नई दिल्ली May 11, 2009
यह उम्मीद जताई जा रही है कि सचिवों की एक समिति 11 मई को हॉट रोल्ड क्वॉयल (एचआरसी) पर संरक्षण शुल्क लगाए जाने के मुद्दे को उठाएगी।
संरक्षण महानिदेशालय (डीजीएस) भी एचआरसी (600 डॉलर प्रति टन से नीचे) पर 25 फीसदी संरक्षण शुल्क लगाने के पक्ष में है। डीजीएस ने यह निर्णय एस्सार स्टील और इस्पात इंडस्ट्रीज द्वारा भेजे गए आवेदन के बाद लिया है।
एस्सार स्टील और इस्पात इंडस्ट्रीज को स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया (सेल) और जेएसडब्ल्यू स्टील का भी समर्थन मिला हुआ है। जुलाई-सितंबर 2008 के दौरान औसत मासिक आयात जहां लगभग 80,000 टन था वहीं जनवरी-फरवरी 2009 के दौरान वह बढ़कर 230,000 टन तक पहुंच गया। यह बढ़त 300 फीसदी से भी अधिक है।
इसके अलावा, सस्ते आयात की मात्रा (500 डॉलर और उससे नीचे) में भी लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है। नवंबर 2008 में सस्ते आयात की मात्रा 3.4 फीसदी से बढ़कर फरवरी 2009 में 61 फीसदी तक पहुंच गई है।
एचआरसी निर्माताओं ने बताया कि घरेलू निर्माता आजादी के साथ यूरोप, पश्चिम एशिया और ईरान में निर्यात कर सकते हैं लेकिन उन्हें केवल अमेरिका, कनाडा, इंडोनेशिया और थाईलैंड में एंटी-डम्पिंग शुल्क देना पड़ता है।
एचआरसी आयात करने के लिए मलेशिया में आयातकों को वहां के स्थानीय निर्माताओं से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना होता है। यूरोप में हॉट रोल्ड क्वॉयल की कोई मांग नहीं है और इसके बाद केवल पश्चिम एशिया और ईरान बचता है। (BS Hindi)
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