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28 सितंबर 2019

बेमौसम बारिश से फसलों को नुकसान की आशंका, उत्तर भारत में तेज बारिश का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून की विदाई के समय बेमौसम बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार अगले 24 घंटों में बिहार, उत्तराखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा गुजरात रीजन में तेज बारिश होने का अनुमान है। इसके साथ ही पंजाब, हरियाणाा, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में कहीं मध्यम तो कहीं भारी बारिश होने का अनुमान है। चंडीगढ़, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और सौराष्ट्र तथा कच्छ में भी बारिश होने की संभावना है।
उत्तर भारत के राज्यों में खरीफ की प्रमुख फसल धान के साथ ही बाजरा और ज्वार एवं दलहन और तिलहन की कटाई चल रही है जबकि कपास की पिकिंग जोरो पर है। मौसम की विदाई के समय होने वाली बारिश से फसलों की कटाई तो प्रभावित होगी ही, साथ ही भारी बारिश से फसल की क्वालिटी और उत्पादकता में भी कमी आयेगी।
मौसम की जानकारी देने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के अनुसार अगले 24 घंटों के दौरान, बिहार, उप हिमालयी पश्चिम बंगाल व सिक्किम, असम और गुजरात के हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश के साथ कुछ स्थानों पर मूसलाधार बारिश होने का अनुमान है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड सहित पूर्वी उत्तर प्रदेश के हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी बारिश की संभावना है। इस दौरान सौराष्ट्र व कच्छ, दक्षिणी राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, विदर्भ, ओडिशा, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तटीय कर्नाटक, केरल तथा कोंकण व गोवा के अलग-अलग स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। देश के बाकी हिस्सों में अलग-अलग स्थानों पर हल्की बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम बारिश के आसार हैं।
देशभर में सामान्य से 6 फीसदी ज्यादा हुई है बारिश
मौसम विभाग के अनुसार चालू खरीफ सीजन पहली जून से 26 सितंबर तक देशभर में सामान्य से 6 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई। इस दौरान मध्य भारत के राज्यों में सामान्य से 25 फीसदी और दक्षिण भारत के राज्यों में सामान्य से 16 फीसदी बारिश ज्यादा बारिश हुई है। इस दौरान पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में सामान्य से 16 फीसदी कम और उत्तर पश्चिम भारत के राज्यों में सामान्य से 8 फीसदी कम बारिश हुई है। हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में चालू खरीफ में सामान्य से 43 फीसदी, पश्चिम उत्तर प्रदेश में सामान्य से 29 फीसदी और उत्तराखंड में सामान्य से 24 फीसदी कम बारिश हुई है। पंजाब में इस दौरान सामान्य से 11 फीसदी और हिमाचल प्रदेश में 16 फीसदी बारिश कम हुई है।
देश के कई राज्यों में भारी बारिश से आई बाढ़
आईएमडी के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में अभी मध्य महाराष्ट्र में बारिश सामान्य से 57 फीसदी और पश्चिम मध्य प्रदेश में 58 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। भारी बारिश से इन राज्यों के कई जिलों में बाढ़ से खरीफ फसलों को भारी नुकसान हुआ है। मध्य प्रदेश राज्य सरकार के अनुसार भारी बारिश और बाढ़ से करीब 24 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों को नुकसान हुआ है, राज्य के 36 जिलों में बाढ़ से राज्य के 22 लाख किसान प्रभावित हुए हैं। पूर्वी राजस्थान में भी चालू खरीफ में सामान्य से 48 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई है।
पिछले 24 घंटों में उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों में हुई भारी बारिश
स्काईमेट के अनुसार पिछले 24 घंटों के दौरान उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों में भारी से मूसलाधार बारिश रिकॉर्ड हुई है। गुजरात, कोंकण व गोवा, तेलंगाना, तटीय कर्णाटक, विदर्भ, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हिस्सों में भी हल्की से मध्यम मॉनसून की बारिश देखने को मिली। पूर्वोत्तर भारत, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश, दक्षिण-पूर्वी राजस्थान और लक्षद्वीप के हिस्सों में अलग-अलग स्थानों पर पिछले 24 घंटों में हल्की से मध्यम बारिश देखी गई। देश के बाकी हिस्सों में अलग-अलग स्थानों पर हल्की बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम बारिश दर्ज हुई है।............ आर एस राणा

उत्तर प्रदेश सरकार समर्थन मूल्य पर एक लाख टन मक्का की करेगी खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार चालू खरीफ में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर एक लाख टन मक्का की खरीद करेगी। राज्य के 22 जिलों मक्का की खरीद 15 अक्टूबर, 2019 से 15 जनवरी, 2020 तक की जायेगी।
राज्य के कृषि निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया चालू खरीफ में राज्य से समर्थन मूल्य पर एक लाख टन मक्का की खरीद का निर्णय किया है। उन्होंने बताया अक्टूबर में मक्का की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में बढ़ेगी, इसलिए मक्का की खरीद 15 अक्टूबर से शुरू की जायेगी। चालू खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए केंद्र सरकार ने मक्का का एमएसपी 1,760 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले खरीफ सीजन की तुलना में इसमें 60 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है।
राज्य के 22 जिलों से होगी खरीद
उन्होंने बताया कि मक्का की खरीद राज्य के 22 जिलों अलीगढ़, फिरोजाबाद, कन्नौज, एटा, मैनपुरी, कासगंज, बदायूं, बहराइच, फर्रूखाबाद, इटावा, हरदोई, कानपुर नगर, जौनपुर, कानपुर देहात, उन्नाव, गोण्डा, बलिया, बुलन्दशहर, ललितपुर, श्रावस्ती, हापुड़ एवं देवरिया में की जाएगी। मक्का बेचने से पहले किसान का पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। उन्होंने बताया कि मक्का की ढुलाई के लिए किसान को 20 रुपये प्रति क्विंटल का अलग से भुगतान किया जायेगा। किसानों से मक्का की खरीद जोतबही-खाता नंबर अंकित कम्प्यूटराइज खतौनी, फोटोयुक्त पहचान पत्र, तथा आधार कार्ड के आधार पर की जाएगी। किसानों को मक्का के मूल्य का भुगतान सीधे उनके खाते में आनलाइन आरटीजीएस के माध्यम से 72 घण्टे के अन्दर किया जाएगा।
राज्य में मक्का की बुआई ज्यादा
उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में राज्य में मक्का की बुआई 7.38 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले खरीफ सीजन में 7.36 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। खरीफ सीजन में मक्का का उत्पादन मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद राजस्थान में सबसे ज्यादा होता है। देशभर में खरीफ सीजन में मक्का का उत्पादन 198.8 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के चौथे अनुमान 190.4 लाख टन से ज्यादा है।............. आर एस राणा

विश्व बाजार में कीमतें नीचे होने के कारण कपास के निर्यात सौदे कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में कपास के दाम उंचे बने हुए हैं, जबकि विश्व बाजार में कीमतें कम है इसलिए कपास के निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले कपास सीजन के अभी तक केवल 2.5 से 3 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलोग्राम) के ही अगाउ सौदे हुए हैं जबकि पिछले साल सीजन शुरू होने से पहले ही सात से आठ लाख गांठ के निर्यात सौदे हो चुके थे।
कमल कॉटन ट्रेडर्स प्रा. लिमिटेड के डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि घरेलू बाजार में कीमतें उंची है, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें नीचे बनी हुई है। इसीलिए निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारतीय कपास के भाव विश्व बाजार में करीब 77 सेंट प्रति पाउंड है जबकि ब्राजील और अमेरिका की कपास के भाव कम हैं। न्यूयार्क कॉटन वायदा में दिसंबर वायदा का भाव बुधवार को 60.40 सेंट प्रति पाउंड रहे। बंगलादेश के साथ वियतनाम द्वारा ही इस समय कपास के आयात सौदे किए गए हैं।
अगले महीने बढ़ेगी कपास की दैनिक आवक
उन्होंने बताया कि उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में 20 से 22 हजार गांठ कपास की आवक हो रही है। उत्पादक मंडियों में बुधवार को कपास के भाव 3,850 रुपये प्रति मन (एक मन-37.25 किलो) रहे। गुजरात में नई कपास की आवक तो शुरू हुई है लेकिन आवकों का दबाव अगले महीने में ही बनेगा। ऐसे में अक्टूबर में कपास की कीमतों में मंदा आने का अनुमान है। हालांकि मंदा कॉटन कारर्पोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) की खरीद पर भी निर्भर करेगा। उन्होंने बताया कि अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव 41,500 रुपये और नई कपास का भाव 39,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) है।
सीसीआई की 100 लाख गांठ खरीद की योजना
सीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए सीजन में कपास की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आई तो खरीद शुरू की जायेगी। पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले सीजन में 100 लाख गांठ खरीद करने की योजना है, जबकि चालू सीजन में केवल 10 लाख गांठ कपास की ही खरीद एमएसपी पर की थी।
कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी 5,255 रुपये और लॉन्ग स्टेपल कपास का एमएसपी 5,550 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार कपास का उत्पादन चालू खरीफ में बढ़कर 322.67 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन केवल 287.08 लाख गांठ का ही हुआ था।.....  आर एस राणा

उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का 5,500 करोड़ से ज्यादा है बकाया

आर एस राणा
नई दिल्ली। गन्ने का नया पेराई सीजन पहली अक्टूबर 2019 से शुरू हो जायेगा जबकि अभी भी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर किसानों का 5,587 करोड़ रुपये बकाया है। रबी फसलों की बुआई का सीजन अगले महीने से शुरू हो रहा है, ऐसे में बकाया भुगतान नहीं मिलने से किसानों को खाद, बीज, कीटनाशक और डीजल की खरीद के लिए आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है।
सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने चालू पेराई सीजन में किसानों से 33,048 करोड़ रुपये का 10,296.31 क्विंटल गन्ना खरीदा था, जिसमें से 20 सितंबर तक भुगतान केवल 27,460 करोड़ रुपये का ही किया है। अत: अभी भी राज्य की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 5,587 करोड़ रुपये बकाया है। तय मानकों के अनुसार चीनी मिलों को गन्ने की खरीद के 14 दिनों के अंदर किसानों को भुगतान करना होता है। राज्य की चीनी मिलों में पेराई बंद हुए महीनेभर से ज्यादा हो चुका है तथा सप्ताहभर बाद नया पेराई सीजन शुरू हो जायेगा।
बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी प्राइवेट चीनी मिलों पर
बकाया भुगतान में सबसे ज्यादा राज्य की 92 प्राइवेट चीनी मिलों पर 5,195 करोड़ रुपये तथा 24 कोआपरेटिव चीनी मिलों पर 458 करोड रुपये तथा निगम की तीन चीनी मिलों पर भी 33.86 करोड़ रुपये बकाया है। पेराई सीजन 2017-18 का भी राज्य की चीनी मिलों पर 40.54 करोड़ रुपये और पेराई सीजन 2016-17 का 22.29 करोड़ रुपये बचा हुआ है।
बकाया भुगतान नहीं होने से किसान परेशान
उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले के देहराचक गांव के गन्ना किसान जोगिंद्र आर्य ने आउटलुक को बताया कि वेव शुगर मिल में गन्ने की पेराई मई के पहले सप्ताह में बंद हो गई थी, जबकि अभी भी मेरा 75,000 रुपये का भुगतान मिल पर बकाया है। उन्होंने बताया कि बकाया के साथ ही उन्हें पांच महीने का ब्याज भी मिलना चाहिए। उन्होंने बताया कि अगले महीने से गेहूं और अन्य रबी फसलों की बुआई शुरू करनी है लेकिन चीनी मिलों द्वारा बकाया भुगतान नहीं किया जा रहा है। ऐसे में हमें मजबूरन साहूकारों से उंची दर पर उधार लेना पड़ेगा। ............  आर एस राणा

खरीफ में खाद्यान्न का उत्पादन घटकर 14.05 करोड़ टन होने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में बारिश और बाढ़ से खरीफ फसलों का उत्पादन घटकर 14.05 करोड़ टन ही होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 14.17 करोड़ टन से कम है। खरीफ में चावल के साथ ही दलहन के उत्पादन में कमी आने का अनुमान है जबकि तिलहन के साथ ही मोटे अनाजों का उत्पादन अनुमान ज्यादा है।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2019-20 खरीफ में चावल का उत्पादन 10.03 करोड़ टन ही होने का अनुमान है जोकि फसल सीजन 2018-19 के चौथे अनुमान के 10.21 करोड़ टन से कम है। इसी तरह से दालों का उत्पादन आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ में घटकर 82.3 लाख टन ही होने का अनुमान है। फसल सीजन 2018-19 के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ में दालों का उत्पादन 85.9 लाख टन का उत्पादन हुआ था। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर का उत्पादन 35.4 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 35.9 लाख टन का उत्पादन हुआ था। खरीफ में उड़द का उत्पादन 24.3 लाख टन और मूंग का उत्पादन 14.2 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ में 25.6 लाख टन उड़द और 18.4 लाख टन मूंग का उत्पादन हुआ था।
मोटे अनाजों में बाजरा का कम, मक्का का ज्यादा होने की उम्मीद
मोटे अनाजों में बाजरा का उत्पादन चालू खरीफ में 82.9 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2018—19 के चौथे अनुमान के अनुसार बाजरा का उत्पादन 86.1 लाख टन का हुआ था। खरीफ में मक्का का उत्पादन 198.8 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के चौथे अनुमान 190.4 लाख टन से ज्यादा है। ज्वार का उत्पादन चालू खरीफ में बढ़कर 18.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 17.4 लाख टन का हुआ था।
तिलहन उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान
खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन का उत्पादन चालू खरीफ सीजन में 135.05 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2018-19 के चौथे अनुमान के अनुसार उत्पादन 137.86 लाख टन का हुआ था। हालांकि तिलहन का कुल उत्पादन खरीफ सीजन 2019-20 में 223.89 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 212.78 लाख टन से ज्यादा है। खरीफ में मूंगफली का उत्पादन पिछले साल के 53.63 लाख टन से बढ़कर 63.11 लाख टन होने का अनुमान है। केस्टर सीड का उत्पादन पिछले साल के 12.15 लाख टन से बढ़कर 17.37 लाख टन होने का अनुमान है। शीसम का उत्पादन पिछले साल के 7.55 लाख टन से बढ़कर 6.86 लाख टन होने का अनुमान है।
कपास का उत्पादन अनुमान ज्यादा
कपास का उत्पादन चालू खरीफ में बढ़कर 322.67 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलोग्राम) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन केवल 287.08 लाख गांठ का ही हुआ था। गन्ने का उत्पादन पिछले साल के 4,001.57 क्विंटल से घटकर चालू खरीफ में 3,777.66 लाख क्विंटल ही होने का अनुमान है। .......... आर एस राणा

सस्ती दाल लेने में राज्यों की रूचि नहीं, 14 राज्य ही खरीद रहे हैं केंद्रीय पूल से

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय पूल से सस्ती दालें लेने में राज्यों की रूचि कम है, स्कीम को शुरू हुए सालभर से ज्यादा हो चुक है लेकिन केवल 14 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश ही इन दालों की खरीद केंद्र सरकार से कर रहे हैं। केंद्र राज्य सरकारों को थोक मूल्य के मुकाबले 15 रुपये प्रति किलो सस्ती दर पर दालें मुहैया करा रही है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले साल अगस्त में केंद्र सरकार ने गरीबों बेचने देने का फैसला किया था, लेकिन राज्य सरकारों की रुचि कम होने के कारण 13 नवंबर 2019 तक राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशों ने केवल 9.20 लाख टन दालों की खरीद ही की है जिसमें से 8.40 लाख टन दालों का राज्य उठाव राज्य सरकारें कर चुकी हैं।
देश के 14 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश ही ले रहे हैं दालें
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, गुजरात, केरल, दमन, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, नागालैंड, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड समेत 14 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश द्वारा ही केंद्रीय पूल से दालों की खरीद की जा रही है। केंद्रीय पूल में दालों के बंपर स्टॉक को हल्का करने के लिए सरकार ने राज्य सरकारों को सस्ती दालें बेचने का फैसला किया था। उन्होंने बताया कि इन दालों का उपयोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीब उपभोक्ताओं के साथ अन्य कल्याणकारी योजनाओं में किया जाना है। राज्य सरकारें आंगनबाड़ी और मिड-डे मील में इन सस्ती दालों का उपयोग कर सकती हैं।
केंद्रीय पूल में 38 से 39 लाख टन दालों का बकाया स्टॉक
उन्होंने बताया कि खरीफ 2018 और रबी 2019 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 19.45 लाख टन 10.540 करोड़ रुपये मूल्य की दालों की खरीद की गई थी। इसमें सबसे ज्यादा 7.76 लाख टन चना, 4.92 लाख टन उड़द, 3.29 लाख टन मूंग और 2.41 लाख टन अरहर के अलावा 0.56 लाख टन मसूर थी। इसके पिछले खरीफ सीजन 2017-18 और रबी 2019 में समर्थन मूल्य पर 45.53 लाख टन दालों की खरीद की गई थी। केंद्रीय पूल में 38 से 39 लाख टन दालों का स्टॉक बकाया है जबकि खरीफ विपणन सीजन 2019 में एमएसपी पर दालों की खरीद तमिलनाडु से शुरू हो चुकी है। अन्य राज्यों से भी इसकी खरीद जल्द शुरू हो जायेगी।
उत्पादन अनुमान ज्यादा
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में दालों का उत्पादन 234 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 254.2 लाख टन का उत्पादन हुआ था।.............  आर एस राणा

20 सितंबर 2019

पीएम-किसान योजना में लाभार्थी स्वयं कर सकेगा रजिस्ट्रेशन

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) में जल्द ही लाभार्थी स्वयं रजिस्ट्रशन कर सकेंगे। रजिस्ट्रेशन के साथ ही लाभार्थी इस योजना के तहत मिलने वाली किस्त की जांच भी कर सकेंगे। यह सुविधा लाभार्थी को कॉमन सर्विस सेंटर (केसीसी) के माध्यम से मिलेगी।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सभी लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए सरकार ने पीएम-किसान योजना पोटर्ल को सुगम बनाने का फैसला किया है। लाभार्थी इस योजना के लिए केसीसी के माध्यम से स्वयं रजिस्ट्रेशन करवा सकेंगे, तथा खाते में पैसे आए या नहीं इसकी भी जांच कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि अक्टूबर से रबी फसलों की बुआई का सीजन शुरू हो जाएगा, साथ ही त्यौहारी सीजन भी शुरू हो रहा है। इसलिए जिन लाभार्थियों को दूसरी और तीसरी किस्त का भुगतान नहीं हुआ है, उन्हें जल्द भुगतान किया जायेगा।
कुल लाभार्थियों का 64 फीसदी ही हुआ है रजिस्ट्रेशन
उन्होंने बताया कि देशभर के 13.32 करोड़ किसान पीएम-योजना के दायरे में आते हैं तथा अभी तक 8.56 लाख किसानों का रजिस्ट्रेशन ही हुआ है। यह कुल लाभार्थियों का 64 फीसदी है। पश्चिम बंगाल और लक्षद्वीप के किसानों का डेटा अभी तक मंत्रालय को मिला नहीं है। उन्होंने बताया कि पीएम किसान योजना की पहली किस्त देश के 6.54 करोड़ किसानों को मिली है, जबकि दूसरी किस्त केवल 3.83 करोड़ और तीसरी किस्त 1.41 करोड़ किसानों को मिली है।
राज्यों से एक सप्ताह में लाभार्थियों की लिस्ट मांगी
उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों को लाभार्थियों की लिस्ट भेजने के लिए सप्ताहभर का समय दिया गया है। सभी लाभार्थियों को आधार से जोड़ा जा रहा है। माना जा रहा है कि अक्टूबर के शुरू में रजिस्ट्रेशन को चुके किसानों को बची हुई दूसरी और तीसरी किस्त का भुगतान हो जायेगा।
सरकार ने लोकसभा चुनाव 2019 से पहले फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का ऐलान किया था। इस योजना के तहत किसानों को एक साल में तीन समान किस्तों में 6,000 रुपये दिए जा रहे हैं। योजना को 1 दिसंबर 2018 से लागू किया था। दिसंबर से मार्च के बीच पहली किस्त, अप्रैल से जुलाई के बीच दूसरी किस्त का भुगतान किया गया है। अगस्त से नवंबर के बीच तीसरी किस्त का भुगतान किया जाना है।........ आर एस राणा

एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार की टेक्नीकल कॉल

प्रिय पाठकों,

मैं अपनी टेक्नीकल टीम के साथ आपको दैनिक आधार पर एग्री कमोडिटी के वायदा कारोबार की टेक्नीकल कॉल दैनिक आधार पर शुरू कर रहा हूं, यदि आप एग्री कमोडिटी में एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स या फिर किसी अन्य एक्सचेंज में कारोबार करते हैं, तो आप इससे जुड़ सकते हैं।

आप जिस कमोडिटी में कारोबार करते हैं, उसके बार में हमें लिखें। यह सेवा शुरू में ट्रायल के तौर पर फ्री होगी। उसके बाद यह सर्विस पेड होगी। इसके बारे में आप कोई सुझाव देना चाहें, या फिर यह सर्विस लेना चाहते हैं तो अपना वाटसप नम्बर, फोन नं., एग्री जिंस जिसमें कारोबार करते हैं और अपना पता हमें दे।

आर एस राणा
वाटसप नं.  07678684719

चना की दो नई किस्में विकसित, छह राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने चने की दो उन्नत किस्में विकसित की हैं। आईसीएआर के अनुसार यह किस्में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित छह राज्यों में खेती के लिए उपयुक्त हैं।
आईसीएआर और कर्नाटक के रायचूर स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय ने इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रापिक्स के साथ मिल कर जिनोम-हस्तक्षेप’ के माध्यम से पूसा चिकपी-10216 और सुपर एन्नीगेरी-1 किस्म के चने के बीज विकसित किए हैं। चने की इन किस्मों को आंध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के किसान बुआई कर सकते हैं।
पूसा चिकपी-10216 एमपी, महाराष्ट्र, गुजरात, यूपी के बुंदेलखंड के लिए उपयुक्त
आईसीएआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूसा चिकपी-10216 सूखे क्षेत्रों में भी अच्छी उपज दे सकती है। इसकी औसत पैदावार 1,447 किलो प्रति हेक्टेयर है। देश के मध्य के इलाकों नमी की कम उपलब्धता की स्थिति में यह पूसा-372 की तुलना में 11.9 फीसदी अधिक पैदावार देती है। यह 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है और इसके 100 बीजों का वजन लगभग 22.2 ग्राम होता है। इसमें फुसैरियम विल्ट, सूखी जड़ सड़न और स्टंट रोगों के प्रति मध्यम प्रतिरोधी क्षमता है। इसे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए उपयुक्त माना गया है।
सुपर एन्नीगेरी-1 आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात के लिए उपयुक्त
उन्होंने बताया कि कि चने की दूसरी नई किस्म सुपर एन्नीगेरी-1, को आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात में जारी करने के लिए उपयुक्त पाया गया है। इसकी औसत उपज 1,898 किलो प्रति हेक्टेयर है। यह किस्म 95 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। भारत ने दलहन उत्पादन में देर से आत्मनिर्भरता हासिल की है। सरकार की विभिन्न पहल के कारण दालों का उत्पादन, जुलाई में समाप्त हुए फसल वर्ष 2018-19 के दौरान 232.2 लाख टन तक होने का अनुमान है। .......... आर एस राणा

खरीफ में खाद्यान्न उत्पादन 14.17 करोड़ टन से ज्यादा होने का अनुमान : कृषि राज्य मंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में खाद्यान्न का उत्पादन पिछले साल के 14.17 करोड़ टन से ज्यादा होने का अनुमान है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने शुक्रवार को रबी सम्मेलन में कहा कि इस बार मानसून सीजन के दौरान पूरे देश में अच्छी बारिश हुई है जिससे खरीफ फसलों का उत्पादन तो ज्यादा होने का अनुमान है ही, रबी फसलों की बुआई के लिए भी अच्छा है।
उन्होंने बताया कि ज्यादा बारिश होने से देश के 12 राज्यों में बाढ़ आई है, लेकिन इसके बावजूद भी खाद्यान्न उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि देश में खरीफ सीजन में बारिश ज्यादा होने से जलाशय भी भरे हुए है। उन्होंने कहा कि देश दलहन में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है लेकिन तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की जरुरत है जिससे कि आयात पर निर्भरता कम की जा सके।
राजस्थान में फसलों पर टिड्डियों का प्रकोप
उन्होंने बताया कि राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में फसलों में टिड्डियों का प्रकोप देखा गया है, उन्होंने बताया कि पंजाब और गुजरात सरकारों को सतर्क रहने और समस्या से निपटने के लिए कहा गया है, जबकि एक केंद्रीय टीम पहले से ही राजस्थान में स्थिति का आकलन कर रही है।
खाद्यान्न का रिकार्ड 29.11 लाख टन का लक्ष्य
फसल सीजन 2019-20 में देश में खाद्यान्न का रिकार्ड 29.11 करोड़ टन होने का लक्ष्य तय किया है जबकि फसल सीजन 2018-19 में 28.49 करोड़ टन का उत्पादन हुआ था। कृषि सचिव एसके मलहोत्रा ने बताया कि चालू खरीफ में खाद्यान्न का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में फसलों की बुआई 1,054.13 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई 378.62 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 383.86 लाख हेक्टेयर से थोड़ी कम है।
गेहूं और चावल के उत्पादन का लक्ष्य ज्यादा
दालों की बुआई चालू खरीफ में 132.99 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल 135.41 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई थी। फसल सीजन 2019-20 में दलहन के उत्पादन का लक्ष्य 263 लाख टन का तय किया है जबकि गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 10.05 करोड टन होने लक्ष्य तय किया है। चावल के उत्पादन का लक्ष्य चालू खरीफ में 11.60 करोड़ टन होने का अनुमान तय किया है।.........  आर एस राणा

18 सितंबर 2019

सरकार की उपभोक्ताओं को सीधे दलहन, प्याज और टमाटर बेचने की तैयारी

आर एस राणा
सरकार उपभोक्ताओं को घर बैठे सस्ते दामों पर दलहन, प्याज और टमाटर बेचने की योजना बना रही है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय, नेफेड और अन्य सार्वजनिक कंपनियों के साथ मिलकर इस योजना को शुरू करेगा।
खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सरकार की सीधे उपभोक्ताओं को दलहन, प्याज और टमाटर बेचने की योजना है। मंत्रालय इन तीनों एग्री उत्पादों की सीधे मार्किटिंग और रिटेलिंग भी करेगा। उन्होंने बताया कि इससे जहां उपभोक्ताओं को उचित दाम पर दलहन, प्याज और टमाटर उपलब्ध होंगे, वहीं किसानों को भी फसलों का उचित दाम मिलेगा।
ई—कॉमर्स कंपनियों के माध्यम से बेचने की योजना
उन्होंने बताया कि इससे महंगाई पर तो नियंत्रण होगा ही, साथ ही केंद्रीय पूल से दलहन और प्याज के स्टॉक का उठाव होने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं को इनकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय ई—कॉमर्स कंपनियों के साथ बातचीत कर रहा है। हाल ही में इस संबंध में दिल्ली सरकार, दिल्ली एपीएमसी, सफल और नेफेड के अधिकारियों के साथ बैठक भी हुई है।
प्याज की तरह टमाटर की खरीद भी सीधे किसानों से की जायेगी
उन्होंने बताया कि नेफेड दालों की खरीद किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करती है, साथ ही बफर स्टॉक के लिए प्याज की खरीद भी करती है। इसी तरह से टमाटर की खरीद भी सीधे किसानों से की जायेगी। उन्होंने बताया कि दालों के साथ ही प्याज की कीमतें बढ़ने पर राज्यों को केंद्रीय पूल से उठाव के लिए लिखा जाता है लेकिन कुछ राज्य सरकारें ही दालों के साथ प्याज का उठाव केंद्रीय पूल से करती है। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन के लिए इस समय केंद्रीय पूल से केवल 13 राज्य ही दालों का उठाव कर रहे हैं। इसलिए सरकार ने दलहन, प्याज और टमाटर सीधे उपभोक्ताओं को बेचने की योजना बनाई है। केंद्रीय पूल में दलहन का भारी भरकम स्टॉक है, जबकि प्याज का भी करीब 45 हजार टन का स्टॉक है। प्याज के भाव फूटकर में बढ़कर कई राज्यों में 40 से 50 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गए हैं।............... आर एस राणा

देश के 15 राज्यों के किसानों को नहीं मिली है पीएम-किसान योजना की तीसरी किस्त

आर एस राणा
नई दिल्ली। सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम-किसान) के तहत तीसरी किस्त अगस्त से किसानों के खाते में डालनी शुरू कर दी थी, लेकिन देशभर के 15 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के एक भी किसान को तीसरी किस्त का भुगतान नहीं हो पाया है। इनमें से दो राज्यों के किसानों का तो अभी तक पंजीकरण भी शुरू नहीं हो पाया है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पीएम-किसान योजना की तीसरी किस्त अभी तक देशभर के केवल 94,88,363 किसानों को मिली है। पीएम कियान योजना में सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश के किसानों का नाम दर्ज है, लेकिन राज्य के एक भी किसान को तीसरी किस्त का भुगतान नहीं हो पाया है। इसके अलावा पंजाब, ओडिशा और मध्य प्रदेश के साथ ही मेघालय, दिल्ली और अरुणाचल प्रदेश के किसानों को भी तीसरी किस्त का इंतजार है।
अभी तक केवल 7.10 करोड़ किसानों को ही हुआ है पंजीकरण
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए अभी तक देशभर के 7.10 करोड़ किसानों का पंजीकरण हो चुका है लेकिन आधार कार्ड और बैंक खातों का मिलान नहीं होने के कारण पंजीकृत सभी किसानों के खातों में रकम नहीं भेजी गई है। देश के करीब 14 करोड़ किसान इस योजना के दायरे में आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि पीएम किसान योजना की पहली किस्त देश के 6.47 करोड़ किसानों को मिली है, जबकि दूसरी किस्त केवल 3.83 करोड़ और तीसरी किस्त केवल 94.88 लाख किसानों को ही मिली है। पश्चिम बंगाल और लक्ष्यद्वीप के एक भी किसान का पंजीकरण पीएम—किसान योजना में अभी तक नहीं हुआ है।
वित्त मंत्रालय ने इस साल की बची हुई दोनों किस्तों का भुगतान करने को कहा
सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय ने कृषि मंत्रालय को पीएम किसान योजना की इस साल की बची हुई दोनों किस्तों को जल्द भुगतान करने को कहा है। पहली अगस्त से अभी तक केवल 94.88 लाख किसानों को तीसरी, और 3.83 करोड़ किसानों को दूसरी किस्त मिली है। ऐसे में सभी लाभार्थियों तक दोनों का भुगतान तय समय में शायद ही हो पायेगा। केंद्र की एनडीए सरकार ने लोकसभा चुनावों से पहले फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का ऐलान किया था। इस योजना के तहत किसानों को एक साल में तीन समान किस्तों में 6,000 रुपये दिए जा रहे हैं। योजना को 1 दिसंबर 2018 से लागू किया था। दिसंबर से मार्च के बीच पहली किस्त, अप्रैल से जुलाई के बीच दूसरी किस्त का भुगतान किया जा चुका है। जबकि अगस्त से नवंबर के बीच तीसरी किस्त का भुगतान किया जाना है। ..................  आर एस राणा

एफसीआई खाद्यान्न की 100 फीसदी पैकिंग जूट बोरी में करेगी-पासवान

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा खरीदे जाने वाले खाद्यान्न की 100 फीसदी पैकिंग जूट बोरी में अनिवार्य की जायेगी। खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए जूट की बोरी में खाद्यान्न के भंडारण को अनिवार्य बनाया जायेगा।
उन्होंने बताया कि एफसीआई इस समय 85 फीसदी पैकिंग जूट की बोरी में करती है, तथा शेष 15 फीसदी पैकिंग के लिए प्लास्टिक के बोरों का उपयोग करती है। उन्होंने कहा जूट से अनिवार्य पैकिंग करने के लिए जूट के उत्पादन को बढ़ाना होगा।
प्याज की कीमतों में चल रही तेजी के बारे में उन्होंने कहा कि प्याज की कीमतों में हाल में हुई वृद्धि अस्थायी है और इस पर जल्दी नियंत्रण पा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में प्याज का उत्पादन खपत की तुलना में ज्यादा हुआ है लेकिन सितंबर से नवंबर के दौरान सामान्यत: प्याज, आलू और टमाटर की कीमतों में तेजी बन जाती है।
राज्यों से प्याज पर स्टॉक लिमिट लगाने के लिए केंद्र ने लिखा
उन्होंने बताया कि प्याज की कीमतों में तेजी रोकने के लिए सरकार ने हाल ही प्याज के निर्यात को हत्तोत्साहित करने के लिए 850 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया है साथ ही राज्य सरकारों से प्याज पर स्टॉक लिमिट लगाने के लिए भी कहा है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय पूल में करीब 45 हजार टन प्याज का स्टॉक है तथा केंद्रीय पूल से प्याज की नेफेड द्वारा लगातार बिकवाली भी की जा रही है।
2,000 टन से ज्यादा प्याज के आयात की जरुरत नहीं
उन्होंने बताया कि एमएमटीसी ने 2,000 टन प्याज आयात के निविदा मांगी हैं। घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता ज्यादा है, जबकि नवंबर में प्याज की खरीफ की फसल आ जायेगी। इसलिए और ज्यादा प्याज के आयात की जरुरत नहीं पड़ेगी। दिल्ली की आजादपुर मंडी में मंगलवार को प्याज का भाव बढ़कर 17.50 से 37.50 रुपये प्रति किलो हो गया, जबकि दिल्ली में फूटकर में प्याज के भाव बढ़कर 40 से 50 रुपये प्रति प्रति किलो तक हो गए हैं।......   आर एस राणा

केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का रिकार्ड 711.18 लाख टन का स्टॉक, भंडारण में हो सकती है परेशानी

आर एस राणा
नई दिल्ली। अगस्त में केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का रिकार्ड 711.18 लाख टन का स्टॉक है जबकि पहली अक्टूबर से धान की सरकारी खरीद शुरू हो जायेगी। केंद्र सरकार के पास खाद्यान्न की कुल भंडारण क्षमता 877.34 लाख की है, ऐसे में खरीफ सीजन में तय लक्ष्य 418 लाख टन चावल के भंडारण के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की परेशानी बढ़ने की आशंका है।
एफसीआई के अनुसार केंद्रीय पूल में पहली अगस्त को खाद्यान्न का 711.18 लाख टन का रिकार्ड स्टॉक है इसमें 435.88 लाख टन गेहूं और 275.30 लाख टन चावल है। एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खाद्यान्न की कुल भंडारण क्षमता 877.37 लाख टन (स्वयं की, राज्यों की और किराए पर ली गई) को मिलाकर है। उन्होंने बताया कि खरीफ सीजन में 418 लाख टन चावल की न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमएसपी) पर खरीद का लक्ष्य तय किया है। हालांकि उन्होंने बताया कि खरीदे गए धान को पहले मिलिंग के लिए चावल मिलों में भेजा जायेगा, मिलिंग होने के बाद ही चावल केंद्रीय गोदामों में आयेगा। उन्होंने बताया कि पिछले खरीफ में खरीदा गया करीब 80 लाख धान अभी भी चावल मिलों के पास मिलिंग का बचा हुआ है जिसका चावल भी केंद्रीय गोदामों में आना है।  
बफर स्टॉक के दोगुने से भी ज्यादा है खाद्याान्न स्टॉक
उन्होंने बताया कि केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का स्टॉक तय मानकों के अनुसार बफर स्टॉक पहली अक्टूबर 257.70 लाख टन (82.50 लाख चावल और 175.20 लाख टन गेहूं) होना चाहिए, इसमें 50 लाख टन रिजर्व स्टॉक को भी मिला दे तो कुल खाद्यान्न का स्टॉक 307.70 लाख टन ही होना चाहिए जबकि केंद्रीय पूल में तय मानक से दोगुने से भी ज्यादा 711.18 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक है। वर्ष 2018 में अगस्त में खाद्यान्न का केंद्रीय पूल में स्टॉक 627.13 लाख टन का था।
पिछले खरीफ में 443.04 लाख टन चावल की हुई थी खरीद
उन्होंने बताया कि खाद्यान्न की कुल भंडारण क्षमता 877.37 लाख टन को मिलाकर है इसमें 749.90 लाख टन भंडारण क्षमता के कवर्ड गोदाम है, जबकि 127.47 लाख टन के लिए कवर एवं प्लिंथ (कैप) की भंडारण क्षमता के गोदाम है। रबी विपणन सीजन 2019-20 में एमएसपी पर 341.32 लाख टन गेहूं की खरीद की गई थी, जबकि खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में 443.04 लाख टन चावल की खरीद समर्थन मूल्य पर हुई थी।........... आर एस राणा

14 सितंबर 2019

दबाव में एमएमटीसी ने प्याज आयात निविदा से पाकिस्तान का नाम हटाया

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारी विरोध के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी ने प्याज आयात के लिए मांग गई निविदा से पाकिस्तान का नाम हटा दिया है। कंपनी ने 2,000 टन प्याज का आयात करने की अपनी निविदा में सुधार करते हुए यह निर्देश दिया है कि पाकिस्तान को छोड़ अन्य देशों से प्याज का आयात किया जायेगा।
किसान संगठनों ने किया था विरोध
पिछले सप्ताह एमएमटीसी ने एक निविदा जारी करते हुए पाकिस्तान, मिस्र, चीन, अफगानिस्तान और अन्य क्षेत्रों से प्याज आयात करने की घोषणा की थी। किसान संगठनों ने इसका विरोध किया था जिसके बाद एमएमटीसी ने अपनी निविदा में सुधार करते हुए कहा है कि बोली लगाने वाली कंपनियां पाकिस्तान को छोड़कर देशों देशों से प्याज मंगा सकती हैं। किसान संगठनों का कहना है कि जब देश में प्याज की फसल आने वाली हैं ऐसे में प्याज का आयात करने की क्या जरूरत है? उसमें भी पाकिस्तान को क्यों शामिल किया गया?
अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर देने के बाद से भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण
जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर दिये जाने के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के रिश्ते तनावपूर्ण बने हुये हैं। पाकिस्तान ने इसके बाद से ही भारत के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को निलंबित कर दिया है।
नवंबर में आयेगी घरेलू फसल
एमएमटीसी ने कहा है कि प्याज आयात के लिये निविदा बोली 24 सितंबर से पहले सौंपनी होगी। यह बोली 10 अक्टूबर तक वैध होगी। आयात शिपमेंट नवंबर के अंतिम सप्ताह तक पहुंच जानी चाहिये। प्याज की खरीफ फसल की आवक घरेलू मंडियों में नवंबर में ही बनेगी, ऐसे में आयातित प्याज आने से घरेलू बाजार में इसकी कीमतों में गिरावट आयेगी, जिसका सीधा नुकसान किसानों को होगा। वैसे भी केंद्रीय पूल में प्याज का करीब 50 हजार टन का बफर स्टॉक है जबकि फसल सीजन 2018-19 में प्याज का उत्पादन भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा ही होने का अनुमान है। ...........  आर एस राणा

यूपी की चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 6,000 करोड़ से ज्यादा, पहली अक्टूबर से शुरू होगा नया सीजन

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2019 से गन्ने का नया पेराई सीजन 2019-20 (अक्टूबर से सितंबर) आरंभ हो जायेगा लेकिन अभी भी राज्य की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया 6,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बचा हुआ है। बकाया भुगतान नहीं मिलने से किसानों को भारी आर्थिक परेशानी उठानी पड़ रही है।
सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर अभी भी राज्य के गन्ना किसानों का 6,043 करोड़ रुपये बचा हुआ है जबकि पंद्रह दिन बाद गन्ने का नया पेराई सीजन आरंभ हो जायेगा। चालू पेराई सीजन में राज्य की चीनी मिलों ने किसानों से 33,048.02 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है जिसमें से 13 सितंबर तक 27,004.44 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया है। बकाया में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी राज्य की 94 प्राइवेट चीनी मिलों की 5,626 करोड़ रुपये की है। इसके अलावा सहकारी चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का 383 करोड़ रुपये और निगम की चीनी मिलों पर भी 33.86 करोड़ रुपये अभी भी बकाया है।
चीनी मिलें भुगतान नहीं कर रही, किसानों की कट रही हैं आरसी
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि चीनी मिलें किसानों को बकाया का भुगतान कर नहीं रही है, जबकि किसानों की आरसी लगातार काटी जा रही है। जिससे राज्य के किसानों में रोष है। उन्होंने बताया कि बकाया और ब्याज की मांग को लेकर किसान बिजनौर  कलक्ट्रेट में 13 दिन से धरना दिए हुए हैं। उन्होंने बताया कि बकाया और ब्याज की मांग को लेकर 17 सितंबर को बिजनौर में महापंचायत का आयोजन जायेगा, जिसमें आगे की रणनीति तय की जायेगी।
मुख्यमंत्री ने 31 अगस्त तक बकाया भुगतान के लिए कहा था
उन्होंने बताया कि राज्य के मुख्यमंत्री ने 31 अगस्त तक बकाया भुगतान की बात कही थी, लेकिन अब तो 15 सितंबर हो चुकी है। उन्होंने बताया कि अगले 15 दिनों के बाद नया पेराई सीजन आरंभ हो जायेगा। उन्होंने बताया कि तय नियमों के अनुसार चीनी मिलों को गन्ना किसानों को गन्ना खरीदने के 14 दिनों के अंदर भुगतान करना होता है, भुगतान नहीं होने पर चीनी मिलों को ब्याज देना होगा लेकिन मिलें न तो बकाया का भुगतान कर रही हैं, ना ही ब्याज दे रही है जिससे गन्ना किसानों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ............  आर एस राणा

धान और दलहन की बुआई घटी, मोटे अनाजों की बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में धान के साथ ही दलहन की बुआई में तो कमी आई है, लेकिन मोटे अनाजों की बुआई पिछले साल की तुलना में बढ़ी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में फसलों की कुल बुआई घटकर 1,046.38 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 1,051.28 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
धान और दलहन की बुआई कम
धान की रोपाई चालू खरीफ में 374.09 लाख हेक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 381.75 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। दालों की बुआई भी घटकर 132.08 लाख हेक्टेयर में ही पाई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 134.83 लाख हेक्टेयर कम है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की बुआई 45.37 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस सयम तक 45.53 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी। मूंग की बुआई चालू खरीफ में घटकर 30.77 और उड़द की 38.14 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुआई क्रमश: 34.02 और 38.86 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी।
मोटे अनाजों में मक्का, बाजरा की बुआई ज्यादा
मोटे अनाजों की बुआई पिछले साल के 177.40 लाख हेक्टेयर से बढ़कर चालू खरीफ में 179.41 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। मोटे अनाजों में मक्का की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 80.38 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 78.54 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। बाजरा की बुआई भी चालू खरीफ में बढ़कर 65.93 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 65.10 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हुई थी। ज्वार की बुआई पिछले साल के 17.64 लाख हेक्टेयर से घटकर चालू सीजन में 16.73 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। रागी की बुवाई पिछले साल की समान अवधि के 8.24 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 9.66 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है।
तिलहन में सोयाबीन की बुआई बढ़ी, मूंगफली की कम
तिलहन की बुआई चालू खरीफ में थोड़ी कम होकर 176.92 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 177.15 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो चुकी थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुआई पिछले साल के 112.51 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 113.30 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। मूंगफली की बुआई चालू खरीफ में घटकर 38.88 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 40.01 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। कपास की बुआई चालू खरीफ में पिछले साल के 120.56 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 125.61 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। गन्ने की बुआई चालू खरीफ में 52.45 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 55.51 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी।........... आर एस राणा

अगस्त में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात बढ़ा, तिलहन की कीमतों पर पड़ेगा असर

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ रहा है, जिसका असर घरेलू बाजार में तिलहन की कीमतों पर भी पड़ रहा है। अगस्त में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि जुलाई में इनका आयात 26 फीसदी बढ़ा था। उत्पादक मंडियों में सरसों की कीमतें 3,700 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि केंद्र सरकार ने सरसों का एमएसपी 4,200 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ। अगले महीने खरीफ तिलहन की फसलों सोयाबीन और मूंगफली की आवक बढ़ेगी, ऐसे में ज्यादा आयात का असर इनकी कीमतों पर भी रहेगा।
साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार अगस्त में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात बढ़कर 15.86 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल अगस्त में इनका आयात 15.12 लाख टन का हुआ था। अगस्त में हुए आयात में 15.23 लाख टन खाद्य तेल है जबकि 63,232 टन अखाद्य तेल हैं। चालू तेल वर्ष 2018-19 (नवंबर-18 से अक्टूबर-19) के पहले 10 महीनों नवंबर से अगस्त के दौरान भी आयात में पांच फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 128,67,486 टन का हुआ है जबकि पिछते तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 122,78,673 टन का ही हुआ था।
जुलाई—अगस्त में ज्यादा होता है आयात
एसईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. बीवी मेहता ने बताया कि खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन केवल 70 से 80 लाख टन का ही है जबकि हमारी सालाना खपत करीब 230 लाख टन की है। इसलिए सालाना करीब 150 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हो रहा है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर जुलाई, अगस्त में खाद्य तेलों का आयात ज्यादा होता है। अक्टूबर में घरेलू तिलहन की फसल की आवक शुरू हो जायेगी इसलिए नवंबर से खाद्य तेलों की आयात में कमी आने का अनुमान है।
अगस्त में महंगे हुए आयातित खाद्य तेल
एसईए के अनुसार आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में जुलाई के मुकाबले अगस्त में तेजी भी आई है। अगस्त में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन का भाव औसतन 571 डॉलर प्रति हो गया जबकि जुलाई में इसका भाव 532 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव जुलाई के 490 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अगस्त में 534 डॉलर प्रति टन हो गया। क्रुड सोयाबीन तेल का भाव इस दौरान 695 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 729 डॉलर प्रति टन हो गया। ........... आर एस राणा

प्याज की कीमतों को काबू करने के लिए 850 डॉलर का न्यूनतम निर्यात मूल्य लगाया

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्याज की कीमतों पर काबू पाने के लिए निर्यात पर 850 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगा दिया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को राशन की दुकानों के माध्यम से 23.90 रुपये किलो के भाव बेचने को कहा था साथ ही एमएमटीसी के माध्यम से दो हजार टन प्याज आयात की मंजूरी दी थी।
विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा गुरूवार को जारी अधिसूचना के अनुसार प्याज के निर्यात पर 850 डॉलर प्रति टन का एमईपी लगाया गया है जोकि तत्काल प्रभाव से लागू होगा। केंद्र सरकार ने दो फरवरी 2018 को प्याज के निर्यात पर एमईपी को शून्य किया था। इससे पहले 19 जनवरी 2018 को इसके निर्यात पर 700 डॉलर प्रति टन का एमईपी लगाया था।
चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में निर्यात हुआ कम
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के अप्रैल में प्याज का निर्यात 1.89 लाख टन का और मई में 1.63 लाख टन का हुआ था जबकि वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल में निर्यात 1.72 लाख टन का और मई में 2.15 लाख टन का निर्यात हुआ था। अत: चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में प्याज का निर्यात केवल 3.52 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 3.88 लाख टन का हुआ था। फसल सीजन 2018—19 में प्याज का उत्पादन ज्यादा होने के बावजूद भी कीमतों में तेजी आई है तथा फूटकर में प्याज के भाव बढ़कर 45 से 50 रुपये प्रति किलो तक हो गए हैं जबकि उत्पादक मंडियों में इसके भाव 14 से 30 रुपये प्रति किलो हैं। महाराष्ट्र की कोल्हापुर मंडी में प्याज के भाव 1,400 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे। दिल्ली की आजादपुर मंडी में प्याज का थोक भाव 12.30 से 30 रुपये प्रति किलो रहे।
उत्पादन अनुमान ज्यादा
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में प्याज का उत्पादन 0.95 फीसदी बढ़कर 232.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल प्याज का उत्पादन 232.6 लाख टन हुआ था। केंद्र सरकार ने इस साल 56,000 टन प्याज का बफर स्टाक बनाया था जिसमें से 10,000-12,000 टन नाफेड, एनसीसीएफ और मदर डेयरी ने अभी तक बेचा है। .......... आर एस राणा

12 सितंबर 2019

दालों का आयात 31 अक्टूबर तक ही करना होगा, केंद्र सरकार ने मिलों की मांग ठुकराई

आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ सीजन की दालों की आवक का देखते हुए दाल मिलों की दलहन आयात की समय सीमा बढ़ाने की मांग केंद्र सरकार ठुकरा दी है इसलिए मिलर्स को अरहर, मूंग, उड़द और मटर का आयात 31 अक्टूबर 2019 तक ही करना चाहिए। इससे दलहन की कीमतों में हल्का सुधार तो बन सकता है लेकिन आयातित दालें सस्ती है, तथा अक्टूबर के आयात ज्यादा होगा इसलिए बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार मिलों को तय कोटे के अनुसार दालों का आयात 31 अक्टूबर 2019 तक ही करना होगा। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 4 लाख टन अरहर, डेढ़ लाख टन मूंग, डेढ़ लाख टन उड़द तथा डेढ़ लाख टन मटर के आयात की अनुमति दी हुई है। खरीफ दालों की आवक अक्टूबर में शुरू होती है इसलिए दालों के आयात की अनुमति 31 अक्टूबर 2019 तक ही है। चना और मसूर के आयात पर आयात शुल्क लगाया हुआ है।
एमएसपी से नीचे बिक रही हैं दालें
उत्पादक मंडियों में दालों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं जबकि अक्टूबर में खरीफ सीजन की उड़द और मूंग की आवक शुरू होगी, जिससे कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है। कर्नाटक की गुलबर्गा मंडी के दलहन कारोबारी चंद्रशेखर ने बताया कि मंडी में नई उड़द के भाव 5,500 से 5,600 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि अरहर के भाव 5,600 रुपये प्रति क्विंटल है। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए उड़द का एमएसपी 5,700 रुपये और अरहर का एमएसपी 5,800 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। मूंग का एमएसपी 7,050 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि राजस्थान की मंडियों में मूंग 6,200 से 6,300 रुपये प्रति बिक रही है। मसूर का समर्थन मूल्य 4,475 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मसूर के भाव मंडियों में 4,000 से 4,100 रुपये प्रति क्विंटल है।
अक्टूबर के आखिर तक अरहर का आयात तय मात्रा के कम होने की आशंका
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान अरहर का आयात 51,711 टन का, मसूर का आयात 2.47 लाख टन का और मटर का आयात 2.81 लाख टन का हुआ है। दिल्ली की लारेंस रोड मंडी के दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि मद्रास हाईकोर्ट ने आयातकों को स्टे आर्डर दे दिया था, जिस कारण मटर का आयात तय मात्रा से ज्यादा हो चुका है। उन्होंने बताया कि अरहर का आयात 4 लाख टन करने की अनुमति दी हुई है जिसमें से जुलाई अंत तक 51,711 टन का ही आयात हुआ है ऐसे में अक्टूबर के आखिर तक कुल आयात तय मात्रा से कम ही होगा। उन्होंने बताया कि आयातित लेमन अरहर का भाव चैन्नई में 4,800 रुपये और उड़द एफएक्यू का भाव 4,600 रुपये तथा एसक्यू का भाव 5,900 रुपये प्रति क्विंटल है।
खरीफ में दालों की बुआई कम
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दालों की बुआई घटकर 130.04 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 1.95 फीसदी घटी है। पिछले साल इस समय तक देशभर में 132.63 लाख हेक्टेयर में दालों की बुआई हो चुकी थी। मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में दालों का उत्पादन घटकर 234 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 254.2 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था।.........   आर एस राणा

केंद्र ने दिल्ली सरकार से राशन की दुकानों के जरिये 23.90 रुपये प्याज बेचने को कहा

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र ने दिल्ली सरकार से बफर स्टॉक से प्याज लेकर उसे नागरिक आपूर्ति विभाग और राशन की दुकानों के जरिये 23.90 रुपये किलो के भाव पर बेचने को कहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज के ऊंचे दाम को देखते हुए केंद्र ने यह कदम उठाया है।
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार प्याज का भाव दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में 39-40 रुपये प्रति किलो है। शहर में कुछ खुदरा विक्रेता गुणवत्ता और स्थान विशेष के आधार पर इसे 50 रुपये किलो के भाव पर भी बेच रहे हैं।
सरकार के निर्देश पर भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नाफेड) और भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) के साथ-साथ मदर डेयरी बफर स्टॉक से प्याज लेकर उसे राष्ट्रीय राजधानी में बेच रहे हैं। मदर डेयरी सफल दुकानों के जरिये प्याज 23.90 रुपये किलो के भाव पर बेच रही है।
एनसीआर की दैनिक जरूरत 650 टन प्याज की
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटआई को बताया कि हमने दिल्ली सरकार से केंद्रीय बफर स्टॉक से प्याज नागरिक आपूर्ति विभाग और राशन की दुकानों के जरिये बेचने का आग्रह किया है। अधिकारी ने कहा कि राज्य द्वारा अधिकतम 23.90 रुपये प्रति किलो के भाव पर प्याज बेचा जा रहा है। केंद्र सरकार ने प्याज का स्टॉक 15 से 16 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर किया है। दिल्ली में प्रतिदिन 350 टन प्याज की जरूरत है जबकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र यानी एनसीआर की जरूरत प्रतिदिन 650 टन प्याज की है।
केंद्र ने 56 हजार टन प्याज की हुई है खरीद
केंद्र सरकार ने इस साल 56,000 टन प्याज का बफर स्टाक बनाया है। इसमें से 10,000-12,000 टन नाफेड, एनसीसीएफ और मदर डेयरी ने अभी तक बेचा है। खरीफ उत्पादन कम होने के कारण प्याज की कीमतों में तेजी आई है। उत्पादक राज्यों विशेषकर महाराष्ट्र में प्याज खेती के रकबे में 10 फीसदी की गिरावट के कारण प्याज के दामों में तेजी आई है।.........आर एस राणा

कपास का आयात 93 फीसदी बढ़ा, निर्यात में 36 फीसदी की आई कमी-उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार एग्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ा कर किसानों की आय दोगुनी करना चाहती है लेकिन चालू फसल सीजन में कपास के आयात में जहां 93.33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है वहीं निर्यात में 36.23 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। उत्तर भारत के राज्यों में कपास की नई फसल की आवक शुरू हो गई है जिससे कीमतों पर दबाव तो है लेकिन कपास की मौजूदा कीमतों में मंदा अक्टूबर के अंत या फिर नवंबर के शुरू में बनने की उम्मीद है। मध्य प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से फसल की फसल को नुकसान की भी आशंका है।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार विश्व बाजार में कपास के दाम कम थे, जबकि घरेलू बाजार में कीमतें उंची रही। जिस कारण चालू फसल सीजन 2018-19 में कपास का आयात बढ़कर 29 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलोग्राम) का हो चुका है जबकि पिछले फसल सीजन में इसका आयात केवल 15 लाख गांठ का ही हुआ था। इस दौरान कपास का निर्यात घटकर 44 लाख गांठ का ही हुआ है जबकि पिछले फसल सीजन में 69 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। कॉटन एडवाईजरी बोर्ड (सीएबी) ने चालू फसल सीजन में कपास के निर्यात का लक्ष्य 50 लाख गांठ का तय किया था।
उत्पादन अनुमान में 14.52 फीसदी कमी का अनुमान
सीएआई के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में देश में कपास का उत्पादन घटकर 312 लाख गांठ का ही हुआ है जोकि पिछले साल के 365 लाख गांठ की तुलना में 14.52 फीसदी कम है। उत्पादन में आई कमी के कारण पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले नए सीजन में कपास का बकाया स्टॉक भी घटकर 15 लाख गांठ का ही बचने का अनुमान है जबकि पिछले साल नए सीजन के आरंभ में 28 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक था। पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू फसल सीजन में 31 अगस्त तक उत्पादक मंडियों में 307.02 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना में कपास का उत्पादन फसल सीजन 2018-19 में घटकर क्रमश: 87.50 लाख गांठ, 70.25 लाख गांठ और 35.50 लाख गांठ का ही हुआ, जबकि पिछले साल इन राज्यों में उत्पादन क्रमश: 105 लाख गांठ, 83 लाख गांठ का और 51.50 लाख गांठ का हुआ था।
बुआई में हुई है बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में कपास की बुआई बढ़कर 125.85 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 118.09 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। महाराष्ट्र में कपास की बुआई चालू खरीफ में बढ़कर 43.76 लाख हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 41.02 लाख हेक्टेयर में ही बुआई हो पाई थी। इसी तरह से तेलंगाना में कपास की बुआई पिछले साल के 17.79 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 18.12 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है। हालांकि गुजरात में कपास की बुआई पिछले साल के 26.90 लाख हेक्टेयर की तुलना में 26.45 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। ...........आर एस राणा

10 सितंबर 2019

उत्तर प्रदेश से समर्थन मूल्य पर 50 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य

आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ विपणन सीजन 2019-20 में उत्तर प्रदेश से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 50 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य तय किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति को मंजूरी दी गई। राज्य सरकार ने धान की खरीद कीमतों में 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है।
बैठक के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने खरीफ विपणन सीजन में राज्य से 50 लाख टन धान की खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि पिछले खरीफ सीजन में राज्य से 48.25 लाख टन धान की खरीद की गई थी।
पहली अक्टूबर से होगी खरीद शुरू
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2019-20 के लिए ग्रेड ए धान का एमएसपी 1,835 रुपये और सामान्य किस्म के धान का एमएसपी 1,815 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले खरीफ विपणन सीजन की तुलना में केंद्र सरकार ने धान के समर्थन मूल्य में 65 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की थी। उत्तर प्रदेश से चालू खरीफ विपणन सीजन में धान की खरीद पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होगी और 28 फरवरी, 2020 तक खरी जारी रहेगी।
राज्य की 23 सहकारी चीनी मिलों को 3,221.63 करोड़ रुपये का कैश क्रेडिट
मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य की 23 सहकारी चीनी मिलों को 3,221.63 करोड़ रुपये कैश क्रेडिट सहकारी बैंकों से देने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई। राज्य की सहकारी 23 चीनी मिलों को पेराई सीजन 2019-20 में 3,221.63 करोड़ कैश क्रेडिट दिया जाएगा। राज्य की गुड़, खंडसारी इकाइयों के लिये एकमुश्त समाधान योजना 10 फीसदी अधिक बजट के साथ तीन साल के लिए लागू होगी। इसके लिये 31.20 करोड़ की जगह 49.09 करोड़ रुपये का खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। इसके साथ ही कृषि निर्यात पर नई पॉलिसी को भी मंजूरी दी गई। इसका मकसद कृषि निर्यात को बढ़ाना और वर्ष 2024 तक कृषि निर्यात को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया गया है।......   आर एस राणा

चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में गैर बासमती चावल का निर्यात 36.67 फीसदी घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान गैर बासमती चावल के निर्यात में 36.67 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 17.06 लाख टन का ही हुआ है। बासमती चावल के निर्यात में इस दौरान 9.06 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 14.34 लाख टन का हुआ है।
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में गैर बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से घटकर 4,816 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 7,560 करोड़ रुपये का हुआ था। मात्रा के हिसाब से इसका निर्यात घटकर 17.06 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 26.94 लाख टन का निर्यात हुआ था। बासमती चावल का निर्यात अप्रैल से जुलाई के दौरान मूल्य के हिसाब से घटकर 10,847 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 11,575 करोड़ रुपये का हुआ था। मात्रा के हिसाब चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में बासमती चावल का निर्यात 14.34 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 15.77 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था।
ग्वार गम उत्पादों के साथ दालों का निर्यात भी कम
ग्वार गम उत्पादों का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले चार महीनों में 14.88 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 17.77 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से ग्वार गम उत्पादों का निर्यात पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल से जुलाई के 1,613 करोड़ रुपये मूल्य से घटकर चालू वित्त वर्ष की समान अवधि में 1,261 करोड़ रुपये का ही हुआ है। इसी तरह से दालों का निर्यात भी चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में घटकर 84,525 टन का 606 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1.25 लाख टन का 764 करोड़ रुपये का हुआ था।
डेयरी उत्पादों के निर्यात में भी आई कमी
डेयरी उत्पादों का निर्यात भी चालू वित्त वर्ष 2019-20 के पहले चार महीनों अप्रैल से जुलाई के दौरान 781 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 782 करोड़ रुपये का हुआ था। प्रोसेस फ्रुट और जूस उत्पादों के निर्यात में भी जरुर चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 1,316 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 1,252 करोड़ रुपये का ही हुआ था।......  आर एस राणा

नवंबर मध्य में चीनी के निर्यात सौदों में सुधार आने का अनुमान-उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में चीनी की कुल उपलब्धता में 40 से 50 लाख टन की कमी आने की आशंका है, ऐसे में नवंबर मध्य के बाद भारत से चीनी के निर्यात सौदों में सुधार आने का अनुमान है। विश्व बाजार में इस समय चीनी की कीमतें नीचे बनी हुई है, इसलिए निर्यात पैरिटी नहीं लग रही है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने आउटलुक को बताया कि विश्व बाजार में चीनी के दाम काफी नीचे आ गए हैं, जिस कारण सब्सिडी के बावजूद निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं। उन्होंने बताया कि विश्व बाजार की कीमतों के हिसाब से चीनी के दाम 20 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं जबकि 10.50 रुपये प्रति किलो की सब्सिडी को मिलाकर भाव 30.50 रुपये प्रति किलो होता है। केंद्र सरकार ने चीनी का न्यूनतम बिक्री भाव 31 रुपये प्रति किलो तय किया हुआ है। जबकि मिलों को लागत इससे ज्यादा की आई है। उन्होंने बताया कि चीनी मिलें इवेंट्री कम करने के लिए थोड़ा बहुत निर्यात कर रही है।
विश्व बाजार में चीनी की उपलब्धता 40-50 लाख टन कम रहने का अनुमान
उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में अगस्त के मध्य तक केवल 37 से 38 लाख टन चीनी का ही निर्यात हुआ है जबकि निर्यात का लक्ष्य 50 लाख टन का था। पहली अक्टूबर 2019 से हमारे यहां चीनी का नया पेराई सीजन 2019-20 शुरू होगा, जबकि अक्टूबर के अंत तक ब्राजील का उत्पादन लगभग बंद हो जायेगा। विश्व बाजार में चीनी की कुल उपलब्धता 40 से 50 लाख टन कम होने का अनुमान है इसलिए मध्य नवंबर के बाद विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार आने से मध्य नवंबर के बाद चीनी के निर्यात पड़ते लगेंगे।
उत्पादन अनुमान में कमी की आशंका
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में पहले सूखा और बाद में बाढ़ से गन्ने की फसल को नुकसान हुआ है, जिस कारण पहली अक्टूबर 2019 से शुरू होने वाले नए पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन घटकर 282 लाख टन ही होने का अनुमान है जोकि चालू पेराई सीजन के 330 लाख टन से 48 लाख टन कम है। पेराई सीजन के शुरू में चीनी मिलों के पास 142 से 145 लाख टन चीनी का रिकार्ड स्टॉक बचेगा। चीनी कारोबारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि उत्तर प्रदेश में चीनी के एक फैक्ट्री भाव 3,350 से 3,400 रुपये और महाराष्ट्र में 3,150 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल है। दिल्ली में चीनी के भाव 3,600 रुपये प्रति क्विंटल है।
गन्ने की बुआई में आई कमी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू पेराई सीजन में गन्ने की बुआई घटकर 52.45 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 55.51 लाख हेकटेयर में हो चुकी थी। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में गन्ने की बुआई चालू सीजन में घटकर 8.40 लाख हेक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 11 लाख हेक्टेयर में हुई थी। उत्तर प्रदेश में गन्ने की बुआई पिछले साल के 25.50 लाख हेक्टेयर से घटकर 24.94 लाख हेक्टेयर में ही हुई है। कर्नाटक में जरुर पिछले साल के 5 लाख हेक्टेयर से गन्ने की बुआई बढ़कर 5.84 लाख हेक्टेयर में हुई है। ........... आर एस राणा