हैं। 1,470 करोड़ रुपए से ज्यादा की कंपनी दीपक फर्टिलाइजर ने एग्रीकल्चर सपोर्ट की पहल को कुछ साल पहले शुरू किया था। कंपनी ने उस वक्त मुट्ठी भर किसानों का चयन किया था जिनकी संख्या अब बढ़कर 5,000 को पार कर गई है। कंपनी ने इन्हें मिट्टी और कृषि अर्थव्यवस्था को मदद देने वाले माइक्रो न्यूट्रिएंट के क्षेत्र में विशेषज्ञता मुहैया कराई। पिछले वित्त वर्ष के दौरान, कंपनी ने फल और सब्जियों के 56 कंटेनर निर्यात किए थे, इसके अलावा घरेलू बाजार में भी इनकी बिक्री की गई थी। जून तक, कंपनी को कुल 90 कंटेनर के निर्यात की उम्मीद है। डीएफपीसीएल के संयुक्त उद्यम में नॉर्वे की यारा इंटरनेशनल एएसए पार्टनर है। यह 14 अरब डॉलर की कंपनी है, जो कि स्पेशिएलिटी फटिर्लाइजर और दूसरे उत्पाद बनाती है। डीएफपीसीएल और यारा मिलकर 3 लाख टन की क्षमता का अमोनियम नाइट्रेट और स्पेशिएलिटी फटिर्लाइजर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट उड़ीसा के पारादीप में लगा रही हैं। डीएफपीसीएल के प्रबंध निदेशक और वाइस चेयरमैन एस सी मेहता के मुताबिक, 'हमने किसानों के लिए डिमॉन्सटेशन प्लांट के जरिए शुरुआत की है। इसके बाद हमने इसे फसल और मिट्टी के हिसाब से उर्वरक बनाने वाली इकाइयों में बदल दिया। साथ ही हम अब किसानों को ड्रिप सिंचाई जैसी सेवाएं देने की ओर बढ़ रहे हैं, जिसके बाद इन उत्पादों को खरीदने की शुरुआत होगी।' इन उत्पादों को यूरोपीय स्टैंडर्ड के हिसाब से सर्टिफाइ किया गया है, क्योंकि पिछले साल निर्यात का एक बड़ा हिस्सा ब्रिटेन, यूरोपीय और मध्य-पूर्व के बाजारों को भेजा गया था। शुरुआती निर्यात आईटीसी के जरिए शुरू किया गया था, लेकिन अब अंगूर, अनार और प्याज सीधे डीएफपीसीएल के सारथी ब्रांड के जरिए बाहर जा रहे हैं। मेहता के मुताबिक उन्होंने एक ग्लोबल फर्म के साथ समझौता किया है जो कि खरीदार है और हाइपर मार्केट चेन को सप्लाई करती है। कंपनी का मकसद केवल महाराष्ट्र के बाहर अपना सप्लायर आधार बढ़ाने की नहीं है बल्कि अपने उत्पादों की रेंज में भी इजाफा करने की है। (ET Hindi)
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