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21 सितंबर 2008
श्रीलंका में वनस्पति कंपनियां मुश्किल में
क्रूड पाम तेल के भाव में पिछले महीनों में जोरदार तेजी आने के बाद आयात शुल्क हटा दिए जाने से श्रीलंका में भारत की दो वनस्पति घी कंपनियां आर्थिक मुश्किल में पड़ गई हैं। झुनझुनवाला वनस्पति और गुजरात अंबुजा की श्रीलंका में स्थापित वनस्पति घी इकाइयां बंद होने के कगार पर पहुंच गई है।इस साल की शुरूआत में भारत में क्रूड पॉम तेल पर 45 फीसदी का आयात शुल्क था। खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए सरकार ने आयात शुल्क शून्य कर दिया है। भारत में आयात शुल्क समाप्त होने के कारण यहां भी पाम तेल का आयात सस्ती दरों पर हो रहा है। इसके चलते श्रीलंका से वनस्पति का आयात भारतीय वनस्पति से महंगा हो गया है। जिससे इन कंपनियों का काफी नुकसान हो रहा है। ये कंपनियां श्रीलंका में 6 फीसदी के आयात शुल्क पर मलेशिया से पाम तेल का आयात कर वनस्पति घी का उत्पादन कर भारत को निर्यात करती थी। श्रीलंका में इस समय भारतीय कंपनियों की कुल 17 वनस्पति निर्माण इकाइयां है। जिनकी कुल स्थापित क्षमता 40,000 टन प्रति वर्ष है। इन कंपनियों में रुचि, झुनझुनवाला और गुजरात अंबुजा प्रमुख हैं। झुनझुनवाला वनस्पति के निदेशक एस. एन. झुनझुनवाला ने बिजनेस भास्कर को बताया कि भारत द्वारा आयात शुल्क में कमी से श्रीलंका में कारोबार करना संभव नहीं है। जिसके चलते हम वहां पर इकाई को बंद करने पर विचार कर रहे है। उन्होंने कहा कि भारतीय कंपनियों ने इस संबंध में श्रीलंका सरकार से मांग की है कि सरकार घरेलू बाजार में या भारत के अतिरिक्त दूसरे देशों में वनस्पति घी की बिक्री की अनुमति देती हैं तो हम इन इकाइयों को चालू रख सकते है। गुजरात अंबुजा के चेयरमैन विजय गुप्ता के अनुसार यदि भारत में आयात शुल्क फिर से पचास फीसदी के ऊपर हो जाता है, तभी हम अपनी इकाई को श्रीलंका में बनाए रख सकते है।ऐसा न होने पर हम वहां से अपना कारोबार पूरी तरह समेट लेंगे। श्रीलंका में इन कंपनियों की स्थापना फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए)के अंतर्गत वनस्पति घी बनाकर भारत में निर्यात के लिए की हुई थी। अनुबंध के अंतर्गत हर कंपनी भारत को हर साल 25000 टन वनस्पति का निर्यात कर सकती थी। 2006 में भारत ने घरेलू उद्योग की रक्षा के लिए श्रीलंका से वनस्पति का कुल आयात 2.5 लाख टन सीमित कर दिया था। भारत में वनस्पति घी की कुल खपत 14 लाख टन होती है। (Business Bhaskar)
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