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01 दिसंबर 2019

दिसंबर अंत तक ही मिलेगी प्याज की उंची कीमतों से राहत, आयात भी महंगा

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई शहरों में प्याज के खुदरा दाम 80 से 100 प्रति किलो बने हुए हैं। दिसंबर के अंत तक ही इससे राहत मिलने की उम्मीद है। जनवरी के शुरू में महाराष्ट्र और गुजरात में लेट खरीफ प्याज की फसल की आवक बनेगी, इसलिए दिसंबर के अंत में ही गिरावट आने का अनुमान है। आयातित प्याज महंगा होने के साथ ही इसकी क्वालिटी भी हल्की है। प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात और राजस्थान में अक्टूबर और नवंबर में हुई बेमौसम बारिश के साथ ही कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बनने से प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ। इसीलिए उत्पादक मंडियों में प्याज की दैनिक आवक नहीं बढ़ पा रही है।
राजस्थान से आ रहा है इस समय नया प्याज
दिल्ली आजादपुर मंडी की पोटेटो एंड अनियन मर्चेंट एसोसिएशन (पोमा) के महासचिव राजेंद्र शर्मा ने आउटलुक को बताया कि दिल्ली में इस समय राजस्थान से प्याज की आवक हो रही है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक तथा गुजरात में फसल को भारी नुकसान हुआ, जिस कारण इन राज्यों की अपनी मांग ही पूरी नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि शनिवार को दिल्ली में 80 ट्रक प्याज की आवक हुई, जिसमें से 76 ट्रक राजस्थान से आए थे। बाकी चार ट्रक आयातित प्याज के हैं। अफगानिस्तान से आयातित प्याज आ रहा है लेकिन इसकी क्वालिटी हल्की होने के कारण खुदरा विक्रेता इसे खरीद नहीं कर रहे हैं। अफगानिस्तान से आयातित प्याज का भाव आजादपुर मंडी में 50 रुपये प्रति किलो रहा, जबकि राजस्थान के प्याज का भाव 50 से 65 रुपये प्रति किलो रहा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 1.2 लाख टन प्याज के आयात की अनुमति दी है, लेकिन जिस देश में सालाना करीब 200 लाख टन की खपत होती हो, वहां 1.2 लाख टन से क्या होता है? वैसे भी दैनिक खपत ही करीब 50 हजार टन से ज्यादा की होती है।
जनवरी के आरंभ में आएगी लेट खरीफ प्याज की फसल
दिल्ली के प्याज के थोक कारोबारी सुरेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि प्याज का उत्पादन रबी, खरीफ और लेट खरीफ सीजन में होता है। कुल उत्पादन का 60 से 65 फीसदी रबी सीजन में होता है जबकि 35 से 40 फीसदी उत्पादन खरीफ और लेट खरीफ में होता है। खरीफ की फसल की रोपाई जुलाई-अगस्त में की जाती है तथा इसकी खुदाई अक्टूबर से दिसंबर के दौरान होती है। लेट खरीफ की प्याज की रोपाई अक्टूबर-नवंबर में होती तथा इसकी खुदाई जनवरी-फरवरी में होती है। अत: लेट खरीफ प्याज की फसल की आवक जनवरी में बनेगी, इसलिए दिसंबर के अंत तक ही कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि खरीफ और लेट खरीफ प्याज की फसल का भंडारण भी नहीं किया जाता है।
उत्पादक मंडियों में थोक में ही दाम ऊंचे
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के अनुसार महाराष्ट्र की पीपलगांव मंडी में शुक्रवार को बढ़िया क्वालिटी के प्याज का भाव 68 से 78.51 रुपये प्रति किलो रहा जबकि 19 अक्टूबर को इसका भाव 34 से 61.56 रुपये प्रति किलो था। मंडी में शुक्रवार को प्याज की आवक 3,800 क्विंटल की हुई। पुणे मंडी में प्याज का भाव शुक्रवार को बढ़िया क्वालिटी का 80 रुपये प्रति किलो रहा, जबकि 19 नवंबर को इसका भाव 65 रुपये प्रति किलो था। लासलगांव मंडी में प्याज का भाव शुक्रवार को 62.26 रुपये प्रति किलो रहा जबकि 19 नवंबर को इसका भाव 63 रुपये प्रति किलो थे। अन्य मंडियों मालेगांव में शुक्रवार को प्याज का भाव 64.80 रुपये और कोल्हापुर में 75 रुपये प्रति किलो रहा। उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अनुसार फुटकर में प्याज के भाव शनिवार को दिल्ली में 76 रुपये, देहरादून में 75 रुपये, जम्मू में 80 रुपये, हिसार में 75 रुपये तथा पंचकुला में 90 रुपये प्रति किलो रहे।
बेमौसम बारिश से खरीफ प्याज उत्पादन में कमी
कृषि मंत्रालय के अनुसार उत्पादक राज्यों में बेमौसम बारिश और बाढ़ से प्याज की फसल को भारी नुकसान हुआ है। चालू खरीफ और लेट खरीफ में इसका उत्पादन घटकर 52.06 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ और लेट खरीफ में उत्पादन 69.91 लाख टन का हुआ था। मंत्रलाय के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में प्याज के उत्पादन का अनुमान 234.85 लाख टन का था, जो इसके पिछले साल के 232.62 लाख टन से ज्यादा ही था।............  आर एस राणा

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