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29 जून 2018

रुपये के मुकाबले डॉलर 69 के पार, खाद्य तेलों के आयात बिल में होगी बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। डॉलर के मुकाबले रुपया रिकार्ड निचले स्तर पर आ गया है, गुरूवार को एक डॉलर की कीमत 69.10 रुपये के पार चली गई है। रुपये के मुकाबले डॉलर में आई तेजी से आयातित खाद्य तेलों का बिल बढ़ बढ़ने की संभावना है। चालू साल में रुपये में सात फीसदी की गिरावट आ चुकी है। 
खाद्य तेलों के कारोबारी हेमंत गुप्ता ने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती का असर आयातित खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि हम अपनी कुल जरुरत का 65 फीसदी से ज्यादा खाद्य तेलों का आयात करते हैं इसलिए खाद्य तेलों के बिल बढ़ोतरी हो जायेगी। आयातित खाद्य तेल महंगे होने से घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों की कीमतों में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी बन सकती है। वैसे भी आगे त्यौहारी सीजन है जिसकी वजह से खाद्य तेलों में मांग बढ़ने का अनुमान है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-17 से अक्टूबर-18 के पहले 7 महीनों नवंबर से मई के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात एक फीसदी बढ़कर 86,04,535 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 85,22,704 टन का हुआ था। 
एसईए के अनुसार तिलहनों के उत्पादन में अपेक्षित बढ़ोतरी नहीं होने से खाद्य तेलों का आयात लगातार बढ़ रहा है। तेल वर्ष 2013-14 में 116,18,334 टन खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात हुआ था जबकि तेल वर्ष 2016-17 में बढ़कर यह आंकड़ा 150,77,420 टन पर पहुंच गया।
गुरूवार को क्रुड पाम तेल का भाव कांडला बंदरगाह पर 650 रुपये, आरबीडी पामोलीन का 700 से 705 रुपये, सरसों तेल का भाव हरियाणा की मंडियों में 700 रुपये, सोया रिफाइंड तेल का भाव इंदौर में 745 रुपये और बिनौला तेल का 710-715 रुपये प्रति 10 किलो रहा।.......  आर एस राणा

अगले 48 घंटों में उत्तर भारत में सक्रिय होगा मानसून, खरीफ फसलों की बुवाई में आयेगी तेजी

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार आगामी 48 घंटों के दौरान उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से मानसून सक्रिय हो जायेगा। दक्षिण पश्चिम मानसून गुजरात, ओडिशा, पूर्वी राजस्थान के हिस्सों, पूरे मध्य प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश, पंजाब के कुछ हिस्सों, पूरे जम्मू-कश्मीर, पश्चिम उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों तक पहुंच गया है।
उत्तर भारत के राज्यों में मानसून की सक्रियता बढ़ने से खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई के साथ ही अन्य फसलों की बुवाई में भी तेजी आने का अनुमान है। उत्तर-पश्चिम भारत में इस बार मानसून की रफ्तार तेज रहेगी और महज दो दिनों के भीतर सभी आठ राज्यों में छाने की संभावना है। 
मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को मानसून झारखंड, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के ज्यादातर हिस्सों में छा गया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मानसून ने दस्तक दी है। मंगलवार को उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में प्री-मानसून की बारिश भी हुई है। 
मौसम विभाग के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान पश्चिमी तट पर मानसून के सक्रिय रहने की संभावना है। इस दौरान तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, विदर्भ, पश्चिम मध्य प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड और पूर्वोत्तर भारत पर सामान्य मानसून की स्थिति की संभावना है।
आगामी 24 घंटों के दौरान गुजरात, आंतरिक कर्नाटक, रायलसीमा और तमिलनाडु में मानसून कमजोर होने से हल्की बारिश होने का अनुमान है। 
मौसम विभाग के अनुसार बीते 24 घंटों के दौरान, तटीय कर्नाटक में मानसून व्यापक सक्रिय रहा। इसके अलावा कोंकण, गोवा, केरल, तटीय आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, विदर्भ, पश्चिम मध्य प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में मानसून सामान्य रहा।.....  आर एस राणा

एथनॉल की कीमतों में तीन रुपये की बढ़ोतरी, चीनी मिलों को होगा फायदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने एथनॉल की कीमतों में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रीमडलीय समिति (सीसीईए) ने इसे अपनी मंजूदी दी। केंद्र सरकार द्वारा तीन रुपये की बढ़ोतरी के बाद अब एथनॉल की कीमतें 43.85 रुपये प्रति लीटर हो जायेंगी।
तेल कंपनियों के लिए इस समय 10 फीसदी एथनॉल का मिश्रण अनिवार्य है, तथा तेल कंपनियां चीनी मिलों से एथनॉल की खरीद करती है। एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार पहले ही चीनी मिलों को 4,500 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दे चुकी है। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार चालू पेराई सीजन में अभी तक कई कदम उठा चुकी है। इसके तहत जहां केंद्र सरकार ने चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये प्रति किलो तय किए हैं, वहीं 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने की मंजूरी भी पहले ही मंजूरी दे चुकी है।
चालू पेराई सीजन में देश में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 315 लाख टन से ज्यादा का ही हुआ है जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन की ही होती है। विश्व बाजार में चीनी के दाम नीचे बने हुए ​हैं जिस कारण हमारे यहां से निर्यात की संभावना भी नहीं है। इसीलिए घरेलू बाजार में चीनी के दाम उत्पादन लागत से काफी नीचे आ गए थे। केंद्र सरकार द्वारा चीनी बिक्री हेतु न्यूनतम दाम 29 रुपये प्रति किलो तय कर देने के बाद से, चीनी के भाव में सुधार आया है। 
सूत्रों के अनुसार चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया अभी भी 19,816 करोड़ रुपये बचा हुआ है, इसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी उत्तर प्रदेश के किसानों की है। गन्ने का पेराई सीजन समाप्त हो चुका है जबकि चीनी मिलों द्वारा भुगतान नहीं किए जाने से गन्ना किसानों को भारी आर्थिक दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है।.......  आर एस राणा

27 जून 2018

यूपी में चीनी का रिकार्ड 120 लाख टन का उत्पादन, कोटे की मात्रा पर तय होंगे भाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन 2017-18 में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 120.50 लाख टन का हो चुका है। चीनी की कीमतों में मंदा बना हुआ है तथा आगे इसके भाव कोटे की मात्रा के हिसाब से ही तय होंगे।
मंगलवार को दिल्ली में चीनी के भाव 3,300 से 3,350 रुपये प्रति​ क्विंटल रहे। उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,050 से 3,125 रुपये और महाराष्ट्र में 2,900 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल रहे। 
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के अनुसार चालू पेराई सीजन में राज्य में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 120.50 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन में केवल 87.73 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। राज्य की चीनी मिलों में पेराई लगभग बंद हो चुकी है। चालू पेराई सीजन में गन्ने में रिकवरी की और दर 10.85 फीसदी आई है जबकि पिछले साल औसत रिकवरी 10.61 फीसदी की ही आई थी। .....   आर एस राणा

चीन ने एशियाई देशों से आयातित सोयाबीन और खली के आयात शुल्क को समाप्त किया

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीन ने भारत के साथ ही अन्य एशियाई देशों से सोयाबीन, सोया खली और सरसों खली आदि उत्पादों के आयात शुल्क को समाप्त कर दिया है। पहली जुलाई 2018 से इनके आयात पर शुल्क नहीं लगेगा।
अमेरिका और चीन के बीच इस समय ट्रेड वार चल रहा है। चीन के वित्त मंत्रालय की और से जारी ब्यान के अनुसार एशियाई देशों बंगलादेश, भारत, दक्षिण कोरिया और श्रीलंका से आयातित सोयाबीन, सोया खली और सरसों खली के आयात शुल्क को समाप्त कर दिया गया है। वर्तमान में चीन में सोयाबीन के आयात पर 3 फीसदी, सरसों पर 9 फीसदी और सोया खली तथा खल के आयात पर 5 फीसदी आयात शुल्क है। 
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि चीन द्वारा आयात शुल्क में कटौती करने से सोयाबीन पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन सोया खली और सरसों खली का निर्यात जरुर बढ़ जायेगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 में चीन ने भारत से एक लाख टन सोया खली और 4 लाख टन सरसों खली का आयात किया है। 
मेहता ने बताया कि भारत को छोड़ अन्य एशियाई देशों जैसे बंगलादेश, श्रीलंका और दक्षिण कोरिया में सोयाबीन की पैदावार सीमित मात्रा में ही होती है। भारत में सोयाबीन का उत्पादन तो इन देशों से ज्यादा होता है लेकिन हमारी घरेलू खपत भी ज्यादा होने से बड़ी मात्रा में निर्यात की संभावना नहीं है। 
चीन अमेरिका से सोयाबीन का बड़े पैमाने पर आयात करता है। हाल में अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुओं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका से आयातित वस्तुओं का शुल्क बढ़ाया था।  ...............   आर एस राणा

नेफेड एमएसपी से नीचे भाव पर बेच रही है दालें, अभी कीमतों में तेजी की उम्मीद नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। सार्वजनिक कपंनियां न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर दलहन बेच रही है, इसलिए अभी इनके भाव में तेजी की संभावना नहीं है। नेफेड ने 21 जून को महाराष्ट्र में उड़द 2,835 से 2,837 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेची है जबकि केंद्र सरकार ने उड़द का समर्थन मूल्य 5,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
सूत्रों के अनुसार नेफेड ने पास उड़द, अरहर और मूंग के अलावा अन्य दालों का बंपर स्टॉक मौजूद है तथा ​नेफेड समर्थन मूल्य से नीचे भाव पर इनकी बिकवाली लगातार कर रही है। जिससे उत्पादक मंडियों में दालों के भाव भी एमएसपी से नीचे बने हुए हैं। नेफेड ने 22 जून को महाराष्ट्र में 2,911 रुपये प्रति क्विंटल की दर से उड़द बेची है। इसके अलावा 22 जून को ही आंध्रप्रदेश में अरहर 3,617 से 3,621 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेची है जबकि अरहर का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल है। मध्य प्रदेश की मंडियों में नेफेड ने मूंग 4,351 से 4,385 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेची, जबकि मूंग का एमएसपी 5,575 रुपये प्रति क्विंटल है।
नेफेड के दालों का बंपर स्टॉक
नेफेड के पास अरहर, उड़द, मूंग के साथ ही चना और मसूर का बंपर स्टॉक है जबकि देश के कई राज्यों में मानसूनी बारिश शुरू हो गई है। खरीफ सीजन की खरीदी गई दलहन की क्वालिटी बारिश में प्रभावित होने का डर है, इसलिए आगे नेफेड की बिकवाली और बढ़ने का अनुमान है।
चना और मसूर की रिकार्ड खरीद 
चालू रबी में नेफेड एमएसपी पर रिकार्ड 26.73 लाख टन चना की खरीद कर चुकी है। इसके अलावा नेफेड समर्थन मूल्य पर 2.35 लाख टन रिकार्ड मसूर की भी खरीद कर चुकी है।
रिकार्ड उत्पादन अनुमान
चालू फसल सीजन 2017-18 में देश में दालों का रिकार्ड उत्पादन 245.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 231.3 लाख टन दालों का उत्पादन ही हुआ था।............... आर एस राणा

26 जून 2018

बारिश से कमी से धान किसानों की लागत बढ़ी, ट्यूबवेल से कर रहे हैं रोपाई

गेहूं की सरकारी खरीद 355 लाख टन के पार, केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का 680 लाख टन का बंपर स्टॉक

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बढ़कर 355.05 लाख टन की हो गई है जबकि पिछले रबी में कुल खरीद 308.25 लाख टन की ही हुई थी। केंद्रीय पूल में पहली जून को खाद्यान्न का बंपर स्टॉक 680.25 लाख टन का हो चुका है जोकि वर्ष 2013 के बाद सबसे ज्यादा है। 
प्रमुख उत्पादक राज्यों में आवक हुई बंद
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के एक वरिष्ष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी में गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद बढ़कर 355.05 लाख टन की हो गई है जोकि तय लक्ष्य 320 लाख टन से 35 लाख टन ज्यादा है। गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में आवक बंद होने से खरीद बंद हो चुकी है, इस समय केवल उत्तराखंड में थोड़ी आवक है इसलिए चालू सप्ताह में गेहूं की समर्थन मूल्य पर बंद होने की संभावना है।
केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का स्टॉक पिछले साल से ज्यादा
केंद्रीय पूल में पहली जून को 437.55 लाख टन गेहूं और 242.70 लाख टन चावल को मिलाकर खाद्यान्न का कुल 680.25 लाख टन का बंपर स्टॉक हो चुका है जबकि पिछले  साल पहली जून को केंद्रीय पूल में केवल 555.40 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक ही मौजूद था। वर्ष 2013 में केंद्रीय पूल में पहली जून को 777.40 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक जमा था।
सभी राज्यों से खरीद बढ़ी
एफसीआई के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से खरीद पिछले साल से बढ़ी है। पंजाब से चालू रबी में गेहूं की एमएसपी पर खरीद बढ़कर 126.91 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल राज्य से केवल 117.06 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। हरियाणा से चालू रबी में गेहूं की रिकार्ड खरीद 87.39 लाख टन की हुई है जबकि पिछले रबी सीजन में राज्य से केवल 74.32 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। इसी तरह से मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद चालू रबी में बढ़कर 72.86 लाख टन और उत्तर प्रदेश से 50.87 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों से क्रमश: 67.24 लाख टन और 35.62 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई थी। राजस्थान से चालू रबी में गेहूं की खरीद बढ़कर 15.31 लाख टन की हुई है जबकि पिछले साल राज्य से 12.26 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी।
गेहूं के रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकार्ड 986.1 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 985.1 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।............  आर एस राणा

मानसून फिर से हुआ सक्रिय, किसानों को मिलेगी राहत

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार करीब दस दिन की देरी के बाद मानसून फिर से सक्रिय हो गया है। महाराष्ट्र के साथ ही गुजरात और मध्य प्रदेश में मानसून अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुका है। आगामी 24 घंटों के दौरान मानसून बिहार और झारखंड पहुंच जायेगा। मानसून की सक्रियता से किसानों का राहत मिलेगी।
आईएमडी के अनुसार चालू महीने के आखिर तक मानसून उत्तर भारत के राज्यों में दस्तक दे सकता है। 15 जून से मानसून महाराष्ट्र में अटका हुआ था, तथा उत्तर भारत और मध्य भारत के अलावा कई अन्य राज्यों में प्री-मानसून और मानसूनी बारिश कम होने से खरीफ फसलों की बुवाई भी पिछे चल रही है। बारिश की कमी का सबसे ज्यादा दलहन, तिलहन और कपास की बुवाई पर असर पड़ा है।
मौसम विभाग के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान उत्तर कोंकण गोवा और गुजरात के कुछ स्थानों पर भारी के साथ मध्यम बारिश होने का अनुमान है। उधर तटीय कर्नाटक, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, दक्षिण पूर्व राजस्थान के शेष हिस्सों में कुछ जगहों पर तेज तथा कुछेक जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश की उम्मीद है।
आगामी 24 घंटों के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, पूर्वी बिहार और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों पर हल्की से मध्यम बारिश होने का अनुमान है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी कुछेक जगहों पर हल्की बारिश की संभावना है।
मौसम विभाग के अनुसार बीते 24 घंटों के दौरान, कोंकण और गोवा में भारी बारिश देखी गई। उधर उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उत्तरी तटीय ओडिशा, तटीय कर्नाटक और दक्षिण गुजरात में मध्यम से तेज बारिश हुई।
पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के साथ ही केरल, दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश, आंतरिक कर्नाटक, गुजरात के कुछ हिस्सों, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड और पश्चिमी मध्य प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश हुई।
पूर्वी बिहार, पूर्वी मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों पर बीते 24 घंटों के दौरान हल्की बारिश देखी गई।............आर एस राणा

25 जून 2018

गेहूं की सरकारी खरीद 355 लाख टन, केंद्रीय पूल में बंपर स्टॉक से भंडारण में आयेगी परेशानी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की सरकारी खरीद बढ़कर 355.03 लाख टन की हो चुकी है जोकि तय लक्ष्य 320 लाख टन से 35 लाख टन ज्यादा है। गेहूं की बंपर खरीद से केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का बंपर स्टॉक हो चुका है, ​जिसके भंडारण में भारी परेशानी आयेगी। कई राज्यों की उत्पादक मंडियों में खरीदा हुआ गेहूं खुले में ही पड़ा हुआ है जबकि कई राज्यों में मानसून के साथ प्री-मानसूनी की बारिश शुरू हो चुकी है।
बंपर खरीद हुई है चालू रबी में
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 355.03 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी है जबकि पिछले साल समर्थन मूल्य पर कुल 308.25 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। 
प्रमुख उत्पादक राज्यों से खरीद तय लक्ष्य से ज्यादा
प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब से चालू रबी में गेहूं की खरीद बढ़कर 126.90 लाख टन की हो चुकी है जबकि राज्य से खरीद का लक्ष्य 119 लाख टन का तय किया गया था। इसी तरह से हरियाणा से चालू रबी में गेहूं की रिकार्ड खरीद 87.39 लाख टन की हुई है जबकि खरीद का लक्ष्य 74 लाख टन का तय गया था। उधर मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद चालू रबी में बढ़कर 72.86 लाख टन और उत्तर प्रदेश से 50.87 लाख टन की हो चुकी है जबकि इन राज्यों से खरीद का लक्ष्य क्रमश: 67 और 40 लाख टन का तय किया गया था।
केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का बंपर स्टॉक 
केंद्रीय पूल में पहली जून को 437.25 लाख टन गेहूं और 242.70 लाख टन चावल को मिलाकर खाद्यान्न का कुल 680.25 लाख टन स्टॉक हो चुका है जबकि पिछले साल पहली जून को केंद्रीय पूल में केवल 555.40 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक ही था। ..............आर एस राणा

खाद्य पदार्थो में मिलावटखोरों पर सख्ती करने की तैयारी, एफएसएसआई ने की उम्रकैद की सिफारिश

केंद्र सरकार खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों की खिलाफ सख्ती से निपटने की तैयारी कर रही है। फूड रेगुलेटर, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकारण (एफएसएसएआई) ने खाद्य सुरक्षा कानून में बदलाव करने का प्रस्ताव किया है।
सूत्रों के अनुसार एफएसएसएआई ने खाद्य पदार्थों में मिलाकर करने वाले को उम्रकैद तक करने की सिफारिश की है। नए प्रस्ताव में मिलावट से नुकसान होने की आशंका में भी उम्रकैद की सिफारिश की गई है। सूत्रों के अनुसार तैयार प्रस्ताव में मिलावट करने करने वालों पर 7 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देने की सिफारिश की गई है।
सूत्रों के अनुसार इस समय मिलाकर से मौत होने पर ही उम्रकैद का प्रावधान है। इसके अलावा खाने का सामाना आयात करने वाली ​कंपनियों की जिम्मेदारी भी तय होगी, साथ ही उपभोक्ताओं की परिभाषा में भी बदलाव होगा। सूत्रों के अनुसार पशुओं के खाद्य पदार्थ भी कानून के दायरें में लाने जाने का प्रस्ताव है।

उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों में पानी कम, बारिश कम होने से कई राज्यों में जल संकट


आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर क्षेत्र के हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के साथ ही गुजरात और महाराष्ट्र के जलाशयों में पानी का स्तर पिछले दस साल के औसत स्तर से भी नीचे आ गया है, जबकि चालू सीजन में देशभर में अभी तक मानसूनी बारिश भी सामान्य से 10 फीसदी कम हुई है। मानसून 15 जून से महाराष्ट्र में अटका हुआ है, ऐसे में मानसून में और देरी हुई तो फिर कई राज्यों में चल रहा जल संकट और गहरा सकता है।
मौसम विभाग के अनुसार 24 जून से मानसून के फिर से रफ्तार पकड़ने की संभावना है। चालू खरीफ में केरल में मानसून ने तय समय से 3 दिन पहले ही दस्तक दे दी थी, तथा 15 जून तक दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के कई राज्यों के अलावा महाराष्ट्र में मानसून पहुंच गया गया था। 15 जून से मानसून महाराष्ट्र से आगे नहीं बढ़ा है जिसका असर खरीफ फसलों की बुवाई पर भी ​पड़ा है।
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 21 जून 2018 को उत्तरी क्षेत्र के हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के 6 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 16 फीसदी पर आ गया है जोकि पिछले 10 साल के औसत 28 फीसदी से काफी कम है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इन जलाशयों में पानी का स्तर 25 फीसदी था।
यही हाल पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों का भी है। पश्चिमी क्षेत्र के गुजरात तथा महाराष्ट्र में 27 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर कुल भंडारण क्षमता का 13 फीसदी ही रह गया है जोकि पिछले दस साल के औसत अनुमान 17 फीसदी से भी कम है। पिछले साल की समान अवधि में पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों में कुल क्षमता का 18 फीसदी पानी था।
मध्य क्षेत्र के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के 12 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 21 फीसदी पर आ गया है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में इन जलाशयों में पानी का स्तर 29 फीसदी था। हालांकि 10 साल के औसत 18 फीसदी से थोड़ा अधिक है।
दक्षिण भारत के राज्यों में मानसून आने से जलाशयों में पानी के स्तर पर में सुधार आया है। आंधप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 31 जलाशयों में पानी का स्तर कुल भंडारण का 20 फीसदी हो गया है जोकि दस साल के औसत 17 फीसदी से थोड़ा ज्यादा है। पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों के जलाशयों में पानी का स्तर घटकर 8 फीसदी ही गया था।...........  आर एस राणा

खरीफ फसलों के एमएसपी की घोषणा में देरी, किसान सांसत में

आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ फसलों की बुवाई शुरू हो चुकी है, लेकिन केंद्र सरकार ने अभी तक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित ​नहीं किए हैं, जिस कारण किसान बुवाई के लिए फसलों का चयन नहीं कर पा रहे हैं। केंद्र के डेढ़ गुना एमएसपी तय करने के दावे के उल्ट कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने खरीफ की प्रमुख फसल धान के एमएसपी में मात्र 80 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की सिफारिश की है।
चालू वित्त वर्ष 2018-19 के आम बजट में केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों के एमएसपी डेढ़ गुना तय करने का दावा किया था, लेकिन सीएसीपी ने चालू खरीफ के लिए धान के एमएसपी में 80 रुपये की बढ़ोतरी की सिफारिश कर फसल सीजन 2018-19 के लिए कॉमन धान का एमएसपी 1,630 रुपये और ग्रेड ए धान का एमएसपी 1,670 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की है। आमतौर पर सीएसीपी की सिफारिशों पर कैबिनेट की मोहर लग जाती है, लेकिन चुनाव साल होने के कारण सरकार किसानों की नाराजगी का कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगी, इसलिए इसमें कुछ संशोधन किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार इस पर संबंधित मंत्रालयों में सहमति बनाने के कारण ही एमएसपी की घोषणा में देरी हो रही है।
केंद्र सरकार खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान के साथ ही मोटे अनाजों में ज्वार, बाजरा, मक्का और रागी तथा दालों में अरहर, उड़द और मूंग के अलावा तिलहनी फसलों में सोयाबीन, मूंगफली, सनफ्लावर, नाईजर सीड और शीसम सीड के अलावा कपास के एमएसपी घोषित करती है। खरीफ सीजन में एमएसपी पर धान की ही खरीद ज्यादा होती है, अन्य फसलों की खरीद नाममात्र की ही होती है। सूत्रों के अनुसार इसीलिए केंद्र सरकार धान के बजाए अन्य फसलों जिनकी खरीद समर्थन मूल्य पर नहीं के बराबर होती है, उनके एमएसपी में ज्यादा बढ़ोतरी कर सकती है। 
कई राज्यों में चालू साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने है जबकि 2019 में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं इस​लिए किसानों को केंद्र सरकार से फसलों के एमएसपी को लेकर काफी उम्मीद भी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में 115.90 लाख हैक्टेयर में खरीफ फसलों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 128.35 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। हालांकि अभी बुवाई शुरूवाती चरण में है। सामान्यत: खरीफ सीजन में 10.58 करोड़ हैक्टेयर में फसलों की बुवाई होती है। ..............  आर एस राणा

चीनी में मांग कम होने से गिरावट, स्टॉकिस्ट जुलाई के कोटे का रहे हैं इंतजार

आर एस राणा
नई दिल्ली। जुलाई महीने का चीनी का कोटा अगले सप्ताह आने की संभावना है, इसीलिए स्टॉकिस्टों की मांग कम आ रही है जिससे चीनी की कीमतों में गिरावट आई है। चालू सप्ताह में इसके भाव में 200 से 250 रुपये की गिरावट आ चुकी है। शनिवार को दिल्ली में चीनी के भाव 3,350 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
चीनी कारोबारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि चीनी में ग्राहकी कम होने से मंदा आया है। उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर शनिवार को 3,100 से 3,200 रुपये और महाराष्ट्र में 2,800 से 2,900 रुपये प्रति​ क्विंटल रह गए। जुलाई का कोटा अगले सप्ताह जारी होने की उम्मीद है इसीलिए मांग कम आ रही है।
जून महीने में केंद्र सरकार ने 21 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था, व्यापारियों के अनुसार जुलाई में भी चीनी का कोटा पिछले महीने के बराबर ही आने का अनुमान है। पिछले महीने कोटा तय होने से पहले ही मिलें चीनी बेच चुकी थी, इसलिए भाव में तेजी बनी थी। आगे त्यौहारी सीजन है इसलिए चीनी में बड़ी खपत कपंनियों की मांग अच्छी बनी रहने का अनुमान है इसलिए आगे तेजी-मंदी भी केंद्र सरकार तय कोटे के आधार पर ही बनेगी। ...........  आर एस राणा

कई राज्यों में प्री-मानसून एवं मानसून की बारिश कम, खरीफ फसलों की बुवाई पिछड़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में प्री-मानसून के साथ ही मानसून की बारिश कम होने से खरीफ फसलों की बुवाई पिछड़ रही है। कपास, तिलहन, दलहन और धान के साथ ही मोटे अनाजों की बुवाई पिछले साल की तुलना में घटी है। हालांकि अभी बुवाई शुरूआती चरण में है, तथा आगे जैसे-जैसे मानसून की सक्रियता बढ़ेगी, फसलों की बुवाई में भी तेजी आने का अनुमान है। 
मौसम विभाग ने चालू खरीफ में मानसून सामान्य रहने की भविष्यवाणी की थी। मानसून ने केरल में तय समय से तीन दिन पहले ही दस्तक भी दे दी थी,​ जिससे खरीफ फसलों की अच्छी बुवाई की आस बंधी थी लेकिन 15 जून के बाद से मानसून महाराष्ट्र से आगे नहीं बढ़ रहा है, साथ ही देश आधे से अधिक भाग में प्री-मानसून की बारिश भी सामान्य से कम हुई है जिसका असर खरीफ फसलों की बुवाई पर दिख रहा है।
खरीफ फसलों की कुल बुवाई पिछे
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में फसलों की बुवाई अभी तक केवल 115.90 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 128.35 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
कपास और मोटे अनाजों की पर भी असर
मंत्रालय के अनुसार कपास की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 20.68 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 24.70 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई हो चुकी थी। इसी तरह से मोटे अनाजों की बुवाई भी चालू सीजन में पिछड़ कर 16.69 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 18.34 लाख हैक्टेयर में मोटे अनाजों की बुवाई हो चुकी थी।
तिलहनी फसलों के साथ ही दलहन की बुवाई भी घटी
तिलहनी फसलों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक केवल 5.03 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 9.93 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। तिलहनी फसलों में मूंगफली और सोयाबीन की बुवाई पिछे चल रही है। खरीफ दलहनी फसलों अरहर, उड़द और मूंग आदि की बुवाई भी चालू खरीफ में घटकर 5.91 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 7.82 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
धान की रोपाई कम, गन्ना की बुवाई ज्यादा 
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू सीजन में 10.67 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रोपाई 11.17 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। गन्ना की बुवाई जरुर चालू खरीफ में बढ़कर 50.01 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 49.48 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।............   आर एस राणा

खाड़ी देशों की आयात मांग से बासमती में सुधार, आगे कीमतों में फिर मंदा आने की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। रमजान का महीना समाप्त होने के बाद बासमती चावल में खाड़ी देशों की आयात मांग बढ़ी है जिससे घरेलू बाजार में बासमती चावल और धान की कीमतों में 100 से 200 रुपये की तेजी आई है। 15 जून से मानसून की गति धीमी हो गई है, लेकिन मौसम विभाग के अनुसार चालू सप्ताह के आखिर तक मानसून फिर रफ्तार पकड़ेगा। इसलिए बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में आगे मंदा ही आने का अनुमान है।
चावल और धान की कीमतों में हल्का सुधार
चावल कारोबारी रामनिवास खुरानिया ने बताया कि रमजान के कारण महीने भर से खाड़ी देशों की आयात मांग बासमती चावल में कम थी। रमजान समाप्त हो गया है इसलिए खाड़ी देशों की आयात मांग बढ़ी ​है जिससे घरेलू मंडियों में बासमती चावल और धान की कीमतों सुधार आया है। हरियाणा की कैथल मंडी में बुधवार को पूसा बासमती धान 1,121 का भाव बढ़कर 3,600 रुपये और पूसा बासमती चावल 1,121 सेला का भाव 6,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। पूसा बासमती चावल 1,509 का भाव बढ़कर 5,900 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।
निर्यातकों की मांग कमजोर
चावल की निर्यातक फर्म केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल मित्तल ने बताया कि रमजान के बाद बासमती चावल की निर्यात मांग में थोड़ा सुधार आया है जिससे इनके भाव बढ़े हैं। उन्होंने बताया कि बासमती चावल के ​नए निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे है जबकि मानसून की रफ्तार धीमी होने का असर भी धान और चावल की कीमतों पर पड़ा है, ऐसे में आगे जैसे ही मानसून गति पकड़ेगा, इनकी कीमतों में फिर गिरावट आने का अनुमान है। वैसे भी उत्पादक राज्यों में बासमती चावल का बकाया स्टॉक अच्छा है।
अप्रैल में बासमती चावल का निर्यात घटा
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल महीने में बासमती चावल का निर्यात घटकर 3,70,183 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल महीने में इसका निर्यात 3,89,542 टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2017-19 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 40.51 लाख टन का हुआ था, जोकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 के 39.85 लाख टन से ज्यादा था।...... आर एस राणा

समर्थन मूल्य पर रिकार्ड 25.81 लाख टन चना की खरीद, भाव में बड़ी तेजी नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में नेफेड न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 25.81 लाख टन चना की रिकार्ड खरीद कर चुकी है, इसके बावजूद भी उत्पादक मंडियों में चना के भाव समर्थन मूल्य से नीचे बने हुए हैं। चना की कीमतों में पिछले दो दिनों में हल्का सुधार आया है लेकिन रिकार्ड उत्पादन अनुमान के कारण अभी बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। 
चना कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना के भाव 3,400 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। दिल्ली की लारेंस रोड़ मंडी में चना का भाव 3,775 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल रहे। जुलाई-अगस्त में चना दाल और बेसन में मांग ​बढ़ने की संभावना है जिससे चना के भाव में ​आगे मिलों की मांग बढ़ने पर 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी बन सकती है। 
खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की
नेफेड के अनुसार चालू रबी में चना की रिकार्ड समर्थन मूल्य पर खरीद 25.81 लाख टन की हो चुकी है। मध्य प्रदेश से सबसे ज्यादा 15.91 लाख टन, राजस्थान से 4.75 लाख टन और महाराष्ट्र से 1.71 लाख टन चना की समर्थन मूल्य पर खरीद हो चुकी है।
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में चना का रिकार्ड 111.6 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 93.8 लाख टन चना का उत्पादन हुआ था।
चना आयात पर 60 फीसदी शुल्क
घरेलू बाजार में चना की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने मार्च में आयात शुल्क को बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया था। आयात शुल्क में बढ़ोतरी से सचना के आयात पड़ते तो नहीं लग रहे, लेकिन बंपर उत्पादन अनुमान से भाव में तेजी नहीं आ पाई। ............ आर एस राणा

उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 120 लाख टन के करीब

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू गन्ना पेराई सीजन 2017-18 में उत्तर प्रदेश में मध्य जून तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 119.88 लाख टन का हो चुका है जोकि पिछले साल की तुलना में 32.15 लाख टन ज्यादा है। केंद्र सरकार जुलाई में बेचे जाने वाले कोटे की घोषणा अगले सप्ताह कर सकती है ​इसलिए चीनी के मौजूदा भाव में आगामी सप्ताह में हल्की गिरावट आ सकती है। 
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पहली अक्टूबर 2017 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 119.88 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में केवल 87.73 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में राज्य में गन्ने में रिकवरी की औसतन दर 10.86 फीसदी की आई है जबकि पिछले पेराई सीजन में रिकवरी की औसतन दर 10.61 फीसदी की ही आई थी।
केंद्र सरकार चीनी बेचने के लिए मिलों पर कोटा प्रणाली लागू की हुई है, तथा उम्मीद है कि जुलाई में बेचे जाने वाले कोटे की घोषणा अगले सप्ताह हो सकती है। इसलिए आगामी सप्ताह में घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ सकती है। 
उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने मध्य जून तक किसानों से 35,402 करोड़ रुपये का गन्ना खरीदा है तथा पेराई सीजन लगभग समाप्ति की और है जबकि राज्य की चीनी मिलों पर करीब 12,400 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया बचा हुआ है। ..............  आर एस राणा

विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती, निर्यात बढ़ने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती होने के कारण निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है, जिससे घरेलू बाजार में इसके भाव में तेजी आई है। सोमवार को अहमदाबाद में शंकर-6 किस्म की कपास का भाव बढ़कर 48,000 से 48,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) हो गया। हालांकि अमेरिका और चीन के आपसी तनाव से ​न्यूयार्क वायदा में कपास की कीमतों में नरमी आकर सोमवार को भाव 90.72 सेंट प्रति पाउंड रहे। 
निर्यात में होगी बढ़ोतरी, आयात घटेगा
कॉटन एडवाईजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुसार चालू फसल सीजन में कपास का निर्यात बढ़कर 70 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलोग्राम) होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन में इसका निर्यात केवल 58.21 लाख गांठ का ही हुआ था। ​इसके साथ ही कपास के आयात में भी 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आकर कुल 15 लाख गांठ का ही आयात होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन में 30.94 लाख गांठ का आयात हुआ था।
बकाया स्टॉक पिछले साल के लगभग बराबर ही बचने का अनुमान
सीएबी के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन बढ़कर 370 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 345 लाख गांठ का ही उत्पादन हुआ था। नई फसल के समय उत्पादक राज्यों की मंडियों में 43.76 लाख गांठ का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। ऐसे में उत्पादन और आयात तथा बकाया स्टॉक को जोड़कर कुल उपलब्धता करीब 428.76 लाख गांठ की बैठेगी, जबकि सालाना खपत 385.50 लाख गांठ (निर्यात भी मिलाकर) होने का अनुमान है। ऐसे में अक्टूबर से शुरू होने वाले नए फसल सीजन के आरंभ में कपास का बकाया स्टॉक पिछले साल के लगभग बराबर ही 43.26 गांठ बचने का अनुमान है।
न्यूयार्क में कपास के भाव में आई नरमी
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती होने के कारण निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है, जिसका असर घरेलू बाजार में कपास की कीमतों पर पड़ रहा है। सोमवार को न्यूयार्क वायदा आईसीई में कपास के जुलाई वायदा का भाव 90.72 सेंट प्रति पाडंड रहा जबकि पिछले सप्ताह इसका भाव 95 सेंट प्र​ति पाउंड था। उन्होंने बताया कि अमेरिका ने चीन से आयातित वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने के साथ ही चीन द्वारा भी आयात शुल्क बढ़ाने की आशंका से विश्व बाजार में कपास की नरमी ​आई है। ​कपास में निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है इसलिए घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में अभी ज्यादा मंदे की उम्मीद नहीं है।
बुवाई में आई तेजी
चालू खरीफ में कपास की अब तेजी आने लगी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की बुवाई 16.91 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 16.67 लाख हैक्टेयर में हुई थी। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बुवाई पूरी हो चुकी है।............  आर एस राणा

15 जून 2018

केंद्र ने की खाद्य तेलों के आयात शुल्क में 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में तिलहनों के साथ ही खाद्य तेलों की कीमतोंं में सुधार लाने के लिए हर तरह के प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार ने आयातित खाद्य तेलों क्रुड सोया डीगम, सनफ्लावर क्रुड तेल और कनोला के आयात शुल्क में 5 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है, जबकि सुबह सरकार ने खाद्य तेलों और तिलहनों पर से स्टॉक लिमिट को हटा लिया था।
सूत्रों के अनुसार क्रुड सोया डिगम के आयात पर शुल्क को 30 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी कर दिया है जबकि क्रुड सनफ्लावर तेल तथा कनोला तेल के आयात पर शुल्क को 25 फीसदी से बढ़ाकर 35 फीसदी कर दिया है। सूत्रों के अनुसार जल्दी ही इसकी अधिसूचना जारी कर दी जायेगी। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने आउटलुक को बताया कि केंद्र सरकार ने क्रुड सोया डिगम, क्रुड सनफ्लावर तेल और कनोला के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर दी है, इसके साथ ही खाद्य तेलों और तिलहनों पर लगी स्टॉक लिमिट को भी हटा लिया है, इससे ​तिलहन किसानों को फायदा होगा। 
उत्पादक मंडियों में रबी तिलहनों की प्रमुख फसल सरसों, मूंगफली और सूरजमुखी के भाव न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं। उत्पादक मंडियों में सरसों के भाव 3,500 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि एमएसपी 4,000 रुपये प्रति क्विंटल है।
एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-17 से अक्टूबर-18 के पहले 7 महीनों नवंबर से मई के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में एक फीसदी की बढ़ोतरी होकर 86,04,535 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 85,22,704 टन का ही हुआ था।.............  आर एस राणा

केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट हटाई, मई में आयात में आई कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में तिलहनों के साथ ही खाद्य तेलों की कीमतों में चल रही गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने इन पर लगी स्टॉक लिमिट को हटा दिया है। उत्पादक राज्यों की मंडियों में तिलहनी फसलों सरसों और मूंगफली के भाव समर्थन मूल्य से नीचे बने हुए हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर मजबूत होने से मई में खाद्य तेलों के आयात में 7 फीसदी की कमी आई है।
खाद्य मंत्रालय द्वारा गुरूवार को जारी अधिसचूना के अनुसार खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया है। केंद्र सरकार ने 29 सितंबर 2017 को खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक लिमिट को एक साल के लिए बढ़ा दिया था। उन्होंने बताया कि स्टॉक लिमिट हटाने का फायदा तिलहनी किसानों को होगा।
स्टॉक लिमिट हटाने से किसानों को होगा फायदा
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि​ तिलहनों और खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट हटाने की मांग उद्योग काफी समय से कर रहा था, केंद्र सरकार द्वारा स्टॉक लिमिट हटाने से किसानों को फायदा होगा। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के अलावा कई राज्यों ने तिलहनों और खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट लगा रखी है जिस कारण तेल मिलें स्टॉक से ज्यादा तिलहनों की खरीद नहीं पा रही है। महाराष्ट्र में तेल मिलें कुल पेराई क्षमता के 45 दिन का ही स्टॉक रख सकती हैं।
डॉलर की मजबूती से मई में घटा तेलों का आयात
एसईए के अनुसार मई में खाद्य तेलों एवं अखाद्य तेलों के आयात में 7 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 12,46,462 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल मई में इनका आयात 13,84,439 टन का हुआ था। ​खाद्य तेलों के कारोबारी हेंमत गुप्ता ने बताया कि रुपये के मुकाबले डॉलर की मजबूती और घरेलू बाजार में खाद्य तेलों का स्टॉक ज्यादा होने के कारण मई में आयात में कमी आई है। 
चालू तेल वर्ष के 7 महीनों में आयात एक फीसदी ज्यादा
एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-17 से अक्टूबर-18 के पहले 7 महीनों नवंबर से मई के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में एक फीसदी की बढ़ोतरी होकर 86,04,535 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात केवल 85,22,704 टन का ही हुआ था।
आयातित खाद्य तेलों के भाव घटे
आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में अप्रैल की तुलना में मई में गिरावट आई है। एसईए के अनुसार भारतीय बंदरगाह पर क्रुड पॉम तेल का भाव 652 डॉलर प्रति टन रह गया जबकि अप्रैल में इसका भाव 664 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से आरबीडी पॉमोलीन का भाव इस दौरान 673 डॉलर से घटकर 661 डॉलर प्रति टन रह गया। 
तिलहनों के भाव एमएसपी से नीचे
उत्पादक मंडियों में सरसों के भाव 3,500 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केंद्र सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। इसी तरह से मूंगफली का दाम मंडियों में 3,900 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मूंगफली का एमएसपी 4,450 रुपये प्रति क्विंटल है। ............  आर एस राणा

14 जून 2018

केंद्र ने दलहन आयात को दी मंजूरी, आखिर किसको फायदा पहुंचाना चाहती है सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू मंडियों में किसान समर्थन मूल्य से आधी कीमत पर दालें बेचने को मजबूर हैं, इससे बेखबर केंद्र सरकार ने दाल मिलों को अरहर, उड़द और मूंग के आयात की मंजूरी दे दी है।
विदेशी व्यापार महानिदेशाल (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार देशभर की 345 दाल मिलों को दलहन आयात की मंजूरी दी गई है। इसके तहत 1,99,891 टन अरहर, 1,49,964 टन मूंग और 1,49,982 टन उड़द का आयात किया जायेगा। 
डीजीएफटी के अनुसार दाल मिलों को 30 अगस्त 2018 से पहले दलहन की शिपमेंट लोड करानी होगी तथा 31 अगस्त तक सभी आयातकों को इसकी जानकारी क्षेत्रीय प्राधिकरण को देनी होगी।
एमएसपी से नीचे बिक रही हैं दालें
महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों की उत्पादक मंडियों में किसान 3,000 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल के भाव अरहर बेच रहे हैं जबकि केंद्र सरकार ने अरहर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,450 रुपये प्रति क्विंटल तय कर रखा है। इसी तरह से उड़द के भाव उत्पादक मंडियों में 3,550 से 3,750 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे है जबकि उड़द का समर्थन मूल्य केंद्र सरकार ने 5,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। मूंग के भाव उत्तर प्रदेश की ललितपुर मंडी में 2,900 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि पिछले साल इसके भाव 4,900 से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल थे। मसूर का एमएसपी 4,250 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। मूंग के भाव उत्पादक मंडियों में  4,200 से 4,400 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि मूंग का एमएसपी 5,575 रुपये प्रति क्विंटल है।
रिकार्ड पैदावार का अनुमान
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में 245.1 लाख टन का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन में इनका उत्पादन 231.3 लाख टन का हुआ था।....   आर एस राणा

कपास की नई फसल के अगाऊ सौदे कर रहा है चीन, भाव रहेंगे तेज

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीन ने भारत से कपास की नई फसल के नवंबर-दिसंबर की शिपमेंट के आयात सौदे शुरू कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार चीन के करीब 4 से 5 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) के आयात सौदे किए हैं। घरेलू मंडियों में कपास की नई फसल की आवक सितंबर-अक्टूबर में बनेगी।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के अनुसार चीन के आयातकों ने कपास की नई फसल के आयात सौदे नवंबर-दिसंबर शिपमेंट के शुरू कर दिए हैं। सूत्रों के अनुसार चीन द्वारा कपास के आयात सौदे 86 से 92 सेंट प्रति पाउंड (सीएडंएफ) किए गए हैं। न्यूयार्क कॉटन वायदा में 13 जून को कपास का भाव 94 सेंट प्रति पाउंड पर बंद हुआ था।
चालू खरीफ में बुवाई चल रही है पिछे
उत्तर भारत के राज्यों में कपास की बुवाई समाप्त हो चुकी है जबकि अन्य राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में बुवाई चल रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुवाई घटकर 12.48 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 14.06 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई हो चुकी थी।
विश्व बाजार में भारतीय कपास सस्ती
कपास व्यापारी नरेश राठी ने बताया कि चालू सीजन में घरेलू मंडियों में कपास के भाव उंचे रहे हैं, इसलिए प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक में कपास की बुवाई ज्यादा होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में निर्यात ज्यादा हुआ है जबकि आयात में कमी आई है इसीलिए घरेलू मंडियों में भाव तेज बने हुए है। इस विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है इसलिए निर्यात मांग अच्छी बनी रहने का अनुमान है जिससे घरेलू मंडियों में इसके भाव में और भी तेजी आने का अनुमान है। 
कपास का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन 365 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 337.25 लाख गांठ का ही हुआ था।..........  आर एस राणा

गेहूं के बिक्री भाव में 100 रुपये की बढ़ोतरी संभव, केंद्रीय पूल में बंपर स्टॉक

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं का बिक्री भाव बढ़ाकर 1,890 रुपये प्रति क्विवंटल तय कर सकती है। पिछले साल इसके तहत गेहूं की बिक्री 1,790 रुपये प्रति क्विंटल (एक्स लुधियाना) के आधार पर की गई थी।
केंद्रीय पूल में गेहूं का बंपर स्टॉक
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 110 रुपये की बढ़ोतरी की गई है इसलिए ओएमएसएस के तहत इसके बिक्री भाव में 100 रुपये की बढ़ोतरी करने की सिफारिश की गई है। उन्होंने बताया कि चालू रबी में गेहूं की खरीद बढ़कर 353.59 लाख टन की हो चुकी है तथा केंद्रीय पूल में गेहूं का बंपर स्टॉक पहली जून को 437.55 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल पहली जून को केंद्रीय पूल में केवल 334.40 लाख टन गेहूं का ही स्टॉक जमा था।
गेहूं के आयात पड़ते नहीं
बंगलुरु स्थित गेहूं कारोबारी फर्म प्रवीन कामर्शियल कंपनी के प्रबंधक नवीन गुप्ता ने बताया कि उत्तर प्रदेश से बंगलुरु पहुंच गेहूं के भाव 2,000 से 2,010 रुपये और राजस्थान के गेहूं के भाव 2,100 रुपये प्र​ति क्विंटल चल रहे हैं। केंद्र सरकार ओएमएसएस के तहत 1,890 रुपये के भाव गेहूं बेचेगी तो बंगलुरु पहुंच 2,240 से 2,250 रुपये प्रति क्विंटल बैठेगा। इसलिए जब तक उत्तर प्रदेश और राजस्थान से आवक बनी रहेगी, तब तक एफसीआई से मिलें खरीद नहीं करेंगी। उत्पादक मंडियों में गेहूं की आवक कम होने के बाद इसके भाव 100 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी बनने की संभावना है। 
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा गेहूं के आयात शुल्क को 30 फीसदी कर देने से आयात नहीं हो पायेगा। यूक्रेन से आयातित लाल गेहूं के भाव 228 से 230 डॉलर प्रति टनऔर आस्ट्रेलियाई गेहूं के भाव 270 डॉलर प्रति टन (एफओबी) है ​इसलिए आयात पड़ते नहीं लगेंगे।
खुले बाजार में गेहूं के भाव नीचे
रोलर फ्लोर मिल फैडरेशन आॅफ इंडिया (आरएफएमएफआई) की सचिव वीणा शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार ने अगर ओएमएसएस के तहत गेहूं के बिक्री भाव में बढ़ोतरी की तो फिर केंद्रीय पूल से गेहूं का उठाव अगले दो-तीन महीनें तो नहीं हो पायेगा। इस समय दिल्ली में गेहूं के भाव 1,755 से 1,760 रुपये प्रति क्विंटल है तथा उत्तर प्रदेश से आवक बराबर बनी हुई है।
गेहूं की बंपर हो चुकी खरीद
एफसीआई के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन में गेहूं की सरकारी खरीद बढ़कर 353.59 लाख टन की हो चुकी है जबकि खरीद का लक्ष्य केवल 320 लाख टन का ही था। अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब से 126.90 लाख टन, हरियाणा से 87.39 लाख टन, मध्य प्रदेश से 72.86 लाख टन और उत्तर प्रदेश से 49.63 लाख टन तथा राजस्थान से 15 लाख टन गेहूं खरीदा गया है।...........   आर एस राणा

13 जून 2018

कपास का निर्यात 70 लाख गांठ होने का अनुमान, उत्पादन अनुमान में भी बढ़ोतरी-सीएआई

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का निर्यात बढ़कर 70 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 63 लाख गांठ से ज्यादा। चालूसीजन में कपास का उत्पादन 365 लाख गांठ होने का अनुमान है जोकि पहले के अनुमान से 5 लाख गांठ ज्यादा है।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन बढ़कर 365 लाख गांठ होने का अनुमान है जोकि पहले अनुमान के मुकाबले 5 लाख गांठ ज्यादा है। उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश में प्रति हैक्टेयर उत्पादकता ज्यादा होना है। गुजरात में कपास के उत्पादन अनुमान में 3 लाख गांठ, कर्नाटक में एक लाख गांठ, आंध्रप्रदेश में 50 हजार गांठ और 25 हजार गांठ मध्य प्रदेश और तमिलनाडु में पहले के उत्पादन से ज्यादा होने की संभावना है। 
निर्यात बढ़ेगा, आयात में आयेगी कमी
सीएआई के अनुसार विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती होने के कारण निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है तथा चालू सीजन में अक्टूबर से मई के दौरान कपास की 62 लाख गांठ की शिपमेंट हो चुकी है तथा कुल निर्यात बढ़कर 70 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल कुल निर्यात 63 लाख गांठ का हुआ था। मई आखिर तक उत्पादक राज्यों की मंडियों में 340 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है जबकि कपास का आयात मई आखिर तक केवल 8.5 लाख गांठ का ही हुआ है। फसल सीजन 2016-17 में कपास का आयात 27 लाख गांठ का हुआ था, जबकि चालू फसल सीजन 2017-18 में आयात घटकर 15 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है।
नई फसल के समय बकाया स्टॉक बचेगा कम
सीएआई के अनुसार पहली अक्टूबर 2018 को नई फसल की आवक के समय घरेलू बाजार में कपास का कुल स्टॉक घटकर 16 लाख गांठ का ही बचने की संभावना है जबकि चालू फसल सीजन के आरंभ में अक्टूबर 2017 के समय 30 लाख गांठ का स्टॉक बचा हुआ था।
पंजाब और हरियाणा में बुवाई घटी
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष नरेश राठी के अनुसार​ विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है, ​इसलिए निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है। चालू खरीफ सीजन में उत्तर भारत के राज्यों पंजाब और हरियाणा में कपास की बुवाई घटी है तथा इन राज्यों में बुवाई का समय समाप्त हो चुका है। इसीलिए घरेलू बाजार में कपास की कीमतों में और तेजी आने का अनुमान है।
कुल बुवाई में पिछड़ी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की बुवाई घटकर 12.48 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 14.06 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई हो चुकी थी। ..........  आर एस राणा

सोया डीओसी का निर्यात घटा, मानसूनी बारिश अच्छी होने के अनुमान से कीमतों पर दबाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में मानसूनी बारिश अच्छी होने के अनुमान से सोयाबीन की बुवाई बढ़ने का अनुमान है जिससे इसकी कीमतों में गिरावट बनी हुई है। विश्व बाजार में सोया डीओसी के भाव नीचे होने के कारण इसके निर्यात में भी कमी आई है इसलिए आगामी दिनों में सोयाबीन की कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (सोपा) के अनुसार मई में सोया डीओसी का निर्यात घटकर 47,000 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल मई में इसका निर्यात 1.29 लाख टन का हुआ था। सोपा के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने बताया कि विश्व बाजार में सोया डीओसी के भाव नीचे है इसीलिए हमारे यहा से निर्यात सौदे कम हो रहे है। उन्होंने बताया कि चालू फसल सीजन 2017-18 के अक्टूबर से मई के दौरान सोया डीओसी का निर्यात घटकर 12.13 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले फसल सीजन की समान अवधि में इसका निर्यात 15.23 लाख टन का हुआ था।
सोपा के अनुसार चालू फसल सीजन में अक्टूबर से मई के दौरान उत्पादक मंडियों में 71 हजार टन सोयाबीन की आवक हुई है, जबकि उत्पादक मंडियों में बकाया करीब 21 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है। साई सिमरन फूड लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर नरेश गोयनका ने बताया कि सोयाबीन की आवक 4 से 5 लाख टन की हर महीने हो रही है ऐसे में नई फसल की आवक से पहले 15-16 लाख टन की खपत हो पायेगी। अत: नई फसल की आवक के समय करीब पांच से छह लाख टन सोयाबीन का बकाया स्टॉक बचेगा।
इंदौर के सोयाबीन कारोबारी विरेंद्र गुप्ता ने बताया कि मौसम विभाग ने चालू खरीफ में मानसूनी बारिश अच्छी होने की भविष्यवाणी की हुई है, जिसकी वजह से सोयाबीन की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में मानसूनी बारिश अच्छी हुई तो सोयाबीन की बुवाई भी बढ़ने का अनुमान है।.....         आर एस राणा

12 जून 2018

गेहूं की एमएसपी पर खरीद 352 लाख टन के करीब, यूपी में आवक चालू

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद 351.95 लाख टन की हो चुकी है जबकि उत्तर प्रदेश की मंडियों में अभी भी गेहूं की आवक बनी हुई है इसलिए खरीद में और भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
तय लक्ष्य से ज्यादा हुई है खरीद
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी में खरीद बढ़कर 351.95 लाख टन की हो गई है जोकि तय लक्ष्य 320 लाख टन से ज्यादा है। पिछले साल समर्थन मूल्य पर केवल 308.25 लाख टन गेहूं की खरीद ही हो पाई थी।
पंजाब और हरियाणा से खरीद हो चुकी है बंद
प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब से गेहूं की खरीद बढ़कर चालू रबी में 126.90 लाख टन की हो गई है जबकि पिछले साल राज्य से केवल 117.04 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। इसी तरह हरियाणा से चालू रबी में समर्थन मूल्य पर रिकार्ड 87.39 लाख टन गेहूं की खरीद हुई है जबकि पिछले साल राज्य से केवल 74.32 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। इन राज्यों की मंडियों में आवक बंद होने के कारण खरीद भी बंद हो चुकी है।
उत्तर प्रदेश में बनी हुई है आवक
मध्य प्रदेश से चालू रबी विपणन सीजन में गेहूं की खरीद बढ़कर 72.86 लाख टन की हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य की मंडियों से 67.24 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी। उत्तर प्रदेश से चालू रबी में गेहूं की खरीद बढ़कर 48.08 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल राज्य की मंडियों से केवल 32.66 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई थी। राज्य की मंडियों में गेहूं की दैनिक आवक 40 से 50 हजार टन की हो रही है इसलिए आगामी दिनों में उत्तर प्रदेश से खरीद में और बढ़ोतरी होने की संभावना है।
राजस्थान से खरीद पिछले साल से ज्यादा
अन्य राज्यों में राजस्थान से चालू रबी में गेहूं की खरीद बढ़कर 15.12 लाख टन की हुई है जबकि पिछले साल राज्य की मंडियों से केवल 11.98 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया था। उत्तराखंड से 1.02 लाख टन, गुजरात से 37,278 टन और चंडीगढ़ से 14,195 टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदा गया है।........... आर एस राणा

रबी में दलहन की रिकार्ड खरीद, कीमतों पर बनेगा दबाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर रिकार्ड 25 लाख टन से ज्यादा दलहन की खरीद हो चुकी है। नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू रबी सीजन में समर्थन मूल्य पर दालों की सबसे ज्यादा खरीद मध्य प्रदेश और राजस्थान से हुई है।
नेफेड समर्थन मूल्य पर चालू रबी में रिकार्ड 22.58 लाख टन चना की खरीद कर चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी मध्य प्रदेश की 14.31 लाख टन और राजस्थान की 3.95 लाख टन की है। इसके अलावा नेफेड ने समर्थन मूल्य पर 2.19 लाख टन मसूर खरीदी है। मसूर का उत्पादन मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में होता है, अत: नेफेड ने मध्य प्रदेश से एमएसपी पर 2.16 लाख टन मसूर खरीदी है जोकि कुछ खरीद का 90 फीसदी से ज्यादा हिस्सा है। इसके अलावा उड़द और मूंग की खरीद सीमित मात्रा में ही हुई है। इन राज्यों से एमएसपी पर खरीद अभी चल रही है अत: आगे खरीद में और बढ़ोतरी होगी।
केंद्र सरकार खरीद की तारिख को तीन बार बढ़ा चुकी है
केंद्र सरकार भी चुनावी साल में किसानों की नाराजगी मोल नहीं लेना चाहती, इसलिए मध्य प्रदेश से दलहन की एमएसपी पर खरीद की तारिख को तीन बार केंद्र सरकार बढ़ाने की अनुमति दे चुकी है। राज्य से समर्थन मूल्य पर दालों की खरीद 20 जून तक की जायेगी, जबकि पहले 9 जून तक खरीद की जानी थी।
उत्पादक मंडियों में भाव समर्थन मूल्य से नीचे
प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना के भाव 3,200 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए चना का समर्थन मूल्य 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) घोषित किया हुआ है। इसी तरह से उत्पादक मंडियों में मसूर के भाव 3,000 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल रहे हैं जबकि मसूर का समर्थन मूल्य 4,250 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है।
दलहन का रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरभिंक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में चना का रिकार्ड उत्पादन 111.6 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 93.8 लाख टन का हुआ था। मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में दलहन का रिकार्ड 245.1 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 231.3 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था ।............  आर एस राणा

न्यूनतम बि​​क्री भाव तय करने के बाद चीनी के दाम 400 रुपये बढ़े

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव एक्स फैक्ट्री 2,900 रुपये प्रति क्विंटल तय करने के बाद इसकी कीमतों में 350 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। शनिवार को उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव बढ़कर 3,350 से 3,400 रुपये और महाराष्ट्र में 3,150 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दिल्ली में चीनी की कीमतें बढ़कर 3,650 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।
नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने 6 जून को चीनी के न्यूनतम बिक्री भाव एक्स फैक्ट्री 2,900 रुपये प्रति क्विंटल तय किए थे ताकि किसानों के बकाया भुगतान में तेजी आ सके। चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों पर देशभर के किसानों की बकाया राशि बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये को पार कर चुकी है जबकि सबसे ज्यादा बकाया उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर 12,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है।
हल्का सुधार और भी संभव
चीनी कारोबारी फर्म एसएनबी इंटरप्राइजेज के प्रबंध सुधीर भालोठिया ने बताया कि पिछले तीन दिनों में चीनी की कीमतों में 350 से 400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई है। गर्मी ज्यादा होने के कारण बड़ी खपत कंपनियों की मांग चीनी में अच्छी बनी हुई है जिससे इसके मौजूदा भाव में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की और भी तेजी आने का अनुमान है। हालांकि चीनी मिलों के पास चीनी का स्टॉक ज्यादा है इसलिए मौजूदा भाव में अब बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं है। उन्होंने बताया कि विश्व बाजार में भाव काफी नीचे हैं, जबकि घरेलू बाजार में भाव बढ़ गए हैं। इसलिए निर्यात की संभावना नहीं है।
​चीनी का रिकार्ड उत्पादन
उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2017 से अभी तक चीनी का उत्पादन बढ़कर रिकार्ड 315 लाख टन हो चुका है जबकि देश में चीनी की सालाना खपत करीब 245 से 250 लाख टन की ही होती है। चालू सीजन में पेराई आरंभ होने के समय घरेलू बाजार में करीब 40 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, ऐसे में घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता ज्यादा है।
गन्ना की बुवाई बढ़ी 
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में गन्ने की बुवाई बढ़कर 49.95 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 49.46 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मौसम विभाग के अनुसार चालू खरीफ में मानसूनी बारिश अच्छी होने का अनुमान है इसलिए आगामी पेराई सीजन में भी चीनी का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है।.............   आर एस राणा


09 जून 2018

प्री-मानसूनी बारिश कम होने से खरीफ फसलों की बुवाई पिछड़ी, गन्ने की बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में प्री-मानसून की बारिश कम होने से चालू खरीफ सीजन में कपास, धान और दलहन की बुवाई पिछड़ी है, वहीं गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार अभी तक देशभर में 84.61 लाख हैक्टेयर में ही खरीफ फसलों की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 85.81 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। खरीफ फसलों की बुवाई अभी शुरूआती चरण में है, तथा आगामी दिनों में जैसे-जैसे मानसूनी बारिश होगी इनकी बुवाई में तेजी आयेगी। 
मंत्रालय के अनुसार कपास की बुवाई अभी तक केवल 12.48 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 14.06 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई हो चुकी थी।
उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास की बुवाई पूरी हो चुकी है तथा इन राज्यों में बुवाई घटी है। अन्य राज्यों मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र तथा आंध्रप्रदेश में कपास की बुवाई अभी शुरू ही हुई है।
गन्ने की बुवाई चालू सीजन में बढ़कर 49.95 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 49.46 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। चालू पेराई सीजन में गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी से चीनी का रिकार्ड उत्पादन हुआ है, अत: बुवाई में हुई बढ़ोतरी से आगामी पेराई सीजन में भी चीनी का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है।
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 6.32 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 6.64 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। चालू खरीफ में मानसूनी बारिश अच्छी होने का अनुमान है इसलिए आगामी दिनों में धान की रोपाई में तेजी आयेगी। दलहनी फसलों की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 1.87 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 1.98 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
मोटे अनाजों की बुवाई भी चालू खरीफ सीजन में अभी तक 6.20 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 5.70 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। खरीफ तिलहनों सोयाबीन और मूंगफली की बुवाई अभी शुरूआती चरण में ही है, तथा अभी तक केवल 90 हजार हैक्टेयर में ही इनकी बुवाई हुई है।..........  आर एस राणा

सरकार एमएसपी से 2,000 रुपये नीचे बेच रही है दालें, किसानों को कैसे मिलेगा उचित भाव

बासमती चावल में खाड़ी देशों की आयात मांग कम, कीमतों में गिरावट आने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। रमजान के कारण बासमती चावल में खाड़ी देशों की आयात मांग कमजोर बनी हुई है, इसलिए घरेलू बाजार में बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में गिरावट आने का अनुमान है। शुक्रवार को हरियाणा की करनाल मंडी में पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव 6,300 से 6,400 रुपये और पूसा 1,509 बासमती चावल सेला का भाव 5,900 से 6,000 रुपये प्रति क्विंटल रहा। पूसा 1,121 बासमती धान का भाव 3,400 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल है।
एपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जून के आखिर तक बासमती चावल में खाड़ी देशों की आयात मांग कम रहेगी। इन देशों की आयात मांग जुलाई-अगस्त में बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल में बासमती चावल का निर्यात घटकर 3,70,183 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल में 3,89,542 टन का निर्यात हुआ था।
मूल्य के हिसाब से निर्यात बढ़ा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार मूल्य के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के अप्रैल में बढ़ा है। इस दौरान 2,690 करोड़ रुपये मूल्य का बासमती चावल ​का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल में केवल 2,420 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था।
पिछले वर्ष निर्यात में हुई बढ़ोतरी
एपीडा के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 40.51 लाख टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष में इसका निर्यात 39.85 लाख टन का ही हुआ था।
पुराने सौदों की हो रही है शिपमेंट
चावल निर्यातक फर्म केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल मित्तल ने बताया कि बासमती चावल में इस समय खाड़ी देशों की आयात कमजोर है। बासमती चावल में इस समय नए निर्यात सौदे सीमित मात्रा में ही हो रहे हैं, वर्तमान में पहले से हुए सौदों की शिपमेंट ही हो रही है। उन्होंने बताया कि विश्व बाजार में भारतीय पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव 1,000 से 1,020 डॉलर प्रति टन (एफओबी) है। उन्होंने बताया कि अभी महीनाभर मांग कमजोर ही रहेगी। इसलिए घरेलू बाजार में बासमती चावल और धान की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है।..............  आर एस राणा

मध्य प्रदेश से समर्थन मूल्य पर चना की खरीद 20 जून तक, केंद्र ने दी मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की उत्पादक मंडियों में चना की दैनिक आवक के कारण राज्य सरकार ने खरीद की तारिख बढ़ाकर 20 जून कर दी है तथा केंद्र सरकार ने भी इसकी मंजूरी दे दी है। उधर मध्य प्रदेश से चना की खरीद अ​ब भावांतर भुगतान योजना के तहत 13 जून तक करने की मंजूरी राज्य सरकार ने दे दी है।  
नेफेड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मध्य प्रदेश से चना की समर्थन मूल्य पर खरीद 9 जून तक की जानी थी, लेकिन उत्पादक मंडियों में चना की दैनिक आवक को देखते हुए राज्य सरकार ने खरीद की तारिख को बढ़ाकर 20 जून कर दिया है। इससे पहले भी राज्य सरकार ने खरीद की तारिख को 31 मई से बढ़ाकर 9 जून कर दिया था।
चालू रबी में चना की रिकार्ड खरीद
उन्होंने बताया कि चालू रबी में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर नेफेड ने 14.60 लाख टन रिकार्ड चना की खरीद की है। अभी तक हुई कुल खरीद में सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश से 9.09 लाख टन, राजस्थान से 2.67 लाख टन और महाराष्ट्र से 88,709 टन चना की खरीद हो चुकी है।
मसूर की एमएसपी पर कुल खरीद में 90 फीसदी से ज्यादा मध्य प्रदेश से
चना के अलावा निगम से 2.10 लाख टन मसूर की खरीद समर्थन मूल्य पर की है, इसमें मध्य प्रदेश से 2.07 लाख टन की खरीद हुई है।
उत्पादक मंडियों में चना के भाव समर्थन मूल्य से नीचे
प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना के भाव 3,200 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए चना का समर्थन मूल्य 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) घोषित किया हुआ है। 
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरभिंक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में चना का रिकार्ड उत्पादन 111.6 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 93.8 लाख टन का हुआ था। .............आर एस राणा

गेहूं की एमएसपी पर खरीद 350 लाख टन के पार, तय लक्ष्य से 30.81 लाख टन ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बढ़कर 350.81 लाख टन की हो चुकी है जोकि तय लक्ष्य 320 लाख टन से 30.81 लाख टन ज्यादा है। पिछले रबी विपणन सीजन में समर्थन मूल्य पर केवल 308.25 लाख टन गेहूं की ही खरीद हुई थी।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब से चालू सीजन में गेहूं की खरीद 126.90 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल पंजाब से कुल खरीद 117.06 लाख टन की ही हुई थी। पंजाब से चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 119 लाख टन का तय किया था। उधर हरियाणा से चालू रबी में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद बढ़कर 87.39 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल राज्य से कुल खरीद 74.32 लाख टन की ही हुई थी। चालू रबी में राज्य से खरीद का लक्ष्य 74 लाख टन का तय किया था।
मध्य प्रदेश से चालू रबी में गेहूं की एमएसपी पर खरीद बढ़कर 72.86 लाख टन की हो चुकी है जबकि पिछले साल राज्य से समर्थन मूल्य पर कुल 67.25 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। चालू रबी में मध्य प्रदेश से खरीद का लक्ष्य 67 लाख टन का तय किया गया था। उत्तर प्रदेश से चालू रबी में गेहूं की खरीद बढ़कर 47.05 लाख टन की हो चुकी है जबकि खरीद का लक्ष्य 40 लाख टन का ही तय किया गया था। पिछले साल राज्य से एमएपी 36.99 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। ............आर एस राणा

07 जून 2018

चीनी उद्योग को 7,000 करोड़ का राहत पैकेज, कैबिनेट ने न्यनूतम बिक्री भाव 29 रुपये तय किया


आर एस राणा
नई दिल्ली। नकदी के संकट से जूझ रही चीनी मिलों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने 7,000 करोड़ रुपये के राहत पैकेज को मंजूरी दे दी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने के साथ ही चीनी का न्यूनतम बिक्री भाव भी 29 रुपये प्रति किलो तय ​कर दिया।
केंद्र सरकार ने उद्योग को राहत देने के लिए 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने को मंजूरी दे दी है, जिस पर करीब 1,175 करोड़ का खर्च आने का अनुमान है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) के आधार पर चीनी का न्यूनतम बिक्री भाव 29 रुपये प्रति किलो निर्धारित कर दिया है। केंद्र सरकार एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को 4,440 करोड़ रुपये के कर्ज पर ब्याज सब्सिडी देगी, जोकि करीब 1,332 करोड़ रुपये होगी।
चीनी मिलों पर किसानों की बकाया राशि 22,000 करोड़ के पार
चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2017 से अभी तक चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है तथा इसमें सबसे ज्यादा रकम 1,200 करोड़ से ज्यादा अकेले उत्तर प्रदेश के किसानों की है। घरेलू बाजार में चीनी के दाम नीचे बने हुए है, जिस कारण चीनी मिलें गन्ना किसानों का बकाया का भुगतान नहीं कर रही है। अत: गन्ना किसानों को भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
चीनी पर आयात शुल्क 100 फीसदी और निर्यात पर शून्य शुल्क 
इससे पहले भी चीनी उद्योग को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने जहां चीनी के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया था, वहीं 20 फीसदी निर्यात शुल्क को भी शून्य किया था। साथ ही केंद्र सरकार ने 20 लाख टन चीनी के निर्यात की भी अनुमति दी थी।
चीनी का बंपर उत्पादन
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार पहली अक्टूबर 2017 से चालू हुए पेराई सीजन में 30 अप्रैल 2018 तक ही 310.37 लाख टन बंपर चीनी का उत्पादन हो चुका था जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन की ही होती है।.............  आर एस राणा

06 जून 2018

खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी संभव, सस्ते आयात से घरेलू बाजार में घटे हैं भाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में चल रही गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर सकती है। क्रुड सोया तेल, सनफ्लावर तेल और कनोला तेल के आयात पर शुल्क में बढ़ोतरी का प्रस्ताव है।
इस समय क्रुड सोया तेल के आयात पर शुल्क 30 फीसदी और क्रुड सनफ्लावर तेल के आयात तेल तथा कनोला तेल के आयात पर शुल्क 25 फीसदी है। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि हमने केंद्र सरकार से क्रुड सोया तेल, क्रुड सनफ्लावर तेल और कनोला के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 40 फीसदी करने की सिफारिश की है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार इनके आयात शुल्क में बढ़ोतरी करती है तो इससे किसानों को फायदा होगा।
उत्पादक मंडियों में रबी तिलहनों की प्रमुख फसल सरसों, मूंगफली और सूरजमुखी के भाव न्यनूतम स​मर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं। उत्पादक मंडियों में सरसों के भाव 3,500 से 3,600 प्रति क्विंटल है जबकि एमएसपी 4,000 रुपये प्रति क्विंटल है। 
एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-17 से अक्टूबर-18 के पहले छह महीनों नवंबर से अप्रैल के दौरान खाद्य और अखाद्य तेलों का आयात 2.5 फीसदी बढ़कर 71,46,751 टन का हो चुका है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 71,68,265 टन का हुआ था। ............   आर एस राणा

खरीफ फसलों के एमएसपी घोषित होने का अनुमान, धान का समर्थन मूल्य 80 रुपये बढ़ाने की सिफारिश

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों की आय वर्ष-2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य लेकर चल रही केंद्र सरकार खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कल घोषित कर सकती है। केंद्र सरकार खरीफ फसलों के एमएसपी लागत का डेढ़ गुना तय करने की बात करती रही है जबकि एमएसपी तय की सिफारिश करने वाले कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने खरीफ फसलों के एमएसपी में 5 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी की ही सिफारिश की है। आमतौर पर सीएसीपी की सिफारिश मान ली जाती है।
सूत्रों के अनुसार खरीफ की प्रमुख फसल धान के समर्थन मूल्य में 80 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की सिफारिश सीएसीपी ने की है। अत: खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए सामान्य किस्म के धान का एमएसपी 1,630 रुपये और ए ग्रेड के धान का एमएसपी 1,670 रुपये प्रति क्विंटल तय ​हो सकता है। इसके अलावा ज्वार के एमएसपी में 75 रुपये और बाजरा के एमएसपी में 95 रुपये तथा मक्का के एमएसपी में 60 रुपये और रागी का एमएसपी 175 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने की सिफारिश सीएसीपी द्वारा की गई है।
सीएसीपी ने दलहन खरीफ की प्रमुख फसल अरहर और उड़द के एमएसपी में 400-400 रुपये और मूंग के एमएसपी में 350 रुपये बढ़ाने की सिफारिश की है। इसके अलावा कपास के एमएसपी में 160 रुपये और मूंगफली के एमएसपी में 230 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाने की सिफारिश की है।
इस समय उत्पादक मंडियों में खरीफ की दलहनी फसल अरहर, उड़द और मूंग एमएसपी से 1,500 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल नीचे बिक रही है। इसी तरह से मोटे अनाजों में मक्का के साथ जौ और बाजरा के भाव भी उत्पादक मंडियों में समर्थन मूल्य से नीचे चल रहे हैं। ............  आर एस राणा

चीनी मिलों को मिलने जा रहे 8 हजार करोड़ के राहत पैकेज का सच, जानिए पूरा गणित

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार गन्ना किसानों के बकाया भुगतान में तेजी लाने के लिए चीनी मिलों को करीब 8,000 करोड़ रुपये का राहत पैकेज देने पर विचार कर रही है। बुधवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में इस पर निर्णय होने की उम्मीद है।
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकर एथनॉल का उत्पादन बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को 4,500 करोड़ रुपये का कर्ज देने की योजना बना रही है। इसके तहत छह फीसदी ब्याज सब्सिडी का प्रस्ताव है। चीनी मिलों को कर्ज चुकाने के लिए पांच साल का समय मिलेगा। इसके साथ ही 1,200 करोड़ रुपये का पैकेज उद्योग को चीनी का बफर स्टॉक बनाने के लिए तथा 1,500 करोड़ रुपये का पैकेज गन्ना किसानों को गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में 5.50 रुपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने का जो पहले ही केंद्र सरकार ऐलान कर चुकी है, उस मद में जायेगा। 
चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2017 से अभी तक चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 22,000 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है तथा इसमें सबसे ज्यादा रकम 1,200 करोड़ से ज्यादा अकेले उत्तर प्रदेश के किसानों की है। घरेलू बाजार में चीनी के दाम नीचे बने हुए है, जिस कारण चीनी मिलें गन्ना किसानों का बकाया का भुगतान नहीं कर रही है। अत: गन्ना किसानों को भारी आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 
खाद्य मंत्रालय 30 लाख टन चीनी का बफर स्टॉक बनाने पर विचार कर रहा है इस पर कैबिनेट की प्रस्तावित बैठक में बुधवार को फैसला हो सकता है। इसके अलावा अनिवार्य तौर पर चीनी एक्सपोर्ट करने की शर्त भी केंद्र सरकार हटा सकती है।
चीनी मिलों को राहत देने के लिए सरकार चौतरफा कदम उठाने की तैयारी में है। इस बारे में वित्त मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय और खाद्य मंत्रालय प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठक के बाद संबंधित मंत्रालय को इस बारे में निर्देश दिए गए हैं।............  आर एस राणा

05 जून 2018

हरियाणा से एमएसपी पर 2,400 टन सूरजमुखी की खरीद को मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मूल्य सहायता योजना (पीएसएस) के तहत हरियाणा से 2,400 टन सूरजमुखी की खरीद को मंजूरी दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह द्वारा सोमवार को ​टविट पर दी गई जानकारी के अनुसार राज्य से रबी 2018 में इसकी खरीद की जायेगी। 
केंद्र सरकार ने फसल सीजन 2017-18 के लिए सूरजमुखी का न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,100 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में सूरजमुखी के भाव 3,600 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे है।
केंद्र सरकार द्वारा राज्य से सूरजमुखी की खरीद मात्रा पिछले साल से भी कम तय की गई है। पिछले साल केंद्र सरकार ने एमएसपी पर हरियाणा से 3,150 टन सूरजमुखी की खरीद को मंजूरी दी थी। 
हरियाणा में करीब 9 हजार हैक्टेयर भूमि में सूरजमुखी की खेती होती है तथा राज्य में इसका सालाना उत्पादन लगभग 14 से 15 हजार टन का होता है। राज्य में सूरजमुखी का उत्पादन अंबाला और कुरक्षेत्र में ज्यादा होता है।.............  आर एस राणा

गेहूं की सरकारी खरीद 347 लाख टन के पार, कहां करेंगे भंडारण

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बढ़कर 347.24 लाख टन की हो गई है जोकि तय लक्ष्य 320 लाख टन से ज्यादा है। केंद्रीय पूल में पहली मई को खाद्यान्न का 607 लाख टन का स्टॉक मौजूद है जबकि भंडारण की क्षमता 362.50 लाख टन की ही है, ऐसे में चालू रबी में खरीद गए गेहूं का भंडारण खुले में तिरपालों के नीचे करना सरकार की मजबूरी होगी।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू रबी में खरीद बढ़कर 347 लाख टन की हो चुकी है जोकि पिछले साल खरीदे गए 308.25 लाख टन की तुलना में 38.75 लाख टन ज्यादा है। पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से खरीद तय लक्ष्य से ज्यादा हुई है जबकि राजस्थान से खरीद तय लक्ष्य से कम हुई है।
खाद्यान्न का स्टॉक भंडारण क्षमता से ज्यादा
एफसीआई के अनुसार पहली मई को केंद्रीय पूल में 607.07 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक है जिसमें गेहूं की हिस्सेदारी 353.45 लाख टन की है। पिछले साल पहली मई को केंद्रीय पूल में 524.69 लाख टन खाद्यान्न का ही स्टॉक था, जिसमें 296.41 लाख टन गेहूं था। एफसीआई के पास 31 मार्च 2018 के आधार पर कुल भंडारण क्षमता 362.50 लाख टन (स्वयं और किराये पर ली हुई) है इसमें भी 76 फीसदी गोदाम अनाज के 31 मार्च 2018 को भरे हुए थे। अत: चालू रबी में खरीदे गए गेहूं का आधे से ज्यादा का भंडारण खुले में तिरपालों के नीचे ही करना होगा।
हरियाणा से रिर्काड खरीद, पंजाब से भी बढ़ी
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब से 126.91 लाख टन की है जबकि पंजाब से खरीद का लक्ष्य चालू रबी के लिए 119 लाख टन का ही तय किया था। इसी तरह से हरियाणा से चालू रबी सीजन में गेहूं की खरीद रिकार्ड 87.39 लाख टन की हुई है जबकि खरीद का लक्ष्य 74 लाख टन का ही तय किया गया था।
मध्य प्रदेश और यूपी से खरीद तय लक्ष्य से ज्यादा
मध्य प्रदेश से चालू रबी में गेहूं की खरीद बढ़कर 72.87 लाख टन की हो चुकी है जबकि राज्य से चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 67 लाख टन का ही तय किया था। उधर उत्तर प्रदेश से गेहूं की खरीद बढ़कर चालू रबी विपणन सीजन में 43.59 लाख टन की हो चुकी है जबकि राज्य से खरीद का लक्ष्य केवल 40 लाख टन का ही किया था। राजस्थान से गेहूं की खरीद चालू रबी में 14.97 लाख टन की हुई है जबकि खरीद का लक्ष्य 16 लाख टन का था।
अन्य राज्यों से खरीद तय लक्ष्य से कम
अन्य राज्यों उत्तराखंड से 99 हजार टन, गुजरात से 37 हजार टन, चंडीगढ से 14 हजार टन और बिहार से केवल एक हजार टन की खरीद ही हुई है। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड से एक लाख टन, बिहार से 2 लाख टन और गुजरात से 50 हजार टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा था।
बंपर उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी सीजन 2017-18 में गेहूं का बंपर उत्पादन 986.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 985.1 लाख टन का हुआ था।...............  आर एस राणा

चालू खरीफ सीजन में कपास की बुवाई पिछड़ी, गन्ने की बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में प्री-मानसून की बारिश कम होने से चालू खरीफ सीजन में जहां कपास की बुवाई पिछड़ रही है, वहीं गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार कपास की बुवाई अभी तक केवल 9.96 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 12.18 लाख हैक्टेयर में कपास की बुवाई हो चुकी थी। चालू खरीफ में देश के करीब 14 राज्यों में प्री-मानसून की बारिश कम हुई है। 
सूत्रों के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में कपास की बुवाई में कमी आई है, जबकि मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र तथा अन्य राज्यों में कपास की बुवाई चालू महीने में शुरू होगी। 
गन्ने की बुवाई चालू सीजन में बढ़कर 49.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 48.72 लाख हैक्टेयर में ही हुई थीं। चालू पेराई सीजन में गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी से चीनी का रिकार्ड उत्पादन हुआ है, अत: बुवाई में हुई बढ़ोतरी से आगामी पेराई सीजन में भी चीनी का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है।
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 2.95 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रोपाई 5.20 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। चालू खरीफ में मानसूनी बारिश अच्छी होने का अनुमान है इसलिए आगामी दिनों में धान की रोपाई में तेजी आयेगी। दलहनी फसलों की बुवाई चालू खरीफ में अभी तक 1.08 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 1.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। 
मोटे अनाजों की बुवाई भी चालू खरीफ सीजन में अभी तक 2.31 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 2.65 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। खरीफ तिलहनों सोयाबीन और मूंगफली की बुवाई अभी शुरूआती चरण में ही है, तथा अभी तक केवल 51 हजार हैक्टेयर में ही इनकी बुवाई हुई है।   
मंत्रालय के अनुसार अभी तक देशभर में 72.61 लाख हैक्टेयर में ही खरीफ फसलों की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 77.67 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी थी। खरीफ फसलों की बुवाई अभी शुरूआती चरण में है, तथा आगामी दिनों में जैसे-जैसे मानसूनी बारिश होगी इनकी बुवाई में तेजी आयेगी। .....आर एस राणा

अप्रैल में ग्वार गम उत्पादों में निर्यात में आई कमी, भाव में बड़ी तेजी की उम्मीद नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले महीनें अप्रैल में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात घटकर 40,405 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 54,392 टन का हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार मूल्य के हिसाब से ग्वार गम उत्पादों का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले महीने में 376 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल महीने मेंं इनका निर्यात 411 करोड़ रुपये का हुआ था।
एपिडा के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 4,94,126 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इनका निर्यात 4,19,952 टन का हुआ था। 
व्यापारियों के अनुसार ग्वार गम और ग्वार सीड की कीमतों में नीचे भाव में मांग निकलने से सुधार आया है लेकिन चालू सीजन में मानसूनी बारिश अच्छी होने का अनुमान है, साथ ही मानसून तय समय से पहले आयेगा इसलिए ग्वार गम और ग्वार सीड की कीमतों में आगे मंदा मानकर ही व्यापार करना चाहिए। अनुकूल मौसम से चालू सीजन में ग्वार सीड की बुवाई में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। ............  आर एस राणा