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24 सितंबर 2008
आवक घटने व फ्लोर मिलों की मांग बढ़ने से गेहूं महंगा
केंद्र सरकार द्वारा गेहूं की खुले बाजार में बिक्री के लिए मूल्य तय किए जाने के बाद खुले बाजार में इसके भाव बढ़ गए हैं। उत्पादक मंडियों में आवक घटने व फ्लोर मिलों की मांग बढ़ने से पिछले तीन-चार दिनों में गेहूं के भावों में 20 से 25 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी दर्ज हुई है। इससे स्थानीय बाजार में गेहूं के भाव 1070 से 1080 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। गेहूं की दैनिक आवक गत सप्ताह तक दिल्ली बाजार में 14000 से 15000 बोरियों की हो रही थी जबकि मंगलवार को इसकी आवक घटकर 10000 से 11000 बोरियों की रह गई। आगामी दिनों में गेहूं उत्पादों आटा, मैदा व सूजी में त्यौहारी मांग निकलने से इसके भावों में मजबूती कायम रह सकती है। लारेंस रोड स्थित मैसर्स कमलेश कुमार एंड कंपनी के कमलेश जैन ने बिजनेस भास्कर को बताया कि गत सप्ताह केंद्र सरकार ने राज्यों को 9.03 लाख टन गेहूं देने की घोषणा की थी। चूंकि राज्य सरकारों द्वारा दिए जाने वाले गेहूं के भाव हरियाणा, पंजाब व उत्तर प्रदेश की मंडियों में चल रहे भावों के मुकाबले 40-50 रुपये प्रति क्विंटल ज्यादा हैं इसलिए स्टॉकिस्टों ने बिकवाली कम कर दी है। उन्हें आगे भाव और बढ़ने की उम्मीद है। हल्की बिकवाली से गेहूं के भावों में तेजी देखी गई। वर्तमान में गेहूं का सबसे ज्यादा स्टॉक उत्तर प्रदेश में ही बचा हुआ है जबकि पंजाब व हरियाणा में स्टॉक सीमित मात्रा में है।उन्होंने बताया कि अक्टूबर माह में गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, हरियाण, पंजाब व राजस्थान तथा मध्य प्रदेश में बुवाई का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। चूंकि चालू माह में इन राज्यों में अच्छी वर्षा हुई है जिससे गेहूं के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी होने की उम्मीद तो है लेकिन किसानों की नजर नई फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर भी रहेगी। अगले साल लोकसभा के साथ ही कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं इसलिए केंद्र सरकार पर गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी का दबाव भी होगा। बीते वर्ष रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा अक्टूबर में कर दी थी तथा किसानों को उम्मीद है कि अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े तक एमएसपी घोषित हो सकते हैं। गेहूं का एमएसपी 1000 रुपये प्रति क्विंटल है तथा जानकारों का मानना है कि नई फसल के लिए इसमें 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो सकती है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2008-09 में 785 लाख टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा है जबकि इस वर्ष देश में उत्पादन 784 लाख टन हुआ है। भारतीय खाद्य निगम ने चालू वर्ष में एमएसपी पर 226 लाख टन गेहूं की खरीद की है तथा केंद्र सरकार को उम्मीद है पहली अप्रैल 2009 को बफर स्टॉक 40 लाख टन के मुकाबले देश में गेहूं का वास्तविक स्टॉक 60.04 लाख टन का होगा। बंगलुरू के गेहूं व्यापारी प्रवीन कुमार ने बताया कि उत्तर प्रदेश की मंडियों में गेहूं के भावों में आई तेजी से दक्षिण भारत में भी इसके भावों में 20 से 30 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी देखी गई। बंगलुरू में मंगलवार को गेहूं के भाव बढ़कर 1210-1215 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। हैदराबाद में इसके भाव बढ़कर 1230-1235 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। उत्तर प्रदेश व हरियाण की मंडियों में भी पिछले दो-तीन दिनों में गेहूं के भावों में 20 से 25 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव 980 से 990 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। उत्तर प्रदेश की एटा, शांहजानपुर व कानपुर लाइनों से हर सप्ताह दक्षिण भारत के लिए करीब पांच से छह रैकों का लदान हो रहा है।गेहूं उत्पादन में बढ़त बड़ी चुनौतीनई दिल्ली। वर्ष 2007-08 में देश में गेहूं के रिकार्ड उत्पादन 784 लाख टन को अगले साल बरकरार रखकर इसमें बढ़ोतरी करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। सरकार राज्यों के साथ मिलकर प्रति हैक्टेयर उत्पादन बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। उत्तर भारत के राज्यों में अच्छी वर्षा हुई है इसके बावजूद गेहूं के प्रति हैक्टेयर उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद कम है। कृषि मंत्रालय ने नए साल में गेहूं उत्पादन का लक्ष्य 785 लाख टन का रखा है। कृषि वैज्ञानिक व नीति निर्माता केंद्र के साथ राज्यों से भी प्रति हैक्टेयर उत्पादन में बढ़ोतरी पर चर्चा करेंगे। इस बैठक के महत्वपूर्ण मुद्दों में मिट्टी की कम होती उर्वरता शक्ति, कार्बन में वृद्वि व पोषक तत्वों की कमी होना होगा। देश में गत वर्ष गेहूं का रिकार्ड उत्पादन हुआ जोकि 2006-07 के मुकाबले करीब 30 लाख टन ज्यादा है। उत्पादन में बढ़ोतरी के कारण ही सरकार 226 लाख टन गेहूं की खरीद कर पाई तथा इससे सार्वजनिक वितरण की आवश्यकताओं की पूर्ति होगी ही, साथ ही सरकार 30 लाख टन का बफर स्टॉक भी बना पाई है। जानकारों के अनुसार बढ़ती मांग को देखते हुए उत्पादन में बढ़ोतरी को कायम रखना चुनौती होगी। महंगाई की दर 12 फीसदी से ऊपर बनी हुई है तथा खाद्यान्न की कीमतें इसमें महत्वपूर्ण हैं। (प्रेट्र) (Business Bhaskar ...R S Rana)
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