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29 जुलाई 2018

राजस्थान : बारिश सामान्य से 21 फीसदी ज्यादा, फिर भी खरीफ फसलों की बुवाई पिछड़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में राजस्थान में सामान्य के मुकाबले ज्यादा बारिश होने के बावजूद भी खरीफ फसलों की बुवाई पिछड़ रही है। राज्य में 26 जुलाई तक 130.45 लाख हैक्टेयर में ही खरीफ फसलों की बुवाई हो पाई है जोकि पिछले साल इस समय तक 139.79 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू मानसूनी सीजन में राज्य में पहली जून से 28 जुलाई तक सामान्य के मुकाबले 21 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।
बजारा, मक्का की बुवाई पिछड़ी
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में 26 जुलाई तक राज्य में मोटे अनाजों के साथ ही दलहनी फसलों मोठ और उड़द की बुवाई तो पिछे चल रही है लेकिन तिलहनी फसलों में सोयाबीन और मूंगफली की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। मोटे अनाजों की प्रमुख फसल बाजरा की बुवाई चालू खरीफ में घटकर राज्य में अभी तक केवल 34.65 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 42.33 लाख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से मक्का की बुवाई घटकर 8.55 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 8.63 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
धान की रोपाई में बढ़ोतरी
धान की रोपाई चालू खरीफ सीजन में राज्य में 1.42 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल के 1.24 लाख हैक्टेयर से ज्यादा ही है। ज्वार की बुवाई चालू खरीफ में राज्य में 5.10 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 5.01 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
मूंग की बुवाई ज्यादा, मोठ, उड़द की कम
खरीफ दलहन की प्रमुख फसल मूंग की बुवाई बढ़कर चालू सीजन में अभी तक 16.22 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 15.04 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मोठ की बुवाई राज्य में पिछले साल के 11 लाख हैक्टेयर से घटकर केवल 7.53 लाख हैक्टेयर में और उड़द की बुवाई पिछले साल के 5.40 लाख हैक्टेयर से कम होकर 4.27 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। दलहन की कुल बुवाई चालू सीजन में 28.93 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 32.47 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
सोयाबीन और मूंगफली की बुवाई बढ़ी
खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई बढ़कर चालू खरीफ सीजन में 10.28 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 9.10 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। इसी तरह से मूंगफली की बुवाई भी बढ़कर चालू खरीफ में 5.82 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 5.62 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। खरीफ तिलहनों की कुल बुवाई चालू सीजन में राज्य में अभी तक 18.92 लाख हैकटेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 17.91 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
ग्वार सीड की बुवाई ज्यादा, कपास की कम
ग्वार सीड की बुवाई चालू सीजन में बढ़कर 24.47 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 23.21 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। कपास की बुवाई पिछले साल के 5.03 लाख हैक्टेयर से घटकर 4.96 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। .............आर एस राणा

मसालों के निर्यात में 8 फीसदी की बढ़ोतरी, इलायची और लहसुन का निर्यात ज्यादा बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2017-18 में मसालों के निर्यात में 8 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 10,28,060 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इनका निर्यात 9,47,790 टन का हुआ था।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान छोटी इलायची के निर्यात में 48 फीसदी की बढ़ोतरी होकर इसका निर्यात 5,680 टन का हुआ है। लहसुन के निर्यात में इस दौरान 46 फीसदी की बढ़ोतरी होकर 46,980 टन का निर्यात हुआ है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात क्रमश: 3,850 टन और 32,200 टन का ही हुआ था।
लालमिर्च के निर्यात में वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 11 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 4,43,900 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 4,00,250 टन का ही हुआ था। जीरा के निर्यात में भी 21 फीसदी की बढ़ोतरी कुल निर्यात 1,43,670 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 1,19,000 टन का ही हुआ था।
मसाला बोर्ड के अनुसार हल्दी का निर्यात वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 8 फीसदी घटकर 1,07,300 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसका निर्यात 1,16,500 टन का हुआ था। कालीमिर्च का भी इस दौरान 4 फीसदी घटकर 16,840 टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में 17,600 टन कालीमिर्च का निर्यात हुआ था। 
सौंफ के निर्यात में वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 2 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 34,550 टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान इसका निर्यात 35,150 टन का हुआ था। धनिया के निर्यात में इस दौरान 16 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 35,185 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में इसका निर्यात 30,300 टन का ही हुआ था। ...........  आर एस राणा

28 जुलाई 2018

खरीफ फसलों की बुवाई 7 फीसदी पिछे, देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य से 3 फीसदी कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य के मुकाबले 3 फीसदी कम होने से खरीफ फसलों की बुवाई में भी 7.49 फीसदी की कमी आई है। देशभर में अभी तक 737.96 लाख हैक्टेयर में ही खरीफ फसलों की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 797.69 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू खरीफ सीजन में पहली जून से 27 जुलाई तक देशभर में मानसूनी बारिश सामान्य के मुकाबले 3 फीसदी कम हुई है। हालांकि पिछले दो-तीन दिनों में कई राज्यों में हुई अच्छी बारिश से आगे बुवाई में और तेजी आने का अनुमान है। 
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 197.63 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 225.60 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। धान की रोपाई पिछले साल की तुलना में 12.40 फीसदी पिछे चल रही है। दालों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में घटकर 103.35 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 113.24 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसलों अरहर और उड़द की बुवाई पिछे चल रही है जबकि मूंग की बुवाई पिछले साल की समान अवधि की तुलना में बढ़ी है।
मोटे अनाजों की बुवाई भी पिछड़ कर चालू खरीफ में अभी तक 136.23 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक मोटे अनाजों की बुवाई 148.33 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 66.91 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 67.92 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। बाजरा की बुवाई चालू सीजन में घटकर अभी तक केवल 49.71 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 61.28 लाख हैक्टेयर में बाजरा की बुवाई हो चुकी थी।
खरीफ तिलहनों की बुवाई भी चालू खरीफ में घटकर अभी तक केवल 140.74 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 142.39 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई जरुर चालू सीजन में बढ़कर 101.53 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुवाई केवल 95.70 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई घटकर चालू सीजन में अभी तक केवल 28.96 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में मूंगफली की बुवाई 33.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
कपास की बुवाई भी चालू खरीफ सीजन में 7.96 फीसदी पिछे चल रही है। अभी तक देशभर में कपास की बुवाई केवल 102.51 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 111.38 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। गन्ने की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 50.52 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक गन्ने की बुवाई 49.72 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।............  आर एस राणा

गन्ने और बी श्रेणी के शीरे से सीधे एथनॉल बनाने की अनुमति, चीनी मिलों को होगा फायदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को सीधे गन्ने के रस या फिर बी श्रेणी के शीरे (मोलासेस) से एथनॉल बनाने की अनुमति देने के निर्णय को अधिसूचित कर दिया है। इससे चीनी मिलों को फायदा होने को संभावना है।
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार गन्ना नियंत्रण आदेश 1966 में संशोधन किया गया है। इस निर्णय से चीनी मिलें गन्ना के अधिक उत्पादन होने की स्थिति में गन्ने से सीधे एथनॉल बना सकेगी।
मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार चीनी मिल सीधे गन्ने के रस सा फिर बी श्रेणी के शीरे से एथनॉल का उत्पादन करती है, तो 600 लीटर एथनॉल के उत्पादन को एक टन चीनी के उत्पादन के बराबर माना जायेगा। अभी तक चीनी मिलें केवल निम्न श्रेणी के शीरे से ही एथनॉल बना सकती थी। गन्ने का रस निकालने के बाद जो शीरा बच जाता था, उसमें से चीनी मिलें एथनॉल का उत्पादन करती थी।
शीरे का उपयोग एल्कोहल और स्प्रिट समेत कई अन्य उत्पादों को बनाने में होता है। जून में केंद्र सरकार ने पहली बार बी श्रेणी के शीरे से बने एथनॉल का दिसंबर 2018 से शुरू हो रहे नए सत्र के लिए 47.49 रुपये प्रति लीटर तय भाव किया था। इसके अलावा निम्न श्रेणी के शीरे से तैयार एथनॉल के भाव में भी केंद्र सरकार ने 2.85 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 43.70 रुपये प्रति लीटर तय किया हुआ है। 
देश में पेट्रोल में 10 फीसदी एथनॉल मिलाने को अनिवार्य किया हुआ है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में एथनॉल की उपलब्धता नहीं होने के कारण यह 4 फीसदी तक सिमट कर रह गया है। केंद्र सरकार द्वारा एथनॉल के उंचे दाम तय करने से चीनी मिलें एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने को प्रोत्साहित होंगी।
चीनी मिलों ने दिसंबर 2018 से शुरू होने वाले पेराई सीजन के दौरान तेल कंपनियों को 158 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति करने के अनुबंध किए हैं। जबकि पिछले वर्ष केवल 78.6 करोड़ लीटर एथनॉल की आपूर्ति ही की गई थी।.............  आर एस राणा

ट्रक हड़ताल : कपास का कारोबार प्रभावित, कच्चे माल की आवक ठप्प

आर एस राणा
नई दिल्ली। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की देशव्यापी हड़ताल के कारण कपास के कारोबार पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। एक तरफ जहां यार्न मिलों में कपास की आवक नहीं होने से मिलें बंद होने के कगार पर है, वहीं शिपमेंट नहीं होने से निर्यातकों को भी नुकसान लग रहा है।
कॉटन एसोसिएशन आॅफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल एस गणात्रा के अनुसार 20 जुलाई से ट्रकों की देशव्यापी हड़ताल चल रही है, जिस कारण यार्न मिलों में कपास की आवक बंद हो गई है। कच्चे माल की आवक नहीं होने से यार्न मिलों के बंद होने की स्थिति बन गई है। कपास की आपूर्ति नहीं होने से व्यापारियों को भुगतान की समस्या भी आ रही है।
उन्होंने बताया कि ट्रकों की उपलब्धता नहीं होने के कारण कपास निर्यात के लिए शिपमेंट भी नहीं हो पा रही है, जिस कारण निर्यातकों को भारी नुकसान लग रहा है। ट्रक हड़ताल के कारण कपास का पूरा व्यापार लगभग ठप्प सा हो गया है। इसलिए हमारा सरकार से निवेदन है कि जितनी जल्दी हो सके, इस समस्या का समाधान निकाला जाए। 
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की देशव्यापी हड़ताल आज सातवें दिन भी जारी रही। डीजलों की दरों में कमी, इंश्योरेंस पॉलिसी व अन्य मांगों को लेकर ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने 20 जुलाई (शुक्रवार) से पूरे देश में बेमियादी ट्रक हड़ताल की घोषणा की हुई है।............  आर एस राणा

27 जुलाई 2018

बिहार को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग, विधानसभा से लेकर लोकसभा तक उठा मामला

आर एस राणा
नई दिल्ली। बिहार के करीब 36 जिलों के सूखे की चपेट में आने के कारण संपूर्ण राज्य को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग आज विधानसभा से लोकसभा तक उठी।
राज्य के 36 जिलों पटना, सिवान, औरंगाबाद, वैशाली, अरवाल, भौजपूर आदि में चालू खरीफ में बारिश नहीं होने से सूखे जैसे हालात बन गए हैं। सूखे के कारण किसान खरीफ फसलों की बुवाई ही नहीं कर पा रहे हैं।
विधानसभा में सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने राज्य को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग की। तेजस्वी ने सूखे की स्थिति से निपटने को लेकर सरकार पर समय रहते काम नहीं करने का आरोप लगाया। तेजस्वी ने कहा कि अगर इस आशंका को लेकर सरकार सजग रहती तो राज्य में आज किसानो के लिए यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।
विधानसभा में 'राज्य में सूखे के कारण उत्पन्न स्थिति' पर विशेष चर्चा में तेजस्वी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, मानसून की बारिश समय पर नहीं होने से किसानों की हालत खराब है और इसे लेकर सरकार बिल्कुल भी गम्भीर नहीं है।
लोकसभा में भी उठा मामला
उधार कांग्रेस के रंजीत रंजन ने बुधवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कह कि राज्य के 36 जिलों में सूखे के हालात बने हुए है इसलिए राज्य को सूखाग्रस्त घोषित किया जाये।
पिछले एक—दो दिनों में कुछ जगह हुई बारिश
बिहार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि बिहार सरकार सूखे की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। राज्य सरकार स्थिति पर पूरी तरह नजर बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा कि अगर 31 जुलाई तक बारिश नहीं होती है तो राज्य सरकार सूखाग्रस्त क्षेत्र भी घोषित करेगी। सरकार की ओर से जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि पिछले एक-दो दिनों में राज्य में मौसम ने करवट ली है और कई जिलों में अच्छी बारिश हुई है। वैसे सरकार सुखे से निपटने की तैयारी कर चुकी है।
किसानों को डीजल पर 50 रुपये प्रति लीटर का अनुदान
उन्होंने कहा कि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो इसके लिए सरकार सजग है। सरकार राज्य के किसानों को पहली बार डीजल पर 50 रुपये प्रति लीटर की दर से अनुदान दे रही है। सरकार ने व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए डीजल अनुदान की राशि 21 दिनों के अंदर सीधे उनके खाते में भेज रही है। उन्होंने बताया कि डीजल अनुदान के लिए अब तक 20,082 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं।
उच्चस्तरीय बैठक 31 जुलाई को
उन्होंने कहा कि 31 जुलाई को उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई है, जिसमें स्थिति की समीक्षा की जाएगी और अगर आवश्यकता होगी तो सुखा क्षेत्र घोषित करेगी।
राज्य में अभी तक 42 फीसदी बारिश कम
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू खरीफ सीजन में पहली जून से 25 जुलाई तक राज्य में सामान्य के मुकाबले 42 फीसदी बारिश कम हुई है। ............. आर एस राणा

केंद्रीय पूल से दलहन की बिक्री बढ़ायेगी सरकार, सरकारी गोदामों में 50 लाख टन से ज्यादा दालें

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्रीय पूल में दलहन का बंपर स्टॉक केंद्र सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में राज्यों की रुचि कम होने के कारण सरकार ने खुले बाजार में बिक्री बढ़ाने का निर्णय किया है। अक्टूबर में खरीफ दलहन की आवक चालू हो जायेगी, इसलिए सरकार नई फसल की आवक से पहले गोदामों को हल्का करना चाहती है।
केंद्र सरकार ने आनन-फानन में सार्वजनिक कंपनियों को दालों की बिक्री बढ़ाने का निर्देश जारी कर दिया है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू खरीफ में अभी तक दालों की बुवाई जरुर कम हुई है, लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में हुई भारी बढ़ोतरी से दलहन की कुल बुवाई ज्यादा होने का अनुमान है। ऐसे में आगामी खरीफ सीजन में दालों की समर्थन मूल्य पर खरीद भी ज्यादा होने का अनुमान है, इसीलिए केंद्रीय पूल से दालें की बिक्री बढ़ाने का फैसला किया गया है। कृषि मंत्रालय ने दालों की बिक्री बढ़ाने के लिए पहले आओ-पहले पाओ की नीति को अपनाने का निर्देश सार्वजनिक कंपनियों को दिया है।
उन्होंने बताया कि चना के भाव उत्पादक मंडियों में बढ़े हैं, इसलिए इसकी बिक्री खुले बाजार में जल्द शुरू की जायेगी, हालांकि उड़द की बुवाई चालू खरीफ में घटी है। इसलिए उड़द की ​बिक्री को 15 दिनों के लिए रोकने का निर्णय किया गया है। सरसों बेचने के लिए भी सरकार ने नेफेड से अगले तीन दिनों में प्रस्ताव देने का कहा गया है।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय पूल में दलहन का बंपर स्टॉक 50 लाख टन से ज्यादा है, इसमें सबसे ज्यादा चना का 27.39 लाख टन है, इसके अलावा अरहर का स्टॉक भी ज्यादा है। नेफेड के पास सरसों का 8.73 लाख टन का स्टॉक है जबकि मसूर का स्टॉक निगम के पास 2.43 लाख टन का है।
चालू खरीफ सीजन में दालों की बुवाई घटकर 82.41 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 100.04 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसलों अरहर की बुवाई चालू खरीफ में घटकर 28.60 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 31.87 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
उड़द की बुवाई पर चालू खरीफ में 28.88 फीसदी पिछड़ कर केवल 22.16 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 31.16 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मूंग की चालू खरीफ में 23.38 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 23.80 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।....   आर एस राणा

21 जुलाई 2018

देश के कई राज्यों में मानसून की बेरुखी, खरीफ फसलों की बुवाई 9 फीसदी पिछड़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में देश के कई राज्यों में मानसून की बेरुखी का असर फसलों की बुवाई पर पड़ा है। खरीफ की प्रमुख फसल धान, दलहन, तिलहन के साथ ही मोटे अनाज और कपास की बुवाई पिछे चल रही है। देशभर में अभी तक 631.53 लाख हैक्टेयर में ही खरीफ फसलों की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 696.35 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू खरीफ सीजन में पहली जून से 20 जुलाई तक उत्तर प्रदेश में 46 फीसदी कम, बिहार में 48 फीसदी कम और झारखंड में 42 फीसदी तथा पूर्वोतर के राज्यों में बारिश में भारी कमी आई है। इसी का असर फसलों की बुवाई पर पड़ा है। 
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 156.51 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 178.73 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से चालू खरीफ सीजन में दालों की बुवाई घटकर 82.41 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 100.04 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसलों अरहर और उड़द की बुवाई पिछे चल रही है जबकि मूंग की बुवाई पिछले साल की समान अवधि की तुलना में थोड़ी अधिक हुई है। 
मोटे अनाजों की बुवाई भी पिछड़ कर चालू खरीफ में अभी तक 118.84 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक मोटे अनाजों की बुवाई 132.88 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की बुवाई जरुर चालू सीजन में थोड़ी बढ़कर 61.35 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 61.32 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। बाजरा की बुवाई चालू सीजन में घटकर अभी तक केवल 40.66 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 54.87 लाख हैक्टेयर में बाजरा की बुवाई हो चुकी थी।
खरीफ तिलहनों की बुवाई भी चालू खरीफ में घटकर अभी तक केवल 123.58 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 123.69 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। हालांकि सोयाबीन की बुवाई जरुर चालू सीजन में बढ़कर 93.87 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुवाई केवल 84.64 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई घटकर चालू सीजन में अभी तक केवल 23.01 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में मूंगफली की बुवाई 29.8 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
कपास की बुवाई भी चालू खरीफ सीजन में 11.09 फीसदी पिछे चल रही है। अभी तक देशभर में कपास की बुवाई केवल 91.70 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 104.27 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। गन्ने की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 50.52 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक गन्ने की बुवाई 49.72 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।..............  
आर एस राणा

20 जुलाई 2018

चना समेत अन्य दलहन की कीमतों में और तेजी आने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चना समेत अन्य दलहनों अरहर, उड़द, मूंग तथा मसूर की कीमतों में तेजी बनी हुई है। उत्पादक मंडियों में आवक नहीं हो रही है जबकि कई राज्यों में बारिश की कमी के कारण दालों की बुवाई पिछड़ रही है। इसलिए इनकी मौजूदा कीमतों में अभी और तेजी बन सकती है।  गुरूवार को दिल्ली में चना के भाव बढ़कर 4,850 रुपये और मसूर के भाव 4,000 रुपये तथा अरहर के भाव 4,000 प्रति क्विंटल हो गए।
चालू रबी विपणन सीजन में सार्वजनिक कंपनियों ने एमएसपी पर 27.39 लाख टन चना और 2.43 लाख टन मसूर की खरीद की है तथा जब तक नेफेड की बिकवाली नहीं आयेगी, भाव तेज ही बने रहने का अनुमान है। आगे त्यौहारी सीजन होने के कारण दालों में मांग और बढ़ेगी। 
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन 2017—18 में चना का रिकार्ड 111.6 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है, जबकि मसूर का 15.1 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है। व्यापारियों का मानना है कि चना और मसूर का उत्पादन सरकारी अनुमान से कम हुआ है, इसीलिए उत्पादक मंडियों में आवक लगभग बंद हो गई है।..........  आर एस राणा

19 जुलाई 2018

गन्ना का एफआरपी 20 रुपये बढ़ाकर 13 रुपये वापिस लिए, किसान को मिलेंगे 7 रुपये

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार किसानों को एक हाथ से दे रही है, तो दूसरे हाथ से वापिस भी छीन ले रही है। गन्ना किसानों के साथ सरकार ने यही किया है। गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में केंद्र सरकार ने 20 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी कर 13 रुपये वापिस ले लिए हैं। इसलिए किसान को केवल 7 रुपये ही मिलेगा, क्योंकि सरकार ने गन्ने में रिकवरी की दर को 9.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है।
​पेराई सीजन 2017-18 में गन्ने का एफआरपी 255 रुपये प्रति क्विंटल 9.5 रिकवरी की दर पर था, इसलिए 10 फीसदी की रिकवरी पर गन्ना किसानों को 267 से 268 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिला है, जबकि आगामी पेराई सीजन में 10 फीसदी की रिकवरी पर किसान को 275 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति (सीसीआई) की बैठक में पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले पेराई सीजन 2018-19 के लिए गन्ने का एफआरपी 20 रुपये बढ़ाकर 275 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया है, इसमें सरकार ने गन्ने में रिकवरी की दर को 9.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है। सरकार द्वारा निर्धारित रिकवरी से ज्यादा आने पर किसान को 0.1 रिकवरी पर 2.68 रुपये प्रति क्विंटल की दर से चीनी मिलों के द्वारा भुगतान किया जाता है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी एम सिंह ने कहा कि गन्ने के एफआरपी में बढ़ोतरी मात्र दिखावा है, क्योंकि एफआरपी में सरकार ने 20 रुपये बढ़ाकर 13 रुपये वापिस ले लिए। इसलिए किसान को 7 रुपये प्रति क्विंटल से भी कम मिलेगा। उन्होनें कहा कि प्रधानमंत्री को किसानों को इस ऐतिहासिक फैसले की जानकारी भी देनी चाहिए कि हमने एफआरपी में 7 रुपये की बढ़ोतरी कर दी है। डीजल, खाद, बीज और कीटनाशकों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी की तुलना में गन्ने के एफआरपी में बढ़ोतरी उंट के मुंह में जीरा है।
केंद्र सरकार गन्ने का एफआरपी तय करती है। महाराष्ट्र और कर्नाटका के अलावा कई राज्यों में चीनी मिलें गन्ने की खरीद एफआरपी पर करती हैं जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में राज्य सरकारें राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) भी तय करती है तथा खरीद एसएपी के आधार पर करती है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में गन्ने की बुवाई बढ़कर 50.52 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले पेराई सीजन में इसकी बुवाई 49.72 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। बुवाई में हुई बढ़ोतरी से उद्योग के अनुसार आगामी पेराई सीजन में भी चीनी का रिकार्ड 350 से 355 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है। ऐसे में किसानों को आगामी पेराई सीजन में भी बकाया राशि के लिए दो-चार होना पड़ सकता है। चालू पेराई सीजन में किसानों का चीनी मिलों पर अभी भी बकाया 19,000 करोड़ से ज्यादा का बचा हुआ है।...... 
आर एस राणा

यूपी, बिहार, झारखंड में बारिश की कमी से हालात चिंताजनक, खरीफ फसलों की बुवाई होगी प्रभावित

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई क्षेत्रों में जहां भारी बारिश से बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं, वहीं देशभर के 23 फीसदी इलाकों में बारिश सामान्य से कम हुई है। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में अभी तक सामान्य से 40 फीसदी कम बारिश होने से हालात चिंतानजक बने हुए हैं। बारिश की कमी के कारण खरीफ की प्रमुख फसल धान के साथ ही दलहनी फसलों की बुवाई प्रभावित हो रही है।
मानसून सीजन के करीब पौने दो महीने बीतने के बावजूद भी कई राज्यों में बारिश सामान्य से कम हुई है जिसका असर खरीफ फसलों की बुवाई पर पड़ेगा। मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू खरीफ सीजन में पहली जून से 17 जुलाई तक उत्तर प्रदेश में सामान्य के मुकाबले 45 फीसदी कम, झारखंड में 40 फीसदी कम और बिहार में 44 फीसदी कम बारिश हुई है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में 24 फीसदी कम, मणिपुर में 69 फीसदी कम, मेघालय में 42 फीसदी कम, नागालैंड में 38 फीसदी कम, अरुणाचल प्रदेश में 32 फीसदी कम, असम में 26 फीसदी कम और हरियाणा में 16 फीसदी कम तथा उत्तराखंड में 9 फीसदी कम बारिश हुई है। देशभर में चालू मानसूनी सीजन में सामान्य के मुकाबले 2 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई।
आईएमडी के अनुसार महाराष्ट्र में चालू खरीफ में सामान्य से 41 फीसदी ज्यादा, राजस्थान में 15 फीसदी ज्यादा, पंजाब में 21 फीसदी ज्यादा और मध्य प्रदेश में 5 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में फसलों की बुवाई 10.1 फीसदी पिछड़ कर 501.67 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 557.49 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। खरीफ की प्रमुख फसल धान के साथ ही दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की बुवाई में चालू खरीफ में कमी आई है।... आर एस राणा

18 जुलाई 2018

गन्ने का एफआरपी 275 रुपये तय करने का प्रस्ताव,​ रिकवरी की दर बढ़ाकर 10 फीसदी की

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से शुरू होने वाले गन्ना पेराई सीजन 2018-19 के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 20 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 275 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की गई है। सीएसीपी ने ​आगामी पेराई सीजन के लिए रिकवरी की दर को 9.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ष्ठ अधिकारी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 18 जुलाई को होने वाली आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति (सीसीआई) की बैठक में आगामी पेराई सीजन के लिए गन्ने का एफआरपरी घोषित होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने आगामी पेराई सीजन के लिए गन्ने के एफएफआरपी में 20 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 275 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की है, इसमें गन्ने में रिकवरी की दर को बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है। पिछले पेराई सीजन में गन्ने का एफआरपी 255 रुपये प्रति क्विंटल था तथा रिकवरी की औसत दर 9.5 फीसदी थी।
राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी एम सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अपने आप को ऐतिहासिक फैसले लेने वाली पार्टी बता रही है जबकि गन्ने के एफआरपी में 20 रुपये की बढ़ोतरी में से किसान को केवल 7 से 8 रुपये प्रति क्विंटल का ही लाभ होगा। उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन में गन्ने का एफआरपी 255 रुपये प्रति क्विंटल है, तथा रिकवरी की दर 9.5 फीसदी है। इस ​आधार पर 10 फीसदी की रिकवरी पर किसानों को 267 से 268 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मिला है, जबकि आगामी पेराई सीजन में 10 फीसदी की रिकवरी पर किसान को 275 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा। ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा जो 20 रुपये की बढ़ोतरी की गई है, उसमें किसान को केवल 7-8 रुपये प्रति क्विंटल ही चालू पेराई सीजन से ज्यादा मिलेंगे जोकि 3 फीसदी से भी कम है।
केंद्र सरकार गन्ने का एफआरपी तय करती है, जबकि उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में राज्य सरकारें राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) भी तय करती है जोकि आमतौर पर एफआरपी से ज्यादा होता है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में गन्ने की बुवाई बढ़कर 50.52 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले पेराई सीजन में इसकी बुवाई 49.72 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 321 लाख टन से ज्यादा का हो चुका है, जबकि बुवाई में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए उद्योग ने आगामी पेराई सीजन में 350 से 355 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान लगाया है। बंपर उत्पादन अनुमान से आगामी पेराई सीजन में गन्ना किसानों की मुश्किल और बढ़ सकती है। चालू पेराई सीजन में गन्ना की पेराई बंद हो चुकी है जबकि किसानों का चीनी मिलों पर बकाया अभी भी 19,000 करोड़ से ज्यादा का बचा हुआ है।............  आर एस राणा

खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात जून में 23 फीसदी घटा, आयात शुल्क में बढ़ोतरी एवं मजबूत डॉलर का असर

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा आयात शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती से जून में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 23 फीसदी घटकर 10,42,003 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल जून महीने में इनका आयात 13,44,868 टन का हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2017-18 (नवंबर-17 से अक्टूबर-18) के पहले 8 महीनों नवंबर से जून के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का कुल आयात 2.2 फीसदी घटकर 96,46,538 टन का ही हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की सामान अवधि में इनका आयात 98,67,572 टन का हुआ था। एसईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि हाल में केंद्र सरकार ने आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी, जबकि रुपये की तुलना में डॉलर मजबूत बना हुआ है। इसीलिए आयातित खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में कमी आई है। सोमवार को डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की कमजोरी आई है और एक डॉलर की कीमत 68.75 रुपये के पार चली गई।
एसईए के अनुसार मई के मुकाबले जून में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई। जून में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन का भाव घटकर 631 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि मई में इसका भाव 661 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव इस दौरान 652 डॉलर प्रति टन से घटकर 623 डॉलर प्रति टन रह गया। घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी-मंदी आगामी दिनों रुपये के मुकाबले डॉलर की स्थिति पर निर्भर करेगी।..............  आर एस राणा

बुवाई में बढ़ोतरी एवं अनुकूल मौसम से चीनी का रिकार्ड 350 लाख टन से ज्यादा उत्पादन का अनुमान-उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। गन्ने की बुवाई में हुई बढ़ोतरी के साथ ही अनुकूल मौसम से पेराई सीजन 2018-19 में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 350-355 लाख टन होने का अनुमान है जोकि चालू पेराई सीजन 2017-18 के 322.5 लाख टन से 28 से 30 लाख टन ज्यादा है। चीन के रिकार्ड उत्पादन अनुमान से गन्ना किसानों की मुश्किल आगामी पेराई सीजन में बकाया के रुप में और बढ़ सकती है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (इस्मा) के अनुसार चालू सीजन में गन्ने की बुवाई बढ़कर 54.35 लाख हैक्टेयर होने का अनुमान है जोकि पेराई सीजन 2017-18 की तुलना में 8 फीसदी अधिक है। पिछले खरीफ सीजन में गन्ने की बुवाई 50.42 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
इस्मा के अनुसार सबसे बड़े उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में पहली अक्टूबर 2018 से शुरू होने वाले पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर रिकार्ड 130 से 135 लाख टन होने का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन 2017-18 में राज्य में चीनी का 120.5 लाख टन का उत्पादन हुआ है। राज्य में गन्ने की बुवाई बढ़कर चालू सीजन में 23.40 लाख हैक्टेयर होने का अनुमान है जोकि चालू पेराई सीजन के 23.30 लाख हैक्टेयर से ज्यादा है।
महाराष्ट्र में आगामी पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 110 से 115 लाख टन होने का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन में राज्य में 107.15 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। उद्योग के अनुसार चालू खरीफ में राज्य में गन्ने की बुवाई 9.15 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 11.42 लाख हैक्टेयर में होने का अनुमान है। इसी तरह से कर्नाटक में आगामी पेराई सीजन 2018-19 में चीनी का उत्पादन बढ़कर 44.80 लाख टन होने का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन में राज्य में 36.54 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। तमिलनाडु में भी पेराई सीजन 2018-19 में चीनी का उत्पादन बढ़कर 2.60 लाख टन होने का अनुमान है जबकि चालू पेराई सीजन में 2.01 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।
इस्मा के अनुसार पहली अक्टूबर 2017 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में 30 जून तक चीनी का उत्पादन 321.95 लाख टन का हो चुका है जबकि सीजन के आखिर सितंबर तक उत्पादन 50 से 60 हजार टन का और होने का अनुमान है।............  आर एस राणा

14 जुलाई 2018

उत्तर प्रदेश और सौराष्ट्र में सूखे जैसे हालात, कपास और मूंगफली समेत कई फसलों पर पड़ेगा असर

आर एस राणा
नई दिल्ली। मानसून सीजन का डेढ़ महीना समाप्त होने वाला है, जबकि देशभर के आधे से ज्यादा राज्यों में बारिश सामान्य से कम हुई है। उत्तर प्रदेश और गुजरात के सौराष्ट्र में मानसूनी बारिश सामान्य से क्रमश: 54 और 72 फीसदी कम होने से सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। बारिश की कमी का असर कपास, दलहन, मूंगफली, केस्टर सीड और धान की फसल पर पड़ने की आशंका है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने आरंभिक अनुमान में चालू खरीफ में मानसूनी बारिश सामान्य होने की भविष्यवाणी की थी। मानसून का आगमन भी केरल में तय समय से 3 दिन पहले हो गया था, लेकिन देशभर के आधे से अधिक राज्यों में बारिश सामान्य से कम होने के कारण फसलों की बुवाई पर विपरित असर पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश के साथ झारखंड, मणिपुर और गुजरात के सौराष्ट्र के हालात ज्यादा ही खराब हैं।
आधे से अधिक राज्यों में बारिश सामान्य से कम
आईएमडी के अनुसार गुजरात के सौराष्ट्र में चालू खरीफ में सामान्य के मुकाबले 72 फीसदी कम बारिश हुई है जबकि पूरे गुजरात में पहली जून से 11 जुलाई के दौरान सामान्य की तुलना में 43 फीसदी कम बारिश हुई है। उत्तर प्रदेश में इस दौरान सामान्य की तुलना में 54 फीसदी कम, झारखंड में 39 फीसदी कम, बिहार में 32 फीसदी, ओडिशा में 26 फीसदी, मणिपुर में 66 फीसदी, मेघालय और नागालैंड में 39-39 फीसदी, दिल्ली में 38 फीसदी और पश्चिम बंगाल में 21 फीसदी, अरूणाचल प्रदेश में 26 फीसदी, असम में 25 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 15 फसीदी, मध्य प्रदेश में 6 फीसदी, उत्तराखंड में 10 फीसदी और हरियाणा में सामान्य की तुलना में 7 फीसदी कम बारिश हुई है।
गुजरात में खरीफ फसलों की बुवाई में भारी कमी
गुजरात कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में राज्य में फसलों की बुवाई केवल 27.64 फीसदी यानि 23.67 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में इस समय तक 45.74 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। राज्य की खरीफ की प्रमुख फसल कपास की बुवाई चालू सीजन में अभी तक केवल 11.44 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 19.90 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से मूंगफली की बुवाई चालू खरीफ में घटकर गुजरात में केवल 5.17 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 12.87 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
देशभर में खरीफ फसलों की बुवाई 14 फीसदी पिछड़ी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई में 14.17 फीसदी की कमी आकर कुल बुवाई 333.78 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 388.88 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। चालू खरीफ में जहां कपास की कुल बुवाई में अभी तक 24 फीसदी की कमी आई है, वहीं धान की रोपाई में 15 फीसदी और दालों की बुवाई में 19.36 फीसदी की कम दर्ज की गई।............  आर एस राणा

खरीफ फसलों की बुवाई 10 फीसदी पिछड़ी, देशभर में मानसूनी बारिश 6 फीसदी कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू सीजन में पहली जून से 13 जुलाई तक देशभर में मानसूनी बारशि 6 फीसदी कम होने से खरीफ फसलों की बुवाई 10.1 फीसदी पिछे चल रही है। देशभर में अभी तक 501.67 लाख हैक्टेयर में ही खरीफ फसलों की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 557.49 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 116.72 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 126.92 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। इसी तरह से चालू खरीफ सीजन में दालों की बुवाई घटकर 60.56 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 66.97 लाख हैक्टेयर में दालों की बुवाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसलों अरहर और मूंग की बुवाई पिछे चल रही है जबकि उड़द की बुवाई में पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी हुई है।
मोटे अनाजों की बुवाई भी पिछड़ कर चालू खरीफ में अभी तक 92.46 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक मोटे अनाजों की बुवाई 110.76 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की बुवाई जरुर चालू सीजन में बढ़कर 51.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 50.80 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। बाजरा की बुवाई चालू सीजन में घटकर अभी तक केवल 27.39 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 47 लाख हैक्टेयर में बाजरा की बुवाई हो चुकी थी।
​खरीफ तिलहनों की बुवाई भी चालू खरीफ में घटकर अभी तक केवल 96.96 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 105.26 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। हालांकि सोयाबीन की बुवाई जरुर चालू सीजन में बढ़कर 76.50 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक सोयाबीन की बुवाई केवल 73.87 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई घटकर चालू सीजन में अभी तक केवल 15.90 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में मूंगफली की बुवाई 25 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
कपास की बुवाई भी चालू खरीफ सीजन में 14.72 फीसदी पिछे चल रही है। अभी तक देशभर में कपास की बुवाई केवल 77.50 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 90.88 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। गन्ने की बुवाई चालू खरीफ सीजन में बढ़कर 50.52 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक गन्ने की बुवाई 49.72 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।........... आर एस राणा

तिमाही आधार पर गेहूं के भाव 25 रुपये बढ़ायेगी सरकार, जुलाई-सितंबर के लिए 1,900 रुपये का भाव तय

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं बेचने के लिए हर तिमाही में 25-25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करेगी। दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर के लिए गेहूं का बिक्री भाव 1,900 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, तथा 19 जुलाई 2018 से ​बिक्री शुरू करेगी।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री तिमाही के आधार पर की जायेगी। अप्रैल से जून की पहली​ तिमाही समाप्त हो चुकी है इसलिए जुलाई से सितंबर की ​दूसरी तिमाही के लिए ओएमएसएस के तहत गेहूं का बिक्री भाव 1,900 रुपये, अक्टूबर से दिसंबर के दौरान तीसरी तिमाही के लिए बिक्री भाव 1,925 रुपये और जनवरी से मार्च के दौरान चौथी तिमाही में 1,950 रुपये प्रति क्विंटल की दर का भाव तय किया गया है। पिछले साल ओएमएसएस के तहत 1,790 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचा गया।
उन्होंने बताया कि ओएमएसएस के तहत गेहूं का बिक्री भाव एक्स लुधियाना तय किया गया है, डेडीकेट मुवमेंट के आधार पर गेहूं की बिक्री केवल पंजाब और हरियाणा से ही की जायेगी, मध्य प्रदेश से डेटीकेंट मुवमेंट के आधार पर गेहूं ​नहीं बेचा जायेगा।
ओएमएसएस में ​बिक्री ज्यादा होने का अनुमान
गेहूं कारोबारी संदीप बंसल ने बताया कि दिल्ली में गेहूं के भाव शुक्रवार को 1,900 रुपये प्रति क्विंटल रहे। सरकार ओएमएसएस के तहत 1,900 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचेगी, इसलिए गेहूं के मौजूदा भाव में 50 से 75 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है। 
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ओएमएसएस के तहत पिछले साल 14.21 लाख टन गेहूं की बिक्री ही हुई थी। चालू सीजन में केंद्रीय पूल में गेहूं ज्यादा है, जबकि स्टॉकिस्टों के पास स्टॉक कम है इसलिए ओएमएसएस के तहत ​गेहूं की बिक्री ज्यादा होगी।
लागत की तुलना में 624 रुपये कम
एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की खरीद पर 2,524 रुपये प्रति क्विंटल की लागत आई है। लागत की तुलना में खुले बाजार में 624 रुपये प्रति क्विंटल नीचे भाव पर गेहूं बेचा जायेगा। पिछले रबी सीजन में लागत 2,445.62 रुपये प्रति क्विंटल की आई थी। 
सरकारी खरीद में हुई बढ़ोतरी
चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की सरकारी खरीद बढ़कर 355.22 लाख टन की हुई है जबकि पिछले रबी सीजन में इसकी खरीद केवल 308.25 लाख टन की ही हुई थी।
केंद्रीय पूल में गेहूं का बंपर स्टॉक
केंद्रीय पूल में पहली जून को 437.55 लाख टन गेहूं का बंपर स्टॉक मौजूद था, जबकि पिछले साल इस समय केवल 334.40 लाख टन का ही था।
एमएसपी में की थी 110 रुपये की बढ़ोतरी
केंद्र सरकार रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 110 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,735 रुपये प्
रति क्विंटल तय किया है, जबकि पिछले रबी विपणन सीजन के लिए गेहूं का एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल था।..............  आर एस राणा

12 जुलाई 2018

किसानों ने रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन कर देश के अन्न भंडारों को भरा-प्रधानमंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को पंजाब के मलोट में किसान रैली को संबोधित करते हुए कि बीते चार साल में किसानों ने देश के अन्न भंडारों को भर दिया। इस दौरान गेहूं के साथ ही धान, चीनी, कपास और दलहन का रिकार्ड उत्पादन किया। देश का किसान लगातार मेहनत करता आ रहा है लेकिन किसानों पर दशकों तक ध्यान नहीं दिया गया।
रैली में पीएम मोदी ने कहा कि सिख समुदाय आज सीमा की रक्षा हो या फिर खाद्य सुरक्षा हो हर जगह प्रेरणा दी है। पंजाब ने हमेशा खुद से पहले देश के लिए सोचा है। पिछले 4 साल में जिस प्रकार से देश के किसानों ने रिकॉर्ड खाद्यान्न पैदावार करके अन्न भंडारों को भरा है उसके लिए मैं देश के किसानों को नमन करता हूं। 
मोदी ने कहा कि हमारी सरकार ने फसलों का दाम लागत से डेढ़ गुना एमएसपी करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) इतने बढ़ाये गए हैं कि किसानों को लागत का 50 फीसदी लाभ मिलना तय है। उन्होंने कहा कि एक क्विटंल धान पर लागत 1,150 रुपये प्रति क्विंटल की आती है और समर्थन मूल्य 1,750 किया गया है।
उन्होंने कहा कि मक्के दी रोटी और सरसों का साग दुनिया में पंजाब का ब्रांड है, मक्के के एमएसपी में पौने तीन सौ रुपये की बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहा कि जब से हमने यह फैसला लिया है तभी से कांग्रेसियों और उनके सहयोगियों की नींद उड़ी हुई है। उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि जिस फाइल को वो दबाए हुए थे, वो इस सरकार ने पूरी कैसे कर दी? यही कारण है कि वो अब नई-नई अफवाहें और कुतर्क गढ़ने में जुटे हैं। उन्होंने कहा कि यह कितनी भी कोशिश कर लें, लेकिन हमारे इरादे इससे और मज़बूत ही होंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। देश में अभी तक 15 करोड़ से ज्यादा स्वायल हेल्थ कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। बीज से लेकर बाजार तक एक व्यापक रणनीति के तहत कार्य किया जा रहा हैं। फसल की तैयारी से लेकर बाजार में बिक्री तक आने वाली हर समस्या के समाधान के लिए एक के बाद एक कदम उठाये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एक दौर वो था जब यूरिया किसानों के बजाय दूसरी जगहों पर पहुंच जाता था। किसानों को यूरिया के लिए लाठी खानी पड़ती थीं, लेकिन यूरिया की 100% नीम कोटिंग कर हमने इस बेईमानी को रोका और आज पर्याप्त मात्रा में यूरिया आपको मिल रहा है।
मोदी ने कहा कि बीते 70 साल में जिस पार्टी पर किसानों ने भरोसा किया था, उस पार्टी ने किसानों की इज्जत नहीं की। इस दौरान सिर्फ एक परिवार की चिंता की गई। उन्होंने कहा कि हर तरह की सुविधाएं सिर्फ एक परिवार को दी गई और किसानों की मेहनत को दरकिनार किया गया था।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने सिर्फ किसानों को धोखा देने का काम किया है, लेकिन जब से हमारी सरकार आई है तभी से हमने किसान और जवान का ध्यान रखा और उनसे किए हुए वादों को पूरा किया। उन्होंने कहा कि 40 साल तक कांग्रेस को वन रैंक वन पेंशन लागू करने की हिम्मत नहीं थी, लेकिन हमने किया।.....  आर एस राणा

चीनी पर नहीं लगेगा सेस, भाव बढ़ने से चीनी मिलों की माली हालत में हुआ सुधार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी पर सेस लगाने का प्रस्ताव खारिज हो गया है। असम के वित्त मंत्री हेमंत विश्व शर्मा की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह की बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक में इस पर फैसला लिया गया। सूत्रों के अनुसार चीनी की कीमतों में आये सुधार से मिलों की माली हालत में सुधर गई है। इसलिए चीनी पर सेस लगाने की जरुरत नहीं है।
चालू पेराई सीजन में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 315 लाख टन से ज्यादा का हुआ है जिससे चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि 22 हजार करोड़ रुपये के पार पहुंच गई थी। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी ​के न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये प्रति किलो तय करने के साथ ही चीनी बेचने के लिए कोटा प्रणाली लागू की। इसके अलावा चीनी आयात पर जहां आयात शुल्क को बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया, वहीं निर्यात पर शुल्क को भी शून्य कर दिया। 
सूत्रों के अनुसार चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव तय करने से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी आई है। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी पर सेस लगाने का जो प्रस्ताव रखा था, इस पर पहले भी मंत्रियों के समूह की बैठक में फैसला नहीं हो पाया था। सूत्रों के अनुसार चीनी पर सेस लगाने को लेकर सरकार के भीतर ही मतभेद थे।  ....  आर एस राणा

11 जुलाई 2018

गेहूं की कीमतों में तेजी आने की संभावना, आयात पड़ते नहीं लगेंगे

आर एस राणा
नई दिल्ली। फ्लोर मिलों की मांग बढ़ने से घरेलू मंडियों में गेहूं की कीमतों में पिछले दो दिनों में 50 रुपये की तेजी तेजी आई है। मंगलवार को दिल्ली में गेहूं के भाव बढ़कर 1,830 से 1,840 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। खाद्य मंत्रालय द्वारा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं के बिक्री भाव 1,890 रुपये प्रति क्विंटल तय करने का प्रस्ताव है इसलिए घरेलू मंडियों में गेहूं की कीमतों में और भी 75 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है हालांकि भाव में तेजी आने के बाद भी आयात पड़ते लगने की संभावना नहीं है।
आयात होने की संभावना नहीं
बंगलुरु स्थिर गेहूं कारोबारी नवीन गुप्ता ने बताया कि यूक्रेन से आयातित लाल गेहूं के भाव भारतीय बंदरगाह पर 228 डॉलर प्रति टन बोले जा रहे हैं, जबकि गेहूं के आयात पर 30 फीसदी आयात शुल्क है। इसमें लोकल खर्च मिला दे तो, इसका भाव 2,375 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल हो जाता है जबकि इस समय उत्तर प्रदेश से बंगलुरु पहुंच 2,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापार हो रहा है। इसलिए घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में और भी 75 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने के बाद भी आयात पड़ते नहीं लगेंगे।
भाव में आयेगी तेजी
केंद्र सरकार 1,890 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचेगी तो, बंगलुरु पहुंच इसका भाव 2,200 से 2,210 रुपये प्रति क्विंटल होगा जबकि इस समय भाव 2,100 रुपये प्रति क्विंटल हैं। इसलिए घरेलू मंडियों में गेहूं के भाव में और भी 75 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आने का अनुमान है।
ओएमएसएस में गेहूं की बिक्री बढ़ने का अनुमान 
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री 1,890 रुपये प्रति क्विंटल करने का प्रस्ताव है, जबकि पिछले साल इसके तहत 1,780 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचा था। गेहूं व्यापारी संदीप बंसल ने बताया कि पिछले साल मंडियों में गेहूं का स्टॉक ज्यादा था, लेकिन चालू सीजन में केंद्र सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ज्यादा खरीद की है, जिस कारण उत्पादक राज्यों की मंडियों में बकाया स्टॉक कम है, इसलिए ओएमएसएस के तहत 70 से 80 लाख टन गेहूं की बिक्री होने का अनुमान है। पिछले साल ओएमएसएस के तहत 14.21 लाख टन गेहूं की ​ही बिक्री हुई थी।
सरकारी खरीद ज्यादा हुई
चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की सरकारी खरीद बढ़कर 355.22 लाख टन की हुई है जबकि पिछले रबी सीजन में इसकी खरीद केवल 308.25 लाख टन की ही हुई थी।
केंद्रीय पूल में बंपर स्टॉक
केंद्रीय पूल में पहली जून को 437.55 लाख टन गेहूं का बंपर स्टॉक मौजूद था, जबकि पिछले साल इस समय केवल 334.40 लाख टन का ही था।
आयात शुल्क में की थी बढ़ोतरी 
केंद्र सरकार ने 23 मई 2018 को गेहूं के आयात शुल्क को 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी किया था।...........  आर एस राणा

एमएसपी पर चना और मसूर की रिकार्ड 29.82 लाख टन की हो चुकी है खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में चना और मसूर की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 29.82 लाख टन चना और मसूर की रिकार्ड खरीद हो चुकी है, इसमें 27.39 लाख टन चना और 2.43 लाख टन मसूर है।
नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू रबी में चना की समर्थन मूल्य पर 27.39 लाख टन की खरीद हो चुकी है, इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की 15.91 लाख टन और राजस्थान की 5.79 लाख टन की है। इसी तरह से चालू रबी में एमएसपी पर 2.43 लाख टन मसूर की खरीद हुई है जिसमें मध्य प्रदेश से 2.29 लाख टन है, तथा उत्तर प्रदेश से समर्थन मूल्य पर केवल 13,698 टन मसूर ही खरीदी गई है।
चना के साथ ही मसूर की कीमतों में तेजी बनी हुई है, जानकारों के अनुसार दालों में मांग आगे और बढ़ेगी है जबकि उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक बंद हो चुकी है। इसलिए आगामी दिनों में चना और मसूर के साथ ही अन्य दालों की कीमतों में और भी तेजी आने का अनुमान है। ..............  आर एस राणा

10 जुलाई 2018

केंद्र की सख्ती से दलहन आयात 82 फीसदी घटा, भाव में आगे सुधार आने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। दलहन आयात पर केंद्र सरकार द्वारा सख्ती करने से आयात में तो भारी ​कमी आई है। हालांकि अभी भी उत्पादक मंडियों में भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं, लेकिन आगे मांग बढ़ने की संभावना है, जिससे इनकी कीमतों में सुधार आयेगा। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में दालों का आयात 82 फीसदी घटकर 1.87 लाख टन का हुआ है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चना, मसूर और मटर के आयात शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही अरहर, उड़द और मूंग के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध से दालों के आायात में भारी ​कमी आई है। चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-मई में आयात घटकर 1.87 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में 10.14 लाख टन दालों का आयात हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में दलहन का आयात 545 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 3,769 करोड़ रुपये का आयात हुआ था।
मंडियों में भाव एमएसपी से नीचे
उत्पादक राज्यों की मंडियों में दलहन के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे होने के कारण किसानों को अपनी फसल समर्थन मूल्य से नीचे ही बेचनी पड़ी है। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना का एमएसपी केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए 4,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है लेकिन किसानों ने अपनी फसल 3,200 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेचनी पड़ी। इसी तरह से मसूर का एमएसपी 4,250 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि मंडियों में मसूर 3,200 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बिकी।
दलहन के भाव में आयेगा सुधार
चना समेत अन्य दलहन में मांग अच्छी बनी हुई है, आगे त्यौहारी सीजन होने के कारण मांग और बढ़ेगी, इसलिए चना समेत सभी दालों के भाव में और सुधार आने का अनुमान है। व्यापारियों के अनुसार चना की कीमतों में आगामी दिनों में 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल तक की तेजी बन सकती है। 
वित्त वर्ष 2013-14 के बाद पहली बार 2017-18 में आयात घटा
वित्त वर्ष 2017-18 में दालों का आयात 15 फीसदी घटकर 56 लाख टन का ही हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में 66.08 लाख टन दलहन का रिकार्ड आयात हुआ था। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वित्त वर्ष 2013-14 में दालों का आयात 36.5 लाख टन का हुआ था, उसके बाद से लगातार आयात में बढ़ोतरी हो रही थी। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा आयात पर सख्ती और घरेलू बाजार में बंपर उत्पादन के कारण ही आयात में कमी आई है। वित्त वर्ष 2015-16 में 59.97 लाख टन दालों का आयात हुआ था, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर यह रिकार्ड 66.08 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया।
उत्पादन अनुमान ज्यादा
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दालों की रिकार्ड पैदावार 245.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल दालों का 231.3 लाख टन का उत्पादन हुआ था। ......  आर एस राणा

सोयाबीन के निर्यात में हुई बढ़ोतरी, बकाया स्टॉक में कमी आने की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2017-18 के अक्टूबर से जून के दौरान सोयाबीन का निर्यात बढ़कर 2.19 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 2.04 लाख टन का ही हुआ था। निर्यात में बढ़ोतरी के साथ घरेलू खपत ज्यादा होने से नई फसल के समय उत्पादक मंडियों में सोयाबीन का बकाया स्टॉक कम बचने की संभावना है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (सोपा) के अनुसार अक्टूबर से जून के दौरान 75 लाख टन सोयाबीन की आवक हो चुकी है तथा मंडियों में करीब 14.61 लाख टन का बकाया स्टॉक ही बचा हुआ है। जुलाई-अगस्त में करीब 11-12 लाख टन की खपत होने का अनुमान है इसलिए बकाया स्टॉक 4 लाख टन से कम ही बचने की उम्मीद है। पिछले साल नई फसल की आवक के समय उत्पादक मंडियों में सोयाबीन का बकाया स्टॉक 13 लाख टन का बचा था।
सोपा के अनुसार सोया डीओसी का निर्यात घटकर चालू फसल सीजन में अक्टूबर से जून के दौरान 13.61 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 16.34 लाख टन का हुआ था। चालू फसल सीजन में सोया डीओसी का कुल निर्यात 15 लाख टन होने का अनुमान है।
सोपा के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में सोयाबीन का उत्पादन 83.50 लाख टन का हुआ था, जबकि बकाया स्टॉक 13 लाख टन को मिलाकर कुल उपलब्धता 96.50 लाख टन की बैठी थी।...............  आर एस राणा

07 जुलाई 2018

खरीफ फसलों की बुवाई 14 फीसदी पिछड़ी, देशभर में मानसूनी बारिश 7 फीसदी कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में देशभर में मानसूनी बारिश 7 फीसदी कम होने से खरीफ फसलों की बुवाई में 14.17 फीसदी की कमी आकर कुल बुवाई 333.78 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 388.88 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। खरीफ फसलों की बुवाई बारिश पर निर्भर होने के कारण आगे मानसून की चाल पर ही निर्भर करेगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू सीजन में अभी तक केवल 67.25 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 79.08 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। खरीफ दलहनी फसलों की बुवाई भी चालू सीजन में घटकर 33.60 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 41.67 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसलों अरहर, उड़द और मूंग की बुवाई पिछले साल की तुलना में पिछे चल रही है।
मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ में घटकर 57.35 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 66.27 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में मक्का की बुवाई 35.90 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 38.75 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। बाजरा की बुवाई भी पिछले साल की तुलना में पिछड़ी है।
तिलहनी फसलों की बुवाई भी चालू खरीफ में घटकर अभी तक केवल 63.59 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय इनकी बुवाई 73.45 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। ​खरीफ तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन की बुवाई अभी तक केवल 51.64 लाख हैक्टेयर में और मूंगफली की 9.39 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है। पिछले साल इस समय इनकी बुवाई क्रमश: 53.70 और 16.57 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
कपास की बुवाई भी चालू खरीफ सीजन में घटकर 54.60 लाख हैक्टेयर में हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 71.82 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। गन्ने की बुवाई जरुर चालू खरीफ में बढ़कर 50.44 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 49.64 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। .............  आर एस राणा

ओएमएसएस के तहत गेहूं बिक्री होगी ज्यादा, फ्लोर मिलों को 1,890 रुपये गेहूं बेचेगी सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की बंपर खरीद 355.22 लाख टन हुई है जिस कारण उत्पादक राज्यों में स्टॉक कम है। सितंबर-अक्टूबर में फ्लोर मिलों को केंद्रीय पूल से गेहूं की खरीद करनी होगी, इसलिए चालू सीजन में खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के गेहूं की बिक्री ज्यादा होगी। चालू सीजन में ओएमएसएस के तहत गेहूं बेचने के लिए 1,890 रुपये प्रति क्विंटल का भाव तय किए जाने की संभावना है।
प्रवीन कार्मिशयल कंपनी के प्रबंधक नवीन गुप्ता ने बताया कि दक्षिण भारत के साथ ही महाराष्ट्र और गुजरात में गेहूं की आपूर्ति इस समय उत्तर प्रदेश से हो रही है। उत्तर प्रदेश से बंगलुरु पहुंच गेहूं के भाव शुक्रवार को 2,060 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश से चालू रबी में एफसीआई ने रिकार्ड 50.87 लाख टन गेहूं की खरीद की है, इसलिए उत्पादक मंडियों में स्टॉक कम बचा हुआ है। ऐसे में सितंबर में फ्लोर मिलों को केंद्रीय पूल से ही गेहूं की खरीद करनी होगी। केंद्रीय पूल से 1,890 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदने पर बंगुलरू पहुंच भाव 2,200 से 2,210 रुपये प्रति क्विंटल (परिवहन एवं अन्य खर्च) होगा। इसलिए घरेलू बाजार में आगे गेहूं की कीमतों में तेजी आने का अनुमान है।
आयात की संभावना नहीं
यूक्रेन से आयातित लाल गेहूं के भाव 228 से 230 डॉलर प्रति टन (एफओबी) तूतीकोरन बंदरगाह पहुंच है जबकि आस्ट्रेलियाई गेहूं के भाव 268 से 270 डॉलर प्रति टन (एफओबी) है। केंद्र सरकार ने 30 फीसदी आयात शुल्क लगा रखा है इसलिए आयात पड़ते नहीं लगेंगे।
ओएमएसएस के तहत बिक्री होगी ज्यादा
गेहूं कारोबारी कमलेश जैन ने बताया कि दिल्ली में गेहूं का भाव 1,790 से 1,800 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्पादक राज्यों में बकाया स्टॉक कम है इसलिए आगामी महीनों में केंद्रीय पूल से ही खरीद करनी होगी। केंद्रीय पूल से गेहूं का बिक्री भाव ज्यादा है, इसलिए गेहूं की कीमतों में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी बन सकती है। चालू सीजन में ओएमएसएस के तहत गेहूं का उठाव बढ़कर 50 लाख टन से ज्यादा ही होने का अनुमान है। एफसीआई के अनुसार फसल सीजन 2016-17 में इसके तहत केवल 14.21 लाख टन गेहूं का ही उठाव हुआ था।
ओएमएसएस में ​1,890 रुपये बिक्री भाव हो सकता है तय
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ओएमएसएस के तहत गेहूं बेचने के लिए 1,890 रुपये प्रति क्विंटल का भाव तय करने की योजना है तथा चालू महीने के आखिर तक बिक्री शुरू कर दी जायेगी। पिछले साल ओएमएसएस के तहत जून में ही गेहूं की बिक्री शुरू हो गई थी। ओएमएसएस के तहत गेहूं बेचने के लिए 1,890 रुपये प्रति क्विंटल का भाव लुधियाना के आधार पर तय किया जायेगा, इसमें परिवहन लागत एवं अन्य खर्च खरीददार के होंगे। पिछले साल ओएमएसएस के तहत 1,790 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचा गया था।
लागत की तुलना में 634 रुपये कम
एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की खरीद पर 2,524 रुपये प्रति क्विंटल की लागत आई है। लागत की तुलना में खुले बाजार में 634 रुपये प्रति क्विंटल नीचे भाव पर गेहूं बेचा जायेगा। पिछले रबी सीजन में लागत 2,445.62 रुपये प्रति क्विंटल की आई थी। चालू रबी में गेहूं की खरीद बढ़कर 355.22 लाख टन की हुई है जबकि पिछले साल केवल 308.25 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। केंद्रीय पूल में पहली जून को 437.55 लाख टन गेहूं का स्टॉक जमा है।
उत्पादन अनुमान ज्यादा
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 986.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 985.1 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
एमएसपी में 110 की थी बढ़ोतरी
केंद्र स
रकार ने रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 110 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था, जबकि पिछले रबी में इसका एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल था। ..............  आर एस राणा

जून में डीओसी का कुल निर्यात 34 फीसदी घटा, सोया डीओसी का बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में कीमतें कम होने के कारण जून में डीओसी के निर्यात में 34 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 1,66,833 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल जून में इनका निर्यात 2,51,124 टन का हुआ था। सरसों, राइसब्रान और केस्टर डीओसी के निर्यात में तो मई के मुकाबले जून में कमी आई है लेकिन सोया डीओसी का निर्यात इस दौरान बढ़ा है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान डीओसी के कुल निर्यात में 9 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 6,54,774 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल से जून के दौरान इनका निर्यात 5,99,346 टन का ही हुआ था।
एसईए के अनुसार जून महीने में सोया डीओसी का निर्यात बढ़कर 1,04,088 टन का हुआ है जबकि मई में इसका निर्यात केवल 76,026 टन का ही हुआ था। सरसों डीओसी का निर्यात जून में 54,191 टन का ही हुआ है जबकि मई में इसका निर्यात 1,33,916 टन का हुआ था। 
एसईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि चीन और अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड वार के कारण भारत से डीओसी का निर्यात बढ़ने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि चीन ने भारत से 2012 के बाद से आयात बंद कर दिया था जबकि उससे पहले भारत से 3.5 से 4 लाख टन सरसों डीओसी का और एक लाख टन सोया डीओसी का आयात करता था।
एसईए के अनुसार भारतीय बंदरगाह पर जून में सोया डीओसी के औसत भाव 445 डॉलर और सरसों डीओसी के 227 डॉलर प्रति टन रहे जबकि मई में इनके औसत भाव क्रमश: 467 और 227 डॉलर प्रति टन थे।......  आर एस राणा

05 जुलाई 2018

सरकार का डेढ़ गुना एमएसपी देने का दावा, लेकिन C2 लागत के मुकाबले बढ़ोतरी 25 फीसदी से कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों की आय वर्ष-2022 तक दोगुनी का लक्ष्य लेकर चल रही मोदी सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा विपणन सीजन 2017-18 के लिए तय फार्मूले ए2 प्लस एफएल की तुलना में तो डेढ़ गुना से ज्यादा बढ़ाये गए हैं, लेकिन सी2 के मुकाबले अधिकांश फसलों के एमएसपी में 25 फीसदी से भी कम की बढ़ोतरी की गई है।
आम बजट 2018-19 में केद्र सरकार ने कहा था कि रबी फसलों के एमएसपी लागत के डेढ़ गुना तय कर दिए है तथा खरीफ सीजन की फसलों के एमएसपी भी लागत के डेढ़ गुना तय करने का वायदा किया था। केंद्र द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि खरीफ फसलों के एमएसपी लागत के मुकाबले 50.01 फीसदी से 96.97 फीसदी तक बढ़ाये गए हैं। अगर ए2 प्लस एफएल और सी2 के आधार पर गणना करते हैं तो चालू खरीफ में अधिकांश फसलों के एमएसपी ए2 प्लस एफएल के मुकाबले तो 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ाये गए हैं, लेकिन सी2 से तुलन करे तो अधिकांश फसलों के एमएसपी में 25 फीसदी से भी कम की बढ़ोतरी की गई है।
खरीफ की प्रमुख फसल धान में कॉमन ग्रेड के एमएसपी में 200 रुपये की बढ़ोतरी कर एमएसपी 1,750 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है जोकि ए2 प्लस एफएल की तुलना में तो 57.56 फीसदी ज्यादा है लेकिन सी2 के मुकाबले केवल 17.92 फीसदी ही है। इसी तरह से ज्वार का एमएसपी 2,450 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जोकि ए2 प्लस एफएल की तुलना में तो 57.45 फीसदी ज्यादा है लेकिन सी2 की तुलना में केवल 17.28 फीसदी ही ज्यादा है।
दलहनी फसलों में मूंग का एमएसपी रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए 6,975 रुपये प्रति क्विंटल तय गया है जोकि ए2 प्लस एफएल के मुकाबले तो 62.73 फीसदी होता है लेकिन सी2 के मुकाबले केवल 22.36 फीसदी ही है। इसी तरह से कपास में मीडियम स्टेपल का एमएसपी 5,150 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, जोकि ए2 प्लस एफएल के मुकाबले तो 57.20 फीसदी है लेकिन सी2 के मुकाबले केवल 17.68 फीसदी ही है।
क्रिसिल रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकर्ती जोशी के अनुसार केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों के एमएसपी ए2 प्लस एफएल की तुलना में 50 से 97 फीसदी तक बढ़ाये हैं जबकि पिछले साल की तुलना में 4 से 52 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने बताया कि वेटेड एवरेज के लिहाज से एमएसपी में 13 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। एमएसपी में बढ़ोतरी से केंद्र सरकार पर करीब 11,500 करोड़ रुपये की सब्सिडी बढ़ेगी।

एमएसपी तय करने के फार्मूले

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करने के लिए सरकार के पास तीन फार्मूले है। इन्हीं में से किसी एक के आधार पर अधिकृत 22 फसलों के एमएसपी घोषित किए जाते हैं। एमएसपी घोषित करते समय अखिल भारतीय स्तर पर विभिन्न राज्यों से संबंधित फसल की खेती की लागत को आधार बनाया जाता है। इसके लिए केंद्र सरकार ने कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) का गठन किया है। सीएसीपी में एक अध्यक्ष और विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि इसके सदस्य मनोनीत किए जाते हैं।

फार्मूला ए-2
इस फार्मूले में फसल की खेती में आने वाली कुल लागत को जोड़ा जाता है, जिनमें नकदी खर्च के साथ-साथ दूसरे और तरीके से आने वाले खर्च को भी लागत का हिस्सा माना जाता है। आमतौर पर इसमें किसान की और से खेती में लगाए गए बीज, खाद, कीटनाशक, खेतीहर मजदूरों की मजदूरी, उर्जा (बिजली, डीजल अथवा अन्य ईधन) और सिंचाई पर आने वाला खर्च शामिल किया जाता है।

फार्मूला ए-2 प्लस एफएल
इस फार्मूले में फसल की खेती में आने वाले सभी वास्तविक खर्च के साथ परिवार के लोगो की मजदूरी भी लागत में जोड़ी जाती है। यानि इसमें ए-2 की लागत के साथ खेतीहर परिवार के श्रम को जोड़ा जाता है जोकि आमतौर पर लागत का हिस्सा नहीं माना जाता।

फार्मूला सी-2
तीसरे फार्मूले में खेती की लागत की परिभाषा को काफी व्यापक कर दिया गया है, इसमें उपर के दोनों फार्मूलों से अलग प्रावधान है। लागत में ए-2 प्लस एफएल के साथ बटाई पर ली गई जमीन का किराया अथवा अपनी खेती होने की दशा में खेती के मूल्य का ब्याज भी जोड़ा जायेगा। ब्याज की दर फिक्स डिपॉजिट के आधार पर तय होगी।
केंद्र सरकार ने क्या-क्या जोड़ा
सभी लागत सहित जैसे मजदूरी, पशु श्रम-मशीन श्रम, भूमि का पट्टा-किराया, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई लागत, अवमूल्यन एवं विविध कृषि खर्च और परिवार के सदस्यों के श्रम की लागत ...........  आर एस राणा

धान के एमएसपी में 200 रुपये की बढ़ोतरी, ​लागत का डेढ़ तय करने का था दावा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू साल के अंत तक कई राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में केंद्र सरकार किसानों की नाराजगी मोल नहीं लेना चा​हती। इसीलिए केंद्र सरकार ने खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 200 रुपये प्र​ति क्विंटल की बढ़ोतरी कर सामान्य किस्म के धान का एमएसपी 1,750 रुपये और ग्रेड ए किस्म के धान का एमएसपी 1,770 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की ने खरीफ की 14 फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी पर मुहर लगाई। अन्य खरीफ फसलों में मोटे अनाजों में ज्वार, बाजरा, मक्का तथा दलहनी फसलों अरहर, उड़द और मूंग के अलावा तिलहनी फसलों सोयाबीन के अलावा मूंगफली के एमएसपी घोषित किए गए हैं।
पीटीआई के अनुसार विपणन सीजन 2018-19 के लिए कपास में (मीडियम स्टैपल) का एमएसपी बढ़ाकर 5,150 रुपये और लौंग स्टेपल का 5,450 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया है। खरीफ विपणन सीजन 2017-18 में मीडियम स्टेपल कपास का एमएसपी 4,020 रुपये और लौंग स्टपेल कपास का एमएसपी 4,320 रुपये प्रति क्विंटल था।
खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर का एमएसपी बढ़ाकर 5,675 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया है जबकि पिछले खरीफ में इसका एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल था। इसी तरह से मूंग का एमएसपी 5,575 रुपये से बढ़ाकर 6,975 रुपये, और उड़द का एमएसपी 5,400 रुपये से बढ़ाकर 5,600 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया है। खरीफ फसलों के समर्थन मूल्य में की गई बढ़ोतरी से सब्सिडी का बोझ 11,000 करोड़ बढ़ने का अनुमान है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) किसानों से धान की बड़े पैमाने पर खरीद करती है। चालू खरीफ में धान की रोपाई चल रही है, हालांकि कई राज्यों में प्री-मानसून की बारिश कम होने से धान की रोपाई पिछले साल की तुलना में पिछड़ी है।
खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए ज्वार का एमएसपी बढ़ाकर 2,430 रुपये, बाजरा का 1,950 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले खरीफ सीजन में ज्वार का एमएसपी 1,725 रुपये और बाजरा का 1,425 रुपये प्रति क्विंटल था।
तिलहनी फसलों में सोयाबीन का एमएसपी खरीफ​ विपणन सीजन 2018-19 के लिए 3,399 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है जबकि पिछले खरीफ में इसका एमएसपी 3,050 रुपये प्रति क्विंटल था। मूंगफली का एमएसपी 4,450 रुपये से बढ़ाकर 4,890 रुपये, सनफ्लावर का 4,100 रुपये से बढ़ाकर 5,388 रुपये, रागी का एमएसपी 1,900 रुपये से बढ़ाकर 2,897 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए शीसम सीड का एमएसपी 5,300 रुपये से बढ़ाकर 6,249 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।.............  आर एस राणा

04 जुलाई 2018

गैर-बासमती चावल के निर्यात में 35 फीसदी की बढ़ोतरी, बासमती चावल का घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले दो महीनों अप्रैल-मई के दौरान जहां गैर-बासमती चावल के निर्यात में 35 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 14.35 लाख टन का हुआ है वहीं बासमती चावल का निर्यात घटकर इस दौरान 7.54 लाख टन का ही हुआ है।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-मई में गैर बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 14.35 लाख टन का हो चुका है, जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इनका निर्यात केवल 10.66 लाख टन का ही हुआ था। बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में घटकर 7.54 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल-मई में बासमती चावल का निर्यात 7.97 लाख टन का हुआ था।
एपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि थाइलैंड और वियतनाम समेत अन्य देशों में गैर-बासमती चावल का स्टॉक कम होने के कारण भारत से निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती से निर्यातकों को पड़ते भी अच्छे लग रहे हैं। इसलिए आगे भी निर्यात मांग अच्छी रहने का अनुमान है। 
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार मूल्य के हिसाब से गैर बासमती चावल का निर्यात बढ़कर चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले दो महीनों अप्रैल-मई में 4,013 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2,772 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था। बासमती चावल का निर्यात भले ही मात्रा में इस दौरान कम हुआ है लेकिन मूल्य के हिसाब से 6 फीसदी बढ़ा ही है। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त के अप्रैल-मई में बासमती चावल का निर्यात 5,427 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 5,108 करोड़ रुपये मूल्य का ही निर्यात हुआ था।
चावल कारोबारी रामनिवास खुरानिया ने बताया कि कैथल मंडी में पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव 6,500 से 6,700 रुपये और पूसा 1,509 बासमती चावल सेला का भाव 6,000 से 6,200 रुपये प्रति क्विंटल है। पूसा 1,121 बासमती धान का भाव मंडी में 3,600 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल है। उन्होंने बताया कि बासमती चावल में निर्यात मांग कम होने के कारण धान में मिलों की मांग भी कमजोर है। मौसम विभाग ने चालू खरीफ में मानसूनी बारिश ज्यादा होने का अनुमान है।..............  आर एस राणा

ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में आई कमी, आगे और नरमी की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले दो महीनों अप्रैल-मई के दौरान ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में कमी आई है। इस दौरान निर्यात घटकर 95,652 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इनका निर्यात 1,06,527 टन का निर्यात हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार मूल्य के हिसाब से ग्वार गम उत्पादों का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में 3 फीसदी बढ़ा है। अप्रैल-मई में इनका निर्यात मूल्य के हिसाब से 867 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इनका निर्यात 841 करोड़ रुपये का ही हुआ था।
वित्त वर्ष 2017-18 में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 4.94 लाख टन का हुआ था, जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 के 4.19 लाख टन से ज्यादा था। मूल्य के हिसाब से वित्त वर्ष 2017-18 में 4,170 करोड़ रुपये मूल्य के ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष के 3,107 करोड़ रुपये से ज्यादा था।
ग्वार गम उत्पादों में इस समय निर्यात मांग कमजोर है, तथा आगामी दिनों में ग्वार सीड और ग्वार गम की कीमतों में तेजी-मंदी उत्पादक राज्यों में होने वाली बारिश पर भी निर्भर करेगी। जैसा कि मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की हुई है, बारिश अच्छी हुई तो फिर आगे इनके भाव में मंदा ही आने का अनुमान है।........  आर एस राणा

खाद्यान्न की बंपर खरीद ने बढ़ाई सरकार की मुश्किल, राज्यों से भंडारण की मांग रिपोर्ट

आर एस राणा
नई दिल्ली। कई राज्यों में चुनाव साल होने के कारण केंद्र सरकार ने रबी में गेहूं, दलहन और तिलहन की समर्थन मूल्य पर बंपर खरीद की है, लेकिन भंडारण की कमी के कारण कई राज्यों में अभी भी अनाज खुले में पड़ा हुआ है। बारिश शुरू होने से कई मंडियों में अनाज भीग गया है, इससे चिंतित केंद्र सरकार ने राज्यों से खाद्यान्न के भंडारण की रिपोर्ट मांगी है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार सभी राज्यों को पत्र लिखकर खाद्यान्न के भंडारण की विस्तृत जानकारी देने को कहा गया है। रबी सीजन 2018-19 में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 355.12 लाख टन गेहूं की बंपर खरीद की है। केंद्रीय पूल में पहली जून को ही 680.25 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 555.40 लाख टन से ज्यादा हैं। खाद्यान्न के कुल स्टॉक में जून में हुई खरीद भी जोड़ दे तो स्टॉक और बढ़ जायेगा।
एफसीआई ने रबी में एसएसपी पर 355.12 लाख टन गेहूं खरीदा है जो​कि तय लक्ष्य 320 लाख टन से ज्यादा है। प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान से चालू रबी में खरीद पिछले साल की तुलना में बढ़ी है। हरियाणा और उत्तर प्रदेश से तो गेहूं की रिकार्ड खरीद क्रमश: 87.39 और 50.88 लाख टन की हुई है।
नेफेड ने चालू रबी में रिकार्ड 27.16 लाख टन चना, 2.40 लाख टन मसूर और 8.72 लाख टन सरसों के अलावा मूंगफली और सनफ्लावर की खरीद भी की है। नेफेड के पास खरीफ में खरीदी हुई दालों का बकाया स्टॉक भी बचा हुआ है जबकि भंडारण की कमी के कारण कई राज्यों की मंडियों से खरीदे गए खाद्यान्न का उठाव ही नहीं हो पाया है। मानसूनी बारिश शुरू हो चुकी है इसलिए खुले में रखे अनाज के भीगने का डर बना हुआ है।.....  आर एस राणा

03 जुलाई 2018

कपास का 64 लाख गांठ का हो चुका है निर्यात, आयात हुआ 10 लाख गांठ

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन में 64 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) कपास का निर्यात हो चुका है जबकि कुल निर्यात 70 लाख गांठ होने का अनुमान है। उधर आयात घटकर 10 लाख गांठ का ही हुआ है जबकि विश्व बाजार में भारतीय कपास अभी भी सबसे सस्ती है, इसलिए घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में तेजी बनी रहने का अनुमान है।
कॉटन एसोसिएशन आॅफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू फसल सीजन में 64 लाख गांठ की शिपमेंट हो चुकी है तथा कुल निर्यात बढ़कर 70 लाख गांठ का होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में केवल 58.21 लाख गांठ का ही निर्यात हुआ था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास के दाम उंचे होने के कारण चालू सीजन में कपास का आयात भी घटकर 15 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में 30.94 लाख गांठ का ​आयात हुआ था।
सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू सीजन में कपास का उत्पादन 365 लाख गांठ के साथ ही नई फसल के समय बकाया 36 लाख गांठ के अलावा 15 लाख गांठ आयात को मिलाकर कुल उपलब्धता 416 लाख गांठ की बैठेगी। पिछले साल कपास का उत्पादन 337.25 लाख गांठ का ही हुआ था जबकि आयात और बकाया स्टॉक को मिलाकर कुल उपलब्धता 404.69 लाख गांठ की ही बैठी थी।
उद्योग के सूत्रों के अनुसार चालू सीजन में उत्पादन तो पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है लेकिन जहां आयात कम होगा, वहीं निर्यात भी ब​ढ़ेगा। इसलिए आगामी सीजन के आरंभ में बकाया स्टॉक कम रहेगा। चालू सीजन में अभी तक बुवाई भी पिछे चल रही है। इसलिए आगामी दिनों में घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में और तेजी आने का अनुमान है।
कपास की बुवाई चालू खरीफ सीजन में घटकर अभी तक केवल 32.20 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक कपास की बुवाई 46.10 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। ............  आर एस राणा

मटर के आयात पर सितंबर अंत तक रहेगी रोक, भाव में सुधार आने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मटर के आयात पर लगी रोक की अवधि को तीन महीने बढ़ाकर 30 सितंबर 2018 तक कर दिया है। इस दौरान पीली मटर के साथ ही हरी मटर के अलावा किसी भी अन्य तरह की मटर का आयात नहीं होगा। आयात पर लगी रोक की अवधि बढ़ाने से घरेलू मंडियों में मटर समेत अन्य दालों की कीमतों में हल्का सुधार आने का अनुमान है। 
30 जून 2018 तक लगी हुई थी रोक
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा सोमवार को जारी अधिसूचना के अनुसार मटर के आयात पर लगी रोक की अवधि को 30 सितंबर 2018 तक बढ़ा दिया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने 30 जून 2018 तक इसके आयात पर रोक लगाई थी।
दलहन के आयात में मटर की हिस्सेदारी 50 फीसदी से ज्यादा 
दलहन के कुल आयात में सबसे ज्यादा मटर की हिस्सेदारी होती है, जबकि फसल सीजन 2017-18 में दलहन की रिकार्ड घरेलू पैदावार से उत्पादक मंडियों में दालों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बनी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान 46.89 लाख टन दालों का आयात हुआ है, इसमें 24.54 लाख टन मटर है जोकि कुल आयात का 52.33 फीसदी है। वित्त वर्ष 2016-17 में दलहन का कुल आयात 66.08 लाख टन का हुआ था, इस दौरान 31.72 लाख टन मटर का आयात हुआ था।
दलहन का रिकार्ड उत्पादन अनुमान
कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2017-2018 में दलहन का रिकार्ड 245.1 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि 2016-17 में इनका उत्पादन 231.3 लाख टन का ही हुआ था। ............  आर एस राणा

02 जुलाई 2018

दरबारी ​प्रधानमंत्री की मेहमाननवाजी में मशगूल, असली किसान लड़ रहे सड़क पर

आर एस राणा
नई दिल्ली। गन्ना किसानों की समस्याओं से कोसो दूर किसानों का प्रतिनिधिमंडल जहां प्रधानमंत्री की मेहमाननवाजी में मशगूल था, वहीं असली किसान सड़क पर किसानों के हितों की लड़ाई लड़ रहे थे। 29 जून को प्रधानमंत्री ने गन्ना किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जबकि स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के सदस्यों ने संगठन के नेता और लोकसभा सांसद राजू शेट्टी के नेतृत्व में गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और दूध की उचित कीमतों के लिए पूणे में कमिश्नर कार्यालय पर सड़क पर प्रदर्शन किया।
किसानों की समस्याओं को लेकर देशभर ​के किसान संगठनों के लामबंद होने से केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी दबाव महसूस कर रही हैं। दबाव भी सही है क्योंकि चालू साल के आखिर तक जहां कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं 2019 में लोकसभा चुनाव है। अत: ​सरकार किसानों को नाराज नहीं करना चाहती। यहीं कारण है कि प्रधानमंत्री में ने आननफानन में गन्ना किसानों के प्रतिनिधिमंडल को मुलाकात के लिए बुलाया। यह अगल बात है इस बैठक में किसानों के बजाय राजनीति से जुड़े ज्यादा लोग शामिल थे।
उधर पूणे में कमिश्नर कार्यालय में हजारों की संख्या में एकत्र हुए किसानों को संबोधित करते हुए राजू शेट्टी ने कहा कि दूध की कीमतों में आई भारी गिरावट से दूध किसानों को भारी घाटा हो रहा है इसलिए राज्य सरकार दूध उत्पादकों को 5 रुपये प्रति लीटर की दर से सब्सिडी दे, अगर राज्य सरकार ने ऐसा नहीं किया तो फिर 16 जुलाई से मुंबई में दूध की आपूर्ति बंद कर दी जायेगी। दूध उत्पादकों को सब्सिडी देने से राज्य सरकार पर मात्रा 400 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में राज्य सरकार पिछले पांच साल से दूध उत्पादकों को सब्सिडी दे रही है। 
दूध की उत्पादन लागत करीब 35 रुपये प्रति लीटर है जबकि किसानों को 17-18 रुपये प्रति लीटर का दाम ही मिल रहा है। राजू शेट्टी के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये प्रति किलो तय कर दिए जाने के बाद, घरेलू बाजार में चीनी के भाव तेज हो गए है। इसके बावजूद भी चीनी मिलें किसानों को भुगतान नहीं कर रही है जिस कारण गन्ना किसानों को भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।....   आर एस राणा

दलहन, तिलहन के साथ मोटे अनाजों की बुवाई पिछड़ी, प्री-मानसून की बारिश कम होने का असर

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में प्री-मानसून की बारिश कई राज्यों में सामान्य से कम होने के कारण खरीफ फसलों की ​बुवाई पिछड़ी है। कपास, दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों के साथ ही धान की रोपाई पिछले साल की तुलना में कम हुई है। हालांकि मानसूनी बारिश लगभग देशभर के सभी राज्यों में शुरू हो चुकी है, इसलिए आगामी दिनों में खरीफ फसलों की बुवाई में तेजी आने की संभावना है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दालों की बुवाई अभी तक 10.72 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 18.18 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। खरीफ दलहन की प्रमुख फसलों अरहर, उड़द और मूंग की बुवाई में चालू सीजन में कमी आई है। इसी तरह से खरीफ तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में घटकर अभी तक केवल 14.55 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 26 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। खरीफ तिलहन की प्रमुख फसलों सोयाबीन और मूंगफली की बुवाई पिछले साल से पिछे चल रही है।
मोटे अनाजों की बुवाई चालू खरीफ सीजन में अभी तक केवल 23.89 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 34.02 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में बाजरा की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 4.09 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 12.60 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मक्का की बुवाई चालू खरीफ में 15.20 लाख हैक्टेयर में और ज्वार की 2.21 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है।
कपास की बुवाई चालू खरीफ सीजन में घटकर अभी तक केवल 32.20 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक कपास की बुवाई 46.10 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में अभी तक 26.91 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 30.02 लाख हैक्टेयर में इसकी रोपाई हो चुकी थी।
गन्ने की बुवाई जरुर चालू सीजन में बढ़कर 50.01 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 49.48 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। 
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में फसलों की कुल बुवाई घटकर अभी तक केवल 165.21 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 210.75 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी थी।......आर एस राणा

जुलाई के लिए 16.50 लाख टन चीनी का कोटा, जून के मुकाबले 4.5 लाख टन कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने जुलाई महीने के लिए 16.50 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है, जोकि जून की तुलना में 4.5 लाख टन कम है। जुलाई से चीनी में त्यौहारी मांग शुरू हो जाती है अत: कोटा कम जारी करने से चीनी की कीमतों में आगामी दिनों में तेजी बनने की संभावना है।
व्यापारियों के अनुसार उम्मीद से कोटा कम जारी करने और त्यौहारी मांग के कारण शनिवार को चीनी की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। दिल्ली में चीनी के भाव बढ़कर 3,650 से 3,700 रुपये और उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,400 से 3,450 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। महाराष्ट्र में चीनी के बाद बढ़कर इस दौरान 3,100 से 3,200 रुपये रुपये प्रति क्विंटल हो गए। केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव 2,900 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखे हैं। 
केंद्र सरकारी द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार जुलाई के लिए खुले बाजार में बेचने के लिए 16.50 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया गया है। हालांकि महाराष्ट्र में करीब 2 लाख टन जून महीने का बकाया भी बचा हुआ है। ऐसे में जुलाई महीने में कुल उपलब्धता 18.50 लाख टन चीनी की होगी। जून महीने के लिए केंद्र सरकार ने 21 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था।
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन 2017-18 में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 320 लाख टन के करीब हुआ है जबकि पिछले साल कुल उत्पादन 203 लाख टन का ही हुआ था। देश में चीनी की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन की होती है।
गन्ना पेराई सीजन समाप्त हो चुका है जबकि चीनी मिलों पर अभी भी किसानों का बकाया करीब 19,816 करोड़ रुपये बचा हुआ है, इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश के किसानों की है। चीनी मिलों द्वारा भुगतान नहीं किए जाने से गन्ना किसानों को भारी आर्थिक दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है।............आर एस राणा