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01 अक्टूबर 2008
जौ के भाव में भारी गिरावट
निर्यात मांग में कमी होने से जौ के भाव में बीते दो से तीन माह के दौरान 150 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट आई है। भारतीय जौ के भाव पिछले महीनों में दूसरे देशों से ज्यादा थे जबकि इसका दाना पर्याप्त मोटाई में नहीं था। इस कारण निर्यात मांग हल्की पड़ गई। वहीं दूसरी ओर बाजरा और गेहूं की तुलना में इसके महंगा होने से पशुचारे के लिए होने वाली मांग में भी कमी आई है। कारोबारियों की मानें तो हाल ही में बारिश होने से इस बार अच्छी फसल होने की उम्मीद है।दादरी के जौ कारोबारी मुन्नालाल ने बिÊानेस भास्कर को बताया कि जौ में मोटे माल की कमी और विदेशों की तुलना में इसके महंगा होने से माल्ट वालों की निर्यात मांग कम निकल रही है। जिससे इसके भाव में बीते तीन माह में 150 रुपये प्रति क्विंटल तक की गिरावट आई है। उनका कहना कहना है कि इसके अलावा पशुचारे के लिए किसान जौ के बजाय बाजरा और गेहूं ज्यादा पसंद कर रहे हैं क्योंकि जौ का भाव कहीं ज्यादा है। इससे भी जौ की मांग में कमी आई है।इस दौरान माल्ट में उपयोग होने वाला मोटे दाने का जौ 1300 रुपये (ऊपर में) बिकने के बाद गिरकर 1150 से 1160 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बिक रहा है। जबकि पशुचारे में उपयोग होने वाले जौ का भाव (नीचे) में 1025 रुपये प्रति क्विंटल है। हाल ही में बारिश होने से इस बार जौ की पैदावार अधिक होने की उम्मीद है। आने वाले दिनों में जौ के भाव के बारे में मन्नालाल का कहना है कि इसके भाव अंतरराष्ट्रीय भाव और निर्यात मांग पर काफी हद तक निर्भर करेंगे। हालांकि दस दिन पहले बारिश होने से अगली पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है। साथ ही इसी तरह आगे मांग में कमी बरकरार रही तो भाव में और मंदी आ सकती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2007-08 में 1फ्.3 लाख टन जौ का उत्पादन हुआ था जो वित्त वर्ष 2006-07 के 13.3 लाख टन से कम है। जबकि सरकार ने वित्त वर्ष 2008-09 में 15 लाख टन उत्पादन का लक्ष्य रखा है। (Business Bhaskar)
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