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23 अप्रैल 2009
2009-10 में 12 फीसदी घट सकता है खाद्य तेल का आयात
नई दिल्ली: घरेलू उत्पादन में अनुमानित वृद्धि और आगे ले जाये जाने वाले पर्याप्त स्टॉक के कारण भारत का खाद्य तेलों का आयात वर्ष 2009-10 के सत्र में 12 फीसदी घटकर 60 लाख टन रहने का अनुमान है। यह जानकारी यूएसडीए ने अपनी एक रिपोर्ट में दी है। अमेरिकी कृषि विभाग (यूएसडीए) ने एक रिपोर्ट में कहा, 'वर्ष 2009-10 में खाद्य तेलों का आयात घटकर 60 लाख टन रहने का अनुमान है जो वर्ष 2008-09 के आयात से 12 फीसदी कम होगा। इसका कारण घरेलू उत्पादन में वृद्धि की संभावना और आगे ले जाये जाने वाले सौदे की पर्याप्त मात्रा है।' खाद्य तेलों के विपणन का सत्र अक्तूबर से शुरू होकर सितंबर तक का होता है। यूएसडीए ने वर्ष 2008-09 के दौरान 70 लाख टन खाद्य तेल आयात होने का अनुमान व्यक्त किया है। कुल आयात में पाम तेलों का हिस्सा 83 फीसदी है। पाम तेलों का आयात वर्ष 2008-09 में संशोधित कर 58 लाख टन किया गया है जो पहले 46 लाख टन था, जबकि सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का आयात संशोधित कर दो लाख टन और 3.2 लाख टन किया गया है। खाद्य तेलों का आयात वर्ष 2008-09 के पहले छह महीनों में 73 फीसदी बढ़कर 42 लाख टन हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाम और सोया तेल का आयात क्रमश: 65 फीसदी और 38 फीसदी अधिक रहा। इसका कारण है कि भारत सरकार ने आयात शुल्क को कम कर कीमतों को नियंत्रण में रखने का प्रयास किया। इसके अलावा वैश्विक कीमतों में भारी गिरावट आई, इस कारण भी आयात बढ़ा। यूएसडीए ने कहा है, 'खाद्य तेलों के कम अंतरराष्ट्रीय मूल्य के साथ कच्चे वनस्पति तेल के लिए शून्य आयात शुल्क ने रिफायनरों के लिए आयात को आकर्षक बना दिया है जो बाद में मुनाफा कमाने के चक्कर में इनका भंडार तैयार करने में लगे हैं।'a (ET HIndi)
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