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20 नवंबर 2008
गैर-बासमती चावल के निर्यात को मंजूरी
नई दिल्ली : गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगी रोक में आंशिक छूट देते हुए सरकार ने 25,000 टन चावल के निर्यात को मंजूरी दी है। यह मंजूरी पांडिचेरी और आंध्र प्रदेश की 2 निर्यात आधारित इकाइयों को दी गई है। इसके अलावा इन इकाइयों को सरकार चावल पर लगने वाली एक्सपोर्ट ड्यूटी से भी मुक्त कर सकती है। विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) की जारी अधिसूचना में कहा गया है कि गैर-बासमती चावल के निर्यात पर लगी रोक में छूट देते हुए सरकार ने पांडिचेरी की वेंकटचलपति मॉर्डन राइस और आंध्र प्रदेश की भारत एक्सपोर्ट्स को 12,500-12,500 टन चावल के निर्यात को मंजूरी दी है। डीजीएफटी ने साथ ही कहा है कि गैर-बासमती चावल के निर्यात को तभी मंजूरी दी जाएगी, जब यह सौदे 1,000 डॉलर प्रति टन की न्यूनतम निर्यात कीमत (एमईपी) को पूरा करेंगे। इसका मतलब यह है कि यह दोनों कंपनियां चावल को 50,000 रुपए प्रति टन से कम कीमत पर विदेश में नहीं बेच सकेंगी। हालांकि इन इकाइयों से चावल के निर्यात पर लगने वाले 160 डॉलर प्रति टन के शुल्क को देने के लिए नहीं कहा गया है। खाद्य सामानों की कीमतों में आए उछाल की वजह से सरकार ने इस साल मार्च में कई कड़े कदम उठाए थे। केंद्र सरकार ने चावल के निर्यात पर पहली बार पिछले साल अक्टूबर में रोक लगाई थी। हालांकि, एक पखवाड़े के अंदर निर्यातकों के कड़े विरोध के चलते सरकार ने इस निर्यात पर एमईपी सिस्टम को लागू कर दिया। डीजीएफटी ने कहा है, 'गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए 100 फीसदी निर्यात आधारित इकाइयों को साल 2008-09 के खरीफ सीजन के लिए छूट दी गई है। निर्यात की मात्रा को वाणिज्य मंत्रालय के तैयार किए गए सिस्टम के जरिए नजर रखी जाएगी।' चावल इंडस्ट्री पर नजर रखने वाले जानकार मान रहे हैं कि गैर-बासमती चावल के निर्यात के लिए केवल दो फर्मों को छूट दिए जाने का फैसला चिंताजनक है। एक मिल के मालिक के मुताबिक, 'सरकार ने केवल इन दोनों ईओयू को ही निर्यात की इजाजत क्यों दी है जबकि कई दूसरी इकाइयां इसके लिए योग्य थीं। इससे संदेह पैदा होता है।' इस हफ्ते की शुरुआत में खाद्य मामलों पर मंत्रियों के अधिकारसम्मत समूह ने गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध को जारी रखने का फैसला लिया था। (ET Hindi)
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