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13 जनवरी 2019

गन्ना किसानों के बकाया भुगतान पर अब यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका

आर एस राणा
नई दिल्ली। गन्ना किसानों के ब्याज के बकाया भुगतान पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी योगी सरकार को एक बार फिर से झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के केन कमिश्नर के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही को रोकने से इंकार कर दिया। साथ ही राज्य सरकार के ब्याज माफ करने के अधिकार को भी चुनौती दी।
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस किया, याचिका में 14 दिन के अंदर तय गन्ना भुगतान ना करने पर चीनी मिलों द्वारा किसानों को ब्याज देने के प्रावधान को माफ करने के राज्य सरकार के अधिकार को चुनौती दी। राज्य सरकार की तरफ से गुहार लगाई गई कि जब राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने राज्य सरकार के अधिकार को ही चुनौती दी है तो 20 दिसंबर 2018 के हाईकोर्ट की अवमानना याचिका के आदेश पर रोक लगा दी जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अवमानना की कार्यवाही पर रोक नहीं लगेगी, तथा हाईकोर्ट में कार्यवाही चालू रहेगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर को दिया था फैसला
वीएम सिंह ने आउटलुक को बताया कि यह राज्य के 42 लाख किसानों की जीत है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 20 दिसंबर 2018 को अपने फैसले में कहा था कि राज्य सरकार या तो तीन सप्ताह में 9 मार्च 2017 के आदेश का अनुपालन करें, नहीं तो 4 फरवरी को राज्य के केन कमिश्नर संजय भूसरेड्डी अदालत में हाजिर हों। मामले में वीएम सिंह द्वारा अवमानना याचिका दाखिल की गई थी।
तत्कालीन अखिलेश सरकार ने ब्याज देने के फैसले को किया था रद्द
वीएम सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के बकाया भुगतान ब्याज समेत दिए जाने का आदेश दिया था जिसको तत्कालीन अखिलेश सरकार की कैबिनेट ने फैसला कर रद्द कर दिया था। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा इस फैसले को रद्द करने से जहां राज्य के लाखों किसान प्रभावित हुए, वहीं किसानों के बकाया तत्काल भुगतान को रास्ता भी बंद हो गया, क्योंकि जब चीनी मिलों को ब्याज ही नहीं देना पड़ेगा, तो फिर भुगतान मिलें अपनी मर्जी से करेंगी।
यूपी के लगभग 40 से 42 लाख किसान परिवारों का है बकाया
वीएम सिंह ने बताया कि राज्य के करीब 40 से 42 लाख किसान परिवारों का ब्याज बकाया है। अदालत ने साल 2011-12, 2012-13 और 2013-14 तथा 2014-15 के जिस बकाये पर ब्याज देने को कहा है वह रकम करीब 2,000 करोड़ रुपये होती है। उन्होंने बताया कि समाजवादी पार्टी (सपा) की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने कैबिनेट में बकाया भुगतान नहीं करने का प्रस्ताव पारित किया था, जिस कारण अखिलेश सरकार को किसानों की नाराजगी झेलनी पड़ी और उनकी पार्टी सत्ता से बाहर हो गई। उन्होंने कहा कि अगर योगी सरकार ने भी किसानों के ब्याज के बकाया भुगतान पर टालमटौल का रवैया इसी तरह से जारी रखा, तो उन्हें भी इसका खामियाजा भुगतान पड़ेगा।
अखिलेश सरकार के फैसले को हाईकोर्ट ने किया था रद्द
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने साल 2014 और 2015 में आदेश जारी कर गन्ना किसानों को उनके बकाया का भुगतान ब्याज समेत किये जाने का आदेश दिया था, लेकिन तत्कालीन अखिलेश सरकार ने इसके खिलाफ कैबिनेट में प्रस्ताव पास कर दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने मार्च 2017 में रद्द कर दिया था।
23 साल से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ब्याज दिलाने के लिए लड़ रहे हैं वीएम सिंह
गन्ना किसानों को 1995-96 के बकाया भुगतान में देरी पर वीएम सिंह की याचिका पर वर्ष 2009 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी पैसा नहीं दिया तो फिर अवमानना याचिका डालकर अगौता शुगर मिल, बुलंदशहर से किसानों के खाते में 2 करोड़ 18 लाख रुपये जमा कराए।.............  आर एस राणा

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