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07 नवंबर 2008
गन्ना मूल्य को लेकर हरियाणा-पंजाब के किसान परेशान
नई दिल्ली/पानीपत/लुधियाना। चालू पेराई सीजन (2008-09) में गन्ने की कीमतों को लेकर उत्तर प्रदेश,हरियाणा और पंजाब के गन्ना किसानों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। गन्ना उत्पादन में देश के अग्रणी राज्य उत्तर प्रदेश की सरकार द्वारा गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) घोषित कर देने के बाद भी इसकी कीमतों को लेकर किसानों, चीनी मिलों और सरकार के बीच हर साल की तरह मुकदमेबाजी शुरू हो गई है। दूसरी ओर हरियाणा व पंजाब की सरकारों ने अभी तक एसएपी ही घोषित नहीं किए हैं। पिछले दो साल से इसी तरह की स्थिति से परेशान किसानों ने उत्तर प्रदेश,हरियाणा और पंजाब में गन्ने के क्षेत्रफल में इस बार भारी कमी की है। उत्तर प्रदेश में यह तीन लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 40,000 हेक्टेयर और पंजाब में 29,000 हेक्टेयर घटा है जिसका नतीजा चीनी उत्पादन में गिरावट के रूप में सामने आएगा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा चालू पेराई सीजन के वास्ते गन्ने के दाम सामान्य किस्म के लिए 140 रुपये और अगैती किस्म के लिए 145 रुपये प्रति क्विंटल तय किए जाने के खिलाफ यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गुरुवार को कोर्ट ने एसएपी पर स्थगन (स्टे) नहीं दिया और मामले की अगली सुनवाई की तारीख 18 नवंबर तय की है। इसके चलते चीनी मिलों में पेराई में देरी होने की आशंका है। चौंकाने वाली बात यह है कि दाम तय करने के बावजूद राज्य सरकार के नियंत्रण वाली सहकारी और चीनी निगम की मिलों ने भी पेराई शुरू नहीं की है। इस वजह से किसानों को कम कीमत पर कोल्हू और क्रशर में कम कीमत पर गन्ना बेचना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश में चालू सीजन में गन्ने की बुवाई 18.80 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जो बीते वर्ष के मुकाबले करीब तीन लाख हेक्टेयर कम है। किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी. एम. सिंह ने बताया कि गन्ने की फसल किसानों के लिए अब मुनाफे के बजाय घाटे का सौदा साबित हो रही है। पिछले दो साल से गेहूं व धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में जिस तरह से बढ़ोतरी हुई है उससे किसान अब गन्ने के बजाय गेहूं व धान की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। उसका असर चालू वर्ष में तो गन्ने के क्षेत्रफल में कमी के रूप में दिख ही रहा है, एक-दो साल में इसके बुवाई क्षेत्रफल में और भी भारी कमी आ सकती है।गन्ने का पेराई सत्र प्रारंभ हो चुका है, लेकिन हरियाणा में राज्य सरकार ने अभी तक एसएपी ही घोषित नहीं किया है। गन्ना किसानों को कम कीमत मिलने और भुगतान में देरी होने के कारण चालू सीजन में हरियाणा में गन्ने का क्षेत्रफल 40 हजार हेक्टेयर घटकर 1.10 लाख हेक्टेयर ही रह गया। इससे राज्य में पिछले साल के मुकाबले लगभग फ्क्क् लाख क्विंटल गन्ने का उत्पादन कम होने की संभावना हैं। राज्य के सहायक गन्ना आयुक्त एम.एस. राठी ने बताया कि गत वर्ष चीनी मिलों ने 88स्त्र लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी, लेकिन क्षेत्रफल में कमी से नए पेराई सीजन में स्त्रत्तत्त लाख क्विंटल गन्ने की ही पेराई होने की संभावना है।कृषि विभाग के सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में राज्य सरकार चालू खरीद सीजन में गन्ने का एसएपी ख्म्क् से ख्स्त्रम् रुपये प्रति क्विंटल तय कर सकती है। उधर भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने बताया कि उन्होंने राज्य सरकार से गन्ने के एसएपी को बढ़ाकर फ्क्क् रुपये प्रति क्विंटल तय करने की मांग की है। (Business Bhaskar..........R S Rana)
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