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17 मार्च 2019

सरकार ने बीटी कपास के बीज की कीमत में की कटौती, 80 लाख किसानों को होगा फायदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बीटी कपास के बीजों के अधिकतम बिक्री मूल्य में कटौती कर दी है, इससे देश भर के लगभग 80 लाख कपास किसानों को फायदा मिलने की संभावना है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचिना के अनुसार 450 ग्राम वाले बीटी कपास (बॉलगार्ड-II) के पैकेट के भाव को घटाकर 730 रुपये (इसमें 20 रुपये रॉयल्टी समेत) कर दिया गया है।
फसल सीजन 2018-19 में बीटी कपास बीजों का अधिकतम बिक्री मूल्य 740 रुपये प्रति पैकेज था, जिसमें 39 रुपये रॉयल्टी शुल्क शामिल था। अत: आगामी खरीफ बुवाई सीजन के समय किसानों को 2018 सीजन की तुलना में 10 प्रति पैकेट कम भुगतान करना होगा। चालू फसल सीजन के लिए रॉयल्टी को 39 रुपये से घटाकर 20 रुपये प्रति पैकेट कर दिया है। अत: घरेलू बीज कपंनियों को भी इससे लाभ मिलेगा, उन्हें डेवलपर को रॉयल्टी शुल्क के रुप में प्रति पैकेट 19 रुपये कम देने होंगे। 
बीटी कपास बीज के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) को कम करने के लिए स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) सहित कई संगठनों ने केंद्र सरकार से मांग की थी कि रॉयल्टी शुल्क को पूरी तरह से हटा दिया जाए ताकि किसानों को कपास बीज के उंची क़ीमतों का ‘अनावश्यक बोझ’ न उठाना पड़े।
कई संगठनों ने रॉयल्टी समाप्त करने की की थी मांग
एसजेएम के सह-संयोजक अश्वनी महाजन ने एक मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बीटी कपास के बीजों के एमएसपी में रॉयल्टी शुल्क हटाने के लिए हस्तक्षेप करने की मांग की थी। कुछ रिपोर्टों का हवाला देते हुए उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि बीटी कपास के पौधों को पिंक बोलवर्म (कीट) से बचाने के लिए डेवलपर कोई काम नहीं करता इसलिए ऐसी फीस वसूलने का कोई मतलब नहीं बनता। 
फसल सीजन 2016-17 में पहली बार घटाये थे दाम
केंद्र द्वारा दिसंबर 2015 में गठित एक पैनल द्वारा कपास बीज मूल्य नियंत्रण आदेश के तहत बीटी कपास बीजों के दाम पहली बार 2016-17 में घटाए गए थे। पैनल ने 830-1,030 रुपये के पुराने दाम घटाकर प्रति पैकेट 800 रुपये कर दिए थे। इसी तरह प्रति पैकेट 163 रुपये रॉयल्टी वैल्यू को लगभग 70 फीसदी घटाकर 49 रुपये कर दिया गया था। यह कदम मई 2016 में जारी प्रारूप के दिशा-निर्देशों के बाद उठाया गया था, जिसमें रॉयल्टी वैल्यू को बीज के बिक्री मूल्य के 10 फीसदी पर सीमित कर दिया गया था और इसके बाद समय-समय पर इसे कम किया गया।................ आर एस राणा

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