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26 सितंबर 2008
बिचौलियों के खेल में पिसने से बचेंगे किसान
राजधानी की आजादपुर मंडी में सब्जियों और फल की बोली प्रक्रिया अब पारदर्शी बन जाएगी। पहले आढ़ती और खरीदार रूमाल के अंदर हाथ डालकर फल और सब्जियों के दाम तय करते थे। मंडी में यह तरीका बरसों से चला आ रहा था। लेकिन अब इसमें पारदर्शिता की कमी देखी जा रही है। किसान और कारोबारी अब इसमें बेईमानी की शिकायत कर रहे हैं। बोली प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) आजादपुर, इलेक्ट्रॉनिक बोली की व्यवस्था लाने जा रही है। मंडी में इस समय अपनाई जा रही बोली की प्रक्रिया में किसानों को समझ में नहीं आता है कि आढ़तिये और खरीदार बीच सौदा कितने में तय हो रहा है। शिमला से सेब बेचने आए किसान मनोज बताते हैं, हमें अंत में पता चलता है कि सौदा कितने में तय हुआ। इस प्रक्रिया में बेईमानी तो होती ही है। इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया लागू होने से बेईमानी खत्म हो सकती है। कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) आजादपुर की सचिव मधु के गर्ग ने बिजनेस भास्कर को बताया कि बोली की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एपीएमसी इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था करने जा रही है। इसको लागू करने में छह महीने लग सकती है। आलू कारोबारी सूरज कुमार का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था होने से बेईमानी पर लगाम लगने की उम्मीद तो है। किसान-व्यापारी वेलफेयर एसोसिएशन के डायरेक्टर संजय त्यागी बोली की इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था को किसानों के लिए बेहतर मान रहे हैं। वहीं कश्मीर एपल मर्च्ेट एसोसिएशन के अध्यक्ष मेथाराम कृपलानी के मुताबिक बोली की नई प्रक्रिया मंडी में कारोबार के आधुनिक होने की निशानी है। एशिया की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी आजादपुर में सालाना करीब 45 लाख टन की आवक और करीब पांच हजार वाहनों की आवाजाही रहती है। एपीएमसी ने मार्केट फीस के रूप एक फीसदी के हिसाब से 2006-07 में 37.36 करोड़ में प्राप्त किए थे। (Business Bhaskar)
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