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15 अप्रैल 2009
निर्यातकों की मजबूत मांग से कैस्टर महंगा
सस्ते भावों पर स्टॉकिस्टों और निर्यातकों की मांग निकलने से पिछले सवा महीने के दौरान अरंडी तेल की भाव में छह फीसदी से ज्यादा का सुधार दर्ज किया गया है। इस वजह से एनसीडीईएक्स में भी इस दौरान मई वायदा अरंडी सीड (कैस्टर सीड) के भावों में आठ फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिली है। राजस्थान (जोधपुर) के अरंडी तेल उत्पादक सुरश सकलेचा ने बताया कि मंदी के कारण निर्यात मांग कमजोर होने से मार्च के पहले सप्ताह तक जोधपुर मंडी में अरंडी तेल के भाव गिरकर 4600 रुपए क्विंटल पर रह गए थे। लेकिन मार्च के पहले सप्ताह में विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा अरंडी तेल को भी विशेष कृषि एवं ग्रामोद्योग योजना के दायर में लाने से निर्यातकों को पांच फीसदी शुल्क वापसी का लाभ और सस्ते भाव होने से स्टॉकिस्टों की सक्रियता बढ़ गई। इससे चार मार्च से अब तक सवा महीने की अवधि के दौरान जोधपुर मंडी में अरंडी तेल के भाव छह फीसदी से ज्यादा सुधरकर 4900 रुपए क्विंटल हो गए हैं। वहीं मई वायदा सौदों में भी अरंडी सीड के भाव चार मार्च की तुलना में आठ फीसदी से ज्यादा बढ़कर 13 अप्रैल को 2380 रुपए क्विंटल हो गए। उन्होंने बताया कि तेजी के दौर में पिछले वर्ष अक्टूबर में अरंडी तेल बढ़कर 6800 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था लेकिन बाद में आर्थिक मंदी के चलते निर्यात मांग में कमी के कारण दिसंबर से फरवरी के बीच तीन महीनों में भाव तीस फीसदी से ज्यादा घटकर 4600 रुपए क्विंटल रह गया था। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 की पहली छमाही में अरंडी तेल निर्यात करीब 138 फीसदी बढ़ा था लेकिन दुनिया भर में मंदी गहराने से अंतिम तिमाही में निर्यात वृद्धि दर नकारात्मक हो गई। गौरतलब है कि दुनिया भर में भारत अरंडी तेल का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है। घरलू स्तर पर भी अरंडी तेल का सौंदर्य प्रसाधन, पेंट, रसायन, फार्मास्युटिकल, रबर, परफ्यूम, ल्यूब्रिकेंट और साबुन समेत कई उद्योगों में बतौर कच्चे माल उपयोग किया जाता है। कारोबारियों का कहना है कि नया वित्त वर्ष शुरू होने के बाद घरलू उद्योगों की मांग निकलने के साथ स्टॉक प्रवृति के कारण अरंडी तेल की कीमतों थोड़ा और सुधार होने की संभावना है। हालांकि वर्ष 2008-09 (अक्टूबर से सितंबर) में अरंडी सीड उत्पादन करीब 21 फीसदी बढ़कर 11 लाख टन होने का अनुमान के चलते भावों में पिछले वर्ष जैसी तेजी आने के आसार कम है। (Business Bhaskar)
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