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07 अप्रैल 2019

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाया पर ब्याज के भुगतान का रास्ता साफ

आर एस राणा
नई दिल्ली।  उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को बकाया पर ब्याज के भुगतान चीनी मिलों को करना होगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने शपथ पत्र देकर गन्ने के बकाया पर ब्याज का भुगतान करने की बात मान ली है। राज्य के किसानों का बकाया पर ब्याज करीब 2,000 करोड़ रुपये था, जिसे सपा की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने माफ कर दिया था।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन की याचिका पर आज इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य के गन्ना आयुक्त संजय आर भूसरेड्डी ने हलफनामा देकर बकाया पर ब्याज देना स्वीकार कर लिया। हफलनामे के अनुसार राज्य की जो चीनी मिलें फायदे में हैं, वे किसानों को बकाया पर 12 फीसदी का ब्याज तथा जो चीनी मिलें घाटे में चल रही है उनको बकाया पर 7 फीसदी का ब्याज देना होगा।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह ने आउटलुक को बताया कि यह राज्य के 42 लाख किसानों की जीत है। उन्होंने बताया कि 25 महीने बाद इस पर फैसला आया है, वह भी तब जब 5 फरवरी 2019 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार दो महीने में 9 मार्च 2017 के आदेश का अनुपालन करें, नहीं तो गन्ना आयुक्त को जेल जाना पड़ेगा।
वीएम सिंह ने इस केस के कारण छोड़ा लोकसभा चुनाव 
इलाहाबाद हाईकोर्ट में 5 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई होनी थी, इसी को देखते हुए वीएम सिंह ने लोकसभा 2019 का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि किसानों के लिए एक चुनाव तो क्या 10 चुनाव भी छोड़ने पड़े तो, छोड़ दूंगा। 
तत्कालीन अखिलेश सरकार ने ब्याज देने के फैसले को किया था रद्द
वीएम सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाया भुगतान ब्याज समेत दिए जाने का आदेश दिया था जिसको तत्कालीन अखिलेश सरकार की कैबिनेट ने फैसला कर रद्द कर दिया था। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इस फैसले को रद्द करने से जहां राज्य के लाखों किसान प्रभावित हुए, वहीं किसानों के बकाया तत्काल भुगतान को रास्ता भी बंद हो गया, क्योंकि जब चीनी मिलों को ब्याज ही नहीं देना पड़ेगा, तो फिर भुगतान मिलें अपनी मर्जी से करेंगी।
राज्य के करीब 40-42 लाख किसान परिवारों का है बकाया
उन्होंने बताया कि राज्य के करीब 40 से 42 लाख किसान परिवारों का गन्ने का ब्याज बकाया है। अदालत ने साल 2011-12, 2012-13 और 2013-14 तथा 2014-15 के जिस बकाये पर ब्याज देने को कहा है वह रकम करीब 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है। उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी (सपा) की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने कैबिनेट में बकाया भुगतान नहीं करने का प्रस्ताव पारित किया था, जिस कारण अखिलेश सरकार को किसानों की नाराजगी झेलनी पड़ी और उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। ...... आर एस राणा

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