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08 मई 2009
भारतीय गेहूं निर्यात की संभावना से सीबॉट में भाव गिर
भारत द्वारा 20 लाख टन गेहूं निर्यात करने की संभावना और प्रमुख आयातक देशों में उत्पादन बढ़ने से शिकॉगो बोर्ड ऑफ ट्रेड (सीबॉट) में गेहूं के जुलाई अनुबंध में 6.6 फीसदी की गिरावट आकर भाव 5.65 डॉलर प्रति बुशल रह गये। विश्व में गेहूं के कुल भंडार में भारी इजाफा होने से भी इसकी गिरावट को बल मिला है।अंतरराष्ट्रीय अनाज काउंसिल (आईजीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2009-10 के अंत तक दुनिया भर में गेहूं के भंडार 17.1 करोड़ टन के आठ साल के उच्चतम स्तर को पार कर जायेंगे। गेहूं के प्रमुख आयातक देशों ईरान, सीरिया, अल्जीरिया, और मोरक्कों में पैदावार में बढ़ोत्तरी होगी। अत: आयातक देशों में पैदावार में बढ़ोतरी होने से आयात में कमी आयेगी। इस दौरान गेहूं का वैश्विक उत्पादन करीब 65.1 करोड़ टन होने की उम्मीद है। जो साल 2008 के उत्पादन से 3.7 करोड़ टन कम है। भारत 2007 के बाद पहली बार प्रावईट निर्यातकों को 20 लाख टन गेहूं निर्यात करने की छूट देगा। हालांकि इसकी अधिसूचना 15 मई के बाद जारी होने की संभावना है। इस समय भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में पुराना गेहूं तो भारी मात्रा में बचा ही हुआ है साथ ही चालू खरीद सीजन में भी गेहूं की खरीद में इजाफा होने की संभावना है।केंद्रीय पूल में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले राज्यों पंजाब और हरियाणा में अभी तक गेहूं की रिकार्ड खरीद हो चुकी है। एफसीआई के सूत्रों के अनुसार चालू खरीद सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अभी तक करीब 205 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। पिछले साल समर्थन मूल्य पर 226 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी। चालू सीजन में भारत में गेहूं का उत्पादन 780 लाख टन होने की संभावना है। (Business Bhaskar)
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