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04 अप्रैल 2009
कपास खरीद से सीसीआई को 3,000 करोड़ घाटे की आशंका
कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (सीसीआई) को खरीद मूल्य से कम कीमत पर कपास बेचने से 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने की आशंका है। सीसीआई न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी गई कपास को उससे कम कीमत पर बेच रही है। जिसमें उसको नुकसान हो रहा है। वस्त्र मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार सरकार का अनुमान है कि इस साल सीसीआई द्वारा खरीदी गई कुल कपास बेचने पर करीब 3,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। अभी तक सीसीआई ने 90 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) कपास की खरीद कर ली है। जिसमें से 60.76 लाख गांठ की बिक्री घरेलू बाजार में कर चुकी है। इस बिक्री पर उसे करीब 2,200 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। यदि आगे भी सीसीआई को डिस्काउंट पर कपास बेचनी पड़ी तो नुकसान 3,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है। सीसीआई ने 110 लाख गांठ कपास की खरीद का लक्ष्य रखा है। घरेलू बाजार में बिक्री के अलावा सीसीआई ने 14,752 गांठ का निर्यात भी किया है। यह निर्यात भी एमएसपी से कम कीमत पर किया गया है। घरेलू बाजार में कपास की कीमतों के एमएसपी से नीचे होने के कारण सीसीआई और नैफेड को एमएसपी पर कपास खरीद करनी पड़ रही है। हालांकि अब कपास की कीमतों में सुधार हो रहा है। इस समय घरेलू बाजार में शंकर 6 किस्म की कपास के दाम बढ़कर 23,000 रुपये प्रति कैंडी हो गये है। इसके अलावा एमएसपी पर कपास की खरीद न होने के कारण सरकारी एजेंसियों को कीमतें कम करके कपास की बिक्री करनी पड़ रही है। साथ ही, बड़ी मात्रा में कपास की खरीद करने वालों को डिस्काउंट भी दिया जा रहा है। सीसीआई ने फरवरी में ही ज्यादा से ज्यादा कपास बेचने के लिए बल्क डिस्काउंट स्कीम शुरु की है। जिसके अनुसार 10,000 गांठ (एक गांठ 170 किलो) से ज्यादा की खरीद पर दामों में प्रति कैंडी के हिसाब से छूट दी जायेगी। यह छुट 10,000 गांठ की खरीद पर 400 रुपये से शुरु होकर 2,00,000 गांठ की खरीद पर अधिकत्तम 650 रुपये प्रति कैंडी तक दी जायेगी। यह डिस्काउंट सीसीआई द्वारा कपास बेचने के लिए तय की गई कीमतों पर मिलेगा। पंजाब के कॉटन व्यापारी संजीव गर्ग ने बताया कि उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवकों में काफी कमी आई है। उत्तर भारत के पंबाज, हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में इसकी दैनिक आवक घटकर मात्र 1700 गांठ की रह गई है। उधर गुजरात की मंडियों में भी दैनिक आवक घटकर लगभग फ्5,000 गांठ और महाराष्ट्र की मंडियों में इसकी आवक घटकर करीब ख्फ्क्क्क् गांठ की रह गई है। कॉटन एसोसिएशन के मुताबिक चालू सीजन में कपास का उत्पादन घटकर फ्9क् लाख गांठ होने की संभावना है। गत वर्ष देश में कॉटन का उत्पादन ब्ख्म् लाख गांठ का हुआ था। (Busienss Bhaskar)
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