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31 मार्च 2018

एमपी में भावांतर के भवर में किसान, कृषि मंत्री ने माना किसानों ने झेला नुकसान


आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में भावांतर भुगतान योजना को किसानों के लिए वरदान मानने वाले राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उल्ट राज्य के कृषि मंत्री का मानना है कि भावांतर भुगतान योजना किसानों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही है। राज्य के कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन ने माना है कि भावांतर योजना के माध्यम से मॉडल भाव से नीचे भाव पर फसल बेचने वाले किसानों को नुकसान हुआ है। 
उन्होंने माना कि जिन किसानों को अपनी फसल मॉडल दाम से नीचे भाव पर मंडियों में बेचनी पड़ी थी, उन किसानों को ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है। राज्य के कृषि मंत्री ने माना कि भावांतर भुगतान योजना के बजाए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद होने से किसानों को फायदा होगा। मंत्री के अनुसार राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि केंद्रीय एजेंसी 25 फीसदी से ज्यादा मात्रा में खरीद करे। उन्होंने कहां कि एमएसपी पर खरीद होने से राज्य सरकार पर आर्थिक बोझ भी कम पड़ता है क्योंकि एमएसपी पर खरीद करने की भरपाई केंद्र सरकार करती है। 
मंदसौर में किसान आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने भावांतर भुगतान योजना को लागू किया था, लेकिन शुरूआत से ही इसके तहत होने वाली खरीद में कई तरह के गड़​बड़िया सामने आई। विपक्ष भी भावांतर भुगतान योजना को किसानों के लिए नुकसानदायक और व्यापारियों के लिए फायदेमंद बताता रहा लेकिन राज्य सरकार इस पर अडिग रही तथा मुख्यमंत्री लगातार भावांतर भुगतान योजना का गुणगान करते रहे। 
केंद्र सरकार से अनुमति नहीं मिलने के बाद राज्य सरकार ने चालू रबी में चना, सरसों और मसूर को भावांतर भुगतान योजना से बाहर कर एमएसपी पर खरीद करने का निर्णय लिया है।............  आर एस राणा

बीस लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति के बावजूद भी भाव में सुधार नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है, लेकिन देश में चीनी के बंपर उत्पादन अनुमान और विश्व बाजार में इसके दाम नीचे होने के कारण चीनी की कीमतों में सुधार नहीं आ पा रहा हैं। यही कारण है कि चीनी मिलों पर गन्ना किसानों के बकाया की राशि लगातार बढ़ रही है।
केंद्र सरकार ने 20 लाख चीनी के निर्यात की अनुमति दी है लेकिन विश्व बाजार में चीनी के दाम नीचे होने के कारण इसका असर घरेलू मंडियों में चीनी के भाव नहीं पड़ा। विश्व बाजार में शुक्रवार को व्हाईट चीनी का भाव 345 से 350 डॉलर प्रति टन रहा जोकि भारतीय रुपये के हिसाब से 2,200 से 2,300 रुपये प्रति क्विंटल है। उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 2,950 से 3,025 रुपये और महाराष्ट्र में 2,900 से 2,950 रुपये प्रति क्विंटल रहे। दिल्ली में शुक्रवार को चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,250 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अबिनाश वर्मा ने आउटलुक को बताया कि चीनी मिलें निर्यात के लिए तैयार है, हालांकि विश्व बाजार में चीनी के भाव काफी नीचे हैं। इसलिए केंद्र सरकार से प्रोत्साहन मिल जाये तो, मिलों को निर्यात करने में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में चीनी का जो अतिरिक्त भंडार है, उसका निर्यात होने के बाद ही घरेलू मंडियों में इसके भाव सुधार आ सकता है।
मौजूदा भाव में निर्यात संभव नहीं
केंद्र सरकार ने 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुम​ति शुल्क मुक्त आयात अधिकार योजना (डीएफआईए) के तहत दी है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को अगले छह महीनों में निर्यात की मात्रा के बराबर अक्टूबर-2019 और सितंबर-2021 के बीच रॉ-शुगर का आयात करने के लिए न्यूनतम सूचक निर्यात कोटा (एमआईईक्यू) को भी मंजूरी दी है। एसएनबी के प्रबंधक सुधीर भालोठिया ने बताया कि जब तक केंद्र सरकार चीनी मिलों को या फिर सीधे गन्ना किसानों को प्रोत्साहन राशि नहीं देगी, तब तक निर्यात की संभावना नहीं है। विश्व बाजार में ओर घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों के अंतर के आधार पर निर्यात करने पर चीनी मिलों को 650 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल (बंदरगाह से मिलों की दूरी) के आधार पर नुकसान उठाना पड़ेगा।
अप्रैल में और घट सकते हैं दाम
केंद्र सरकार ने फरवरी और मार्च महीने में चीनी बेचने के लिए मिलों पर सीमा कर दी थी, जिससे पिछले दो महीनों में घरेलू बाजारों में सप्लाई सीमित मात्रा में ही हुई। ऐसे में चीनी बेचने की सीमा को आगे नहीं बढ़ाया तो फिर अप्रैल में चीनी की सप्लाई बढ़ने से इसके भाव में ओर गिरावट आ सकती है।
बंपर उत्पादन का अनुमान
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन 2017-18 में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 295 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में केवल 203 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। देश में चीनी की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन की ही होती है। पहली अक्टूबर 2017 से 15 मार्च 2018 तक 258.06 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में केवल 175.5 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।
बकाया 14 हजार करोड़ के करीब
चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 14,000 करोड़ के करीब पहुंच गई है। इसमें सबसे ज्यादा बकाया उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर है।
निर्यात शुल्क शून्य और आयात शुल्क 100 फीसदी
इससे पहले केंद्र सरकार जहां आयात को रोकने के लिए आयात शुल्क को 100 फीसदी कर चुकी है जबकि निर्यात शुल्क को भी शून्य किया हुआ है। पाकिस्तान सरकार चीनी निर्यात पर 11 रुपये प्रति किलो की दर से प्रोत्साहन राशि दे रही है जबकि ​एशियाई बाजारों में थाईलैंड की चीनी सस्ती है। ...........  आर एस राणा

28 मार्च 2018

यूपी की चीनी मिलों पर बकाया राशि 9,500 करोड़ के पार, बंद होने लगी मिलें

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलें बंद होने लगी है जबकि किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 9,583.26 करोड़ रुपये को पार कर चुकी है। गन्ना अभी भी खेतों में खड़ा हुआ है अत: ​​बकाया भुगतान में देरी के साथ ही मिलों में पेराई बंद होने से राज्य के ​किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है।
पांच मिलों में हो चुकी है पेराई बंद
उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के अनुसार 23 मार्च 2018 तक राज्य की 5 चीनी मिलों ने पेराई बंद कर दी है। बंद ​हुई चीनी मिलों के एरिया में गन्ना अभी खेतों में खड़ा हुआ है अत: मिलों द्वारा गन्ने की खरीद नहीं करने से किसानों को औने-पौने दाम पर गन्ना कोल्हू संचालकों को बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
बकाया राशि बढ़कर 9,583.26 करोड़ रुपये हुई
यूपीएसएमए के अनुसार चालू पेराई सीजन में राज्य की चीनी मिलों ने किसानों से 26,701.79 करोड़ रुपये मूल्य का गन्ना खरीदा है जबकि 23 मार्च 2018 तक किसानों को 17,118.53 करोड़ रुपये का भुगतान ही किया है। अत: राज्य की चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि बढ़कर 9,583.26 करोड़ रुपये हो गई है। नियमों के अनुसार 14 दिन के अंदर भुगतान नहीं करने पर चीनी मिलों को किसानों की बकाया धन​राशि पर ब्याज देना होता है।
राज्य में 89.88 लाख टन चीनी का हो चुका है उत्पादन
राज्य में चालू पेराई सीजन 2017-18 में पहली अक्टूबर 2017 से 23 मार्च 2018 तक 89.88 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन 2016-17 की समान अवधि में राज्य में 75.49 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन में गन्ने में रिकवरी की दर 10.69 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले पेराई सीजन में रिकवरी की दर 10.46 फीसदी की ही आ रही थी। उत्तर प्रदेश में चीनी के भाव 3,000 से 3,150 रुपये प्रति क्विंटल (एक्स फैक्ट्री) चल रहे हैं।...............  आर एस राणा

खेती किसानी में सुधार के लिए राजनाथ सिंह ने कृषि विशेषज्ञों से की चर्चा

आर एस राणा
नई दिल्ली। घाटे का सौदा साबित हो रही खेती-किसानी को लाभदायक ब​नाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपने आवास पर कृषि विशेषज्ञों से विचार​-विमर्श किया। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ ही मंडी लाइेंसस, आयातित कीटनाशक उत्पादों के साथ पूराने कानूनों में बदलाव पर भी चर्चा हुई।  लाईसेंस
बैठक में शामिल एक कृषि विशेषज्ञ ने आउटलुक को बताया कि किसानों की माली हालत में सुधार के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी ही काफी नही है, बल्कि अन्य सुधारों की भी सख्त जरुरत है। देश में छोटे और सीमांत किसानों पर बैंकों का कर्ज लगातार बढ़ रहा है। अत: उससे किसानों को कैसे मुक्ति दिलाई जाये। साथ ही खेती को लाभदायक कैसे बनाया जाए। इन सभी मुद्दों पर चर्चा हुई। 
उन्होंने बताया कि खेती—किसानी के लिए जो कानून बने है, वह उस समय के है जब हम खाद्यान्न का आयात करते थे, आज हम खाद्यान्न में दलहन और खाद्य तेलों को छोड़ दे तो आत्मनिर्भर ही नही हैं, बल्कि निर्यात भी कर रहे हैं। इसलिए अब समय आ गया है कि किसानों के हित में केंद्र सरकार ठोस कदम उठाये। बैठक में विजय सरदाना, कृ​ष्णबीर चौधरी, डॉ. पी के जोशी, चौधरी पूष्पेंद्र सिंह और यूद्ववीर सिंह के अलावा डॉ. एम जे खान ने भाग लिया। ..............  आर एस राणा

इतना भी आसान नहीं है, फसलों का एमएसपी लागत का डेढ़ गुना तय करना


आर एस राणा

नई दिल्ली। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लागत की तुलना में डेढ़ तय करना इतना भी आसान नहीं है। कृषि मंत्रालय की गणना के अनुसार खरीफ फसलों के एमएसपी को लागत का डेढ़ गुना तय करने में ही करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये की जरुरत पड़ेेगी जबकि रबी फसलों के एमएसपी को लागत का डेढ़ गुना तय करने का खर्च इससे अलग होगा।

कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार खरीफ सीजन में 14 फसलों के एमएसपी तय किये जाते हैें, इन फसलों के एमएसपी को लागत का डेढ़ तय करने में ही करीब 1.25 लाख करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। रकम का अनुमान कृषि मंत्रालय ने नीति आयोग को दे दिया है।

खरीफ सीजन में धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, अरहर, मूंग और उड़द के अलावा तिलहनी फसलों सोयाबीन, मूंगफली, सनफ्लावर सीड, शीसम और नीगरसीड के अलावा कपास की फसलों के एमएसपी तय किए जाते हैं। खरीफ सीजन में एमएसपी पर धान की खरीद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) बड़े पैमाने पर करती है जबकि अन्य फसलों की खरीद केंद्र के साथ ही राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा सीमित मात्रा में ही की जाती है।

केंद्र सरकार ने आम बजट 2018-19 में खरीफ फसलों के एमएसपी डेढ़ गुना तय करने का वायदा किया था। उन्होंने बताया कि बजट के बाद से ही कृषि मंत्रालय और नीति आयोग इस पर कार्य कर रहे हैं। कृषि मंत्रालय की इस संबंध में नीति आयोग के अधिकारियों के संग बैठक हो चुकी है, तथा जल्दी ही राज्यों के साथ भी इस पर मंत्रणा होगी।

किसानों को उनकी फसलों का एमएसपी मिलना सुनिश्चित हो, इसके अलावा नीति आयोग भावांतर योजना पर भी विचार कर रहा है। भावांतर योजना के तहत एमएसपी और मंडी में चल रहे फसल के भाव के अंतर की भरपाई की जाती है। मध्य प्रदेश में भावांतर योजना के तहत राज्य सरकार किसानों से फसलों की खरीद कर रही है। सूत्रों के अनुसार मध्य प्रदेश में इस स्कीम के तहत हो रही खरीद में कई तरह की गड़बड़ी भी सामने आई है।............  आर एस राणा

कालीमिर्च के आयात पर सख्ती, क्या भाव में आ पायेगा सुधार?

आर एस राणा
नई दिल्ली। कालीमिर्च के किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने इसके आयात पर न्यूनतम आयात मूल्य 500 रुपये प्रति किलो तय कर दिया है। चालू सीजन में कालमिर्च की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है साथ ही निर्यात में कमी आई है इसलिए घरेलू बाजार में कालीमिर्च की कीमतों में तेजी आने की संभावना तो नहीं है, लेकिन कीमतों में चल रही गिरावट रुक सकती है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार 500 रुपये प्रति किलोग्राम (लागत, बीमा और मालाभाड़ा जोड़कर) से नीचे भाव पर किसी भी किस्म के कालीमिर्च आयात पर पूरी तरह प्रतिबंद होगा। सूत्रों के अनुसार श्रीलंका के रास्ते 2,500 से 3,500 रुपये प्रति किलो की दर से कालीमिर्च का आयात हो रहा है, जिससे घरेलू बाजार में इसके भाव में गिरावट आई है। आयातित कालीमिर्च में गुणवत्ता ठीक नहीं होने के कारण यह स्वास्थ्य के लिए भी अच्छी नहीं है। शुक्रवार को केरल की कुमली मंडी में अनर्गाबल्ड किस्म की कालीमिर्च का भाव 378 रुपये, ग्रेड वन का भाव 403 रुपये और बोल्ड किस्म की कालीमिर्च का भाव 428 रुपये प्रति किलो रहा।
निर्यात में आई कमी
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान कालीमिर्च के निर्यात में 20 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 7,800 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 9,750 टन का हुआ था। विश्व बाजार में भारतीय कालीमिर्च का भाव घटकर 4.08 डॉलर प्रति किलो रह गया है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका भाव 6.28 डॉलर प्रति किलो था।
उत्पादन बढ़ने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में कालमिर्च का उत्पादन बढ़कर 73,000 टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 72,000 टन का हुआ था। ...... आर एस राणा

खरीफ फसलों के एमएसपी लागत के डेढ़ गुना होंगे घोषित-कृषि मंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत के डेढ़ गुना निर्धारित किए जायेंगे। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने शुक्रवार को फिक्की की ओर से आयोजित मक्का सम्मेलन में कहां कि इस बारे में नीति आयोग से चर्चा की गई है, राज्यों के साथ भी जल्दी ही इस विचार-विमर्श किया जायेगा।
उन्होंने कहा कि कुछ फसलों का एमएसपी लागत का डेढ़ गुना दिया ​जा रहा है लेकिन कुछ फसलों के मामले में लागत का डेढ़ गुना मूल्य नहीं मिल रहा है। खरीफ फसलों की आवक बनने से पहले ही इनका एमएसपी घोषित ​कर दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि मक्का का एमएसपी भी उत्पादन लागत का डेढ़ गुना नहीं है।
उन्होने कहा कि फसलों के भाव उत्पादक मंडियों में एमएसपी से नीचे आते हैं, तो सरकारी स्तर पर खरीद की जायेगी। इससे राजकोष पर बोझ तो बढ़ेगा, लेकिन लोगों को यह समझना चाहिये कि इस पर पहला अधिकार किसानों और मजदूरों का है।
कृषि मंत्री ने कहा कि बिहार, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान सहित कई राज्यों में व्यापक पैमाने पर मक्का की खेती की जाती है। उन्होंने विश्व की तुलना में भारत में प्रति हेक्टेयर मक्के की कम उत्पादकता पर चिंता व्यक्त की।
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2017-18 के लिए मक्का का एमएसपी 1,425 रुपये प्रति क्विंटल तय हुआ है जबकि उत्पादक राज्यों की मंडियों में किसानों को 1,250 से 1,300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से मक्का बेचनी पड़ रही है। ............  आर एस राणा

सरकार के तमाम दावों के बावजूद, किसानों को औने-पौने दाम पर बेचनी पड़ रही हैं जिंस

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र के साथ ही राज्य सरकारे फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद के ​दावे तो बहुत कर रही हैं लेकिन हकीकत यह है कई राज्यों की मंडियों में किसानों को एमएसपी से 10 से 20 फीसदी नीचे भाव पर फसल बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है।
रबी की प्रमुख फसलों गेहूं, चना, मसूर, जौ और सरसों की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में बढ़ रही है लेकिन कई राज्यों की मंडियों में खरीद या तो शुरू नहीं हो पाई है, या फिर सीमित मात्रा में ही खरीद हो रही है। इसलिए किसानों को मजबूरन व्यापारियों को अपनी फसलें औने—पौने दाम पर बेचनी पड़ रही है। किसानों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अधिकार के प्रति चेतना जगाने के लिए किसान संगठन के नेताओं ने एमएसपी सत्याहग्रह के जरिए 5 राज्यों की मंडियों के दौरे के दौरान देखा कि किसानों को फसलों का उचित भाव दिलवाने के सरकारी दावे खोखले साबि​त हो रहे हैं।
एमएसपी सत्याग्रह के तहत जिस भी मंडी का किसान संगठनों ने दौरा किया वहां पाया कि अधिकतर किसान अपनी फसलों को एमएसपी से नीचे ​भाव पर बेचने को मजबूर हैं। अत: तकरीबन हर फसल में किसान की कम-ज्यादा लूट जारी है। ऐसे में माना जा रहा है कि हर साल की तरह इस बार भी चालू रबी की फसलों में किसानों की बड़े पैमाने पर लूट होगी। किसान संगठनों के अनुसार के अनुसार गेहूं और धान की फसल को छोड़ तो भी चालू रबी में किसानों को 14,474 करोड़ रुपये का घाटा लगने की आशंका है।
स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसानों को कहीं भी एमएसपी नहीं मिल रहा है। तकरीबन हर मंडी में पाया कि सरकारी वेबसाइट पर दिए गए आंकड़ो से कम भाव पर मंडी में फसल बिक रही है। रबी की फसलों की बंपर पैदावार हुई है लेकिन फसलों के दाम एमएसपी से 10 से 20 फ़ीसदी नीचे बने हुए हैं। एक तरफ सरकार ज्यादा पैदावार होने का श्रेय लेती है, औऱ दूसरी तरफ पूरी मात्रा की ख़रीद नहीं कर किसानों को ज्यादा उपजाने की सज़ा भी देती है।
किसान संघर्ष समिति के डॉ. सुनीलम ने कहा कि रबी की ख़रीद में बड़े पैमाने पर किसानों की लूट हो रही है। मध्य प्रदेश में एमएसपी से नीचे खरीदारी करने के बावजूद अभी तक कोई गिरफ़्तारी नहीं हुई है। जय किसान आंदोलन के संयोजक अविक साहा ने कहा कि किसानों कों फसलों का एमएसपी भी मिल पा रहा है, अत: केंद्र सरकार इस वायदे को पूरा नही कर पा रही है तो यह किसानों के साथ सबसे बड़ा छल है।
प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश की कई मंडियों में चना 3,200 से 3,300 रुपये प्रति​ क्विंटल की दर से बिक रहा है जबकि केंद्र सरकार ने चना का एमएसपी चालू रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। इसी तरह से राजस्थान और हरियाणा की अधिकांश मंडियों में सरसों 3,500 से 3,600 प्रति क्विंटल बिक रही है जबकि सरसों का एमएसपी 4,000 रुपये प्रति​ क्विंटल है। हरियाणा के सोनीपत जिले के रुखी गांव निवासी किसान राजेश ने बताया कि सोनीपत की मंडियों से सरसों की खरीद नहीं होने के उनकों अपनी फसल मंडी में 3,600 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बेचनी पड़ी है। जौ का एमएसपी 1,410 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि राजस्थान और अन्य राज्यों की मंडियों में इसका भाव 1,275 से 1,325 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है।..............  आर एस राणा

22 मार्च 2018

जैविक खेती से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं किसान-कृषि मंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। जैविक एग्री उत्पादों की मांग दिनों-दिन बढ़ रही है, साथ ही इनके दाम भी सामान्य एग्री उत्पादों की तुलना में अधिक होने के कारण किसान जैविक खेती अपना कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने बुधवार को दिल्ली में उद्योग संगठन एसोचैम की ओर से जैविक खेती पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा जैविक उत्पादक देश है।
उन्होनें कहा कि दुनिया में लोगों के खानपान का तरीका बदल रहा है तथा लोग जैविक उत्पादों को अपने आहार का हिस्सा बना रहे हैं। इसके लिए वह ज्यादा खर्च करने को भी तैयार हैं। इसलिए आगे जैविक एग्री उत्पादों की मांग में और भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि देश के किसानों में मिट्टी के स्वास्थ्य को लेकर जागरुकता बढ़ रही है, इसी का परिणाम है कि किसान वैज्ञानिक तरीके से जैविक खेती कर रहे हैं।
कृषि मंत्री ने कहा कि यह सही है कि रासायनिक उर्वरकों के उपयोग से खाद्यान्न के साथ फल और सब्जियों का उत्पादन काफी बढ़ा है लेकिन लेकिन अब इस पर सवाल उठाये जा रहे हैं क्योंकि देश के कई राज्यों में रासायनिकों के अंधाधुंध उपयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति पर बुरा असर पड़ा है। देश में करीब 22.5 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती की जा रही है। परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत संस्थागत रुप से ढाई लाख हेक्टेयर में किसान जैविक खेती कर रहे हैं। ................  आर एस राणा

केंद्र का गेहूं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी का प्रस्ताव नहीं, भाव में गिरावट की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार का गेहूं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है, इसलिए घरेलू बाजार में गेहूं की कीमतों में आगे और मंदा आने का अनुमान है। गेहूं की नई फसल की आवक मध्य प्रदेश और राजस्थान में शुरू हो गई है तथा आगामी दिनों में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश की मंडियों में भी नई फसल की आवक बढ़ेगी।
राज्यसभा में वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने एक सवाल के जवाब में बताया कि केंद्र सरकार का अभी गेहूं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी का कोई प्रस्ताव नहीं है। इस समय गेहूं के आयात पर 20 फीसदी आयात शुल्क है। विश्व बाजार में गेहूं के भाव उंचे हैं, इसलिए मौजूदा भाव में 20 फीसदी के आयात शुल्क पर आयात संभव नहीं है।
जूलाई-अगस्त में हो सकता है आयात
रूस के साथ ही यूक्रेन में गेहूं की नई फसल की आवक जून-जुलाई में बनेगी, ऐसे में विश्व बाजार में आगे गेहूं की कीमतों में गिरावट आ सकती है जिससे आयात पड़ते लगने की आशंका है। तुतीकोरन बंदरगाह पर बुधवार को यूक्रेन से आयातित लाल गेहूं का भाव 1,920 रुपये प्रति क्विंटल (आयात शुल्क सहित) है जबकि आस्ट्रेलिया से आयातित गेहूं का भाव 2,150 रुपये प्रति क्विंटल बोला गया। आस्ट्रेलिया में गेहूं की नई फसल की आवक दिसंबर में बनेगी।
गेहूं के भाव में गिरावट की उम्मीद
उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान की मंडियों में गेहूं 1,650 से 1,750 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है, आगामी दिनों में दैनिक आवक बढ़ने पर इसकी कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है। मध्य प्रदेश में राज्य सरकार गेहूं किसानों को 265 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दे रही है अत: किसान मंडियों में गेहूं बेचेगा तो भी उसे 265 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस राज्य सरकार से मिलेगा। सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अभी तक 5,873 टन गेहूं की खरीद की है।
एमएसपी पर 320 लाख टन खरीद का लक्ष्य
केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य ​तय किया है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन 2017-18 में 308 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। पिछले खरीद सीजन में खरीद का लक्ष्य 330 लाख टन का था।
कई राज्यों में ​एमएसपी से नीचे बिकने की आशंका
रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है। माना जा रहा है कि दैनिक आवक बढ़ने पर उत्तर प्रदेश और बिहार की कुछ मंडियों में गेहूं एमएसपी से नीचे बिकने की आशंका है।
पैदावार पिछले साल से कम होने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन 2017-18 में गेहूं का उत्पादन घटकर 971.1 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 985.1 लाख टन का हुआ था।......आर एस राणा

काबुली चना का आयात होगा महंगा, केंद्र सरकार ने बढ़ाया आयात शुल्क

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में काबूली चना की कीमतों में चल रही गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने इसके आयात पर शुल्क को 40 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया है। आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर देने से इसके आयात पड़ते नहीं ​लगेंगे, जिससे घरेलू बाजार में काबुली चना के भाव में चल रहा मंदा रुकने की उम्मीद है।
काबुली चना का देश से बड़े पैमाने पर निर्यात होता है लेकिन पिछले कुछ दिनों से अमेरिका, रुस और अन्य देशों से इसके आयात में बढ़ोतरी हुई है। केंद्र सरकार ने आयात रोकने के लिए आयात पर 40 फीसदी का आयात शुल्क लगाया था लेकिन आयातित काबुली चना की कीमतों में भी गिरावट आने से आयात बंद नहीं हो पाया। फरवरी महीने में अमेरिका से आयात काबुली चना का भाव 1,600 डॉलर प्रति टन मुंबई पहुंच थे जोकि चालू सप्ताह में घटकर 1,100 डॉलर प्रति टन रह गये थे।
प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में काबुली चना की नई फसल की आवक चल रही है तथा पिछले महीने भर में ही उत्पादक मंडियों में इसके भाव में करीब 1,000 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। इंदौर मंडी में बुधवार को काबुली चना के भाव 5,500 से 6,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे। दिल्ली में बढ़िया क्वालिटी के काबुली चना के भाव 7,000 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल बोले गए। काबुली चना के कुल उत्पादन का 70 फीसदी मध्य प्रदेश में होता है।.......  आर एस राणा

21 मार्च 2018

एग्री उत्पादों का निर्यात दोगुना करने हेतु बड़े बदलाव की तैयारी

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने का लक्ष्य लेकर चल रही मोदी सरकार कृषि बाजार में बढ़े बदलाव की तैयारी कर रही है। इस दिशा में मंडियों में कामकाज के साथ ही ट्रेड पॉलिसी में भी सरकार सुधार करना चाहती है। केंद्र सरकार ने कृषि निर्यात नीति का जो मसौदा तैयार किया है उसके अनुसार 2022 तक एग्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ाकर 6,000 करोड़ डॉलर करने का लक्ष्य है।
मसौदा के अनुसार कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) कानून में सुधार, पूरे देश में एक समान मंडी फीस लगे, लैंड लीज के निमयों में बदलाव हो और ट्रेड पॉलिसी में बार-बार बदलाव नहीं किया जाये। इसके साथ ही पट्टे पर जमीन देने के नियम भी उदार बनाए जाने की जरूरत है। मसौदा नीति किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को लेकर बनाई गई है, जिससे कि कृषि निर्यात मौजूदा 3,000 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 2022 तक 6,000 करोड़ डॉलर किया जा सके।
कृषि राज्यों का विषय है इसलिए नई मसौदा नीति में राज्यों की ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ ही बुनियादी ढांचे और लॉजिस्टिक्स में सुधार लाने पर जोर दिया गया है। इसके अनुसार नए उत्पादोंं के विकास में शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन देने पर भी बल दिया गया है।
नई मसौदा नीति का मकसद साफ है कि महंगी और मूल्यवर्धित कृषि उत्पादों को बढ़ावा दिया जा सके। साथ ही जल्दी खराब होने वाले एग्री उत्पादों, पर नजर रखने के लिए संस्थात्मक व्यवस्था और साफ सफाई के मसले पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया है। मसौदे मेंं वैश्विक कृषि निर्यात में भारत की भागीदारी बढ़ाने और 10 बड़े निर्यातक देशों मेंं शामिल होने का लक्ष्य रखा गया है।
मसौदे में यह भी कहा गया है कि कुछ जिंसों के उत्पादन व घरेलू बाजार में कीमतों में उतार-चढ़ाव को प्रभावित करने वाले कारकों की पहचान करने के साथ ही महंगाई पर लगाम लगाने के लिए कम अवधि के लक्ष्योंं को तय किया जाए। किसानों को उनकी फसलों का न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मुहैया कराने और घरेलू उद्योग को संरक्षण देने की बात की गई है।
देश से इस समय चावल और मसालों का बड़े पैमाने पर निर्यात होता है, इसके अलावा गेहूं और दलहन के निर्यात की भी अच्छी संभावना है। प्याज के साथ ही आलू और टमाटर तथा फलों में अंगूर, आम, केला व लीची आदि के निर्यात में बढ़ोतरी की अपार संभावना है।...... आर एस राणा

केंद्र ने चीनी पर निर्यात शुल्क को शून्य किया, ​क्या किसानों को मिल पायेगी राहत?

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी के उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ ही किसानों के बकाया की राशि में हुई भारी बढ़ोतरी से चिंतित केंद्र सरकार ने चीनी के निर्यात शुल्क को शून्य कर दिया है। इसके बावजूद भी किसानों के बकाया भुगतान में तेजी की संभावना कम है, क्योंकि विश्व बाजार में चीनी के भाव काफी नीचे हैं। इसलिए जब तक केंद्र सरकार निर्यात पर प्रोत्साहन राशि नहीं देगी, तब तक निर्यात पड़ते नहीं लग पायेंगे। 
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने चीनी के निर्यात शुल्क को शून्य कर दिया है तथा इसकी अधिसूचना जल्दी ही जारी होने का अनुमान है। उद्योग के अनुसार अभी तक चीनी पर 20 फसीदी निर्यात शूल्क था। पहली अक्टूबर 2017 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में 15 मार्च 2018 तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 258.06 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका उत्पादन केवल 175.50 लाख टन का ही हुआ था।
मिलों पर किसानों की बकाया राशि बढ़ी
चीनी मिलों पर 31 जनवरी 2018 तक किसानों की बकाया राशि बढ़कर 14,000 करोड़ रुपये को पार कर चुकी है। जानकारों के अनुसार बकाया भुगतान में जल्दी ही तेजी नहीं आई तो मार्च के आखिर तक यह राशि बढ़कर 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशंका है। 
प्रोत्साहन राशि के बगैर निर्यात पड़ते नहीं
एस एन बी इंटरप्राइजेज के प्रबंधक सुधीर भालोठिया ने बताया कि विश्व बाजार में चीनी के भाव काफी नीचे है इसलिए जबकि तक केंद्र सरकार चीनी के निर्यात पर प्रोत्साहन राशि नहीं देगी, तब तक निर्यात की संभावना नहीं है। विश्व बाजार में व्हाईट शुगर के भाव 2,425 से 2,450 रुपये प्रति क्विंटल है। उन्होंने कहा कि इससे घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में हल्का सुधार बन सकता है।
घरेलू बाजार में हल्का सुधार संभव
केंद्र सरकार द्वारा चीनी के निर्यात को शुल्क को शून्य कर देने से घरेलू बाजार में इसके भाव में 25 से 50 रुपये का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है। मंगलवार को दिल्ली में चीनी के भाव 3,300 रुपये प्रति क्विंटल (टैक्स अलग) रहे जबकि उत्तर प्रदेश में चीनी के भाव 3,000 से 3,150 रुपये और महाराष्ट्र में 2,800 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल (एक्स फैक्ट्री) रहे।
उत्पादन रिकार्ड होने का अनुमान
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का रिकार्ड 295 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है। 15 मार्च 2018 तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 258.06 लाख टन का हो चुका है। इसमें प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में 93.83 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 84.39 लाख टन और कर्नाटका में 35.10 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। अन्य राज्यों की चीनी मिलें 15 मार्च 2018 तक 44.74 लाख टन चीनी का उत्पादन कर चुकी हैं।...............आर एस राणा

मध्य प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में वर्षा होने की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। मौसम विभाग के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान मध्य प्रदेश, उत्तर और पूर्वी राजस्थान, पंजाब, विदर्भ, केरल और तटीय कर्नाटक में हल्की से मध्यम वर्षा हाने की संभावना है। इस दौरान तेलंगाना, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में भी कुछेक जगहों पर हल्की वर्षा हो सकती है।
उत्तर भारत के साथ ही मध्य और दक्षिण भारत के राज्यों में रबी फसलों चना, सरसों, गेहूं और मसूर की कटाई चल रही है, अत: वर्षा हुई तो फसलों की कटाई प्रभावित हो सकती है, तेज वर्षा हुई तो फिर फसल की क्वालिटी भी प्रभावित होने का खतरा है, जिससे किसानों को नुकसान होगा। मध्य प्रदेश के कुछ भागों में पिछले 24 घंटों के दौरान गरज के साथ हल्की वर्षा दर्ज की गई है जबकि आगामी 24 घंटों में भी वर्षा होने की आशंका है।
देश के बाकी हिस्सों में मौसम साफ रहेगा। हल्की वर्षा और तूफान की संभावना के साथ दिल्ली-एनसीआर में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे। 
मौसम विभाग के अनुसार बीते 24 घंटों के दौरान मध्यप्रदेश, दक्षिणी राजस्थान, विदर्भ, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक और केरल के कई स्थानों पर हल्की वर्षा हुई है। इस दौरान लक्षद्वीप, मराठवाड़ा और दक्षिणी उत्तर प्रदेश के भी कुछ स्थानों हल्की वर्षा देखी गई।............  आर एस राणा

20 मार्च 2018

चीनी उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ गन्ना किसानों का मर्ज भी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़ने के साथ ही मिलों पर किसानों के बकाया की ​राशि भी लगातार बढ़ रही है। पहली अक्टूबर 2017 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में 15 मार्च 2018 तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 258.06 लाख टन का हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 82.65 लाख टन ज्यादा है। किसानों की बकाया राशि बढ़कर चीनी मिलों पर 14,000 करोड़ रुपयों को पार कर चुकी है।
बुवाई में हुई बढ़ोतरी के साथ ही गन्ने में रिकवरी की दर से ज्यादा आने से चालू पेराई सीजन में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 295 लाख टन होने का अनुमान है, लेकिन ​उत्पादन बढ़ने के साथ ही गन्ना किसानों की मुश्किले भी बढ़ रही है। चीनी मिलों को 14 दिन में किसानों को गन्ने का भुगतान करना होता है, लेकिन चीनी मिलें 80 से 90 दिन बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं कर पा रही है जिससे किसानों के बकाया की राशि लगातार बढ़ रही है। बकाया भुगतान में देरी से गन्ना किसानों में नाराजगी बढ़ रही है। माना जा रहा है यही हालत रही तो मार्च के आखिर तक मिलों पर किसानों की बकाया ​राशि रिकार्ड स्तर पर पहुंच जायेगी। 
उत्पादन में भारी बढ़ोतरी
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में 15 मार्च 2018 तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 258.06 लाख टन का हो चुका है जबकि ​पिछले साल की समान अवधि में इसका उत्पादन केवल 175.50 लाख टन का ही हुआ था। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में 93.83 लाख टन, उत्तर प्रदेश में 84.39 लाख टन और कर्नाटका में 35.10 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। अन्य राज्यों की चीनी मिलें 15 मार्च 2018 तक 44.74 लाख टन चीनी का उत्पादन कर चुकी हैं।
खपत के मुकाबले उपलब्धता ज्यादा
इस्मा के अनुसार देश में चीनी की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन की होती है जबकि चालू पेराई सीजन में उत्पादन 295 लाख टन होने का अनुमान है। अत: चालू पेराई सीजन में ही चीनी का उत्पादन खपत की तुलना में 40 से 45 लाख टन ज्यादा होने का अनुमान है।
निर्यात शुल्क हटाने के साथ ही राहत की उम्मीद
चीनी कारोबारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि केंद्र सरकार चीनी पर निर्यात शुल्क को शून्य करने के साथ ही निर्यात के लिए 20 से 25 लाख टन की मात्रा तय करे। उन्होने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के भाव नीचे बने हुए हैं इसलिए निर्यात पर प्रोत्साहन राशि देने के बाद ही निर्यात संभव हो पायेगा। चीनी के निर्यात पर इस समय 20 फीसदी निर्यात शुल्क है।
लागत से काफी नीचे हैं चीनी के भाव
उत्तर प्रदेश में चीनी के भाव सोमवार को 3,000 से 3,150 रुपये प्रति क्विंटल एक्स फैक्ट्री रहे, जबकि महाराष्ट्र में चीनी के भाव 2,800 से 2,850 रुपये प्रति क्विंटल एक्स फैक्ट्री बोले गए। दिल्ली में सोमवार को चीनी के भाव 3,300 रुपये प्रति क्विंटल (टैक्स अलग) रहे। उद्योग के अनुसार चालू पेराई सीजन में औसत चीनी की उत्पादन लागत करीब 3,500 रुपये प्रति क्विंटल की आ रही है।.............  आर एस राणा

ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी, भाव में तेजी की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। अमेरिका के साथ ही यूरोप और खाड़ी देशों की ग्वार गम उत्पादों में आयात मांग अच्छी बनी हुई है, इसलिए घरेलू मंडियों में ग्वार सीड और ग्वार गम की कीमतों में आगे तेजी बनने की संभावना है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 4.05 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इनका निर्यात केवल 3.12 लाख टन का ही हुआ था।
ग्वार सीड की दैनिक आवक घटी
प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान, गुजरात और हरियाणा की मंडियों में ग्वार सीड की दैनिक आवक कम हो गई है, जबकि ग्वार गम उत्पादों में निर्यात मांग अच्छी होने से मिलों की मांग बराबर बनी हुई है। सोमवार को जोधपुर मंडी में ग्वार गम का भाव 9,175 रुपये प्रति क्विंटल और ग्वार सीड का भाव 4,350 रुपये प्रति क्विंटल रहा। राज्य की गंगानगर मंडी में ग्वार सीड का भाव 4,300 रुपये प्रति क्विंटल रह जबकि दैनिक आवक 5,000 से 5,500 बोरी की हुई।
राजस्थान में उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान
राजस्थान के कृषि निदेशालय के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में राज्य में ग्वार सीड का उत्पादन बढ़कर 15.44 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 14.04 लाख टन का हुआ था। हालांकि फसल सीजन 2017-18 में राजस्थान में ग्वार सीड की बुवाई घटकर 34.32 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी जबकि इसके पिछले साल इसकी बुवाई 35.30 लाख हैक्टेयर में हुई थी।
व्यापारियों का मानना है कि चालू सीजन में ग्वार सीड के कुल उत्पादन में कमी आई है, लोकसभा में केंद्रीय राज्य कृषि मंत्री ने भी एक सवाल के जवाब में कहा था कि चालू सीजन में ग्वार सीड की पैदावार 13 फीसदी की कम होने का अनुमान है। उत्पादक मंडियों में आगे रबी फसलों की दैनिक आवक बढ़ेगी, जिससे ग्वार सीड आवक और कम हो जायेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि आगे भाव में तेजी ही आने का अनुमान है।  ..................  आर एस राणा


19 मार्च 2018

सरसों की बुवाई में आई कमी, उद्योग ने बढ़ा दिया उत्पादन अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में सरसों की बुवाई पिछले साल की तुलना में 3.76 लाख हैक्टेयर में घटी है, इसके बावजूद भी उद्योग ने सरसों का उत्पादन अनुमान 4.75 लाख टन बढ़ाकर 70.50 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान लगाया है। उद्योग के अनुसार पिछले साल 65.75 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था।
उद्योग द्वारा शनिवार को दिल्ली में आयोजित तेल-तिलहन सम्मेलन में जारी आंकड़ों के अनुसार सरसों की बुवाई में भले ही कमी आई है लेकिन मौसम फसल के अनुकूल रहा है। इसलिए चालू रबी में सरसों की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बढ़ी है। अत: चालू रबी सीजन 2017-18 में सरसों का उत्पादन बढ़कर 70.50 लाख टन, तोरिया और तारामिरा का उत्पादन 1.50 लाख टन को मिलाकर कुल उत्पादन 72 लाख टन होने का अनुमान है। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक राज्यों में पिछले साल का लगभग 4 लाख टन सरसों का बकाया स्टॉक भी बचा हुआ है। अत: सरसों की कुल उपलब्धता चालू रबी में 76 लाख टन की होगी, जबकि पिछले रबी सीजन में कुल उपलब्धता 69.25 लाख टन की ही थी।
चालू रबी में बुवाई घटी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की बुवाई घटकर 66.84 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इसकी बुवाई 70.60 लाख हैक्टेयर ​हुई थी।
सरसों के भाव एमएसपी से नीचे
उत्पाादक राज्यों की मंडियों में नई सरसों के भाव 3,600 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि चालू रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए 4,000 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। .......  आर एस राणा

केंद्र की सख्ती से दलहन आयात घटा, किसान फिर भी हलकान

आर एस राणा​
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की सख्ती से दालों के आयात में तो कमी आई है लेकिन उत्पादक मंडियोंं मेंं दालें के भाव में सुधार नहीं आने से किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ रहा है। उत्पादक मंडियों में दालों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 1,000 से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे बने हुए हैं जबकि जनवरी में दलहन आयात में 63 फीसदी की कमी आई है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जनवरी में दालों का आयात घटकर 2.5 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल जनवरी में इनका आयात 6.79 लाख टन का हुआ था। चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान दलहन का आयात 53.30 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 54.20 लाख टन का हुआ था।
नाममात्र की हो रही है खरीद
केंद्र सरकार एमएसपी पर दलहन की खरीद तो कर रही है, लेकिन उत्पादन के मुकाबले खरीद नाममात्र की ही हो रही है जिससे भाव सुधर नहीं पा रहे हैं। नेफैड ने खरीफ सीजन में एमएसपी पर उत्पादक राज्यों से 5,45,021 टन अरहर खरीदी है जबकि चालू रबी में अभी तक केवल 52,895 टन चना की खरीद ही एमएसपी पर हुई है।
मंडियों में दलहन के भाव एमएसपी से नीचे 
महाराष्ट्र की उत्पादक मंडियों में अरहर 3,800 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रही है जबकि केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2017-18 के लिए अरहर का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। चना का एमएसपी चालू रबी के लिए केंद्र सरकार ने 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में चना का भाव घटकर 3,200 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। यही हाल, उड़द, मूसर और मूंग का भी है।
सरकार की आयात पर सख्ती 
केंद्र सरकार ने चना पर आयात शुल्क 60 फीसदी, मसूर पर आयात शुल्क 40 फीसदी और मटर पर 50 फीसदी का आयात शुल्क लगाया हुआ है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के लिए अरहर के आयात की सीमा 2 लाख टन और मूंग तथा उड़द के आयात की 3 लाख टन की सीमा तय की हुई है।
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2016-17 में दलहन का रिकार्ड 239.5 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इनका उत्पादन 231.3 लाख टन का हुआ था। मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में चना की रिकार्ड पैदावार 111 लाख टन होने का अनुमान है।......  आर एस राणा​

17 मार्च 2018

एमएसपी पर नेफैड ने चना की खरीद की शुरू, किसानों को मिलेगी राहत

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों को राहत देने के लिए नेफैड ने तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटका और महाराष्ट्र की मंडियों से चना की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद शुरू कर दी है। प्रमुख चना उत्पादक राज्यों की मंडियों में इसके भाव 3,400 से 3,600 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2017—18 के लिए चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
नेफैड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटका और महाराष्ट्र की मंडियों से चना का एमएसपी पर खरीद शुरू कर दी है तथा इन राज्यों से अभी तक 48,137 टन चना का खरीद की जा चुकी है। आगे जैसे—जैसे उत्पादक मंडियों में आवक बढ़ेगी, खरीद में भी तेजी आने का अनुमान है। अन्य उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान में चना की आवक चालू महीने के आखिर तक बनने की संभावना है। 
रिकार्ड उत्पदन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन 2017—18 में चना का रिकार्ड 111 लाख टन होने का अनुमान है जबकि​ पिछले साल चना का 93.8 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
आगे और बढ़ेगी आवक
​दक्षिण भारत के राज्यों कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना तथा महाराष्ट्र में चना की नई फसल की आवक शुरू हो गई जबकि मध्य प्रदेश और राजस्थान में चना की आवक चालू महीने में बनेगी, तथा आवकों का दबाव अप्रैल में बनेगा। ..............  आर एस राणा

उत्पादक राज्यों में प्याज के भाव 900 रुपये से नीचे, किसान मुश्किल में

आर एस राणा
नई दिल्ली। फुटकर में भले ही प्याज 25 से 30 रुपये प्रति किलो बिक रहा है लेकिन किसानों को इसका दाम मुश्किल से 3 से 9 रुपये प्रति किलो ही मिल पा रहा है। प्याज की कीमतें उत्पादक राज्यों की मंडियों में घटकर 300 से 1,000 रुपये प्रति क्विंटल रह गई है, जबकि दैनिक आवक लगातार बढ़ रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी दिनों में इसकी कीमतों में और मंदा आयेगा, जिससे प्याज किसानों की मुश्किल बढ़ सकती है।
केंद्र सरकार ने फरवरी के आरंभ में प्याज के न्यूनतम ​निर्यात मूल्य (एमईपी) को पूरी तरह से समाप्त कर दिया था, इसके बावजूद भी प्याज की कीमतों में लगातार गिरावट बनी हुई है। प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र की अहमदगनर मंडी में प्याज के भाव 300 से 900 रुपये, धुलिया मंडी में 400 से 750 रुपये और लासलगांव मंडी में 400 से 865 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। उधर गुजरात की मंडियों में भी इसके भाव घटकर 400 से 890 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं।
भाव में 25 फीसदी का आ चुका है मंदा
गुजरात ओनियन कंपनी के प्रबंधक योगेश अग्रवाल ने बताया कि दिल्ली की आजादपुर मंडी में शुक्रवार को प्याज का भाव घटकर 700 से 1,375 रुपये प्रति क्विंटल रह गया जबकि दैनिक आवक करीब 10 हजार क्विंटल की हुई। प्याज की कीमतों मेें महीनेभर मेंं करीब 25 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। उन्होने बताया कि महाराष्ट्र और गुजरात की मंडियों में आवक लगातार बढ़ रही है तथा चालू सीजन में उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है इसलिए आगे इनकी कीमतों में और मंदा आने का अनुमान है। राजस्थान में भी प्याज की आवक आगामी दिनों में बढ़ेगी।
आयात में आई कमी
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017—18 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान प्याज का निर्यात घटकर 19.22 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इसका निर्यात 23.99 लाख टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2016—17 में प्याज का कुल निर्यात 34.92 लाख टन का हुआ था। ................  आर एस राणा

16 मार्च 2018

यूरिया पर सब्सिडी 2022 तक रहेगी जारी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देते हुए यूरिया पर सब्सिडी को 2022 तक के लिये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डायरेक्ट बेनिफ़िट ट्रांसफर) योजना के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। किसानों को यूरिया सांविधिक रूप से नियंत्रित कीमत 5,360 रुपये प्रति टन पर उपलब्ध है। किसानों को उर्वरक आपूर्ति की लागत और अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) के बीच अंतर का भुगतान सब्सिडी के रूप में यूरिया निर्माता कंपनियों को किया जाता है।
वित्त वर्ष 2018-19 के लिए यूरिया सब्सिडी के 45,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है जबकि इस साल के लिए इसके 42,748 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) की बैठक के बाद एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि यूरिया सब्सिडी योजना की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया को वैधानिक नियंत्रित कीमत पर उपलब्ध कराया जाएगा। सीसीईए ने जो यूरिया सब्सिडी योजना को जारी रखने का फैसला किया है इससे सरकार पर 1,65,935 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा। आम तौर पर, उर्वरक मंत्रालय सालाना आधार पर यूरिया सब्सिडी के लिए मंजूरी देता है, लेकिन इस बार तीन वर्षों के लिए मंजूरी प्रदान की गई है।..............  आर एस राणा

गैर बासमती चावल के निर्यात में भारी बढ़ोतरी, बासमती का भी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले दस महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान जहां गैर बासमती चावल के निर्यात में 17.7 लाख टन की भारी बढ़ोतरी हुई है, वहीं बासमती चावल का निर्यात भी इस दौरान पिछले साल की तुलना में 23,000 टन ज्यादा हुआ है।
वाणिज्य एवं उद्वोग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल से जनवरी के दौरान गैर बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 70.17 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 52.47 लाख टन का ही हुआ था। बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2017-18 के अप्रैल से जनवरी के दौरान बढ़कर 32.74 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 32.51 लाख टन का ही हुआ था। 
बासमती चावल के सौदों में तेजी की उम्मीद
केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल मित्तल ने बताया कि बासमती चावल में निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है तथा आगे निर्यात सौदों में और तेजी आने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष 2017-18 में बासमती चावल का कुल निर्यात 40 लाख टन के करीब ही होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि पूसा-1121 बासमती चावल सेला का भाव विश्व बाजार में 1,150 से 1,200 डॉलर प्रति टन चल रहा है।
उत्पादक मंडियों में धान की आवक घटी
खुरानियां एग्रो के रामनिवास खुरानिया ने बताया कि उत्पादक मंडियों में बासमती धान के साथ ही गैर-बासमती धान की आवक कम हो गई है, अप्रैल में गेहूं की आवक शुरू हो जायेगी, इसलिए धान की आवक मंडियों में बंद हो जायेगी। हरियाणा की करनाल मंडी में गुरुवार को पूसा 1,121 बासमती धान का भाव 3,600 से 3,700 रुपये और बासमती चावल सेला का भाव 6,700 से 6,800 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
चावल का रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2017-18 के दूसरे अग्रिम अनुमान में चावल का रिकार्ड उत्पादन 11.10 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 10.97 करोड़ टन का हुआ था।.....  आर एस राणा

खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात फरवरी में 9 फीसदी घटा-उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। रबी तिलहनों की नई फसलों की आवक बनने की संभावना से फरवरी में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में कमी आई है। फरवरी में खाद्य तेलों के साथ ही अखाद्य तेलों के आयात में 9 फीसदी की गिरावट आकर कुल आयात 11,57,044 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी महीने में इनका ​आयात 12,70,443 टन का हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-17 से अकटूबर-18 के पहले चार महीनों नवंबर से फरवरी के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 2 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 47,85,778 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 46,84,451 टन का हुआ था।
आयात शुल्क में बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने पहली मार्च 2018 को आयातित खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी। क्रुड पॉम तेल के आयात पर शुल्क को 30 फीसदी से बढ़ाकर 44 फीसदी और रिफाइंड पॉम तेल के आयात पर शुल्क को 40 फीसदी से बढ़ाकर 54 फीसदी कर दिया था।
आयातित खाद्य तेलों के भाव हुए तेज
आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में फरवरी महीने में जनवरी की तुलना में बढ़ोतरी हुई है। भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन का औसत भाव फरवरी में बढ़कर 677 डॉलर प्रति टन हो गया जबकि जनवरी में इसका औसत भाव 669 डॉलर प्रति टन था। इसी दौरान क्रुड पाम तेल का औसत भाव जनवरी के 669 डॉलर से बढ़कर 675 डॉलर प्रति टन हो गया।...............  आर एस राणा

मध्य प्रदेश में लहसून भी भावांतर योजना में शामिल, ​पंजीयन शुरू

आर एस राणा
नई दिल्ली। राज्य के किसानों को राहत देने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने लहसून को भी भावांतर योजना में शामिल कर लिया है। इसके लिए किसानों का पंजीयन आज से शुरु कर दिया है तथा किसान 31 मार्च 2018 तक पंजीयन करा सकते हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने टवीट पर बताया कि राज्य के किसान मंडी कार्यालय या फिर सेवा सहकारी संस्थाओं में पंजीयन करा सकते हैं। पंजीयन के लिए किसानों से कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा। राज्य सरकार ने चालू रबी में चना और मसूर को भी भावांतर योजना में शामिल किया हुआ है। राज्य की उत्पादक मंडियों में चना के साथ ही मसूर के भाव न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं जबकि चना के साथ ही मसूर की फसल की दैनिक आवक और बढ़ेगी।.........  आर एस राणा

जम्मू कश्मीर सहित दक्षिण भारत के कई राज्यों में वर्षा होने की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। मौसम विभाग के अनुसार आगामी 24 घंटों के दौरान, जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के साथ ही दक्षिण भारत के कई राज्यों में वर्षा होने की आशंका है। जम्मू कश्मीर के कई क्षेत्रों में हल्की बर्षा होने की संभावना है जबकि हिमाचल प्रदेश के भी कुछ इलाकों में वर्षा हो सकती है।
दक्षिण भारत के राज्यों केरल के साथ ही तमिलनाडु, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश के भी कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम वर्षा होने का अनुमान है। उधर महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के साथ ही ओडिशा और पश्चिम बंगाल के भी कुछ क्षेत्रों में हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। पूर्वोत्तर के राज्यों में कई जगह तेज वर्षा होने की आशंका है।
देश के कई राज्यों में रबी फसलों चना, सरसों, मसूर तथा गेहूं आदि की कटाई आरंभ हो गई है, अत: वर्षा हुई तो फिर फसलों की कटाई प्रभावित होगी, अगर ज्यादा वर्षा हुई तो फिर फसलों को नुकसान भी हो सकता है। 
मौसम विभाग के अनुसार बीते 24 घंटों के दौरान, उत्तरी राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में अधिकतम और न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से 5 डिग्री सेल्सियस तक सामान्य से उपर रहा। जम्मू कश्मीर में कई जगह पर हल्की वर्षा और बर्फबारी हुई।
उधर पंजाब के साथ ही राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की बूंदा—बांदी भी हुई है। दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में भी कुछ जगह हल्की वर्षा हुई है।......  आर एस राणा

15 मार्च 2018

केंद्र ने बीटी कॉटन बीज के दाम घटाए, किसानों को राहत मिलने की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन में कई राज्यों में पिंक बॉलवर्म के हमले से कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ था जिससे उद्योग ने कपास उत्पादन अनुमान में भी कटौती करनी पड़ी है। अत: कपास किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने बॉलगार्ड-II का भाव 7.5 फीसदी घटाकर 740 रुपये प्रति पैकेट कर दिया है। इसके साथ ही रायल्टी को भी 49 रुपये से घटाकर 39 रुपये कर दिया है। रायल्टी बीज कंपनियां टेक्नोलॉजी मुहैया करानी वाली कंपनी मॉनसेंटों मायकों बॉयोटेक इंडिया को देती हैं। बॉलगार्ड-I की कीमत को ज्यों का त्यों रखा है।
हर साल 4.5 से 5 करोड़ पैकेट की होती है खपत
बॉलगार्ड-II की कीमत 800 रुपये प्रति 450 ग्राम पैकेट थी जिसको घटाकर 740 रुपये प्रति पैकेट कर दिया, इससे चालू खरीफ में किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है। देश में कपास की खेती 120 से 122 लाख हैक्टेयर में होती है, जिसमें कुछ क्षेत्रफल में किसान देसी नरमा कपास की बुवाई करते हैं। अत: औसतन हर साल करीब 4.5 से 5 करोड़ पैकेट बॉलगार्ड-II और बॉलगार्ड-I की खपत होती है। बॉलगार्ड-I के 450 ग्राम के पैकेट की कीमत को केंद्र सरकार ने 635 रुपये के पूर्व स्तर पर ही रखा है।
अप्रैल से बीज की मांग हो जायेगी चालू
बी टी कॉटन बीज की सप्लाई करने वाली कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने 2016 से बॉलगार्ड-I और बॉलगार्ड-I की कीमत को स्थिर बनाया हुआ है जबकि इस दौरान लागत में बढ़ोरती हुई है। ऐसे में चालू सीजन में कपास के बीज की सप्लाई बाधित हो सकती है। उन्होंने बताया कि पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में किसान कपास की बुवाई मई-जून से चालू कर देते हैं अत: इन राज्यों की बीज की मांग अप्रैल में शुरू हो जाती है। उधर दक्षिण भारत के राज्यों की मांग जून से शुरू होती है।
उत्पादन अनुमान में कमी
आंधप्रदेश, तेलंगाना सहित कई राज्यों में पिंक बॉलवर्म नामक कीड़ा लगने से कपास की फसल को नुकसान हुआ था। उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन 362 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) ही होने का अनुमान है जबकि पहले 367 लाख गांठ उत्पादन का अनुमान था। ..... आर एस राणा

पारा चढ़ने पर पश्चिमी और मध्य क्षेत्र के कई राज्यों मेंं पानी की कमी आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्य क्षेत्र के साथ ही पश्चिमी क्षेत्र के कई राज्यों के जलाशयों में पानी का स्तर पिछले दस साल के औसत स्तर से भी नीचे आ गया है, ऐसे में आगे गर्मी बढ़ने पर राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के साथ ही तेलंगाना में पानी की किल्लत हो सकती है। इन राज्यों में पीने के पानी के साथ ही खरीफ सीजन में किसानों को फसलों की बुवाई हेतु सिंचाई में भी परेशानी आने की आशंका है।
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार 8 मार्च 2018 को मध्य क्षेत्र के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के 12 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 34 फीसदी पर आ गया है जोकि पिछले 10 साल के औसत 37 फीसदी से भी कम है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इन जलाशयों में पानी का स्तर 52 फीसदी था।
ऐसी ही स्थिति पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों का भी है। पश्चिमी क्षेत्र के गुजरात तथा महाराष्ट्र में 27 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर कुल भंडारण क्षमता का 37 फीसदी रह गया है जोकि पिछले दस साल के औसत अनुमान 40 फीसदी से भी कम है। पिछले साल की समान अवधि में पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों में कुल क्षमता का 44 फीसदी पानी था।
उधर दक्षिण भारत के जिलों आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 31 जलाशयों में पानी का स्तर पिछले साल से तो ज्यादा है लेकिन 10 साल के औसत स्तर से काफी कम है। 8 मार्च 2018 को इन जलाशयों में पानी का स्तर कुल भंडारण का 25 फीसदी रह गया है जोकि दस साल के औसत 32 फीसदी से काफी कम है। वैसे, पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों के जलाशयों में पानी का स्तर 18 फीसदी था।
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के जलाशयों में पानी की स्थिति बेहतर है। देश के सभी 91 जलाशयों में 8 मार्च 2018 को पानी का स्तर घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 34 फीसदी पर आ गया है जबकि 1 मार्च 2018 को इनमें 36 फीसदी पानी था।............   आर एस राणा

हरियाणा से 2.35 लाख टन सरसों की एमएसपी पर खरीद को मंजूरी-कृषि मंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2018-19 में हरियाणा से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 2,37,250 टन सरसों की खरीद की जायेगी। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने बुधवार को टवीट कर बताया कि केंद्र सरकार ने सरसों खरीद की मंजूरी दे दी है।
एमएसपी से नीचे हैं भाव
चालू रबी विपणन सीजन के लिए केंद्र सरकार ने सरसों का एमएसपी 4,000 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि हरियाणा की मंडियों में सरसों का भाव 3,500 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
बुवाई में हुई बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में हरियाणा में सरसोें की बुवाई बढ़कर 5.87 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले रबी सीजन में राज्य में इसकी बुवाई केवल 5.37 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। उत्पादन बढ़ने का अनुमान
उद्योग के अनुसार चालू रबी में हरियाणा और पंजाब में सरसों का उत्पादन बढ़कर 7 लाख टन होने का अनुमान जबकि पिछले साल इन राज्यों में 5.76 लाख टन सरसों का उत्पादन हुआ था।..... आर एस राणा

14 मार्च 2018

कपास उत्पादन अनुमान में 5 लाख गांठ की कमी आने की आशंका-सीएआई

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2017-18 में कपास का उत्पादन घटकर 362 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलोग्राम) ही होने का अनुमान है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) ने पहले 367 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान लगाया था।
सीएआई के अनुसार आंध्रप्रदेश के साथ ही कर्नाटका में कपास के उत्पादन में कमी आने का अनुमान है। आंध्रप्रदेश में पहले 21 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान था, जबकि दूसरे अनुमान के अनुसार उत्पादन घटकर 19 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। इसी तरह से कर्नाटका में उत्पादन 20 लाख गांठ से घटकर 18 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। अन्य राज्यों में गुजरात में 105 लाख टन, महाराष्ट्र में 81 लाख गांठ, मध्य प्रदेश में 21 लाख गांठ, हरियाणा में 24 लाख गांठ, राजस्थान में 21 लाख गांठ, पंजाब में 11 लाख गांठ, तेलंगाना में 53 लाख गांठ और तमिलनाडु में 5 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है।
निर्यात बढ़ने की उम्मीद
चालू फसल सीजन में कपास का निर्यात 60 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पहले आरंभिक अनुमान में 55 लाख गांठ कपास के निर्यात का अनुमान था। पिछले साल 63 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था।
आयात में आयेगी कमी
कपास का आयात चालू सीजन में घटकर 20 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन में 27 लाख गांठ कपास का आयात हुआ था।
भाव में सुधार आने की संभावना
उत्पादक राज्यों की मंडियों में फरवरी के आखिर तक कपास की आवक 247.10 लाख गांठ की हो चुकी है। महाराष्ट्र की मंडियों में कपास के भाव मंगलवार को 39,300 से 39,700 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहे। आगे निर्यातकों की मांग बढ़ने से इसके भाव में सुधार आने का अनुमान है। ......आर एस राणा

मध्य प्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीद 15 मार्च से होगी शुरू

आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में गर्मी बढ़ने के साथ ही गेहूं की नई फसल की आवक चालू हो गई है इसलिए राज्य से गेहूं की सरकारी खरीद 15 मार्च से शुरू की जायेगी। चालू रबी में राज्य के किसानों से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की खरीद की जायेगी।
राज्य के खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दिन का मौसम गर्म होने से गेहूं की नई फसल की आवक इस बार जल्दी शुरू हो गई है, इसलिए खरीद 15 मार्च से शुरु करने का निर्णय लिया है। आमतौर पर गेहूं की सरकारी खरीद पहली अप्रैल से चालू होती है। चालू रबी में राज्य सरकार ने 100 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन में 67.2 लाख टन गेहूं की ही खरीद न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की गई थी।
एमएसपी से 265 रुपये ज्यादा पर होगी खरीद
​फरवरी महीने में राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि चालू रबी में किसानों से गेहूं की खरीद 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की जायेगी जबकि केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
बुवाई में आई कमी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मध्य प्रदेश में गेहूं की बुवाई घटकर 53.16 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले रबी सीजन में राज्य में 64.22 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।   .......   आर एस राणा


13 मार्च 2018

किसानों की आय दोगुना करने के लिए तीन बिंदुओं पर जोर

आर एस राणा
नई दिल्ली। वर्ष-2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य लेकर चल रही केंद्र सरकार महत्वपूर्ण तीन बिंदुओं पर काम कर रही है। नी​ति आयोग के साथ राज्य के कृषि मंत्रियों के साथ 9 मार्च को दिल्ली में हुई बैठक में किसानों की आय बढ़ाने के लिए इन तीन अहम बिंदुओं के अलावा फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को भी डेढ़ गुना करने के फॉर्मुले पर भी चर्चा हुई।
नीति आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार किसानों की आय बढ़ाने के लिए राज्य के कृषि मंत्रियों के साथ हुई बैठक में केंद्र सरकार भावांतर योजना पर काम रही है, इसके तहत खाद्यान्न की कीमतें उत्पादक मंडियों में एमएसपी से नीचे जाने पर सब्सिडी के माध्यम से सरकार इसकी भरपाई करे। इसके अलावा सरकार व्यापारियों के साथ मिलकर किसानों को उनकी फसल की एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करने पर भी काम कर रही है। साथ ही सरकार किसानों के लिए मार्केट बीमा स्कीम पर भी विचार कर रही है।
उन्होनें बताया कि सभी राज्य कृषि उपज विपणन समिति कानून (एपीएमसी एक्ट) में बदलाव के लिए सहमत हो गए हैं। इस बैठक में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए राज्य से सुझाव आए। उन्होनें बताया कि फसलों के एमएसपी को डेढ़ गुना करने का ड्राफ्ट लगभग तैयार है।  बैठक में राज्यों की तरफ से कहा गया कि ऐसी स्कीम बनाई जाए जिससे राज्यों के राजस्व पर असर ना पड़े।.................  आर एस राणा

राजफैड चना के साथ ही सरसों की एमएसपी पर करेगी खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों को अपनी उपज औने-पौने दाम पर नहीं बेचनी पड़े, इसके लिए राजस्थान सरकार ने चालू रबी में सरसों के साथ ही चना की न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद करने का फैसला किया है। राज्य की मंडियों से राजफैड 14 मार्च से सरसों और 21 मार्च से चना की खरीद  शुरू करेगी।
सरसों का उत्पादन कम होने का अनुमान
राजस्थान के कृषि निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक चालू हो गई है तथा किसानों को सरसों की बिक्री एमएसपी ने नीचे नहीं करनी पड़े, इसलिए सरसों की खरीद एमएसपी पर राजफैड के माध्यम से की जायेगी। उन्होंने बताया कि दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू रबी में सरसों का उत्पादन 31.88 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले फसल सीजन 2016-17 में राज्य में सरसों का 38 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
चना का उत्पादन बढ़ेगा
उन्होनें बताया कि चना की आवक अगले आठ-दस दिनों में चालू हो जायेगी, इसलिए चना की खरीद 21 मार्च से शुरू की जायेगी। चालू रबी में राज्य में चना का उत्पादन बढ़कर 15.86 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 14.08 लाख टन का ही हुआ था।
चना और सरसों के भाव एमएसपी से नीचे
राज्य की भरतपुर मंडी में सरसों के भाव 3,800 से 3,825 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि नई सरसों की दैनिक आवक 5,000 से 6,000 बोरी की हो रही है। केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए सरसों का एमएसपी 4,000 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। जयपुर मंडी में चना के भाव शनिवार को 3,800 रुपये प्रति क्विंटल रहे जबकि केंद्र सरकार ने चना का एमएसपी चालू रबी विपणन सीजन के लिए 4,400 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।  .....................  आर एस राणा

09 मार्च 2018

एमएसपी डेढ़ गुना करने के फॉर्मूले पर राज्यों से मंथन करेगा नीति आयोग


आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों की आय दोगनी करने के लिए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को डेढ़ गुना ज्यादा तय करने के फॉर्मुले पर नीति आयोग राज्य के साथ अहम बैठक कर रहा है। 9 मार्च को दिल्ली में होने जा रही इस बैठक में फसलों के एमएसपी के नए फॉर्मूले को लागू करने के लिए राज्यों के साथ विचार-विमर्श किया जायेगा।
सूत्रों के अनुसार इस बैठक में इस पर भी विचार किया जायेगा, कि किन-किन और फसलों को एमएसपी के दायरे में लाया जाए। इस समय रबी और खरीफ को मिलाकर करीब 23 फसलों के एमएसपी ही केंद्र सरकार तय करती है।
केंद्र सरकार एमएसपी पर गेहूं और धान की खरीद ही ज्यादा करती है, इसके अलावा दलहन और तिलहन तथा मोटे अनाजों की खरीद सीमित मात्रा में ही हो पाती है। अत: दलहन और तिलहनी फसलों की खरीद की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण कई बार किसानों को इनकी बिक्री एमएसपी से नीचे भाव पर करनी पड़ती है। इस समय दलहनी फसलों चना, अरहर, मूंग और उड़द तथा मसूर के साथ ही तिलहनी फसलों में सरसों और मूंगफली के भाव उत्पादक मंडियों में एमएसपी से नीचे बने हुए हैं। .......  आर एस राणा

फरवरी में खली के निर्यात में आई 47 फीसदी की भारी गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में भाव उंचे होने के कारण फरवरी महीने में खली के निर्यात में 47 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 1,61,969 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल फरवरी महीने में इसका निर्यात 3,05,457 टन का हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान खली के निर्यात में 56 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 26,77,536 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इनका निर्यात 17,14,984 टन का ही हुआ था।
सोया खली का निर्यात घटा सरसों खली का बढ़ा
घरेलू बाजार में भाव उंचे होने के कारण फरवरी महीने में सोया खली के निर्यात में जनवरी के मुकाबले भारी गिरावट आई है। जनवरी में जहां सोया खली का निर्यात 1,05,678 टन का हुआ था वहीं फरवरी में इसका निर्यात घटकर केवल 73,816 टन का ही रह गया। हालांकि इस दौरान सरसों खली के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। फरवरी में सरसों खली का निर्यात बढ़कर 42,231 टन का हो गया जबकि जनवरी में इसका निर्यात केवल 24,980 टन का ही हुआ था।
घरेलू बाजार में सोया खली के भाव में भारी तेजी
सोया खली के भाव भारतीय बंदरगाह पर फरवरी में बढ़कर 486 डॉलर प्रति टन हो गए जबकि जनवरी में इसका भाव 409 डॉलर प्रति टन था। सरसों खली का भाव जनवरी में भारतीय बंदरगाह पर 226 डॉलर प्रति टन था जबकि फरवरी में इसका भाव बढ़कर 235 डॉलर प्रति टन हो गया।  .....   आर एस राणा

चीनी पर आयात शुल्क को शून्य कर सकती है केंद्र सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी मिलों पर किसानों की बढ़ती बकाया राशि से परेशान केंद्र सरकार ​निर्यात शुल्क को 20 फीसदी से घटाकर शून्य कर सकती है। ​चालू पेराई ​सीजन में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 295 लाख टन होने का अनुमान है जोकि सालाना खपत 250 लाख टन से की तुलना में 45 लाख टन ज्यादा है। बंपर उत्पादन के कारण घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें काफी नीचे बनी हुई हैं।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चीनी के निर्यात शुल्क को 20 फीसदी से घटाकर शून्य करने की योजना है। इसके साथ ही कुछ अन्य उपाय भी किए जा सकते हैं, ताकि घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार आ सके और चीनी के बकाया भुगतान में तेजी आ सके। सूत्रों के अनुसार चीनी मिलों पर किसानों का बकाया राशि बढ़कर करीब 14 हजार करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई है।
चीनी के भाव लागत से नीचे
प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,200 से 3,325 रुपये और महाराष्ट्र में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,000 से 3,075 रुपये प्रति क्विंटल तथा कर्नाटका में इसके भाव 2,925 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चीनी मिलों की औसतन लागत 3,500 रुपये प्रति क्विंटल आ रही है।
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन 2017-18 में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 295 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल उत्पादन 203 लाख टन का हुआ था। देश में चीनी की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन होने का अनुमान है।
निर्यात शुल्क शून्य करने के बाद निर्यात पड़ते नहीं


चीनी कारोबारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि​ विश्व बाजार में सफेद चीनी के भाव 440 से 445 डॉलर प्रति टन है, ऐसे में चीनी के निर्यात शुल्क को शून्य कर देने से भी निर्यात संभव नहीं हो पायेगा। उन्होंने कहां कि घरेलू बाजार में चीनी का उपलब्धता ज्यादा है, ऐसे में जब तक एक कोटा तय करके और निर्यात पर इनसेंटिव नहीं दिया जायेगा, तब तक घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार की संभावना नहीं है। .............   आर एस राणा

03 मार्च 2018

चना के आयात शुल्क में फिर बढ़ोतरी, क्या किसानों को मिल पायेगा उचित भाव


आर एस राणा

नई दिल्ली। किसानों को चना के उचित भाव दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने महीने भर में इसके आयात शुल्क में दूसरी बार बढ़ोतरी की है। केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसचूना के अनुसार चना के आयात पर आयात शुल्क को 40 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया है। रिकार्ड उत्पादन अनुमान से घरेलू बाजार में चना के भाव में इससे हल्का सुधार तो आ सकता है लेकिन बड़ी तेजी की संभावना नहीं है।

चना के भाव एमएसपी से नीचे

शनिवार को दिल्ली की लारेंस रोड़ मंडी में चना के भाव 3,900 से 3,950 रुपये प्रति क्विंटल रहे। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए चना का न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। मुंबई में आस्ट्रेलिया से आया​तित चना के भाव शनिवार को 3,750 रुपये प्रति क्विंटल रहे।

महीने भर में दूसरी बार बढ़ाया आयात शुल्क

​​केंद्र सरकार ने दिसंबर में चना के आयात पर 30 फीसदी का आयात शुल्क लगाया था, लेकिन घरेलू बाजार में इससे इसकी कीमतों में सुधार नहीं आया। अत: बंपर उत्पादन को देखते हुए फरवरी के शुरु में केंद्र सरकार ने चना के आयात पर शुल्क को 30 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया। इसके बावजूद भी भाव में सुधार नहीं आया, जिससे आयात शुल्क में एक बार फिर बढ़ोतरी करनी पड़ी। शाक्मभरी खाद्य भंडार के प्रबंधक राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि चालू रबी में देश में चना का रिकार्ड उत्पादन 100 लाख टन से ज्यादा होने का अनुमान है जबकि उत्पादक राज्यों में बकाया स्टॉक भी बचा हुआ है इसलिए तेजी की संभावना नहीं है।

मध्य मार्च के बाद बढ़ेगी नई फसल की आवक

कर्नाटका के साथ ही महाराष्ट्र में चना की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है जबकि प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में नई फसल की आवक मध्य मार्च तक बढ़ जायेगी। राजस्थान की मंडियों में चना की नई फसल की आवक अप्रैल में बनेगी। कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों में चना के भाव 3,500 से 3,800 रुपये प्रति​ क्विंटल चल रहे हैं।

रिकार्ड उत्पादन का अनुमान

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चना का रिकार्ड 111 लाख टन उत्पादन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2016-17 में इसका उत्पादन 93.8 लाख टन का ही हुआ था।

बुवाई में भारी बढ़ोतरी 

चालू रबी में चना की बुवाई बढ़कर 107.62 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 99.53 लाख हैक्टेयर में हुई थी। 



किसानों को वाजिब दाम दिलाने हेतु पॉम तेल पर आयात शुल्क 14 फीसदी बढ़ाया


आर एस राणा
नई दिल्ली। रबी तिलहनी फसलों सरसों और मूंगफली की आवक उत्पादक मंडियों में चालू हो गई है, जबकि इनके भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं, अत: भाव में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने आयातित क्रुड पॉम तेल और रिफाइंड पॉम तेल के आयात शुल्क में 14 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है।

केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार क्रुड पॉम तेल (सीपीओ) के आयात पर शुल्क को 30 फीसदी से बढ़ाकर 44 फीसदी और रिफाइंड पाम तेल पर आयात शुल्क को 40 फीसदी से बढ़ाकर 54 फीसदी कर दिया है। जिससे घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के साथ ही तिलहनों की कीमतों में सुधार आने का अनुमान है। 

एमएसपी से नीचे बने हुए हैं भाव

उत्पादक राज्यों में किसानों को मूंगफली 3,900 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचनी पड़ रही है जबकि चालू फसल विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,450 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। इसी तरह से सरसों के भाव उत्पादक मंडियों में 3,600 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल हैं जबकि सरसों का एमएसपी 4,000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।

किसानों को मिल सकेगा उचित भाव

साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि केंद्र सरकार ने क्रुड पॉम और रिफाइंड पॉम तेल पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी करके तिलहन किसानों के लिए अच्छा काम किया है, इससे किसानों को उनकी उपज का उचित भाव मिल सकेगा। उन्होंने कहां कि अगर केंद्र सरकार कच्चे तेल और रिफाइंड तेल के आयात शुल्क केे अंतर को बढ़ा देती तो इससे घरेलू उद्योग को भी राहत मिल जाती। भाव में अंतर कम होने के कारण रिफाइंड तेलों के आयात में बढ़ोतरी हो रही है। जनवरी में क्रुड पॉम तेल और रिफाइंड पॉम तेल के औसत भाव भारीतय बंदरगाह पर 669 डॉलर प्रति टन रहे। 

​आयात में हुई बढ़ोतरी

एसईए के अनुसार चालू तेल वर्ष नवंबर-17 से अक्टूबर-18 के पहले तीन महीनों नवंबर से जनवरी के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 25 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 36,28,734 टन का हो चुका है जबकि पिछले ​तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 34,14,008 टन का ही हुआ था।

कुल खपत के 65 फीसदी से ज्यादा आयात

देश में खाद्य तेलों की सालाना खपत 225 लाख टन से ज्यादा है। फसल सीजन 2016-17 के दौरान कुल खपत के 65 फीसदी से ज्यादा खाद्य तेलों का आयात हुआ था। इस दौरान 150.8 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ था जबकि घरेलू उत्पादन केवल 79.1 लाख टन का ही हुआ था। 


01 मार्च 2018

मध्य प्रदेश में डिफाल्टर किसानों को कर्ज चुकाने के लिए एक महीने की मोहल्लत

आर एस राणा
नई दिल्ली। पांच महीने बाद मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इसलिए राज्य में किसानों का मुद्दा सबसे बड़ा मुद्दा है। राज्य के किसान जहां कर्जदार हो रहे हैं, वहीं हाल ही में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से उनकी फसल भी बर्बाद हो गई है। इसे ध्यान में रखते हुए आम बजट में अल्पकालिक कर्ज चुकाने को डिफाल्टर किसानों के लिए समझौता योजना के तहत 350 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है साथ ही किसानों को कर्ज चुकाने की अंतिम तारीख 28 मार्च से बढ़ाकर 27 अप्रैल की गई है।
मध्य प्रदेश के वित्तमंत्री जयंत मलैया ने बुधवार को पेश आम बजट 2018—19 में खेती—किसानी को ज्यादा तरजीह देते हुए कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
आम बजट 2018—19 में कृषि क्षेत्र के लिए 37,498 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार ने सिचाई व्यवस्था पर बेहतर कार्य किया है। माइक्रो सिंचाई परियोजना के लिए 397 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। दो लाख हेक्टेयर सिंचाई क्षेत्र बढ़ाने का प्रावधान भी किया गया है। हॉर्टिकल्चर के लिए 1,158 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। मत्स्य पालन के लिए 90.89 करोड़ रुपये बजट मे आवंटित किए गए हैं। 
बजट में पशुपालन के लिए 1,038 करोड़ रुपये का और कृषि समृद्धि योजना के लिए 3,650 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। किसानों के लिए कृषक समृद्धि‍ योजना लागू की जाएगी।  फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उपार्जन की व्यवस्था के साथ ही वित्त मंत्री ने भावांतर योजना के लिए तीन हजार करोड़ का प्रावधान किया है। इस योजना से प्रदेश के 15 लाख किसानों को लाभ मिला है। फसलों के संरक्षण के लिए कोल्ड स्टोरेज की संख्या भी बढ़ाई जायेगी।


वित्त मंत्री ने कहा कि विश्व में छाई मंदी का असर मध्य प्रदेश पर भी पड़ा है। कांग्रेस ने राज्य सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया। ......  आर एस राणा

सस्ता खाद्य तेलों का आयात कहीं सरकार के गले की फांस न बन जाए

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्यान्न के साथ ही दलहन के रिकार्ड उत्पादन से केंद्र सरकार अपनी पीठ तो थपथपा रही है लेकिन सस्ते खाद्य तेलों के आयात के कारण किसान तिलहनी फसलों से तौबा कर रहे हैं जिसका खामियाजा सरकारी खजाने से भारी—भरकम राशि चुकाकर करना पड़ रहा है। सरकार नीतियां तो बना रही है लेकिन व्यवाहरिक नहीं होने के कारण इनका उल्टा असर हो रहा है। तिलहनों का उत्पादन पिछले चाल साल में बढ़ने के बजाए उल्टा घट गया हैं। फसल सीजन 2013-14 में देश में 327.49 लाख टन तिलहनों का उत्पादन हुआ था जबकि फसल सीजन 2017-18 में इनका उत्पादन घटकर 298.82 लाख टन ही होने का अनुमान है।
साल दर साल खाद्य तेलों के मामले में बढ़ती आयात निर्भरता से जहां घरेलू खेती को नुकसान हो रहा है। घटती घरेलू पैदावार व बढ़ते आयात के बीच लगातार अंतर बढ़ता ही जा रहा है। सस्ते आयात के चक्कर में घरेलू तिलहनी फसलों की खेती किसानों के लिए महंगी साबित हो रही है। लिहाजा उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं मिल पाता।
एमएसपी से नीचे बिक रही है सरसों और मूंगफली
उत्पादक राज्यों में किसानों को मूंगफली 3,900 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचनी पड़ रही है जबकि चालू फसल विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने इसका एमएसपी 4,450 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) किया हुआ है। इसी तरह से सरसों की नई फसल की आवक शुरू होने से पहले ही उत्पादक मंडियों में इसके भाव 3,600 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गए हैं जबकि इसका एमएसपी 4,000 रुपये प्र​ति क्विंटल तय किया हुआ है।
आयात निर्भरता बढ़कर 65 फीसदी से ज्यादा
पिछले एक दशक में हालात बद से बदतर हो चुके हैं। इससे पार पाने के लिए केंद्र के साथ ही राज्य सरकारों ने उपाय जल्द शुरू नहीं किए तो फिर हालात काबू में नहीं आ पायेंगे। वर्ष 2010-11 में हम अपनी जरुरत के 50 फीसदी खाद्य तेलों का आयात कर रहे थे जोकि फसल सीजन 2016-17 में आयात निरर्भता बढ़कर 65 फीसदी से ज्यादा हो गई है। वर्ष 2010-11 में 79.2 लाख टन खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन हुआ था जबकि फसल सीजन 2016-17 में घरेलू उत्पादन घटकर 79.1 लाख टन ही होने का अनुमान है।
खाद्य तेलों की सालाना खपत 225 लाख टन के पार
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि देश में खाद्य तेलों की सालाना खपत बढ़कर 225 लाख टन से ज्यादा हो गई है जबकि घरेलू उत्पादन 72 से 79 लाख टन पर टिका हुआ है। अत: घरेलू जरुरतों को पूरा करने के लिए सीजन 2016-17 में रिकार्ड 150 लाख टन से ज्यादा खाद्य तेलों का आयात हुआ है। जिससे सरकारी खजाने पर 75 हजार करोड़ रुपये का भार पड़ा है।
खपत के हिसाब से 10 लाख खाद्य तेलों का उत्पादन हर साल बढ़े
उन्होंने बताया कि देश में जनसंख्या में हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए हर साल 10 लाख टन अतिरिक्त खाद्य तेलों की जरुरत है जिसके लिए करीब 30 लाख टन तिलहनों का उत्पादन हर साल बढ़ाना होगा, लेकिन उत्पादन बढ़ने के बजाए घट रहा है। खाद्य तेलों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को तिलहनी फसलों का उचित मूल्य दिलाने के साथ ही प्रति हैक्टेयर उत्पादकता बढ़ाना भी जरुरी है। खाद्य तेलों के सस्ते आयात को रोकने के लिए एक भाव तय कर देना चाहिए, जिससे नीचे भाव आने पर आयात शुल्क में बढ़ोतरी की जाये। आमतौर पर तिलहनों की ज्यादा खेती असिंचित क्षेत्रों में होती है अत: मौसम का असर भी तिलहनी फसलों पर पड़ता है।.......  आर एस राणा

दलहन और तिलहन की खरीद सुनिश्चित करने हेतु दोगुना धन आवंटन

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है, इसी कड़ी में केंद्र सरकार ने चालू रबी में दलहन के साथ ही तिलहनी फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद को बढ़ावा देने के लिए पिछले साल की तुलना में दोगुने धन का आवंटन किया है। ऐसे में चालू रबी सीजन में दलहन के साथ ही तिलहनों की सरकारी खरीद ज्यादा होने का अनुमान है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में चालू रबी में दलहन के साथ ​ही तिलहनी फसलों की खरीद के लिए 19,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है जबकि पिछले साल 9,500 करोड़ रुपये का ही आवंटन किया गया था। प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में इस समय जहां किसानों को दलहन एमएसपी से 1,000 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल नीचे भाव पर बेचनी पड़ रही है, वहीं ​तिलहनों फसलों में मूंगफली के भाव भी एमएसपी से 400 से 500 रुपये नीचे बने हुए हैं। चालू महीने में रबी दलहनों चना और मसूर तथा मूंग और उड़द की आवक बढ़ेगी, जबकि तिलहनी फसलों में सरसों और मूंगफली की नई फसल की आवक बढ़ेगी।
नेफेड 3.86 टन अरहर की कर चुकी है खरीद
दलहन और तिलहनों की एमएसपी पर खरीद के लिए केंद्र सरकार ने नेशनल एग्रीकल्चर कोआॅपरेटिव मार्केटिंग फैडरेशन आॅफ इंडिया (नेफैड) के अधिकृत किया हुआ है। नेफैड खरीफ में अरहर की खरीद रही है। तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, कर्नाटका और महाराष्ट्र से नेफैड 3,86,273 टन की खरीद एमएसपी पर कर चुकी है।

दलहन के रिकार्ड उत्पादन की उम्मीद 

कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में दलहन की रिकार्ड पैदावार 239.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2016-17 में दालों का 231.3 लाख टन का हुआ था। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना का उत्पादन चालू रबी में रिकार्ड 111 लाख टन होने का अनुमान है। 

तिलहनों की पैदावार घटने का अनुमान

फसल सीजन 2017-18 में तिलहनों का उत्पादन 298.8 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 312.8 लाख टन से कम है। तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन का उत्पादन 113.9 लाख टन, मूंगफली का उत्पादन 82.2 लाख टन और केस्टर सीड का उत्पादन 15 लाख टन होने का अनुमान है.     .........   आर एस राणा