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15 अप्रैल 2009
कपास का बुवाई रकबा घटने की आशंका : सीएमआईई
इस साल निर्यात मांग में भारी कमी आने से भारत में इस साल कपास का बुवाई रकबा घटने का अनुमान है। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक निर्यात घटने से खुले बाजार में कपास के दाम नीचे रहे। हालांकि इस साल कपास का सरकारी खरीद मूल्य काफी ज्यादा रहा।रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और ब्रिटेन में मंदी की वजह से घरलू कपड़ा कपंनियों को मिलने वाले निर्यात ऑर्डर में कमी आई है। जिससे कंपनियों की कॉटन की मांग में भी गिरावट रही है। पिछले साल जून के बाद से चीन की मांग घटते ही निर्यात में काफी गिरावट देखी गई है। नतीजन कॉटन की कीमतों में तगड़ी गिरावट का रुख रहा। सीएमआईई ने रकबा घटने से साल 2009-10 के दौरान करीब 2.46 करोड़ गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कॉटन पैदा होने की संभावना जताई है। चालू सीजन के दौरान 28 मार्च तक मंडियों में करीब 250 लाख गांठ कॉटन की आवक हो चुकी है जो एक साल पहले के इसी अवधि में हुई आवक की तुलना में करीब 8.3 फीसदी कम है। गौरतलब है कि आवक में यह गिरावट केंद्र सरकार द्वारा एमएसपी बढ़ाए जाने के बावजूद हुई है। सीएमआईई ने इस साल करीब 2.76 करोड़ गांठ कॉटन का पैदावार होने की संभावना जताई है। कई इलाकों में बीटी कॉटन का रकबा बढ़ने के बावजूद पैदावार में गिरावट की आशंका है। देश में करीब 75 फीसदी हिस्से में बीटी कॉटन की बुवाई हुई है।माना यह जा रहा है कि पैदावार में गिरावट की वजह से भी मंडियों में कॉटन की आवक घट रही है। पिछले सीजन के दौरान वैश्विक बाजारों में भारतीय कॉटन की मांग बढ़ने से भाव में भारी बढ़ोतरी हुई थी। पिछले सीजन में करीब 85 लाख गांठ कॉटन का निर्यात हुआ है। जबकि इस सीजन में करीब 15 लाख टन निर्यात होने की संभावना जताई जा रही है। (BS Hindi)
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