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05 नवंबर 2008
पूसा 1121 को बासमती का दर्जा मिलते ही भाव टूटे
पूसा 1121 चावल को बासमती का दर्जा देना किसानों को मंहगा पड़ गया क्योंकि मंडियों में इसके भाव गिर गए। हरियाणा और दिल्ली की मंडियों में मंगलवार को पूसा 1121 धान के भावों में 200 से 550 रुपये प्रति क्विंटल की भारी गिरावट देखी गई। पूसा-1121 को बासमती का दर्जा मिलने से बासमती की तरह इस पर न्यूनतम निर्यात मूल्य 1200 डॉलर या 48 हजार रुपये प्रति टन की शर्त लागू हो गई। इसके अलावा 8000 रुपये प्रति टन का निर्यात शुल्क भी इस पर लगेगा। अत: इसकी कीमतों में इजाफा होने के कारण खाड़ी देशों के खरीददारों को अब ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। पानीपत जिले के किसान रणबीर सिंह ने बताया कि हरियाणा व पंजाब में चालू वर्ष में पूसा 1121 धान की ज्यादा रोपाई की गई थी लेकिन बासमती का दर्जा मिलने से भावों में आई गिरावट से अगले साल इसके क्षेत्रफल में कमी आ सकती है।नरेला मंडी स्थित मैसर्स रमेश कुमार एंड कंपनी के राजेश गुप्ता ने बताया कि मंगलवार को मंडी में धान की आवक बढ़कर सवा लाख बोरियों की हो गई तथा इसमें पूसा 1121 की करीब 35 से 40 हजार बोरी की आवक थी। पूसा 1121 धान के भावों में मंगलवार को सोमवार के मुकाबले करीब 200 रुपये की गिरावट आकर भाव 2800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। हरियाणा की पानीपत मंडी में मंगलवार को पूसा 1121 धान के भाव घटकर 2800 से 2900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। सोमवार को मंडी में इसके भाव 3250 रुपये थे। अत: यहां भी इसके भावों में 350 से 450 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गई। करनाल मंडी में सोमवार को भाव बढ़कर 3400 से 3450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे लेकिन मंगलवार को भाव घटकर 3100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। कैथल मंडी में 369 रुपये की गिरावट आकर भाव 3031 रुपये प्रति क्विंटल व तरावड़ी मंडी में 550 रुपये प्रति क्विंटल की भारी गिरावट आकर भाव 2700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। तरावड़ी के राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश बंसल ने बताया कि पूसा 1121 को बासमती का दर्जा मिलने से न्यूनतम निर्यात मूल्य के अलावा 800 रुपये प्रति टन शुल्क लगने से मिलों व स्टॉकिस्टों द्वारा खरीददारी कम करने से भावों में गिरावट आई है।शिवनाथ राय हरनारायण प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डारेक्टर प्रेम गर्ग ने बिजनेस भास्कर को बताया कि पूसा 1121 को बासमती का दर्जा मिलने से बासमती चावल के निर्यात पर लगने वाली सभी शर्ते जैसे कि सारे निर्यात कांट्रैक्ट एपीडा में भी पंजीकृत होंगे तथा निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य के अलावा निर्यात केवल कांडला, काकीनाडा, कोलकाता, जेएनपीटी, मुंबई और मुंदरा पोर्ट से ही होगा।जगत कमोडिटी के प्रतिनिधि उमेश श्रीवास्तव ने बताया कि पूसा 1121 चावल के दाने की लंबाई अन्य बासमती के मुकाबले ज्यादा होने के कारण इसकी मांग खाड़ी देशों की ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि पहले इसका निर्यात गैर-बासमती के रूप में होता था अब चूंकि इसको बासमती का दर्जा मिल गया है इसलिए अगर केंद्र सरकार बासमती के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य व निर्यात शुल्क को नहीं हटाती है तो फिर खरीददारों की लागत बढ़ने से इसके निर्यात में भी कमी आ सकती है। हालांकि खुशबू व स्वाद में बासमती ही अव्वल है। (Business Bhaskar...........R S Rana)
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