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20 अप्रैल 2009
महंगाई ने बिगाड़ा खाने का स्वाद
इंसान को जीने व पेट भरने के लिए दो वक्त की रोटी-सब्जी चाहिए। मगर आसमान छूते सब्जियों के भाव छू रहे हैं। अब यही सब्जियां गरीबों की थाली से गायब हो रही हैं। मध्यवर्ग भी इनकी खरीदारी से कन्नी काटने लगे हैं। वैसे ही आटा दाल व अन्य खाद्य पदार्थो ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है रही सही कसर सब्जियों ने निकाल दी है। चारों तरफ नेताओं पर लोकसभा चुनाव का बुखार चढ़ा हुआ है, मगर मतदाता सुबह शाम रोटी के साथ खाने वाली सब्जियों को लेकर फिक्रमंद है। गुलमोहर एवेन्यू निवासी बलविंदर कौर, हरमीत, सुदेश, इंदिरा कालोनी निवासी रमा शर्मा, निर्मला, पलविंदर कौर, रीटा शर्मा ने बताया कि सब्जी के बढ़े रेटों के चलते आम लोगों को रोटी खाना मुश्किल हो रहा है। आम व्यक्ति का रोजगार कम हो रहा है। मगर महंगाई दिन ब दिन बढ़ने से बच्चों की परवरिश में कठिनाई आ रही है। पूर्व दो माह से अभी तक सब्जियों के रेट काफी बढ़ गए हैं। फ्रेंडस एवेन्यू की गुरजीत कौर, जोगिंदर कौर, सोनिया, रश्मि ने कहा कि उस उम्मीदवार को ही विजयी करना चाहिए जो खाने पीने की वस्तुओं को सस्ता करवाने का सामर्थ्य रखता हो। आटा व सब्जियां आम लोगों की पहुंच से दूर नहीं होना चाहिए। सरकारों को किसानों की सब्जियों की पैदावार के लिए विशेष रियायतें देनी चाहिए। गर्मियों के मौसम में सब्जियां यहां लोगों की जुबां का स्वाद बदलती है। वही बढ़ी कीमतों ने लोगों की सब्जी की खरीददारी करते समय थोड़ी सब्जी में ही गुजारा करना पड़ रहा है। सब्जी विक्रेता रंजीत, बलविंदर सिंह ने बताया कि मार्केट में हरे मटर 50 रुपये, भिंडी 40, करेला 40, टींडा 50, नींबू 50, अदरक 80, पुदीना 40, शिमला मिर्च 25, बैंगन 20, अरबी 30, प्याज 15, फलियां 25, खीरा 12, मूली 10 रुपये प्रति किलो बिक रही है। दो माह पहले दो रुपये बिकने वाले आलू की कीमत पांच गुणा बढ़ कर दस रुपये किलो हो गई है। (Dainik Jagran)
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