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28 फ़रवरी 2018

खाद्यान्न का रिकार्ड 27.74 करोड़ टन उत्पादन का अनुमान, गेहूं में कमी की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। फसल सीजन 2017-18 में दलहन के साथ ही कुल खाद्यान्न का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है लेकिन गेहूं के उत्पादन में कमी आने की आशंका है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार खाद्यान्न का उत्पादन 27.74 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2016-17 में उत्पादन 27.51 करोड़ टन का हुआ था।
भले ही दलहनों की कीमतें उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बनी हुई है लेकिन फसल सीजन 2017-18 में दालों का रिकार्ड उत्पादन 239.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2016-17 में दालों का 231.3 लाख टन का हुआ था। दलहन की प्रमुख फसल चना का उत्पादन चालू रबी में रिकार्ड 111 लाख टन होने का अनुमान है। अरहर का उत्पादन 40.2 लाख टन और मूंग का उत्पादन 32.3 लाख टन होने का अनुमान जारी किया है।
मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार बुवाई में आई कमी से गेहूं का उत्पादन फसल सीजन 2017-18 में घटकर 971.1 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल गेहूं का 985.1 लाख टन का रिकार्ड उत्पादन हुआ था। चावल का उत्पादन भी फसल सीजन 2017-18 में रिकार्ड 11.10 करोड़ टन होने का अनुमान है। मोटे अनाजों का उत्पादन बढ़कर 454.2 लाख टन होने का अनुमान है। इसमें मक्का का उत्पादन रिकार्ड 271.4 लाख टन होने का अनुमान है।
दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में तिलहनों का उत्पादन 298.8 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले साल के 312.8 लाख टन से कम है। तिलहन की प्रमुख फसल सोयाबीन का उत्पादन 113.9 लाख टन, मूंगफली का उत्पादन 82.2 लाख टन और केस्टर सीड का उत्पादन 15 लाख टन होने का अनुमान है। 
कपास का उत्पादन चालू फसल सीजन में 339.2 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल कपास का उत्पादन 325.8 लाख गांठ का हुआ था। गन्ने का उत्पादन चालू सीजन में 3,532.3 लाख टन होने का अनुमान है। ...............  आर एस राणा

उत्तर प्रदेश में 70 लाख टन से ज्यादा हो चुका है चीनी उत्पादन

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2017 से शुरू हुए चालू पेराई सीजन 2017—18 में उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़कर 70.43 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में इसका उत्पादन केवल 59.57 लाख टन का ही हुआ था। 
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के अनुसार चालू पेराई सीजन में गन्ने में रिकवरी की दर बढ़कर औसतन 10.44 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले पेराई सीजन में औसत रिकवरी 10.19 फीसदी की ही आ ​रही थी। राज्य में 119 चीनी मिलों में पेराई चल रही है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में केवल 116 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही थी।  .....   आर एस राणा

केस्टर सीड का उत्पादन 35 फीसदी बढ़ने का अनुमान —एसईए

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2017—18 में केस्टर सीड के उत्पादन में 35 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल उत्पादन 14.30 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 10.6 लाख टन का ही हुआ था। 
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू सीजन में केस्टर सीड की बुवाई में बढ़ोतरी होने के साथ ही प्रति हैक्टेयर उत्पादकता भी ज्यादा होने का अनुमान है। फसल सीजन 2017—18 में केस्टर सीड की बुवाई 2.9 फीसदी बढ़कर 8.22 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल इसकी बुवाई 8 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। चालू सीजन में प्रति हैक्टेयर उत्पादकता 1,738 किलोग्राम होने का अनुमान है।
एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान केस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 5.20 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अव​धि में इसका निर्यात 4.51 लाख टन का ही हुआ था। वित्त वर्ष 2016—17 के दौरान केस्टर तेल का कुल निर्यात 5.56 लाख टन का हुआ था। 
उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड की नई फसल की आवक बढ़ रही है, तथा मंडियों में इसके भाव 4,000 से 4,100 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। उद्योग ने उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी की है जिससे इसकी कीमतों में आगे गिरावट बन सकती है।  ...... 
आर एस राणा

केंद्र सरकार गेहूं पर आयात शुल्क को करेगी दोगुना

आर एस राणा
नई दिल्ली। गेहूं किसानों को उचित भाव दिलाने के लिए केंद्र सरकार इसके आयात शुल्क को 20 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी करने पर जल्द फैसला ले सकती हैं। हालांकि इस समय गेहूं के आयात सौदे नहीं हो रहे हैं, लेकिन नई फसल की आवक को देखते हुए केंद्र सरकार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। 

सूत्रों के अनुसार कृषि मंत्रालय ने आयात शुल्क को 20 फीसदी से बढाकर 40 फीसदी करने का प्रस्ताव किया हुआ है। हालांकि चालू रबी में गेहूं की बुवाई में आंशिक कमी आई है लेकिन उत्पादक राज्यों में अभी तक अनुकूल रहा है, तथा फसल की स्थिति अच्छी ​है। गुजरात और महाराष्ट्र में नई फसल की आवक चालू हो गई है, जबकि मार्च में मध्य प्रदेश और राजस्थान में आवक बन जायेगी।

आयातित गेहूं सस्ता

सूत्रों के अनुसार इस समय गेहूं के आयात सौदे नहीं हो रहे हैं, लेकिन दक्षिण भारत के राज्यों में करीब तीन से चार लाख टन आयातित गेहूं का स्टॉक है जबकि अप्रैल में घरेलू मंडियों में गेहूं की नई फसल की आवकों का दबाव बन जायेगा। विश्व बाजार में गेहूं के भाव नीचे बने हुए हैं, ऐसे में माना जा रहा है कि अगर आयात शुल्क में बढ़ोतरी नहीं की गई तो फिर आगे और आयात होने की आशंका है। तुतीकोरन बंदरगाह पर यूक्रेन से आयातित गेहूं के भाव 1,870 से 1,880 रुपये और आस्ट्रेलियाई गेहूं के भाव 2,000 से 2,050 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि उत्तर प्रदेश से बंगलुरु पहुंच गेहूं सौदे 2,075 से 2,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे है।

आयात में आई कमी

चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 15.55 लाख टन गेहूं का आयात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में 20 लाख टन का आयात हुआ था। वित्त वर्ष 2016-17 में गेहूं का कुल आयात 57.49 लाख टन का हुआ था। केंद्र सरकार ने 9 नवंबर 2017 को गेहूं के आयात शुल्क में 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर शुल्क 20 फीसदी कर दिया था जबकि मार्च 2017 में गेहूं के आयात पर 10 फीसदी का आयात शुल्क लगाया था।

एमएसपी से नीचे बिक रहा है गेहूं

रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि उत्पादक राज्यों की मंडियों में गेहूं का भाव 1,650 से 1,725 रुपये प्रति क्विंटल है।

गेहूं की बुवाई में आई कमी

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई 304.29 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 317.88 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मंत्रालय ने चालू रबी 2017-18 फसल सीजन में गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य 975 लाख टन का रखा है जबकि फसल सीजन 2016-17 में गेहूं का उत्पादन 983.8 लाख टन का हुआ था।

एमएसपी पर 320 लाख टन खरीद का लक्ष्य

चालू रबी विपणन सीजन 2018—19 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन में 308.24 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। जबकि खरीद का लक्ष्य 330 लाख टन का था।

एमएसपी में बढ़ोतरी
पहली अप्रैल से शुरू होने वाले चालू रबी विपणन सीजन 2018—19 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन में एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल था। ...............  आर एस राणा

कॉन्ट्रेक्ट खेती के लिए किसान और कंपनी आॅनलाइन कर सकेंगे समझौता

आर एस राणा
किसानों की आय बढ़ाने को लेकर गंभीर केंद्र सरकार हर वह कदम उठा रही है, जिससे खेती मुनाफे का सौदा साबित हो। इसीलिए केंद्र सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती अधिनियम ड्राफ्ट पर हितधारकों से सुझाव मांगे है।
केंद्र सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती अधिनियम के नए ड्राफ्ट में जहां किसानों के हितों की रक्षा पर बल दिया है, वहीं कं​पनियों के लिए भी नियम उदार बनाने पर जोर दिया है। उप—कृषि विपणन सलाहकार और समिति के सदस्य सचिव डॉ. एस के सिंह ने आउटलुक को बताया कि ​नए ड्राफ्ट के अनुसार कंपनी और किसान सीधे अनुबंध कर सकेंगे, इसके लिए कहीं रजिस्ट्रशन या कोई डाक्यूमेंट जमा कराने की जरुरत नहीं होगी। इस अनुबंध को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने के लिए आॅन​—लाईन प्रावधान किया जायेगा। इसके अलावा किसान और कंपनी किसी भी एग्री जिंस, डेयरी या पोल्ट्र उत्पादों में अनुबंध कर सकेंगे। केंद्र सरकार केवल उन्हीं एग्री जिंसो की एक लिस्ट जारी करेगी, जिन एग्री जिंसों को राज्य सरकार ने अपने यहां उगाने पर प्रतिबंध कर रखा है।

एपीएमएसी एक्ट से होगा बाहर

उन्होंने बताया कि कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) अधिनियम को इससे पूरी तरह से अलग रखा गया है। विवादों के निपटारे पर उन्होंनें बताया कि किसान और कंपनी के बीच में अनुबंध के अवसर पर किसान किसी को भी अनुबंध में रख सकता है, जैसे कि गांव के सरपंच या ​फिर नम्बरदार या अन्य किसी भी व्यक्ति को। अगर यहां भी विवाद का हल नहीं होता है तो फिर 3 सदस्यों की एक कमेटी बनाई जायेगी, जिसमें एक सदस्य किसान की तरफ से होगा, दूसरा कंपनी की तरफ से होगा, तथा तीसरा सदस्य इन दोंनो से अलग होगा, लेकिन इस विषय का जानकार होगा।

उन्होंने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट खेती अधिनियम के नए ड्राफ्ट में बहुत से बदलाव किए गए है, तथा हितधारकों से सुझाव मांगे गए हैं, अत: व्यवा​हरिक सुझाव आने पर उसको भी इसमें शामिल किया जायेगा।

मॉडल भाव से 10 फीसदी अधिक कीमत पर होगा अनुबंध

किसानों के हितों की रक्षा के लिए अनुबंध के समय आस—पास की मंडियों के मॉडल भाव से 10 फीसदी अधिक भाव पर अनुबंध होगा। अगर संबंधीत एग्री जिंस का व्यापार आसपास की मंडियों में नहीं होता है तो फिर होलसेल की मंडियों में सात दिन के भाव के आधार पर औसत कीमत तय की जायेगी, तथा उस पर 10 फीसदी और जोड़कर ही अनुबंध हो सकेगा।

फायदे या नुकसान में दोनों होंगे शामिल

एग्री जिंसों की कीमतों में भारी उठा—पटक होती रहती है, ऐसे में किसी एग्री जिंस में अनुबंध के समय जो भाव तय किया गया है, उसके बाद फसल की पकाई के उसमें बड़ी तेजी या फिर गिरावट आती है तो कंपनी के साथ ही किसान को भी मुनाफे और घाटे में शामिल होना होगा। अगर किसी प्राकृति आपदा से कोई नुकसान होता है, तो कंपनी का अनुबंध निरस्त माना जायेगा।

कई राज्यों में हो रही कॉट्रेक्ट खेती 

उन्होंने बताया कि इस समय महाराष्ट्र में 10 कंपनी किसानों से प्याज और अन्य फसलों की कॉन्ट्रैक्ट खेती करा रही है, इसके अलावा पंजाब में आॅन रिकार्ड कॉन्ट्रैक्ट खेती हो रही है। हरियाणा में 7 कंपनियां जौ और बासमती चावल की, गुजरात में 2 कंपनियां, मध्य प्रदेश, कर्नाटका तथा छत्तीसगढ़ में एक—एक कंपनी कॉन्ट्रैक्ट खेती कर रही है।

क्या है कॉन्ट्रैक्ट खेती?

कॉन्ट्रैक्ट खेती में किसान को पैसा नहीं खर्च करना पड़ता। खाद बीज से लेकर सिंचाई और मजदूरी सब खर्च कॉन्ट्रैक्टर के जिम्मे होता है। कॉन्ट्रैक्टर ही उसे खेती के गुर बताता है। कॉन्ट्रैक्ट खेती में उत्पादक और खरीदार के बीच कीमत पहले ही तय हो जाती है। फसल की क्वालिटी, मात्रा और उसकी डिलीवरी का वक्त फसल उगाने से पहले ही तय हो जाता है। 

कांट्रेक्ट खेती का मकसद है 

फसल उत्पाद के लिए तयशुदा बाज़ार तैयार करना। इसके अलावा कृषि के क्षेत्र में पूँजी निवेश को बढ़ावा देना भी कांट्रेक्ट खेती का उद्देश्य है।

क्या कहना है एक्सपर्ट का
विजय सरदाना, सदस्य, कमोडिटी डेरिवेटिव्स एडवायजरी कमेटी, सिक्यूरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड आॅफ इंडिया (सेबी)

के अनुसार कॉन्ट्रैक्ट खेती अधिनियम का ड्राफ्ट अच्छा है लेकिन इसमें थोड़ा और सुधार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि ड्राफ्ट में बोर्ड बनाने की बात कहीं गई है, जिसकी तकनीकी तौर पर जरुरत नहीं है। कॉन्ट्रैक्ट खेती किसान और कंपनी के बीच का मामला है जबकि बोर्ड बनाने से इसमें सरकार का हस्तक्षेप बढ़ेगा। कॉन्ट्रैक्ट खेती में छोटे किसानों का समूह बनाकर उन्हें कंपनी से जोड़ने पर जोर दिया जाना चाहिए।.......  आर एस राणा

27 फ़रवरी 2018

पेस्टीसाइड्स प्रबंधन बिल-2017 पर सरकार ने हितधारकों से मांगे सुझाव

आर एस राणा
नई दिल्ली।  किसानों के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार जोरशोर से प्रयास कर रही है। अत: प्रस्तावित पेस्टीसाइड्स प्रबंधन बिल-2017 पर कृषि मंत्रालय ने सभी ​हितधारकों से सुझाव मांगे है। हितधारकों को अपने सुझाव 15 दिन में देने होंगे।
देश में कृषि रसायनों मुख्य रूप से कीटनाशकों का सही उपयोग न होने के कारण हर वर्ष इनके कुप्रभाव से हजारों किसानों को अपने जीवन की बलि देनी पड़ती है। अत: किसानों के हितों की रक्षा के लिए ​कृषि मंत्रालय पेस्टीसाइड्स ​प्रबंधन बिल-2017 को संसद से पारित कराना चाहता है जो किसानों के हितों को पूर्ति करने वाला है। सूत्रों के अनुसार 11 जनवरी 2018 को केंद्रीय कृषि सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बिल से संबं​धित सभी पहलुओं पर विचार कर इसका ड्राफ्ट तैयार किया है।
इस प्रस्तावित विधेयक में पेस्टीसाइड्स को नये सिरे से परिभाषित किया गया है। इसमें खराब गुणवत्ता, मिलावटी या हानिकारक कीटनाशकों के नियमन एवं अन्य मानदंड निर्धारित किये गए हैं।
देश में अभी भी बहुत से ऐसे पेस्टीसाइड्स हैं जो अत्यधिक जहरीले हैं। इनमें दो पेस्टीसाइड्स मोनोक्रोटोफॉस तथा आक्सीडेमेटान मिथाइल है जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अत्यधिक विषैली श्रेणी (1 ए) में रखा गया है। देश के किसान अभी भी इनका उपयोग कर रहे हैं। मोनोक्रोटोफॉस पेस्टीसाइड्स विश्व के 60 देशों में प्रतिबंधित है। दूसरे पेस्टीसाइड्स जैसे फोरेट 37 देशों में, ट्राइजोफॉस 40 देशों में और फास्फोमिडान 49 देशों में प्रतिबंधित है परन्तु इनका उपयोग देश व प्रदेश में किसानों द्वारा बिना सोचे-समझे किया जा रहा है। जिसके कारण उन्हें इसका कुप्रभाव झेलना पड़ता है। बाजार में बिना रोक-टोक के उपलब्ध होने के कारण किसान इनका लगातार उपयोग कर रहे हैं।
साल 2016 में संसद के मानसून सत्र के दौरान पेस्टीसाइड्स प्रबंधन विधेयक 2008 को नए सिरे से चर्चा एवं पारित किये जाने के लिये कामकाज की सूची में शामिल किया गया था लेकिन यह पारित नहीं हो सका था। इससे पहले भी तत्कालीन संप्रग सरकार ने वर्ष 2008 में पेस्टीसाइड्स प्रबंधन विधेयक संसद में पेश किया था, लेकिन उस समय भी इसे पारित नहीं किया जा सका था। ...... आर एस राणा

ई-स्पाईस बाजार के माध्यम से किसान अपने मसालों की खुद करेंगे बिक्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। मसाला किसान अपने उत्पादों की बिक्री के लिए खुद ही भाव तय कर सकेंगे, साथ ही ई-स्पाइस बाजार पर पंजीकृत खरीददार भी खरीद करने के लिए अपनी बोली लगा सकेंगे। मसाला बोर्ड द्वारा शुरू की गई ई-स्पाइस बाजार को आधिकारिक तौर पर आरंभ करते हुए केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि इसके तहत देशभर में उगाये जाने वाले सभी वाणिज्यिक मसालों को शामिल करके, मसालों के किसानों को विश्व बाजार में पहचान दिलाई जायेगी। इस अवसर पर आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू भी उपस्थित थे।
मसाला बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. ए जयतिलक ने कहा कि आंध्रप्रदेश के प्रकाशम और गुंटूर जिले और तेलंगाना के वारंगल और खम्मम में दो साल पहले शुरू की गई इस परियोजना में अब तक 53,000 मिर्च और हल्दी किसान शामिल हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस परियोजना को अब डिजिटल स्वरुप प्रदान किया गया है और इसके लिए एक पोर्टल बनाया गया है। यह परियोजना इन दो राज्यों के 517 गांव के 47 मंडलों में किसानों तक पहुंची है। 
उन्होंने बताया कि इस परियोजना के तहत सभी मसालों के किसानों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने के लिए अलग-अलग ग्लोबल लोकेशन नंबर (जीएलएन) आवंटित किया गया है। इस पोर्टल में किसान और उनके खेत, फसल तथा कीटनाशकों और रसायनों के उपयोग के साथ-साथ फसल की कटाई के बाद उत्पादन की भी जानकारी है। किसान और किसानों के खेतों का सर्वेक्षण फील्ड को-आर्डिनेटर के द्वारा किया जाता है। 
उन्होंने बताया कि निर्यातकों को खरीद के लिए आवश्यक गुणवत्ता और विविधता के आधार पर खरीदादों को भी इस पोर्टल पर सूचीबद्व किया गया है। ई-स्पाइस बाजार मसालों के उत्पादन और निर्यात में शामिल सभी एजेंसियों को एक पलेटफार्म उपलब्ध करवाता है। इसके साथ ही किसानों को मसाला शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों की सलाह से भी अवगत कराता है। 
इस परियोजना में किसान समूहों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन पर जोर दिया गया है। एफपीओ का गठन नाबार्ड और राज्यों के बागवानी विभागों द्वारा किया जा रहा है।........   आर एस राणा

यूपी, उत्तराखंड, एमपी, गुजरात तथा छत्तीसगढ़ में पानी की हो सकती​ ​है किल्लत

आर एस राणा
नई दिल्ली। गर्मी अभी शुरू भी नहीं हुई है कि मध्य क्षेत्र और पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों में पानी का स्तर पिछले दस साल के औसत स्तर से भी नीचे आ गया है, अत: गर्मी का पारा चढ़ने के साथ जैसे ही पानी की मांग में बढ़ोतरी होगी, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के अलावा गुजरात और महाराष्ट्र में स्थिति चिंताजनक हो सकती है। इन राज्यों में पीने के पानी के साथ ही किसानों को फसलों की बुवाई के लिए सिंचाई में भी परेशानी आयेगी।  
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी ​रिपोर्ट के अनुसार 22 फरवरी 2018 को मध्य क्षेत्र के उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ के 12 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 37 फीसदी पर आ गया है जोकि पिछले 10 साल के औसत 42 फीसदी से भी कम है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इन जलाशयों में पानी का स्तर 57 फीसदी था।
यही हाल पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों का भी है। पश्चिमी क्षेत्र के गुजरात तथा महाराष्ट्र में 27 जलाशयों में पानी का स्तर घटकर कुल भंडारण क्षमता का 40 प्रतिशत रह गया है जोकि पिछले दस साल के औसत अनुमान 44 फीसदी से भी कम है। पिछले साल की समान अवधि में पश्चिमी क्षेत्र के जलाशयों में कुल क्षमता का 49 फीसदी पानी था।
दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के 31 जलाशयों में पानी का स्तर पिछले साल से तो ज्यादा है लेकिन 10 साल के औसत स्तर पर काफी कम है। 22 फरवरी 2018 को इन जलाशयों में पानी का स्तर कुल भंडारण का 29 फीसदी रह गया है जोकि दस साल के औसत 37 फीसदी से काफी कम है। पिछले साल की समान अवधि में इन राज्यों के जलाशयों में पानी का स्तर 22 फीसदी ही था।
देश के सभी 91 जलाशयों में 22 फरवरी 2018 को पानी का स्तर घटकर उनकी कुल भंडारण क्षमता के 37 फीसदी पर आ गया है जबकि 15 फरवरी 2018 को इनमें 39 फीसदी पानी था। ......  आर एस राणा

23 फ़रवरी 2018

प्याज की कीमतों में भारी गिरावट

प्याज की कीमतों में भारी गिरावट आई है। थोक में इसका दाम 1,500 रुपये के नीचे आ गया है। महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में कल प्याज 1450 रुपये क्विंटल बिका। दरअसल नई फसल की आवक से कीमतों पर दबाव बढ़ा है। कुछ मंडियों में इसका दाम 1,200 रुपये के भी नीचे लुढ़क गया है। इस महीने कीमतें करीब 30 फीसदी तक गिर चुकी है। आने वाले दिनों में रिटेल में भी इसका असर देखने को मिल सकता है।

कीमतों को पारदर्शी बनाने के लिए चीनी की ई-ट्रेडिंग शुरू

आर एस राणा
नई दिल्ली। शुगर मिलों को चीनी की बिक्री के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प उपलब्ध कराने के साथ ही खरीददारों को भी प्रतिस्पर्धात्मक भाव पर चीनी की खरीददारी में मदद करने के लिए ई-ट्रेडिंग शुरू की गई है। इससे चीनी की कीमतों को पारदर्शी बनाने में ​मदद मिलेगी।
एनसीडीईएक्स ई-मार्केट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ राजेश सिन्हा ने बताया कि ई-प्लेटफार्म चीनी तथा इसके सह उत्पादों को बेचने के लिए एक स्थाई स्पॉट मार्केट की ​स्थापना करने तथा भविष्य में चीनी मिलों के लिए भी महत्वपूर्ण कदम होगा। भविष्य में चीनी के सह उत्पादों जैसे शीरा, इथनॉल तथा खोई की बिक्री भी शुगर मिलें इसके माध्यम से कर सकेगी।  चीनी के व्यापारियों के लिए जहां यह एक अच्छा कदम है, वहीं उपभोक्ताओं को भी इसका फायदा मिलेगा। 
चीनी कारोबारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि चीनी की सबसे ज्यादा खपत ग्रामीण स्तर पर होती है, इसलिए ई-प्लेटफार्म के माध्यम से चीनी की खरीद-बिक्री मेट्रो शहरों में तो चालू हो जायेगी, लेकिन ग्रामीण स्तर पर इसमें समय लगेगा। 


भारतीय सहकारी चीनी कारखाना लिमिटेड (एनएफसीएसएफ) तथा भारतीय चीनी मिल्ज संघ (आईएसएमए) द्वारा संयुक्त रुप से भारतीय चीनी निर्यात-आयात निगम लिमिटेड (आईएसईसी) के ​साथ मिलकर एनसीडीईएक्स ई-मार्केट (एनईएमएल) इंडियन शुगर ई मार्केट (आईएसईएम) की स्थापना की है। इसके माध्यम से चीनी की ई-ट्रेडिंग शुरू की जायेगी।........  आर एस राणा

22 फ़रवरी 2018

उत्तर के साथ मध्य भारत और महाराष्ट्र में बारिश और ओलावृष्टि की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। मौसम विभाग के अनुसार अगले चार दिनों 23 से 26 फरवरी के दौरान देश के कई राज्यों में बारिश और ओलावृष्टि होने की आशंका है। बेमौसम बारिश हुई तो ​फिर किसानों की मुश्किल बढ़ सकती है क्योंकि कई राज्यों में चना की नई फसल की आवक जहां चालू हो गई है, वहीं सरसों की फसल भी पककर लगभग तैयार है। बेमौसम ​बारिश या ओलावृष्टि की आशंका से चना के साथ ही गेहूं और दलहन की कीमतों में सुधार आ सकता है। 
मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटे में उत्तर और मध्य भारत के साथ ही महाराष्ट्र के कई इलाकों में मौसम खराब रह सकता है, इस​ दौरान कुछेक जगहों पर बारिश के साथ ही ओलावृष्टि होने की भी आशंका है। महाराष्ट्र के साथ ही मध्य प्रदेश में जहां चना की नई फसल की आवक चालू हो गई है, वहीं पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में सरसों की फसल पककर लगभग तैयार हो चुकी हैं। ऐसे में बेमौसम बारिश या ओलवृष्टि हुई तो इन फसलों को नुकसान होगा।
मौसम विभाग के अनुसार 24 फीरवरी को उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में बारिश की आशंका है। 24 से 26 फरवरी के दौरान महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के कई इलाकों में बारिश और ओलावृष्टि की चेतावनी मौसम विभाग ने जारी की है। चालू महीने के शुरू में भी इन राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्ठि से रबी फसलों को नुकसान हुआ था।
मौसम विभाग के आगामी 24 घंटों में जम्मू—कश्मीर के पर्वतीय इलाकों के साथ हिमाचल प्रदेश में भी एक—दो स्थानों पर बारिश या ​बर्फबारी के आसार हैं। राजस्थान और सौराष्ट्र तथा कच्छ में कुछेक जगह बादल छाए रह सकते हैं।
मौसम विभाग के अनुसार ​बीते 24 घंटे के दौरान जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम तथा उत्तरी राजस्थान में कुछेक जगह हल्की तथा कई जगह मध्यम बारिश हुई है। उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में अधिकतम तामपान में बढ़ोतरी दर्ज की गई।...........   आर एस राणा

19 फ़रवरी 2018

सरकारी भंडारों के ​साथ ही किसान की जेब भी भरी होनी चाहिए—कृषि मंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोतरी से जहां भंडारण भरे रहे, वहीं किसान ​की जेब भी भरी होनी चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने दिल्ली में सोमवार को एग्रीकल्चर—2022 किसानों की आय दोगनुी करने पर आयाजित कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में कहां कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2018-19 के लिए कृषि एवं किसान कल्याण के बजटीय आवंटन को पिछले वर्ष यानि 2017-18 के 51,576 करोड़ से बढ़ा कर 2018-19 में 58,080 करोड़ कर दिया।  सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने के लिए निर्धारित ‘सात सूत्रीय’ रणनीति के प्रत्येक सूत्र के लिए प्रचुर धन राशि की उपलब्धता सुनिश्चित की है। यह बजट किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलवाने के उद्देश्‍य से कृषि मंडियों के लिए नए सुधारों की शुरूआत करता है।
प्रधानमंत्री के वायदे के मुताबिक 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की वृहद योजना को अमली जामा पहनाने का काम सरकार ने अप्रैल 2016 से ही एक समिति के गठन से शुरू कर दिया था। इस स​मिति में वरिष्ठ अर्थशास्त्री, भारत सरकार के खाद्य प्रसंकरण, फसल, पशु पालन एवं डेयरी तथा नीति प्रभागो के संयुक्त सचिव, नीति आयोग के कृषि सलाहकार एवं कई अन्य गैर सरकारी सदस्यों को शामिल किया गया। सरकार चाहती है कि कृषि नीति एवं कार्यक्रमों को ‘उत्पादन केंद्रित’ के बजाय ‘आय केंद्रित’ बनाया जाए।
भारत जैसे विशाल और आर्थिक विषमताओं वाले देश में दूर-दराज के दुर्गम इलाकों तक और समाज के सबसे कमजोर वर्ग तक अनाज की भौतिक और आर्थिक पहुँच सुनिश्चित करना एक कठिन चुनौती साबित हो रही थी। परन्तु 2014-15 के दौरान सरकार की अनुकूल नीतियों, कारगर योजनाओं और प्रभावी क्रियान्वयन ने इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया। प्रधान मंत्री के नेतृत्व में देश में ‘क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर’ विकसित करने की ठोस पहल की गई है। इसके लिये राष्ट्रीय-स्तर की परियोजना लागू की गई है, जिसके अंतर्गत किसानों को जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकें अपनाने के लिये जागरूक एवं सक्षम बनाया जा रहा है।.....आर एस राणा

नई फसल आने से पहले गेहूं महंगा

नया सीजन शुरू होने से पहले गेहूं की कीमतों में तेजी आई है और वायदा में ये पिछले एक साल के ऊपरी स्तर पर चला गया है। मार्च वायदा 1800 रुपये का स्तर छू चुका है। इस महीने इसमें करीब 9 फीसदी की तेजी आ चुकी है। वहीं दिल्ली में गेहूं का भाव 2000 रुपये पर पहुंच गया है। दरअसल सरकार ने अप्रैल से शुरू होने वाले नए सीजन के लिए 1735 रुपये क्विंटल एमएसपी तय किया है। वहीं मध्य प्रदेश में बेमौसम बारिश से करीब 600 गांवों में गेहूं की फसल को नुकसान की आशंका है। इस साल गेहूं की खेती करीब 5 फीसदी कम हुई है।

महाराष्ट्र में राज्य सरकार 4.63 लाख अरहर की एमएसपी पर करेगी खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू सीजन में पैदावार कम होने के बावजूद भी अरहर की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बनी हुई है। ऐसे में राज्य के किसानों को नुकसान नहीं हो इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने 4.63 लाख टन अरहर की खरीद एमएसपी पर करने का फैसला किया है।
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार राज्य की मंडियों में अरहर के भाव 4,400 से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2017—18 के लिए अरहर का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। इसलिए राज्य सरकार ने एमएसपी पर 4.63 लाख टन अरहर की खरीद का निर्णय किया है।
उधर कर्नाटका में भी राज्य सरकार एमएसपी पर एक लाख टन अरहर की खरीद करेगी। राज्य की गुलबर्गा मंडी में सोमवार को अरहर की आवक 14,000 हजार बोरी की हुई तथा भाव 4,000 से 4,400 रुपये प्रति क्विंटल रहे। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना तथा महाराष्ट्र से अरहर की एमएसपी पर खरीद सार्वजनिक कंपनी नेफैड भी कर रही है। नेफैड के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार निगम एमएसपी पर चालू खरीफ सीजन में 17 फरवरी 2018 तक 2,87,613 टन अरहर की खरीद कर चुकी है। 
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2017—18 में अरहर की पैदावार घटकर 39.9 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सीजन में रिकार्ड 47.8 लाख टन की पैदावार हुई थी। ........   आर एस राणा

पंजाब में किसान ऋण माफी के दूसरे चरण में 600 करोड़ का आवंटन

आर एस राणा
नई दिल्ली। पंजाब में किसान ऋण माफी के दूसरे चरण के अभियान में 600 करोड़ रुपये किसानों को वितरित किए जायेंगे। मार्च के आरंभ में अमृतसर, जालंधर और गुरदासपुर से इसकी शुरुआत की जायेगी। राज्य सरकार ने पहले चरण के दौरान इस योजना के तहत 160 करोड़ रुपये का आंवटन किसानों को किया है।
सूत्रों के अनुसार पहले चरण में कुछ किसानों ने व्यापारिक कामकाज के लिए ऋण लिया हुआ था, उन्होंने भी इस योजना के तहत ऋण प्राप्त किया था। इसलिए दूसरे चरण में मुख्यमंत्री ने पार्टी विधायकों को किसान ऋण माफी अभियान पर नजर रखने के निर्देश जारी किए हैं। अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि विधायकों से सलाह करने के बाद ही ऋण माफी सूची को अंतिम रूप दे। राज्य सरकार ने छोटे किसानों का 2—2 लाख का ऋण माफ करने का फैसला किया हुआ है।
सूत्रों के अनुसार अगले वित्त वर्ष में किसान ऋण माफी के लिए और अधिक धनराशि का आवंटन करने का अनुमान है। ऐसे में माना जा रहा है कि आगामी बजट में किसान ऋण माफी योजना के आवंटन में राज्य की अमरेन्द्र सरकार बढ़ोतरी करे।
सूत्रों के अनुसार दूसरे चरण में उन किसानों पर भी नजर रखी जायेगी, तो किसान ऋण माफी की शर्तों को पूरा नहीं करते। ऐसे में उन किसानों पर खास नजर रहेगी, जिनकी जमीन राज्य से बाहर किसी दूसरे राज्य में है। नए नियमों के अनुसार किसानों को स्वयं प्रमाणित एफीडेविट देने होंगे, कि वह इस योजना की सभी शर्तों को पूरा करते हैं। इससे उन्हें प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काटने से भी मुक्ति मिलेगी।  ........ आर एस राणा

17 फ़रवरी 2018

जनवरी में वनस्पति तेलों का आयात 25 फीसदी बढ़ा —एसईए

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में तिलहनों की कीमतों में आए सुधार से जनवरी में खाद्य तेलों के साथ ही अखाद्य तेलों के आयात में 25 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 12,46,847 टन का हुआ है जबकि पिछले साल जनवरी में इनका आयात 10,28,859 टन का ही हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष 2017-18 के पहले तीन महीनों नवंबर-17 से जनवरी-18 के दौरान खाद्य और अखाद्य तेलों का कुल आयात 6 फीसदी बढ़कर 36,28,734 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इनका आयात 34,14,008 टन का ही हुआ था। इस दौरान खाद्य तेलों का आयात 35,30,451 टन का और अखाद्य तेलों का आयात 98,283 टन का हुआ है।
आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में भी दिसंबर के मुकाबले जनवरी में बढ़ोतरी हुई है। एसईए के अनुसार आरबीडी पॉमोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर पहुंच जनवरी में बढ़कर औसतन 669 डॉलर प्रति टन हो गया जबकि दिसंबर में इसका भाव 661 डॉलर प्रति टन था। क्रुड पॉम तेल का भाव भी दिसंबर के 662 डॉलर प्रति टन से बढ़कर जनवरी में 669 डॉलर प्रति टन हो गया। क्रुड सोयाबीन तेल के भाव इस दौरान भारतीय बंदरगाह पर पहुंच 811 डॉलर से बढ़कर 817 डॉलर प्रति टन हो गए। ..........आर एस राणा

सरकारी कदमों से दलहन के आयात में तो कमी आई, लेकिन भाव नहीं सुधरे

आर एस राणा
केंद्र सरकार द्वारा दलहन आयात में कमी लाने के लिए आयात शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही आयात की तय सीमा कर देने से आयात में तो भारी कमी आई है, लेकिन इसका असर उत्पादक मंडियों में दालों की कीमतों पर नहीं पड़ा है। दिसंबर महीने में दालों का आयात घटकर 3.19 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल दिसंबर में 8.24 लाख टन दालों का आयात हुआ था। हालांकि उत्पादक राज्यों में किसानों को दालें एमएसपी से 1,000 से 1,500 रुपये प्रति ​क्विंटल नीचे बेचनी पड़ रही है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने घरेलू दलहन किसानों के हितों को देखते मटर, चना और मसूर पर आयात शुल्क लगाया है जबकि अरहर, मूंग और उड़द के आयात की सीमा तय कर दी थी। अत: अरहर, मूंग और उड़द का आयात नहीं हो रहा है जबकि चना, मसूर और मटर के आयात में भी भारी कमी आई है। उन्होनें बताया कि चालू वित्त वर्ष के दिसंबर महीने में आयात घटकर 3.91 लाख टन का ही हुआ है जबकि इसके पहले नवंबर में 7.56 लाख टन दालों का आयात हुआ था। 
कुल आयात में कमी आने का अनुमान
उन्होने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा उठाये गए कदमों से दलहन के कुल आयात में पिछले साल की तुलना में कमी आयेगी। चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान 56.80 लाख टन दालोें का आयात हो चुका है। वित्त वर्ष 2016—17 में दालों का रिकार्ड आयात 66.08 लाख टन का हुआ था। इसके पिछले वित्त वर्ष 2015—16 में दलहन का आयात 57.97 लाख टन का हुआ था।
चालू वित्त वर्ष 2017—18 की ​तीसरी तिमाही अक्टूबर से दिसंबर के दौरान दालों का आयात घटकर 16.5 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इनका आयात 26.4 लाख टन का हुआ था।
आयात घटाने के लिए उठाए कदम
केंद्र सरकार ने चालू महीने में चना के आयात शुल्क को 30 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी किया है, जबकि इससे पहले दिसंबर में चना और मसूर के आयात पर 30 फीसदी का आयात शुल्क लगाया था। नवंबर में केंद्र सरकार ने मटर के आयात पर 50 फीसदी का आयात शुल्क लगाया था। अगस्त में केंद्र सरकार ने अरहर के आयात की 2 लाख टन और मूंग और उड़द के आयात की 3 लाख टन की सीमा तय की थी।
पैदावार ज्यादा होने का अनुमान
कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2016—17 में देश में दलहन की रिकार्ड पैदावार 229 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2015—16 में उत्पादन केवल 163.5 लाख टन का ही हुआ था। देश में दलहन की सालाना खपत 240 से 250 लाख टन की होती है।
उत्पादक मंडियों में भाव एमएसपी से नीचे
महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना की मंडियों में अरहर के भाव 4,000 से 4,300 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2017—18 के लिए अरहर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,450 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) किया हुआ है।.....आर एस राणा

गेहूं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी पर फैसला टला — कृषि सचिव

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक राज्यों में खराब मौसम ने केंद्र सरकार को आयातित गेहूं को हतोत्साहित करने के लिए शुल्क में बढ़ोतरी का फैसला कुछ समय के लिए टालने पर मजबूर कर दिया है। केंद्रीय कृषि सचिव एस के पटनायक ने शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित प्रेस वार्ता में बताया कि गेहूं के आयात शुल्क में बढ़ोतरी पर फैसला नहीं हो सका।
गेहूं के उत्पादन के बारे में उन्होंने कहां कि चालू रबी में अभी तक मौसम फसल के अनुकूल ही रहा है इसलिए गेहूं का उत्पादन पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है। हालांकि उन्होंने माना कि उत्पादन की सही तस्वीर 15 मार्च के बाद ही साफ होगी। गेहूं के आयात पर इस समय 20 फीसदी आयात शुल्क है। सूत्रों के अनुसार कृषि मंत्रालय ने आयात शुल्क को 20 फीसदी से बढाकर 40 फीसदी करने का प्रस्ताव किया था। चालू रबी सीजन में गेहूं की बुवाई में कमी आई है जबकि उत्पादक राज्यों में चालू सप्ताह के शुरु में मौसम खराब हो गया था।
एग्रीकल्चर—2022 कार्यशाला के बारे में उन्होंने बताया कि किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक के साथ ही निजी निवेश की हिस्सेदारी बढ़ाने ​पर ​जोर दिया जायेगा। इस कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिकों के साथ ही किसान प्रतिनिधियों और निजी सेक्टर को आमंत्रित किया गया है। कार्यशाला के पहले दिन 19 फरवरी को हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह बैठक में शामिल होंगेे जबकि 20 फरवरी को प्रधानमंत्री खुद इस बैठक में शामिल होकर वैज्ञानिकों, किसानों संगठनों और अधिकारियों के साथ विचार—विमर्श करेंगे।
इसमें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए शुरु की गई सभी बड़ी परियोजनाओं की बारिकी से समीक्षा की जायेगी। किसानों के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सुधार में राज्यों की अहम भूमिका है, इसलिए राज्यों के प्रतिनिधियों को कार्यशाला में आमंत्रित किया गया है।
कार्यशाला  में पशुधन, डेयरी और पोल्ट्री के साथ ही मत्सय पालन को प्रोत्साहन देने के उपायों पर भी विचार किया जायेगा। किसानों के उत्पादों की बिक्री के लिए मार्केटिंग, एग्रो लॉजिस्टिक और एग्रो वैल्यू सिस्टम को मजबूत बनाने पर जोर दिया जायेगा।
किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कैसे मिलें, इस पर कार्यशाला में कृषि विशेषज्ञों के साथ ही किसान प्रतिनिधियों की सलाह अहम रहेगी। देश में 2 हैक्टेयर से छोटी जोत वाले किसानों की संख्या ज्यादा है इसलिए छोटी जोत वाले किसानों की आय बढ़ाने के उपायों पर मुख्य जोर दिया जायेगा।.....आर एस राणा

16 फ़रवरी 2018

चीन की आयात मांग बढ़ने से केस्टर तेल का निर्यात बढ़ा—एसईए

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीन की आयात मांग बढ़ने से दिसंबर महीने में केस्टर तेल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। दिसंबर महीने में केस्टर तेल का निर्यात बढ़कर 49,076 टन का हुआ है जबकि पिछले साल दिसंबर में इसका निर्यात केवल 38,442 टन का ही हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान केस्टर तेल के निर्यात में थोड़ी कमी आई है। इस दौरान देश से केस्टर तेल का निर्यात 4.11 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इसका निर्यात 4.15 लाख टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2016—17 के दौरान केस्टर तेल का कुल निर्यात 5.37 लाख टन का हुआ था। वर्तमान में हो रहे निर्यात सौदों को देखते हुए माना जा रहा है कि कुल निर्यात पिछले साल के लगभग बराबर ही हो जायेगा।
एसईए के अनुसार फसल सीजन 2016—17 में केस्टर सीड का उत्पादन घटकर 11.30 लाख टन का ही हुआ था जबकि इसके पिछले साल 14 लाख टन का उत्पादन हुआ था।...... आर एस राणा

रबी में एमएसपी पर 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य

आर एस राणा
नई दिल्ली। रबी विपणन सीजन 2018—19 में केंद्र सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 320 लाख टन गेहूं और 55 लाख टन चावल की खरीद करेगी। खाद्य सचिव रविकांत की अध्यक्षता में गुरुवार को नई दिल्ली में हुई प्रमुख उत्पादक राज्यों के खाद्य सचिवों की बैठक में राज्यों ने गेहूं के खरीद केंद्रों की संख्या बढ़ाने के साथ ही गेहूं का समय पर उठाने की मांग की।
खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ ही भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और जूट मिलों के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में राज्य के खाद्य सचिवों ने मांग की, कि किसानों को गेहूं का समय पर भुगतान होने के साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाये, कि उनकी उपज एमएसपी से नीचे ना बिके।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रबी विपणन सीजन 2018—19 में 320 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य तय किया गया है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन 2017-18 में  308 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। पिछले खरीद सीजन में खरीद का लक्ष्य 330 लाख टन का था।
चालू रबी के लिए एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल
रबी विपणन सीजन 2018—19 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन में एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल था। 
पंजाब और उत्तर प्रदेश से खरीद लक्ष्य ज्यादा
प्रमुख उत्पादक राज्य पंजाब से रबी विपणन सीजन 2018—19 में गेहूं की खरीद का लक्ष्य 119 लाख टन का तय किया है जबकि पिछले साल पंजाब से 117.06 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। हरियाणा से चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 74 लाख टन का है जबकि पिछले साल हरियाणा से 74.32 लाख टन की खरीद हुई थी। मध्य प्रदेश से भी खरीद का लक्ष्य 67 लाख टन का ही रखा है जबकि पिछले साल मध्य प्रदेश से 67.25 लाख टन की खरीद हुई थी।
सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश से चालू रबी में गेहूं की खरीद का लक्ष्य 40 लाख टन का तय किया गया है जबकि पिछले साल राज्य से 36.99 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। राजस्थान से चालू रबी में खरीद का लक्ष्य 16 लाख टन का तय किया है जबकि पिछले साल राजस्थान से 12.45 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। इसके अलावा बिहार से 2 लाख टन, उत्तराखंड से एक लाख टन, गुजरात से 50 हजार टन और अन्य राज्यों से भी 50 हजार टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य ​तय किया है।
रबी में 55 लाख टन चावल की खरीद का लक्ष्य
रबी विपणन सीजन 2018—19 में चावल की खरीद का लक्ष्य 55 लाख टन का तय किया गया है जबकि खरीफ में 375 लाख टन चाल की खरीद की गई है। आंध्रप्रदेश से चावल की खरीद का लक्ष्य 18 लाख टन, तेलंगाना से 19 लाख टन, उड़ीसा से 7 लाख टन, तमिलनाडु से 5 लाख टन, केरल से 1.32 लाख टन, पश्चिमी बंगाल से 4 लाख टन, असम से 34 हजार टन और महाराष्ट्र से भी 34 हजार टन चावल की लक्ष्य तय किया है।
चालू रबी में गेहूं की बुवाई कम
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन में गेहूं की बुवाई घटकर 304.29 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 317.88 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
उत्पादन अनुमान में कमी की आशंका
मंत्रालय ने चालू रबी में गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य 975 लाख टन का ही रखा है जबकि फसल सीजन 2016-17 में गेहूं का उत्पादन 983.8 लाख टन का हुआ था।....... आर एस राणा

12 फ़रवरी 2018

मध्य प्रदेश में गेहूं और धान किसानों को मिलेगा 200 रुपये का बोनस

आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में राज्य सरकार गेहूं के साथ ही धान के किसानों को 200 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देगी। मुख्यमंत्री उत्पादकता प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत गेहूं और धान की फसल पर किसानों को यह बोनस मिलेगा।
राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुसार पिछले साल किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमतें मिली थी, इसलिए राज्य के किसानों को गेहूं और धान का उचित मूल्य नहीं पाया था। इसलिए हमने फैसला किया है कि मुख्यमंत्री उत्पादकता प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत गेहूं और धान पर किसानों को 200 रुपये प्रति क्विंटल का अतिरिक्त बोनस दिया जायेगा।
मध्य प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा बोनस दिए जाने की घोषणा से गेहूं की कीमतों में 50 से 100 रुपये का सुधार आने का अनुमान है।
रबी विपणन सीजन 2018—19 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। जबकि केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2017—18 के लिए धान कामन ग्रेड का एमएसपी 1,550 रुपये और ए ग्रेड के धान का भाव 1,590 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।........  आर एस राणा


महाराष्ट्र के मराठवाड़ा और विदर्भ में बारिश और ओलवाृष्ठि से फसलों को नुकसान

महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में बेमौसम ओलावृष्टि और भारी बारिश होने से रबी फसलों को भारी नुकसान हुआ है। राज्य के कृषि निदेशालय के अधिकारियों के अनुसार जालना, बीड, अमरावती, बुल्धाना, वाशिम, अकोला और आसपास के इलाकों में ओलावृष्टि से गेहूं, अंगूर, चना और आम की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। सुबह साढ़े सात बजे से ओलावृष्टि शुरू हुई और यह आधे घंटे तक लगातार जारी रही।
जालना व कुछ अन्य हिस्सों पर महज 15 मिनट तक ओलावृष्टि हुई लेकिन इतने में ही ऐसा दृश्य सामने आया कि हरे-भरे खेत कश्मीर की घाटी की तरह जैसे बर्फ की चादर से ढंक गए। किसानों ने बताया कि इस प्राकृतिक आपदा से चना, नारंगी, केला, ज्वार, गेहूं और आम व अन्य फसलें तबाह हो गई। कुछ जगहों पर टेनिस की गेंद के आकार के ओले पड़े, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई।
मृतकों की पहचान वाशिम के यमुना हुमबड़ और जालना के नामदेव शिंदे (70) के रूप में हुई हैै। वाशिम में दो लोग घायल भी हुए हैं। महाराष्ट्र सरकार ने इस प्राकृतिक आपदा के तुरंत बाद सक्रियता दिखाई और राज्य के कृषि मंत्री ने सभी किसानों को उनकी तबाह हुई फसलों के लिए मुआवजा देने की घोषणा की।
उधर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित कई इलाकों में तेज आंधी के साथ भारी बारिश और ओले गिरे। प्रदेश के सीहोर, विदिशा, होशंगाबाद, गुना, राजगढ़, हरदा बैतूल और रायसेन सहित अन्य कई इलाकों में हुई बारिश और ओलावृष्टि से चना, सरसों और गेंहू की खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है।
मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत में भी आंधी—तूफान और ओलावृष्ठि की संभावना है।

कच्चे तेल में आज रिकवरी

पिछले हफ्ते 10 फीसदी की भारी गिरावट के बाद कच्चे तेल में आज रिकवरी आई है। ग्लोबल मार्केट में कच्चा तेल 2 महीने के निचले स्तर से करीब 1 फीसदी संभल गया है। हालांकि बढ़त के बावजूद नायमैक्स पर इसका दाम 60 डॉलर के नीचे है जबकि ब्रेंट में 63 डॉलर पर कारोबार हो रहा है। अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है, क्योंकि वहां ऑयल रिग की संख्या पिछले तीन साल के ऊपरी स्तर पर चली गई है।
डॉलर में नरमी की वजह से आज सोने में भी हल्की रिकवरी आई है और ग्लोबल मार्केट में इसका दाम 1320 डॉलर के ऊपर चला गया है। वहीं चांदी में 16.5 डॉलर के पास कारोबार हो रहा है। आज अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप अपने इंफ्रास्ट्रक्चर प्लान का एलान करेंगे, ऐसे में लंदन मेटल एक्सचेंज पर मेटल में मजबूती दिख रही है। कॉपर का दाम दो महीने के निचले स्तर से संभल गया है। चीन में दबाव दिख रहा है। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की मजबूती दिख रही है।

10 फ़रवरी 2018

एग्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने की पॉलिसी का खाका तैयार

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम बजट 2018—19 में घोषणा की थी कि देश से एग्री उत्पादों के निर्यात को बढ़ाकर 100 बिलियन अमे‌रिकी डॉलर तक बढ़ाया जा सकता है, जोकि इस समय केवल 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसको असली जामा पहनाने के लिए
सरकार जल्दी ही एग्री उत्पादों के निर्यात की नई पॉलिसी लाने जा रही है।

सूत्रों के अनुसार एग्री उत्पादों की नई पॉलिसी का पूरा खाका तैयार किया जा चुका है। एग्री उत्पादों की नई पॉलिसी आने से किसानों को फायदा होगा। माना जा रहा है कि यह प्रस्ताव मार्च के आखिर तक कैबिनेट के पास भेजा जायेगा। पॉलिसी के ड्रॉप्ट को अगले सप्ताह आॅनलाइन कंसल्टेशन के लिए डाला जायेगा।

इस पॉलिसी में किसानों के लिए ऋण की सुविधा के साथ ही एग्री उत्पादों के भंडारण की व्यवस्था, सस्ती परिवहन सुविधा की व्यवस्था के अलावा कोल्ड चेन वेयर हाउस के लिए 20 फीसदी तक प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था की जायेगी। चाय, फसल, सब्जियों के साथ ही मरीन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दिया जायेगा।

देशभर में एग्री उत्पादों से जुड़े करीब 50 कलस्टर बनाने के साथ ही क्लस्टर बेस्ड एग्री उत्पादों को बढ़ावा देने पर फोकस होगा। इस पॉलिसी में केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारें, व्यापारी और किसान तथा अनुसंधान संस्थान मिलकर काम करेंगे। सूत्रों के अनुसार इस प्रस्ताव को मार्च के आखिर तक कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा।

कपास उत्पादन अनुमान में 8 लाख गांठ की कमी की आशंका — सीएआई

आर एस राणा
नई दिल्ली। तेलंगाना के साथ ही महाराष्ट्र में पिंक बॉलवर्म नामक बीमारी लगने से कपास के उत्पादन अनुमान में कमी आने की आशंका है। कॉटन एसोसिएशन आॅफ इंडिया (सीएआई) के अनुसार चालू फसल सीजन 2017—18 में कपास का उत्पादन घटकर 367 लाख गांठ (एक गांठ—170 किलोग्राम) ही होने का अनुमान है जबकि पहले अनुमान 375 लाख गांठ का था।
सीएआई के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा ने आउटलुक को बताया कि तेलंगाना के साथ ही महाराष्ट्र के कई ​क्षेत्रों में पिंग बॉलवर्म नामक बीमारी लगने से राज्य सरकारों ने कपास किसानों के लिए एडजवारी जारी कर दी थी, जिसकी वजह से किसानों ने जल्दी फसल को खेतों से निकाल लिया। अत: पहले के उत्पादन अनुमान 375 लाख गांठ में 8 लाख गांठ की कमी आकर कुल उत्पादन 367 लाख गांठ का ही होने की अनुमान है। फसल सीजन 2016—17 में कपास का उत्पादन 337.25 लाख गांठ का हुआ था।
उत्पादक राज्यों में कपास की दैनिक आवक करीब 1.50 लाख गांठ से ज्यादा हो रही है, माना जा रहा है कि मार्च के मध्य तक आवक कम हो जायेगी। इसलिए कपास की कीमतों में मार्च में सुधार आने की संभावना है।  
बीस लाख गांठ के हो चुके हैं निर्यात सौदे
उन्होंने बताया कि इस समय विश्व बाजार में भारतीय कपास सबसे सस्ती है तथा चालू फसल सीजन में पहली अक्टूबर 2017 से 31 जनवरी 2018 तक करीब 20 लाख गांठ कपास के निर्यात सौदे हो चुके हैं। आईईसी न्यूयार्क में कपास का भाव 76.68 सेंट प्रति पाउंड है। चालू फसल सीजन में कपास का कुल निर्यात करीब 55 लाख गांठ होने का अनुमान है। कपास की घरेलू खपत करीब 320 लाख गांठ होने का अनुमान है। ऐसे में नई फसल की आवक के समय 30 सितंबर 2018 को 42 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक बचेगा। 
आयात में कमी आने का अनुमान
उन्होंने बताया कि घरेलू मंडियों में कपास के भाव नीचे हैं इसलिए चालू फसल सीजन में कपास के आयात में कमी आने की आशंका है। चालू फसल सीजन में कपास का कुल आयात घटकर 20 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका आयात 30 लाख गांठ का हुआ था। पहली अक्टूबर से जनवरी के आखिर तक करीब 7—8 लाख गांठ कपास का आयात हो चुका है।
कपास की कुल आवक ज्यादा
चालू सीजन में उत्पादक मंडियों में जनवरी के आखिर तक 211 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी आवक केवल 157.75 लाख गांठ की ही हुई थी। .............  आर एस राणा

09 फ़रवरी 2018

मूंगफली दाने के निर्यात में आई भारी गिरावट, भाव एमएसपी से नीचे

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात के साथ ही राजस्थान में किसानों को मूंगफली न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर बेचनी पड़ रही है, इसका एक प्रमुख मूंगफली दाने के निर्यात में भारी गिरावट आना भी है। चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान मूंगफली दाने का निर्यात घटकर केवल 3.86 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 4.74 लाख टन का हुआ था।वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान मूंगफली दाने के निर्यात में मूल्य के हिसाब से 27.71 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 2,639.69 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 3,651.60 करोड़ रुपये का हुआ था।
नेफैड ने गुजरात, राजस्थान के साथ ही कर्नाटका और आंध्रप्रदेश से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर अभी तक 9,96,666.75 टन मूंगफली की खरीद की है। खरीफ विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने मूंगफली का एमएसपी 4,450 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में मूंगफली के भाव 3,500 से 4,100 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार चल रहे हैं।चालू रबी में मूंगफली की बुवाई 6.04 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 6.03 लाख हैक्टेयर में हुई थी।कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन 2017—18 में मूंगफली का उत्पादन घटकर 62.12 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन खरीफ सीजन में 62.21 लाख टन का हुआ था। ......आर एस राणा

चीनी के निर्यात शुल्क में कटौती करने पर विचार — रामविलास पासवान

आर एस राणा
नई दिल्ली। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान को लेकर केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसलिए चीनी मिलों को राहत देने के लिए निर्यात शुल्क में भी कमी करने पर सरकार विचार कर रही है। केंद्रीय उपभोक्ता, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को प्रेस वार्ता में कहां कि हमने चीनी आयात को पूरी तरह से रोकने के लिए आयात शुल्क 50 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया है। निर्यात शुल्क को हटाने के साथ ही उद्योग की कई मांगे हैं जिन पर सरकार विचार कर रही है। चीनी के निर्यात पर इस समय 20 फीसदी निर्यात शुल्क है।
उन्होंने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आईटी का प्रयोग करके पारदर्शिता लाई गई है और सस्‍ता अनाज सही लाभार्थी तक पहुंचे, इसे सुनिश्चित करने के लिए राशनकार्डों को आधार से जोड़ा गया है। इस अभियान से 2 करोड़ 75 लाख फर्जी, डुप्‍लीकेट और अवैध ढंग से बने राशनकार्डों की छंटनी की गई है।
उन्‍होंने कहा कि एनडीए सरकार ने 2014 के चुनाव से पूर्व महंगाई पर नियंत्रण करने का जनता से वादा किया था, जिसे पिछले तीन वर्षों में कर दिखाया है। केंद्रीय पूल में दालों का बफर स्‍टॉक उपलब्‍ध है, जिसे बाजार मूल्‍यों को स्‍थिर रखने के लिए खुले बाजार में निविदा के माध्‍यम से बेचा भी जा रहा है।
उन्होंने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण विधेयक संसद में प्रस्‍तुत किया जा चुका है और इसे शीघ्र ही पारित करवा कर कानूनी रूप दिया जाएगा। उपभोक्‍ता शिकायतों के त्‍वरित समाधान के लिए राष्‍ट्रीय उपभोक्ता हैल्‍पलाइन के काउंटर 40 से बढ़ा कर 60 कर दिए गए हैं। इसके अतिरिक्‍त 6 शहरों में क्षेत्रीय उपभोक्ता हैल्‍पलाइनें भी स्‍थापित कर दी गई हैं। लीगल मेट्रोलॉजी के माध्‍यम से जनता को सही मात्रा और सही एमआरपी पर वस्‍तुएं और सेवाएं प्राप्‍त हों, इसे सुनिश्चित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि आम बजट 2018—19 में खाद्य विभाग के लिए 2,24,159.10 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जो वर्ष 2017-18 के 1,96,809.22 करोड़ रुपए से लगभग 14 फीसदी अधिक है। इसी प्रकार उपभोक्ता मामले विभाग के लिए इस वर्ष 1,804.52 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
देश में रिकॉर्ड खाद्यान्‍न का उत्‍पादन हुआ है। वर्ष 2017-18 में 275 मिलियन टन खाद्यान्‍न और 300 मिलियन टन से अधिक फलों का उत्‍पादन हुआ है। किसानों के कल्‍याण के लिए हमारी सरकार ने निरन्‍तर प्रयास किए हैं, जिन्‍हें इस बजट में भी जारी रखा गया है और किसानों को उनकी लागत के डेढ़ गुना न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) दिए जाने के लिए बजट में किए गए प्रावधान से उनकी आय में बढ़ोतरी होगी।  ...........  आर एस राणा



08 फ़रवरी 2018

ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में भारी बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार गम उत्पादों में अमेरिका के साथ ही खाड़ी देशों की आयात मांग अच्छी बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 3,65,451 टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इनका निर्यात 2,69,001 टन का ही हुआ था।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 48.83 फीसदी बढ़कर 2,951.25 करोड़ रुपये का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इनका निर्यात 1,982.87 करोड़ रुपये का ही हुआ था।



प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान और हरियाणा की मंडियों में ग्वार सीड की दैनिक आवक घटकर 8,000 से 9,000 क्विंटल की रह गई है। राजस्थान की जोधपुर मंडी में ग्वार गम पाउडर का भाव गुरुवार को 9,800 से 10,000 रुपये और ग्वार सीड का भाव 4,600 रुपये प्रति क्विंटल रहा। राज्य की गंगानगर मंडी में ग्वार सीड का भाव 4,500 रुपये प्रति क्विंटल रहा।  ..... आर एस राणा

सोयाबीन के उत्पादन अनुमान में 7.98 लाख टन की कमी आने की आशंका — सोपा

सोयाबीन के उत्पादन अनुमान में 7.98 लाख टन की कमी आने की आशंका — सोपा
खरीफ में सोयाबीन के उत्पादन अनुमान में 7.98 लाख टन की कमी आने की आशंका है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (सोपा) द्वारा जारी दूसरे ​अग्रिम अनुमान के अनुसार सोयाबीन का उत्पादन घटकर 83.5 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि अक्टूबर में पहले आरंभिक अनुमान में 91.46 लाख टन उत्पादन का अनुमान था।
सोपा के कार्यकारी निदेशक डी एन पाठक ने बताया कि चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन का कुल उत्पादन 83.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि नई फसल की आवक के समय उत्पादक मंडियों में 13 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। अत: कुल उपलब्धता 96.50 लाख टन की है। उन्होंने बताया कि उत्पादक राज्यों में सोयाबीन की कुल उपलब्धता पिछले साल के लगभग ही है।
उन्होंने बताया कि प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान की उत्पादक मंडियों में चालू फसल सीजन में अक्टूबर—17 से जनवरी—18 के दौरान 53 लाख टन सोयाबीन की दैनिक आवक हो चुकी है। इस समय स्टॉकिस्टों के साथ ही किसानों के पास 45.32 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है।


चालू तेल वर्ष 2017—18 के पहले चार महीनों अक्टूबर—17 से जनवरी—18 के दौरान 7.05 लाख टन सोया डीओसी का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 7.24 लाख टन का हुआ था। सोपा के अनुसार चालू तेल वर्ष में सोया डीओसी का कुल निर्यात 12.50 लाख टन होने का अनुमान है। 

चीनी मिलें अ​ब तय कोटे के आधार पर ही बेच सकेंगी चीनी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार चीनी की कीमतों में सुधार लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है ताकि किसानों के बकाया भुगतान में तेजी आ सके। केंद्र सरकार ने अब चीनी की बिक्री के लिए मिलों पर सीमा तय कर दी है। अत: फरवरी और मार्च में मिलें चीनी की बिक्री तय सीमा के आधार पर कर सकेंगी, जिससे की बाजार में चीनी की उपलब्धता जरुरत से ज्यादा नहीं हो। ​इससे चीनी की कीमतों में सुधार आने का अनुमान है।
केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार फरवरी में चीनी मिलें पिछले महीने के बकाया स्टॉक तथा फरवरी में कुल उत्पादन की केवल 17 फीसदी चीनी ही बाजार में बेच सकेगी। अत: चीनी मिलों को कुल स्टॉक का 83 फीसदी स्टॉक अपने पास रखना अनिवार्य होगा। इसी तरह से मार्च में चीनी मिलें फरवरी के बकाया स्टॉक तथा मार्च में उत्पादन को मिलाकर कुल स्टॉक की केवल 16 फीसदी ही चीनी बाजार में बेच सकेंगी। अत: चीनी मिलों को कुल स्टॉक की 84 फीसदी चीनी अपने पास रखनी होगी।
इससे पहले केंद्र सरकार ने चीनी के आयात को रोकने के लिए आयात पर शुल्क को 50 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया था।
उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव गुरुवार को 3,175 से 3,250 रुपये, महाराष्ट्र में 2,850 से 2,950 रुपये और दिल्ली में 3,375 से 3,450 रुपये प्रति क्विंटल (टैक्स अगल) रहे।केंद्र सरकार द्वारा चीनी मिलों पर कोटा तय करने से बाजार में अनावश्यक सप्लाई रुक जायेगी, जिससे इसकी कीमतों में 50 से 100 रुपये की तेजी आने का अनुमान है। 
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन 2017—18 में चीनी का उत्पादन बढ़कर 261 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन 2016—17 में केवल 203 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। ........ आर एस राणा

07 फ़रवरी 2018

पाकिस्तान से चीनी आयात को रोकने के लिए आयात शुल्क 100 फीसदी किया

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पाकिस्तान से हो रहे चीनी के आयात सौदों को रोकने के लिए आयात शुल्क को 50 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी किया है। पाकिस्तान से वाघा—अटारी बार्डर के ​जरिए गत सप्ताह 5,000—6,000 टन की खेप भारत पहुंच थी। पाकिस्तान में पंजाब प्रांत की चीनी मिलों को वहां की सरकार चीनी निर्यात पर सब्सिडी दे रही है।
पाकिस्तान में चीनी का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है, साथ ही पिछले साल का बकाया स्टॉक भी ज्यादा है। इसीलिए वहां की चीनी मिलों को पाकिस्तान सरकार निर्यात पर सब्सिडी दे रही है। पाकिस्तान से वाघा—अटारी बार्डर के रास्ते सड़क मार्ग से चीनी आयात पर पविहन लागत भी कम आती है। भारत के पंजाब के अमृतसर में गत सप्ताह पाकिस्तान से 5,000 से 6,000 टन चीनी आई है। सूत्रों के अनुसार अमृतसर पहुंच इस चीनी का भाव 3,250 से 3,300 रुपये प्रति क्विंटल है। ऐसे में उद्योग को डर था कि कहीं आयात सौदे ज्यादा मात्रा में ना हो जाए, इसलिए सरकार से आयात शुल्क को 50 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी करने की मांग की थी, जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार चालू पेराई सीजन 2017—18 में चीनी का उत्पादन बढ़कर 261 लाख टन होने का अनुमान है जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 245 से 250 लाख टन की होती है। पेराई सीजन 2016—17 में चीनी का उत्पादन केवल 203 लाख टन का ही हुआ था। नए पेराई सीजन के आरंभ में पहली अक्टूबर 2017 को घरेलू बाजार में करीब 40 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा भी हुआ था। अत: कुल उपलब्धता खपत की तुलना में ज्यादा होने से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों मेंं गिरावट बनी हुई थी।
चीनी की कीमतों में गिरावट का असर चीनी मिलों द्वारा किसानों को किए जाने वाले भुगतान पर भी पड़ा है, तथा चीनी मिलों पर किसानों के बकाया की राशि लगातार बढ़ रही है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ​चीनी के निर्यात की संभावना भी तलाश रही है, इसके लिए निर्यात शुल्क को भी शून्य कर सकती है। इस समय चीनी के निर्यात पर 20 फीसदी का निर्यात शुल्क है। चीनी मिलों द्वारा चीनी बेचने के ​नियमों को भी केंद्र सरकार सख्त कर सकती है जिससे घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता जरुरत से ज्यादा नहीं हो।
केंद्र सरकार द्वारा चीनी के आयात शुल्क को 100 फीसदी कर देने से घरेलू बाजारों में चीनी की कीमतों में हल्का सुधार आया है। उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,175 से 3,250 रुपये, महाराष्ट्र में 2,850 से 2,950 रुपये और दिल्ली में 3,375 से 3,450 रुपये प्रति क्विंटल (टैक्स अगल) हो गए। चीनी में मांग को देखते हुए इसकी कीमतों में हल्का सुधार और भी आ सकता है। ............  आर एस राणा

जनवरी में डीओसी के निर्यात में 52 फीसदी की भारी गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली।  घरेलू बाजार में कीमतें बढ़ने के साथ ही विश्व बाजार में भाव में आई कमी के कारण जनवरी में डीओसी के निर्यात में 52 फीसदी की भारी कमी आई हैं। जनवरी में डीओसी का निर्यात घटकर 1,16,150 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल जनवरी में इसका निर्यात 2,39,613 टन का हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार केंद्र सरकार ने 17 नवंबर 2017 को खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क को 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया था। इसके साथ ही सोया डीओसी के निर्यात पर निर्यातकों को प्रोत्साहन राशि 5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर देने से उद्योग के साथ ही किसानों को फायदा होगा। चालू वित्त वर्ष के ​दिसंबर के मुकाबले जनवरी में सोया डीओसी के साथ ही सरसों डीओसी, राईसब्रान और केस्टर डीओसी के निर्यात में भी कमी आई है। 
चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले 10 महीनों अप्रैल से जनवरी के दौरान डीओसी का कुल निर्यात पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि के मुकाबले 68 फीसदी बढ़ा है। अप्रैल से जनवरी के दौरान डीओसी का निर्यात 23,62,049 टन का हुआ है जब​कि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इनका निर्यात 14,09,527 टन का ही हुआ था।
घरेलू मंडियों में सोयाबीन की कीमतों में आई तेजी से सोया डीओसी के भाव भी बढ़े हैं। जनवरी में सोया डीओसी के औसत भाव बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 409 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि दिसंबर में इसके औसत भाव 375 डॉलर प्रति टन थे। सरसों डीओसी के भाव जनवरी में बढ़कर भारतीय बंदरगाह पर 226 डॉलर प्रति टन हो गए, जबकि दिसंबर में इसके भाव 224 डॉलर प्रति टन थे। ....... आर एस राणा

आयात को हत्तोसाहित करने के लिए चना आयात शुल्क में 10 फीसदी की बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई फसल की आवक का दबाव बनने से पहले ही चना की कीमतों में आई गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने आयात पर शुल्क में 10 फीसदी की बढ़ोतरी कर शुल्क 40 फीसदी कर दिया है। इससे चना के भाव में हल्का सुधार आया है। मुंबई में आयातित आस्ट्रेलाई चना के भाव 75 रुपये बढ़कर 3,900 रुपये और दिल्ली में 4,050 से 4,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
22 दिसंबर 2017 को केंद्र सरकार ने चना के आयात पर 30 फीसदी का आयात शुल्क लगाया था लेकिन इससे कीमतों में सुधार नहीं आया। सूत्रों के अनुसार चना के आयात को हत्तोसाहित करने के लिए चना के आयात शुल्क को 30 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दिया है, इसकी अधिसूचना जल्दी ही जारी हो जायेगी।
प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना के भाव 3,500 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल है तथा नई फसल की आवक बढ़ने पर इसके भाव में और गिरावट आने का अनुमान है। केंद्र सरकार ने चालू रबी विपणन सीजन 2017—18 के लिए चना का न्यनूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। जानकारों के अनुसार आस्ट्रेलिया में चना का उत्पादन 10.50 लाख टन होने का अनुमान है तथा इसमें से 70 से 80 फीसदी का आयात भारत  में होने का अनुमान है। ऐसे में माना जा रहा है कि आस्ट्रेलिया से आयातित चना की कीमतों में गिरावट आ सकती है।
आयात में बढ़ोतरी
वित्त वर्ष 2016—17 में चना का आयात 10.80 लाख टन का हुआ था जबकि ​इसके पिछले वित्त वर्ष 2015—16 में चना का आयात 10.31 लाख टन का ही हुआ था। चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान 3.39 लाख टन चना का आयात हो चुका है।
बुवाई में भारी बढ़ोतरी
चालू रबी सीजन में चना की बुवाई में भारी बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चना की बुवाई बढ़कर 107.24 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 99.04 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
उत्पादन अनुमान ज्यादा
कृषि मंत्रालय ने फसल सीजन 2017—18 में चना के उत्पादन का लक्ष्य 97.5 लाख टन का तय किया है जबकि इसके पिछले साल 2016—17 में चना का उत्पादन 93.3 लाख टन का हुआ था।
नई फसल की आवक शुरू
चना की नई फसल की आवक कर्नाटका, आंधप्रदेश और महाराष्ट्र में शुरू हो गई है तथा चालू महीने के आखिर तक मध्य प्रदेश में भी नई फसल की आवक बन जायेगी। राजस्थान और उत्तर प्रदेश में चना की नई फसल अप्रैल महीने में आयेगी। चालू रबी सीजन में चना की बुवाई में भारी बढ़ोतरी हुई है तथा अभी तक मौसम भी फसल के अनुकूल बना हुआ है। ऐसे में माना जा रहा है कि चना का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है। .............  आर एस राणा

05 फ़रवरी 2018

प्याज की कीमतों में तेजी

महाराष्ट्र की मंडियों में आज प्याज के भाव में तेजी आई है। राज्य की लासलगांव मंडी में प्याज का भाव हफ्ते के पहले दिन ही करीब 500 रुपये उछल गया है। केंद्र सरकार ने प्याज के एक्सपोर्ट पर से मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस पूरी तरह से हटा ली है। अब बगैर किसी एमईपी के प्याज का एक्सपोर्ट हो सकेगा। इसी वजह से प्याज की कीमतों में तेजी आई है। पिछले महीने प्याज के थोक भाव में करीब 50 फीसदी की भारी गिरावट आई थी। हालांकि रिटेल में प्याज की कीमतें अभी भी ऊपर बनी हुई हैं।

कच्चे तेल का दाम पिछले 1 महीने के निचले स्तर पर

कच्चे तेल का दाम पिछले 1 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। ब्रेंट में 68 डॉलर के नीचे कारोबार हो रहा है। जबकि नायमैक्स क्रूड 65 डॉलर के नीचे आ गया है। डॉलर में बढ़त के साथ अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन भी बढ़ रहा है। ऐसे में क्रूड की कीमतों पर दोहरा दबाव है। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की कमजोरी है। अमेरिका में रोजगार के शानदार आंकड़ों के बाद सोने में लगातार दबाव जारी है और ग्लोबल मार्केट में सोना आज भी करीब 0.25 फीसदी की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है। हालांकि चांदी में तेजी आई है और इसका दाम करीब 0.5 फीसदी बढ़ गया है। 

चीनी पर आयात शुल्क में हो सकती है बढ़ोतरी, निर्यात नियमों में छूट

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी की कीमतों में चल रही गिरावट को रोकने के लिए केंद्र सरकार चीनी के आयात पर शुल्क को बढ़ाकर 100 फीसदी कर सकती है जबकि निर्यात के लिए शुल्क में कमी कर सकती है।
सूत्रों के अनुसार चीनी की कीमतों में आई भारी गिरावट से चीनी मिलों पर किसानों का बकाया लगातार बढ़ रहा है। इसलिए चीनी मिलों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार जहां आयात शुल्क को 100 फीसदी करने की तैयारी कर रही है, वहीं निर्यात के लिए निर्यात शुल्क को हटाने के साथ ही सब्सिडी भी दी जा सकती है। इस समय चीनी के निर्यात पर जहां 20 फीसदी निर्यात शुल्क है वहीं आयात पर 40 फीसदी का आयाात शुल्क है।
दिल्ली में चीनी के भाव घटकर सोमवार को 3,375 से 3,400 रुपये प्रति क्विंटल रह गए जबकि उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर 3,050 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल (टैक्स अलग) रह गए। ..............  आर एस राणा

03 फ़रवरी 2018

विश्व बाजार में भाव घटने से कपास के निर्यात में कमी की आशंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। विदेशी बाजार में कपास की कीमतों में आई गिरावट से चालू फसल सीजन 2017—18 में इसके कुल निर्यात में कमी आने की आशंका है। चालू सीजन में निर्यात घटकर 50 से 55 लाख गांठ (एक गांठ—170 किलोग्राम) ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 63 लाख गांठ ​का निर्यात हुआ था। फसल सीजन 2017—18 में अभी तक केवल 24 से 25 लाख गांठ  कपास के निर्यात सौदे हुए हैं। अत: निर्यात में कमी आई तो घरेलू बाजार में इसके भाव घटेंगे, ​जिसका नुकसान कपास किसानों को उठाना पड़ सकता है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सप्ताहभर में कपास की कीमतों में करीब 4 फीसदी की गिरावट आकर न्यूयार्क एक्सचेंज में भाव 77.3 सेंट प्रति पाउंड रह गए जबकि 26 जनवरी को इसके भाव उपर में 83 सेंट प्रति पाउंड हो गए थे। 

नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि विदेशी बाजार में भाव कम होने के निर्यात मांग में भी कमी आई है। विश्व बाजार में कपास की उपलब्धता ज्यादा है इसलिए हमारे यहां से कुल निर्यात में भी कमी आने की आशंका है। पिछले साल देश से 63 लाख गांठ का निर्यात हुआ था जबकि चालू सीजन में 50 से 55 लाख गांठ का ही निर्यात होने का अनुमान है।
निर्यातकों की मांग कम होने से घरेलू मंडियों में भी कपास की कीमतों में कमी आई है। अहमदाबाद में शंकर 6 किस्म की कपास के भाव घटकर शनिवार को 40,500 से 41,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी—356 किलो) रह गए जबकि 27 जनवरी को इसका भाव 42,500 से 43,000 रुपये प्रति कैंडी था।

कॉटन कारपोरेशन आफ इंडिया (सीसीआई) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू खरीफ विपणन सीजन 2017—18 में निगम ने 6.25 लाख गांठ कपास की खरीद की है। इसमें से 3.67 लाख गांठ कपास की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और बाकि की खरीद कार्मिशयल रुप में की गई है। उन्होंने बताया कि 30 जनवनी 2018 तक उत्पादक मंडियों में 176.52 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है। 

कॉटन एडवाईजरी बोर्ड (सीएबी) के अनुसार चालू फसल सीजन 2017—18 में कपास का उत्पादन बढ़कर 377 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 345 लाख गांठ का हुआ था। .............  आर एस राणा

केंद्र क्रुड पॉम तेल के आयात पर शुल्क 5 फीसदी घटाएं — अतुल चतुर्वेदी

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू उद्योग के भले के लिए केंद्र सरकार को आयातित क्रुड पॉम तेल के आयात पर शुल्क को 5 फीसदी कम कर देना चाहिए, जबकि रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को ज्यों का त्यों रखे। इससे घरेलू खाद्य तेल रिफाइनरी उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।
दिल्ली में आयोजित ग्लोब आॅयल में सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहां कि केंद्र सरकार को क्रुड पॉम तेल और रिफाइंड तेल के आयात में शुल्क के अंतर को 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर देना चाहिए। इससे रिफाइंड तेल के बजाए क्रुड पॉम तेल का आयात ज्यादा होगा, जिसका फायदा घरेलू उद्योग को मिलेगा। इस समय क्रुड पॉम तेल पर आयात शुल्क 30 फीसदी है जबकि रिफाइंड पाम तेल के आयात शुल्क 40 फीसदी है। दिसंबर में भारतीय बंदरगाह पर आरबीडी पामोलीन के औसतन भाव जहां 661 डॉलर प्रति टन रहे, वहीं क्रुड पॉम तेल के भाव इस दौरान 662 डॉलर प्रति टन थे।
भारतीय खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश है, तथा तेल वर्ष 2016—17 (नवंबर—16 से अक्टूबर—17) के दौरान कुल खपत के करीब 70 फीसदी खाद्य तेलों को आयात किया गया है। ऐसे में सरकार को खाद्य तेलों में आत्मनिर्भर बनाने के लिए तिलहनों के उत्पादन को ज्यादा प्रोत्साहन देने की जरुरत है। तेल वर्ष 2016—17 के दौरान कुल 146 लाख टन खाद्य तेलों का आयात हुआ है। अत: खाद्य तेलों का आयात बढ़ने से घरेलू तिलहनी फसलों के किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
मध्य प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई भावांतर योजना को अच्छी पहल बताते हुए उन्होंने कहां कि इससे सोयाबीन के किसानों को फायदा होगा।
उन्होंने कहां कि आम बजट 2018—19 में केंद्र सरकार ने किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) डेढ़ गुना देने का जो ऐलान किया है, इससे किसानों को लाभ होगा। उन्होंने केंद्र सरकार से नीति निर्धारण में प्राइवेट उद्योग को भी भागदारी बनाने की मांग की है इससे मांग और सप्लाई की सही तस्वीर का पता चलेगा, जिससे नीति बनानी आसान होगी।  ..........  आर एस राणा

02 फ़रवरी 2018

रबी में दलहन की बुवाई में भारी बढ़ोतरी, गेहूं की पिछड़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में दलहन की रिकार्ड बुवाई 166.47 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई घटकर चालू रबी में अभी तक केवल 300.70 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 317.82 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। कृषि मंत्रालय के अनुसार रबी में फसलों की कुल बुवाई 632.34 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 741.72 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।

दलहन की बुवाई में भारी बढ़ोतरी

कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में दलहन की बुवाई बढ़कर 166.47 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई केवल 158.02 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 107.24 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 99.04 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से मसूर की बुवाई बढ़कर 17.34 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 17.25 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। उड़द की बुवाई में चालू रबी में जरुर कमी आई है, लेकिन मूंग की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है।

तिलहनों की बुवाई घटी

रबी तिलहनों की बुवाई में चालू सीजन में कमी आई है। मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में तिलहनों की कुल बुवाई अभी तक 80.29 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 84.44 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। रबी तिलहनों की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई घटकर 66.84 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक सरसों की बुवाई 70.60 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मूंगफली की बुवाई चालू सीजन में 6.04 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 6.03 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। अलसी की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 4.01 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 3.84 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।

मोटे अनाजों की बुवाई में आई कमी

चालू रबी सीजन में मोटे अनाजों की बुवाई में भी कमी आई है। अभी तक देशभर में मोटे अनाजों की बुवाई केवल 56.27 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी 57.23 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई 30.93 लाख हैक्टेयर में, मक्का की बुवाई 16.70 लाख हैक्टेयर में और जौ की बुवाई 7.62 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई क्रमश: 32.18, 16.26 और 8.16 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।

रबी में धान की रौपाई ज्यादा

धान की रौपाई चालू रबी में बढ़कर 28.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी रौपाई केवल 24.21 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। .............  आर एस राणा

किसानों को कैसे मिलेगा फसलों का डेढ़ गुना एमएसपी

आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए बजट में बड़े एलान किए जिसमें किसानों को उनकी फसल पर आने वाली लागत का 1.5 गुना एमएसपी बढ़ाकर देने की घोषणा भी शामिल है। लेकिन एमएसपी किस आधार पर तय किया जाएगा ये बड़ा सवाल है। चुनावी साल से पहले किसानों को लुभाने के लिए वित्त मंत्री ने बजट में एमएसपी 1.5 गुना बढ़ाने का एलान तो कर दिया लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर एमएसपी किस आधार पर तय किया जाएगा।
2006 में आई स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक फसल पर आने वाली लागत 3 हिस्सों में बंटी होती है। पहले हिस्से में किसानों के फसल उत्पादन में किए गए सभी तरह के नकद खर्च शामिल होते हैं। दूसरे हिस्से में नकद खर्च के साथ परिवार के सदस्यों की मेहनत की अनुमानित लागत को भी जोड़ा जाता है। तीसरे हिस्से में फसल उत्पादन में नकद और गैर-नकद के अलावा जमीन पर लगने वाले लीज रेंट और अन्य कृषि पूंजियों पर लगने वाला ब्याज भी शामिल होता है। वित्त मंत्री ने सिर्फ एमएसपी बढ़ाने का एलान किया लेकिन किस लागत पर एमएसपी बढ़ेगी ये साफ नहीं है।
ज्यादातर किसान संगठन सरकार के इस एलान से नाखुश हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश के सिर्फ 6 फीसदी किसानों को ही उनकी फसल पर एमएसपी मिल पाता है। बाकी किसानों की फसल बिचौलियों और साहूकरों के पास जाती है। ऐसे में वित्त मंत्री ने ये भी साफ नहीं किया है कि 94 फीसदी किसानों को एमएसपी दिलवाने के लिए क्या इंतजाम किए जाएंगे और उनकी खरीद को सरकारी खरीद केंद्रों में कैसे पहुंचाया जाएगा।
2017-18 में कृषि क्षेत्र के लिए 41886 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था जिसे बाद में बढ़ाकर 41105 करोड़ रुपये कर दिया गया था। इस बार आवंटन बढ़ाकर 46700 करोड़ रुपये किया गया है। यानी सिर्फ 4845 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी में किसानों की आय दोगुनी कैसी होगी। ..............  आर एस राणा