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19 जुलाई 2018

गन्ना का एफआरपी 20 रुपये बढ़ाकर 13 रुपये वापिस लिए, किसान को मिलेंगे 7 रुपये

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार किसानों को एक हाथ से दे रही है, तो दूसरे हाथ से वापिस भी छीन ले रही है। गन्ना किसानों के साथ सरकार ने यही किया है। गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में केंद्र सरकार ने 20 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी कर 13 रुपये वापिस ले लिए हैं। इसलिए किसान को केवल 7 रुपये ही मिलेगा, क्योंकि सरकार ने गन्ने में रिकवरी की दर को 9.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है।
​पेराई सीजन 2017-18 में गन्ने का एफआरपी 255 रुपये प्रति क्विंटल 9.5 रिकवरी की दर पर था, इसलिए 10 फीसदी की रिकवरी पर गन्ना किसानों को 267 से 268 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिला है, जबकि आगामी पेराई सीजन में 10 फीसदी की रिकवरी पर किसान को 275 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति (सीसीआई) की बैठक में पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले पेराई सीजन 2018-19 के लिए गन्ने का एफआरपी 20 रुपये बढ़ाकर 275 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया है, इसमें सरकार ने गन्ने में रिकवरी की दर को 9.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है। सरकार द्वारा निर्धारित रिकवरी से ज्यादा आने पर किसान को 0.1 रिकवरी पर 2.68 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चीनी मिलों के द्वारा भुगतान किया जाता है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी एम सिंह ने कहा कि गन्ने के एफआरपी में बढ़ोतरी मात्र दिखावा है, क्योंकि एफआरपी में सरकार ने 20 रुपये बढ़ाकर 13 रुपये वापिस ले लिए। इसलिए किसान को 7 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम मिलेगा। उन्होनें कहा कि प्रधानमंत्री को किसानों को इस ऐतिहासिक फैसले की जानकारी भी देनी चाहिए कि हमने एफआरपी में 7 रुपये की बढ़ोतरी कर दी है। डीजल, खाद, बीज और कीटनाशकों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की तुलना में गन्ने के एफआरपी में बढ़ोतरी उंट के मुंह में जीरा है।
केंद्र सरकार गन्ने का एफआरपी तय करती है। महाराष्ट्र और कर्नाटका के अलावा कई राज्यों में चीनी मिलें गन्ने की खरीद एफआरपी पर करती हैं जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में राज्य सरकारें राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) भी तय करती है तथा खरीद एसएपी के आधार पर करती है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में गन्ने की बुवाई बढ़कर 50.52 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले पेराई सीजन में इसकी बुवाई 49.72 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। बुवाई में हुई बढ़ोतरी से उद्योग के अनुसार आगामी पेराई सीजन में भी चीनी का रिकार्ड 350 से 355 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है। ऐसे में किसानों को आगामी पेराई सीजन में भी बकाया राशि के लिए दो-चार होना पड़ सकता है। चालू पेराई सीजन में किसानों का चीनी मिलों पर अभी भी बकाया 19,000 करोड़ से ज्यादा का बचा हुआ है।...... 
आर एस राणा

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