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31 अक्टूबर 2008
भारत का बासमती चावल निर्यात 20 फीसदी बढ़ा
विश्व बाजार में चावल की उपलब्धता में कमी के चलते देश से चावल विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) 2007-08 के दौरान बासमती चावल का निर्यात 20 फीसदी बढ़ गया है। जबकि इसी अवधि में सभी तरह के चावल के कुल निर्यात में 23 फीसदी की कमी हुई है। 2007-08 में बासमती चावल का निर्यात 11.9 लाख टन हुआ है। जो साल 2006-07 में 10.3 लाख टन हुआ था। एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) के प्रारंभिक अनुमान के अनुसार चावल विपणन वर्ष 2007-08 में चावल का कुल निर्यात 44 लाख टन हुआ है जो इसी अवधि में 2006-07 में 57 लाख टन हुआ था। चावल निर्यात संध के कार्यकारी निदेशक एस. के. अधलक्खा का मानना है कि सरकार द्वारा गैर बासमती निर्यात पर लगाई गई रोक और न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) की सीमा तय किए जाने के कारण चावल के निर्यात में यह कमी आई है। अन्यथा विश्व स्तर पर आई चावल की मांग में बढ़ोतरी से चावल का कुल निर्यात बढ़ सकता था। उन्होंने कहा कि इस साल चावल की रिकार्ड पैदावार को देखते हुए सरकार को एमईपी में कमी करनी चाहिए । सरकार ने इस साल अप्रैल में घरेलू बाजार में चावल की उपलब्धता बढ़ाने और बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। साथ ही बासमती चावल पर एमईपी बढ़ा दिया था। इस समय बासमती चावल का एमईपी 1200 डॉलर प्रति टन है। इससे पहले अक्टूबर 2007 में केंद्र सरकार ने चावल के निर्यात पर रोक लगा दी थी। जिसे बाद में हटाकर गैर बासमती चावल पर 650 डॉलर की एमईपी सीमा लगा दी थी। गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगने के कारण 31 फीसदी की गिरावट हुई है। चावल विपणन सीजन 2007-08 में इसका निर्यात 32 लाख टन हुआ है। जो 2006-07 की इसी अवधि में 46.7 लाख टन हुआ था। इस साल अप्रैल से गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगी हुई है। (Business Bhaskar)
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