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09 अप्रैल 2009

बाजारों में आलू बन गया मोस्ट वांटेड

नई दिल्ली 04 08, 2009
असम एवं बिहार में आलू की जबरदस्त मांग होने के कारण आगरा के आलू किसान इस साल फोन पर ही अपना सौदा तय कर रहे हैं।
फोन पर कीमत तय करने एवं आढ़ती से आलू बेचने की गारंटी मिलने के बाद ही वे दिल्ली की मंडी का रुख कर रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले आगरा के आलू की कीमत इस बार दोगुनी चल रही है। और आने वाले समय में कीमत में बढ़ोतरी के पूरे आसार हैं।
फिलहाल दिल्ली की मंडी में आलू की कीमत 500-700 रुपये प्रति 80 किलोग्राम है। गत एक साल के दौरान सिर्फ आगरा मंडल में 2-5 लाख पैकेट (1 पैकेट = 50 किलोग्राम) की क्षमता वाले 180 कोल्ड स्टोरेज के निर्माण के कारण भी किसान अपने आलू को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर नहीं है।
इस साल किसानों को प्रति बीघा आलू की पैदावार से 4500-5000 रुपये की बचत हो रही है। आगरा के राया इलाके के किसान रवींद्र सिंह ने बताया कि एक बीघा जमीन से करीब 2000 किलोग्राम आलू का उत्पादन होता है। 500 रुपये प्रति 80 किलोग्राम के हिसाब से इसकी कीमत 12,500 रुपये होती है।
जबकि बीज, खाद इत्यादि में प्रति बीघा 6000-6500 रुपये की लागत आती है। 2000 किलोग्राम को दिल्ली की मंडी तक लाने में लगभग 1200 रुपये का खर्च बैठता है। इस प्रकार उनकी लागत 7200-7700 रुपये की होती है। फिलहाल आजादपुर मंडी में रोजाना 120-150 गाड़ी आलू की आवक हो रही है।
एक गाड़ी में 250-300 बोरी (1 बोरी = 50-60 किलोग्राम) आलू होते हैं। दिल्ली एवं आसपास के इलाकों में रोजाना 80-90 गाड़ी आलू की खपत है। जबकि हर दूसरे या तीसरे दिन बिहार एवं असम के लिए रेल के जरिए 20-25 बोगी आलू की आपूर्ति की जा रही है।
आजादपुर मंडी के आलू आढ़ती सुशील कुमार कहते हैं, 'आलू की आवक में पिछले साल के मुकाबले कोई कमी नहीं है। लेकिन असम एवं बिहार में हो रही आपूर्ति के कारण आलू की मांग तेज है। इसलिए किसानों का माल आते ही बिक जा रहा है। यही वजह है कि इस बार मंडी में किसान सुबह आते हैं और दो घंटों के भीतर सौदा तय कर चले जाते हैं।'
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि इस साल उत्तर प्रदेश में 200 से अधिक कोल्ड स्टोरेज बन जाने के कारण किसानों को अपने आलू रखने के लिए पर्याप्त जगह मिल गयी है। लिहाजा किसान खासकर बड़े आलू किसान कम कीमत पर आलू बेचने को मजबूर नहीं है।
आलू कारोबारियों के मुताबिक आलू के भाव में तेजी बनी रहेगी क्योंकि बिहार एवं असम में आलू की फसल पिछले साल के मुकाबले 60 फीसदी तक बर्बाद हो चुकी है। (BS Hindi)

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