09 अप्रैल 2009

घर में महंगा, पड़ोस में सस्ता

नई दिल्ली 04 08, 2009
विभिन्न राज्यों के फ्लोर मिल मालिक इन दिनों कुछ नए तरीके से गेहूं खरीद रहे हैं। कम कीमतों का लाभ उठाने के लिए वे अपने राज्य की बजाय दूसरे राज्यों का रुख किए हुए हैं।
पंजाब और हरियाणा के मिल मालिक उत्तर प्रदेश से, जबकि उत्तर प्रदेश के मिल मालिक राजस्थान और मध्य प्रदेश से गेहूं खरीद रहे हैं। महाराष्ट्र के मिल मालिक उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात से गेहूं खरीद रहे हैं, वहीं आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के मिल मालिक महाराष्ट्र से गेहूं की खरीद कर रहे हैं।
पंजाब स्थित खन्ना के आरती फ्लोर मिल के मालिक डीसी सिंगला ने कहा, 'मंडी में गेहूं का भाव उत्तर प्रदेश से सीधे खरीदे जाने वाले गेहूं से ज्यादा है। खरीदने वाले को खरीद दर पर 13.5 प्रतिशत की दर से कर भी चुकाना पड़ता है। मान लीजिए कि खरीद दर 1085 रुपये प्रति क्विंटल है तो खरीदार को 146 रुपये प्रति क्विंटल कर देना होगा। इस तरह से गेहूं खरीद पर प्रति क्विंटल खर्च 1,231 रुपये आता है, अगर उत्तर प्रदेश से सीधे गेहूं खरीदा जाए तो वह 1,085 रुपये प्रति क्विंटल पड़ता है।'
उत्तर प्रदेश में समस्या यह है कि गेहूं रखने के लिए न तो गोदाम है और न ही आगामी लोक सभा चुनावों के चलते गेहूं खरीदने के लिए वक्त। सरकार की पूरी मशीनरी चुनाव की तैयारी में लगी हुई है, ऐसे में आखिर गेहूं को कौन पूछने वाला!
नतीजा यह है कि देश के सबसे बडे ग़ेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गेहूं 940-950 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1085 रुपये प्रति क्विंटल घोषित कर रखा है। उत्तर प्रदेश फ्लोर मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने कहा, 'अगर सरकार की खरीद प्रभावी होती तो निश्चित रूप से गेहूं की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे नहीं जातीं।'
दिलचस्प है कि उप्र में अनाज खरीद की व्यवस्था का विकेंद्रीकरण किया गया है। व्यवस्था के तहत राज्य सरकारें गेहूं की खरीद, भंडारण और अनाजों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आवंटन के लिए जारी कर सकती हैं। भारतीय खाद्य निगम के एक अधिकारी ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में एफसीआई की भूमिका सीमित है। हम राज्य को तभी सहायता उपलब्ध कराते हैं, जब वह सहायता की मांग करे।'
सिंघल ने कहा कि शुरुआत में उत्तर प्रदेश के मिल मालिकों ने मध्य प्रदेश और राजस्थान से गेहूं खरीदा, क्योंकि वहां कीमतें 20-25 रुपये प्रति क्विंटल कम पड़ती थीं। मुंबई स्थित शिवाजी फ्लोर मिल के अजय गोयल ने कहा कि वे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात से गेहूं खरीद रहे हैं, क्योंकि वहां से खरीदने में फायदा है। (BS Hindi)

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