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27 अक्तूबर 2019

धान किसानों की फीकी है दीपावली, कीमतें पिछले साल से भी 400 रुपये तक नीचे आई

आर एस राणा
नई दिल्ली। धान की कीमतों में आई गिरावट ने किसानों की दीपाली फीकी कर दी है। पंजाब और हरियाणा की उत्पादक मंडियों में धान के भाव पिछले साल की तुलना में 300 से 400 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे आ गए है। उत्तर प्रदेश की मंडियों से खरीद कम होने के कारण किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बेचना पड़ रहा है।
हरियाणा के झज्जर जिले के मांडौठी गांव के किसान चरणसिंह ने बताया कि उन्होंने चार एकड़ में पूसा बासमती 1,121 धान की फसल लगाई थी। जिले में बारिश नहीं होने से डीजल इंजन से सिंचाई करनी पड़ी जिस कारण इस बार लागत पिछले साल की तुलना में प्रति एकड़ सात से आठ हजार रुपये ज्यादा आई। नजफगढ़ मंडी में उनका धान 2,800 रुपये प्रति क्विंटल बिका, जबकि पिछले साल उन्होंने 3,200 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचा था। उन्होंने बताया कि इस बार लागत ज्यादा आई और भाव कम मिला। जिस कारण उन्हें मुनाफा तो दूर, पूरी लागत भी वसूल नहीं हो पाई।
खरीद केंद्र तो खुले हैं लेकिन खरीदने वाले अधिकारी गायब
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले की पूरनपुर तहसील के गांव बेगपुर के किसान गुरुप्रीत सिंह ने बताया कि मंडी में धान की खरीद करने के लिए केंद्र तो खोले गए हैं, लेकिन खरीदने वाले अधिकारी नहीं है जिस कारण मजबूरन आढ़ियों को धान बेचना पड़ा। उन्होंने बताया कि मंडी में धान 1,650 से 1,675 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है जबकि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए सामान्य किस्म का 1,815 रुपये और ग्रेड ए का 1,835 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
पूसा 1,121 और डीपी धान की हो रही है आवक ज्यादा
हरियाणा की कैथल मंडी के धान कारोबारी रामनिवास ने बताया कि मंडी में शुक्रवार को पूसा बासमती 1,121 धान के भाव घटकर 2,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि पिछले साल इसके भाव 3,100 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल थे। इसी तरह से पूसा 1,509 धान के भाव घटकर मंडियों में 2,400-2,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि पिछले साल इस समय मंडी में इसके भाव 2,700-2,800 रुपये प्रति क्विंटल थे। उन्होंने बताया कि मंडी में डूप्लीकेट बासमती धान के भाव घटकर 2,200 से 2,300 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जोकि पिछले साल की तुलना में 300 से 400 रुपये कम है। मंडी में पूसा 1,121 धान की दैनिक आवक बढ़कर 10 हजार बोरी, डीपी धान की 50 हजार बोरी और पूसा 1,509 की पांच हजार बोरी की हुई।
बासमती चावल का ईरान और सऊदी अरब को नहीं हो रहा निर्यात
नरेला मंडी के चावल कारोबारी महेंद्र जैन ने बताया कि बासमती चावल के ईरान और सऊदी अरब को निर्यात सौदे नहीं हो रहे हैं, जिसका सीधा असर धान की कीमतों पर पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव घटकर 5,600 रुपये और पूसा 1,509 धान के सेला चावल काभाव 5,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। डीपी सेला चावल का भाव घटकर 4,900 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इन भाव में निर्यात सौदे नहीं हो रहे हैं, जबकि आगे मंडियों में आगे पूसा 1,211 और डीपी धान की दैनिक आवक बढ़ेगी, जिससे और गिरावट आने का अनुमान है। ..............  आर एस राणा

चीनी का उत्पादन 280-290 लाख टन होने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर से सितंबर) में चीनी का उत्पादन घटकर 280 से 290 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल देश में 331 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार गन्ना उत्पादक राज्यों से मिली सुचना के मुताबिक चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन 12 से 13 फीसदी घटने की आशंका है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में महाराष्ट्र में सूखे और बाढ़ से गन्ने की फसल को नुकसान हुआ है इसलिए महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन कम रहेगा। महाराष्ट्र में पिछले साल 107 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, जबकि चालू पेराई सीजन में राज्य में चीनी के उत्पादन में पिछले साल की तुलना में करीब 40 लाख टन की कमी आने की आशंका है। कर्नाटक में भी चालू पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है।
केंद्र सरकार ने नहीं बढ़ाया एफआरपी
उन्होंने बताया कि चीनी मिलों ने आंशिक रुप से गन्ने के पेराई शुरू कर दी है, लेकिन 15 नवंबर से ही गन्ने की पेराई में तेजी आने का अनुमान है। देशभर में 534 चीनी मिलें हैं। चालू पेराई सीजन 2019—20 के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में बढ़ोतरी नहीं की है तथा भाव पिछले पेराई सीजन 275 रुपये प्रति क्विंटल पर स्थिर रखा है। आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे कई राज्यों में किसानों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित एफआरपी के आधार पर गन्ने का भुगतान किया जाता है जबकि अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु आदि में राज्य सरकारें गन्ने का राज्य परामार्श मूल्य (एसएपी) करती हैं।
उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर गन्ने का बकाया ज्यादा
पहली अक्टूबर 2019 से गन्ने का नया पेराई सीजन आरंभ हो चुका है लेकिन अभी भी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया है। सबसे ज्यादा बकाया उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर अभी किसानों का करीब 4,000 करोड़ से ज्यादा है। चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।......  आर एस राणा

रबी फसलों के समर्थन मूल्य में 4.61 से 7.26 फीसदी की बढ़ोतरी, गेहूं में सबसे कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 4.61 फीसदी से 7.26 फीसदी की बढ़ोतरी की है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में सबसे कम गेहूं के समर्थन मूल्य में 4.61 फीसदी की बढ़ोतरी कर भाव 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले साल गेहूं के समर्थन मूल्य में 6.05 फीसदी की बढ़ोतरी की थी।
सीसीईए की बैठक के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सरकार ने रबी फसलों के समर्थन मूल्य में 85 से 325 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। रबी की प्रमुख फसल गेहूं के समर्थन मूल्य में 85 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। रबी विपणन सीजन 2019-20 में गेहूं का समर्थन मूल्य 1,840 रुपये प्रति क्विंटल था। पिछले रबी सीजन में गेहूं का समर्थन मूल्य 105 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया था।
सरसों का समर्थन मूल्य 225 रुपये बढ़ाया
जौ के समर्थन मूल्य में 5.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर विपणन सीजन 2020-21 के लिए एमएसपी 1,525 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले रबी में इसका समर्थन मूल्य 1,440 रुपये प्रति क्विंटल था। इसी तरह से रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों के समर्थन मूल्य में 5.35 फीसदी यानि 225 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर 4,425 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया है। सफ्लावर के समर्थन मूल्य में 270 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,215 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
सबसे ज्यादा मसूर के एमएसपी में की है बढ़ोतरी
रबी दलहन की प्रमुख फसल चना का एमएसपी रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए 5.51 फीसदी बढ़ाकर 4,875 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि पिछले रबी सीजन में चना का समर्थन मूल्य 4,620 रुपये प्रति क्विंटल था। चालू रबी के लिए सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मसूर के समर्थन मूल्य में 7.26 फीसदी यानि 325 रुपये की कर भाव 4,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि पिछले रबी में इसका समर्थन मूल्य 4,475 रुपये प्रति क्विंटल था।
सीएसीपी फसलों के एमएसपी की करती है सिफारिश
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) रबी और खरीफ सीजन के लिए फसलों के एमएसपी की सिफारिश करती है, तथा आमतौर पर सीएसीपी की सिफारिशों पर ही सीसीईए की मोहर लग जाती है। समर्थन मूल्य पर धान के बाद गेहूं की ही सबसे ज्यादा खरीद होती है। केंद्रीय पूल के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से ज्यादा खरीद करता है। रबी विपणन सीजन 2019-20 में समर्थन मूल्य पर 341.32 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी। दलहन और तिलहन की खरीद नेफेड और एजेंसियां करती हैं, लेकिन इनकी खरीद कुल उत्पादन के मुकाबले काफी कम होती है।....... आर एस राणा

आधार अनिवार्यता में छूट : पीएम किसान योजना की तीसरी किस्त से अभी वंचित है 4 करोड़ से ज्यादा किसान

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के लिए केंद्र सरकार ने आधार की अनिवार्यता को बढ़ाकर 30 नवंबर तक कर दिया है, इसके बावजूद भी तीसरी किस्त का भुगतान अभी तक केवल 3.31 करोड़ किसानों को हो पाया है जबकि 7.48 करोड़ किसानों का रजिस्ट्रशन इस स्कीम में हो चुका है।
कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने 9 अक्टूबर को पीएम-किसान सम्मान निधि के लिए आधार की अनिवार्यता को बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया था। उसके बाद से किसानों को दूसरी और तीसरी किस्त की राशि भेजी जा रही है। इससे उन किसानों के बैंक खाते में भी पैसे पहुंचने लगे हैं जिन्होंने अब तक आधार लिंक नहीं करवाया था और इस वजह से उनकी किस्त रुकी हुई थी। उन्होंने बताया कि बैंक खाते और लाभार्थी के नाम में गड़बड़ी के कारण भी किसानों को भेजी जा किस्त में परेशानी आ रही है। इसको दूर करने के लिए लाभार्थियों द्वारा दिए मोबाइल नंबर पर सरकार मैसेज भेज रही हैं।
किसान सीधे पीएम-किसान योजना के पोर्टल पर कर रहे हैं आंकड़े दूरस्त
उन्होनें बताया कि अभी पीएम-किसान सम्मन निधि योजना में देशभर के 7.48 करोड़ किसानों का पंजीकरण हो चुका है जिनमें से 7.02 करोड़ किसानों को पहली, 5.94 करोड़ किसानों को दूसरी और 3.31 करोड़ किसानों को तीसरी किस्त का भुगतान किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को योजना के पात्र लाभार्थियों की पहचान करके लिस्ट भेजने के लिए कहा गया है, ताकि आगे परेशानी नहीं हो। उन्होंने बताया कि किसान अब सीधे पीएम-किसान योजना के पोर्टल पर भी अपना पंजीकरण कर रहे हैं, तथा बैंक खाते और आधार नंबर में गलती को भी ठीक कर रहे हैं।
देशभर के 14.5 करोड़ किसान इसके दायरे में आने का अनुमान
उन्होंने बताया कि किसानों को पीएम-किसान निधि योजना के लिए आधार से लिंक आगे अनिवार्य हो जायेगा। देशभर के 14.5 करोड़ किसान इस योजना के दायरे में आने का अनुमान है, जिस पर लगभग 87 हजार करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है लेकिन अभी तक लेकिन अब तक सिर्फ 27 हजार करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए हैं। पीएम-किसान निधि योजन के माध्यम को किसानों को 2,000 रुपये की तीन समान किस्तों में सालाना 6,000 रुपये दिए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने योजना के आरंभ में लघू एवं सीमांत किसानों को इस स्कीम में शामिल किया था, लेकिन बाद में जमीन की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया था।...... आर एस राणा

23 अक्तूबर 2019

सितंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 13 फीसदी की कमी-उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में सितंबर में 13 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार सितंबर में 13,03,976 टन खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात हुआ है। हालांकि चालू तेल वर्ष 2018-19 (नवंबर-18 से अक्टूबर-19) के पहले 11 महीनों में कुल आयात तीन फीसदी ज्यादा हुआ है।
एसईए के अनुसार सितंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात 13,03,976 टन का हुआ है जबकि पिछले साल सितंबर में इनका आयात 14,91,174 टन का हुआ था। चालू तेल वर्ष 2018-19 के पहले 11 महीनों में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का कुल आयात 141,71,462 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 137,69,847 टन का ही हुआ था। केंद्र सरकार ने सितंबर के शुरू में मलेशिया से आयातित आरबीडी पामोलीन और पॉम तेल के आयात पर 5 फीसदी आयात शुल्क बढ़ा दिया था। साथ ही अक्टूबर में खरीफ फसलों की आवक शुरू हो जाती है जिस कारण सितंबर में आयात में कमी आई है।
अखाद्य तेलों का आयात चालू तेल वर्ष में ज्यादा बढ़ा
एसईए के अनुसार सितंबर में खाद्य तेलों का आयात 12,54,443 टन का हुआ है जबकि पिछले साल सितंबर में इनका आयात 14,22,003 टन का हुआ था। अखाद्य तेलों का आयात सितंबर 2018 के 69,171 टन से घटकर सितंबर 2019 में 49,533 टन का हुआ है। अखाद्य तेलों का कुल आयात चालू तेल वर्ष के पहले 11 महीनों में 5,89,981 टन का हो चुका है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान समान अवधि में इनका आयात 4,27,761 टन का हुआ था।
आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में नरमी
विश्व बाजार में कीमतों में गिरावट आने से सितंबर में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में भी नरमी दर्ज की गई। आरबीडी पॉमोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर सितंबर में घटकर 564 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि अगस्त में इसका भाव 571 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड सोयाबीन तेल का भाव अगस्त के 729 डॉलर से घटकर सितंबर में 726 डॉलर प्रति टन रह गया। क्रुड सनफ्लावर तेल का भाव सितंबर में घटकर 774 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि अगस्त में इसका भाव 809 डॉलर प्रति टन था। क्रुड पाम तेल का भाव सितंबर में 534 डॉलर प्रति टन पर ही स्थिर बना रहा।....... आर एस राणा

बासमती चावल के निर्यात सौदे कम, मंडियों में दाम 550 रुपये तक गिरे

आर एस राणा
नई दिल्ली। ईरान और सऊदी अरब से बासमती चावल की आयात मांग कम होने के कारण धान की कीमतों में गिरावट बनी हुई है। इसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है। चालू सप्ताह में पूसा 1,509 धान की कीमतों में 200 रुपये और पूसा 1,121 धान की कीमतों में 300-400 रुपये का मंदा आ चुका है। पूसा 1,509 सेला चावल की कीमतों में सप्ताहभर में 550 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई है।
कैथल मंडी के धान कारोबारी रामनिवास खुरानिया ने बताया कि मंडी में पूसा 1,509 धान के भाव घटकर गुरूवार को 2,450 से 2,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि पिछले सप्ताह इसके भाव 2,700 से 2,900 रुपये प्रति क्विंटल थे। पूसा 1,509 बासमती चावल सेला के भाव 5,300 रुपये से घटकर 4,750 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। पूसा 1,509 धान की दैनिक आवक 10 हजार क्विंटल की हो रही है जबकि परमल की दैनिक आवक मंडी में एक लाख कट्टों की है। पूसा 1,121 धान के भाव घटकर गुरूवार को 3,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए, जबकि सप्ताहभर पहले इसके भाव 3,500-3,600 रुपये प्रति क्विंटल थे। पूसा 1,121 की दैनिक आवक कम है, दीपावली के बाद इसकी दैनिक आवक बढ़ेगी।
नए निर्यात सौदे नहीं होने से घट रहे हैं भाव
नरेला मंडी के चावल कारोबारी महेंद्र जैन ने बताया कि ईरान के साथ ही सऊदी अरब को बासमती चावल के निर्यात सौदे नहीं हो रहे हैं, जिसका सीधा असर धान की कीमतों पर पड़ रहा है। मंडियों में धान की कीमतें पिछले साल की तुलना में 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल नीचे आ चुकी हैं। उन्होंने बताया कि ईरान में भारतीय चावल निर्यातकों के करीब 1,500 रुपये करोड़ रुपये अब भी फंसे हुए हैं, जबकि करीब 500-600 करोड़ रुपये का चावल भारतीय बंदरगाहों पर पड़ा हुआ है। पुराना भुगतान नहीं हो रहा, इसलिए निर्यातक नए सौदे भी नहीं कर रहे। जिसका असर आगे धान की कीमतों पर और पड़ेगा।
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में निर्यात में आई कमी
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले पांच महीनों, अप्रैल से अगस्त के दौरान बासमती चावल के निर्यात में 10.27 फीसदी गिरावट आई है। कुल निर्यात 16.65 लाख टन का ही हुआ है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 18.54 लाख टन का निर्यात हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात भी चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में घटकर 21.26 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 33.29 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पांच महीनों में 12,619 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 13,629 करोड़ रुपये का हुआ था।..........  आर एस राणा

समर्थन मूल्य से 350-600 रुपये नीचे दाम पर कपास बेचने को मजबूर हैं किसान

आर एस राणा
नई दिल्ली। कपास की कीमतों में आई गिरावट से किसानों को अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 350-600 रुपये प्रति क्विंटल नीचे दाम पर बेचनी पड़ रही है। उत्पादक मंडियों में कपास के दाम 4,950 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं, जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए लॉन्ग स्टेपल कपास का समर्थन मूल्य 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
कॉटन कार्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार निगम ने पंजाब और राजस्थान की मंडियों से कपास की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू कर दी है। हालांकि कपास में नमी का मात्रा ज्यादा होने के कारण खरीद सीमित मात्रा में ही की जा रही है। उन्होंने बताया कि मंडियों आ रही कपास में नमी की मात्रा 15 से 18 फीसदी की है जबकि निगम 12 फीसदी तक नमी वाली कपास की खरीद ही करती है। उन्होंने बतायाा कि हरियाणा की मंडियों से खरीद अभी शुरू नहीं हुई है। सीसीआई ने पिछले फसल सीजन में एमएसपी पर 10.7 लाख गांठ कपास की खरीद की थी। चालू सीजन में उत्पादन अनुमान ज्यादा है इसलिए खरीद भी ज्यादा मंडियों में बढ़ रही है कपास की दैनिक आवक
कमल कॉटन ट्रेडर्स प्रा. लिमिटेड के डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि मंडियों में कपास की दैनिक आवक लगातार बढ़ रही है, जबकि सीसीआई समर्थन मूल्य पर कम खरीद कर रही है। इसलिए भाव में गिरावट बनी हुई है। उन्होंने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों की मंडियों में कपास के भाव घटकर 4,950 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार रह गए हैं। उत्तर भारत की मंडियों में कपास की दैनिक आवक 30 से 35 हजार गांठ (एक गांठ-170 किलो) की हो रही है। चालू सीजन में कपास का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है तथा आगे कपास की दैनिक आवक और बढ़ेगी, इसलिए मौजूदा कीमतों में और नरमी आ सकती है।
विश्व बाजार में कीमतों में आया सुधार
अहमदाबाद के कपास कारोबारी नरेश कुमार गुप्ता ने बताया कि अहमदाबादम में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव घटकर 38,500 से 39,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रह गए। पिछले साल इस समय भाव 41,000 से 42,000 रुपये प्रति कैंडी चल रहे थे। उन्होंने बताया कि विदेशी बाजार में कपास की कीमतों में चालू महीने में सुधार आया है। न्यूयार्क कॉटन के दिसंबर महीने के वायदा में कपास के भाव बढ़कर 64.99 सेंट प्रति पाउंड हो गए हैं जबकि 2 अक्टूबर को इसके भाव 61.35 सेंट प्रति पाउंड थे। उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में 100 से 200 रुपये का और मंदा आया तो फिर निर्यात पड़ते लग सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस इस समय बंगलादेश की आयात मांग बनी हुई है।
कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा
कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार कपास का उत्पादन चालू खरीफ में बढ़कर 322.67 लाख गांठ होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल इसका उत्पादन केवल 287.08 लाख गांठ का ही हुआ था। सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए मीडियम स्टेपल कपास का समर्थन मूल्य 5,255 रुपये और लॉन्ग स्टेपल का 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।...... आर एस राणा

रबी फसलों के समर्थन मूल्य में 4.61 से 7.26 फीसदी की बढ़ोतरी, गेहूं में सबसे कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 4.61 फीसदी से 7.26 फीसदी की बढ़ोतरी की है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में सबसे कम गेहूं के समर्थन मूल्य में 4.61 फीसदी की बढ़ोतरी कर भाव 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले साल गेहूं के समर्थन मूल्य में 6.05 फीसदी की बढ़ोतरी की थी।
सीसीईए की बैठक के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि सरकार ने रबी फसलों के समर्थन मूल्य में 85 से 325 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। रबी की प्रमुख फसल गेहूं के समर्थन मूल्य में 85 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,925 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। रबी विपणन सीजन 2019—20 में गेहूं का समर्थन मूल्य 1,840 रुपये प्रति क्विंटल था। पिछले रबी सीजन में गेहूं का समर्थन मूल्य 105 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया था।
सरसों का समर्थन मूल्य 225 रुपये बढ़ाया
जौ के समर्थन मूल्य में 5.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर विपणन सीजन 2020-21 के लिए एमएसपी 1,525 रुपये प्र​ति क्विंटल तय किया है। पिछले रबी में इसका समर्थन मूल्य 1,440 रुपये प्रति​ क्विंटल था। इसी तरह से रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों के समर्थन मूल्य में 5.35 फीसदी यानि 225 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर 4,425 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य तय किया है। सफ्लावर के समर्थन मूल्य में 270 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 5,215 रुपये प्रति​ क्विंटल तय किया है।
सबसे ज्यादा मसूर के एमएसपी में की है बढ़ोतरी
रबी दलहन की प्रमुख फसल चना का एमएसपी रबी विपणन सीजन 2020-21 के लिए 5.51 फीसदी बढ़ाकर 4,875 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जबकि पिछले रबी सीजन में चना का समर्थन मूल्य 4,620 रुपये प्रति क्विंटल था। चालू रबी के लिए सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मसूर के समर्थन मूल्य में 7.26 फीसदी यानि 325 रुपये की कर भाव 4,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि पिछले रबी में इसका समर्थन मूल्य 4,475 रुपये प्रति क्विंटल था।
सीएसीपी फसलों के एमएसपी की करती है सिफारिश
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) रबी और खरीफ सीजन के लिए फसलों के एमएसपी की सिफारिश करती है, तथा आमतौर पर सीएसीपी की सिफारिशों पर ही सीसीईए की मोहर लग जाती है। समर्थन मूल्य पर धान के बाद गेहूं की ही सबसे ज्यादा खरीद होती है। केंद्रीय पूल के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से ज्यादा खरीद करता है। रबी विपणन सीजन 2019-20 में समर्थन मूल्य पर 341.32 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी। दलहन और तिलहन की खरीद नेफेड और एजेंसियां करती हैं, लेकिन इनकी खरीद कुल उत्पादन के मुकाबले काफी कम होती है।........  आर एस राणा

01 अक्तूबर 2019

मिलों को अक्टूबर अंत तक ही करना होगा दालों का आयात, सरकार कर रही कीमतों की समीक्षा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए तय कोटे की दालों का आयात मिलों को 31 अक्टूबर 2019 तक ही करना होगा। केंद्र सरकार ने दलहन आयात की समय सीमा को बढ़ाने से इनकार कर दिया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार मिलों को तय कोटे के मुताबिक दालों का आयात 31 अक्टूबर 2019 तक ही करना होगा। 31 अक्टूबर के बाद बंदरगाह पर पहुंचने वाली दालों को अनलोडिंग की अनुमति नहीं दी जायेगी। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 4 लाख टन अरहर, डेढ़ लाख टन मूंग, डेढ़ लाख टन उड़द तथा डेढ़ लाख टन मटर के आयात की अनुमति दी हुई है। खरीफ दालों की आवक उत्पादक मंडियों में शुरू हो चुकी है। चना और मसूर के आयात पर केंद्र सरकार ने आयात शुल्क लगाया हुआ है।
उत्पादक मंडियों में कई दालों के भाव अभी भी एमएसपी से नीचे
उत्पादक राज्यों बारिश और बाढ़ से खरीफ फसलों उड़द, मूंग और अरहर को नुकसान होने की आशंका है, जिससे उड़द और मूंग की कीमतों में सुधार आया है। उड़द के भाव बढ़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से उंचे हो गए हैं लेकिन मूंग, अरहर, चना और मसूर के भाव अभी भी समर्थन मूल्य से नीचे बने हुए हैं। कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी के दलहन कारोबारी चंद्रशेखर ने बताया कि मंडी में नई उड़द के भाव 6,000 से 6,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं जबकि केंद्र सरकार ने उड़द का एमएसपी 5,700 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। गुलबर्गा मंडी में अरहर 5,600 से 5,700 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है जबकि अरहर का एसएसपी 5,800 रुपये प्रति क्विंटल है।
लारेंस रोड़ के दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि नई मूंग राजस्थान की मंडियों में 5,600 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है जबकि मूंग का समर्थन मूल्य 7,050 रुपये प्रति क्विंटल है। मसूर का समर्थन मूल्य 4,475 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मसूर के भाव मंडियों में 4,200 से 4,300 रुपये प्रति क्विंटल है। चना उत्पादक मंडियों में 3,800 से 4,200 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि चना का समर्थन मूल्य 4,620 रुपये प्रति क्विंटल है।
सरकार कर रही है दलहन की कीमतों की समीक्षा
खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार दालों की कीमतों की हर सप्ताह समीक्षा कर रही है। उन्होंने बताया कि खुदरा में दालों की कीमतों में तेजी आई है।
खरीफ में दलहन उत्पादन घटने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 खरीफ सीजन में दालों का उत्पादन घटकर 82.30 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ में इनका उत्पादन 85.90 लाख टन का हुआ था। फसल सीजन 2018-19 में दालों का कुल उत्पादन घटकर 234 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 254.2 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था। मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दालों की बुआई घटकर 134.02 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जो पिछले साल की समान अवधि में 136.40 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई हो चुकी थी।.,..............आर एस राणा

पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में बारिश का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसूनी सीजन तो 30 सितंबर को खत्म हो गया है लेकिन कई राज्यों में अभी भी लगातार बारिश हो रही है, जिससे खरीफ फसलों को नुकसान की आशंका है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम के साथ त्रिपुरा में तेज बारिश होने का अनुमान है।
मौसम विभाग के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान गुजरात रीजन में सामान्य के मुकाबले 1,988 फीसदी, मध्य प्रदेश में 462 फीसदी, राजस्थान में 757 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में 1,592 फीसदी और जम्मू-कश्मीर में 1,385 फीसदी तथा उत्तराखंड में 540 फीसदी ज्यादा बारिश हुई। इस दौरान पूर्वोत्तर के राज्यों त्रिपुरा में सामान्य से 298 फीसदी, मेगालय में 861 फीसदी और असम में 169 फीसदी सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है।
बारिश से खरीफ फसलों को नुकसान की आशंका
खरीफ की प्रमुख फसल धान के साथ ही दलहन और तिलहन की कटाई उत्पादक राज्यों में शुरू हो गई है, ऐसे में बेमौसम बारिश से फसलों की कटाई में देरी के साथ ही क्वालिटी भी प्रभावित होने की आशंका है। कई राज्यों में बाढ़ से पहले ही खरीफ फसलों को नुकसान हुआ है।
पश्चिमी मध्य प्रदेश, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान तथा उत्तरी गुजरात में बारिश होने का अनुमान
मौसम की निजी जानकारी देने वाली एजेंसी स्काईमेट के अनुसार उत्तरी गुजरात और इससे सटे राजस्थान के भागों पर बना डिप्रेशन पिछले 6 घंटों के दौरान 24 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पूर्वी और उत्तर-पूर्वी दिशा में आगे बढ़ा है। यह सिस्टम अब पश्चिमी मध्य प्रदेश के काफी करीब पहुंच गया है। यह सिस्टम कमजोर होकर निम्न दबाव में तब्दील हो जाएगा। इस सिस्टम के प्रभाव से पश्चिमी मध्य प्रदेश और दक्षिण-पूर्वी राजस्थान तथा उत्तरी गुजरात में अगले 24 घंटों तक कुछ हिस्सों में भारी बारिश होने की संभावना है। जबकि गुजरात के पूर्वी भागों और राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी हिस्सों में कल से बारिश में कमी आ जाएगी।
गुजरात के कच्छ क्षेत्र से आमतौर पर मानसून की वापसी काफी पहले ही शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। 26 से 30 सितंबर के बीच पिछले 5 दिनों में गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में सामान्य 6.6 मिलीमीटर की तुलना में 125 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है। गुजरात क्षेत्र में भी 13.3 मिलीमीटर के मुकाबले 64 मिलीमीटर बारिश हुई है।
बीते 24 घंटों में राजस्थान, मध्यप्रदेश असम में हुई बारिश
पिछले 24 घंटों के दौरान दक्षिणी राजस्थान में मध्यम से भारी बारिश रिकॉर्ड की गई। इसके अलावा मध्य प्रदेश और असम के भी कुछ हिस्सों में भारी बारिश देखने को मिली है। जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, विदर्भ, उत्तरी मध्य महाराष्ट्र, झारखंड के कुछ हिस्सों, छत्तीसगढ़, तटीय कर्नाटक और शेष पूर्वोत्तर राज्यों में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई है। देश के बाकी हिस्सों में अधिकांश जगहों पर मौसम शुष्क और कुछ इलाकों में हल्की वर्षा देखने को मिली।......... आर एस राणा