कुल पेज दृश्य

30 जनवरी 2018

किसानों की उपज खरीदने के लिए भावांतर योजना शुरु होने की उम्मीद

आर एस राणा
वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के सपने को साकार करने में जूटी मोदी सरकार पहली फरवरी को पेश किए जाने वाले आम बजट में भावांतर योजना की शुरुआत कर सकती है। भावांतर योजना से जहां किसानों को फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलना सुनिश्चित हो जायेगा, वहीं खरीदी गई जिंसों की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होगी।
​किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले, इसलिए किसानों से फसलों की एमएसपी पर खरीद के लिए केंद्र सरकार गंभीर है। इसीलिए पहली फरवरी को पेश होने वाले आम बजट 2017—18 में भावांतर योजना शुरु किए जाने की उम्मीद है। मध्य प्रदेश में राज्य सरकार किसानों से दलहन की खरीद भावांतर योजना के तहत कर रही है, जबकि हरियाणा में राज्य सरकार ने सब्जियों प्याज, आलू और टमाटर की खरीद के लिए भावांतर योजना शुरु की है।
कीमतों में गिरावट आने पर किसानों से उपज की खरीद राज्य सरकारें करेंगी, तथा उपज को बेचने की जिम्मेदारी भी राज्य सरकार की होगी। भाव में उतार—चढ़ाव से होने वाले घाटे की भरपाई केंद्र सरकार करेगी। केंद्र सरकार 22 फसलों का एमएसपी जारी करती है, लेकिन एमएपी पर खरीद मुख्यत: गेहूं और धान की ही करती है। इसके अलावा दलहन और तिलहन की खरीद सीमित मात्रा में की जाती है। मोटे अनाजों की खरीद एकाध राज्य में राज्य सरकारें स्वयं ही करती है। ऐसे में एग्री जिंसों की कीमतों में होने वाले उतार—चढ़ाव से किसानों को बचाने के लिए भावांतर योजना ​कारगर साबित हो सकती है। वैसे भी समय—समय पर यह मांग उठती रही है कि किसानों की उपज की खरीद उचित मूल्य पर सुनिश्चित होनी चाहिए।
उत्पादक मंडियों में इस समय दलहन, मोटे अनाज, गेहूं और तिलहनी फसलों सरसों और मूंगफली के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं, जिसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर का एमएसपी खरीफ विपणन सीजन 5,450 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में अरहर 4,000 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रही है। इसी तरह से अन्य दलहन के भाव भी उत्पादक मंडियों में एमएसपी से 1,000 से 1,500 रुपये प्रति क्विंटल नीचे बने हुए हैं। गेहूं के साथ ही मक्का और जौ की कीमतें भी एमएसपी से नीचे बनी हुई है।
रबी दलहन की प्रमुख फसल चना के भाव उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवक से पहले ही घटकर 3,500 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं जबकि रबी विपणन सीजन 2017—18 के लिए केंद्र सरकार ने चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है। .............   आर एस राणा

मूंगफली दाने के निर्यात में 27.71 फीसदी की गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान मूंगफली दाने के निर्यात में 27.71 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात मूल्य के हिसाब से 2,639.69 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इसका निर्यात 3,651.60 करोड़ रुपये का हुआ था। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2017—18 के लिए मूंगफली का एमएसपी 4,450 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात की मंडियों में मूंगफली 3,800 से 4,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बिक रही है।
उत्पादन में आई कमी
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017—18 में खरीफ में मूंगफली का उत्पादन घटकर 62.13 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले पिछले खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 62.21 लाख टन का हुआ था।
रबी में बुवाई बढ़ी
चालू रबी में मूंगफली की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार मूंगफली की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 5.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 4.59 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
एमएसपी पर खरीद
मूंगफली की कीमतों में चल रही गिरावट के कारण केंद्र सरकार नेफैड के माध्यम से एमएसपी पर इसकी खरीद भी कर रही है लेकिन खरीद सीमित मात्रा में होने के कारण भाव नीचे ही बने हुए हैं। नेफैड ने अभी तक एमएसपी पर 4,29,436.99 टन मूंगफली की खरीद गुजरात, राजस्थान, आंध्रप्रदेश और कर्नाटका से की है।  ...........  आर एस राणा

उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 23 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2017 से शुरु हुए चालू पेराई सीजन 2017—18 में 29 जरवरी 2018 तक उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 23 फीसदी बढ़कर 52.90 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में इसका उत्पादन केवल 43.05 लाख टन का ही हुआ था। 
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी मिलों ने गन्ने की पेराई पहले आरंभ कर दी थी, साथ ही गन्ने में रिकरवरी की दर भी पिछले साल से ज्यादा आ रही है। इसीलिए चीनी के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। चालू पेराई सीजन में राज्य में औसतन गन्ने में रिकवरी की दर 10.25 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले पेराई सीजन में इस समय गन्ने में 9.96 फीसदी ही रिकवरी आ रही थी। चालू पेराई सीजन में राज्य में 119 चीनी मिलों में पेराई चल रही है जबकि पिछले पेराई सीजन में राज्य में केवल 116 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही थी।
चालू पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में हुई बढ़ोतरी से भाव में गिरावट आई है। उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव घटकर मंगलवार को 3,125 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल (टैक्स अलग) रह गए।  ........आर एस राणा

डॉलर के मुकाबले आज रुपये में हल्की कमजोरी

डॉलर के मुकाबले आज रुपये में हल्की कमजोरी है। 1 डॉलर की कीमत 63.60 रुपये के पार है। कच्चे तेल की तेजी पर ब्रेक लग गया है। ब्रेंट का दाम 70 डॉलर के नीचे आ गया है। नायमेक्स क्रूड 66 डॉलर के नीचे कारोबार कर रहा है। इसमें करीब 0.5 फीसदी की गिरावट आई है। डॉलर में निचले स्तर से हल्की रिकवरी आने से कीमतों पर दबाव बढ़ा है। वहीं ग्लोबल मार्केट में सोना भी कमजोर पड़ गया है और ये 1,340 डॉलर के भी नीचे आ गया है। चांदी में सपाट कारोबार हो रहा है। बाजार की नजर आज से शुरु होने वाले फेड की बैठक पर है। साथ ही इस हफ्ते के अंत में अमेरिका में रोजगार के आंकड़े भी आने वाले हैं। वहीं आज अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के भाषण से पहले से बेस मेटल में मजबूती दिख रही है। इंफ्रास्ट्रचर पर निवेश बढ़ाने को लेकर बाजार को कुछ संकेत मिल सकता है। 

जल्द मिलेगा महंगे प्याज से छुटकारा

जल्द ही महंगे प्याज से छुटकारा मिल सकता है। प्याज के थोक भाव में गिरावट का दौर शुरू हो गया है और से बेहद तेजी से नीचे आ रहा है। पिछले एक हफ्ते में महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में प्याज का दाम करीब 25 फीसदी लुढ़क गया है। वहां प्याज 2150 रुपये क्विंटल बिक रहा है जो पिछले हफ्ते 2850 रुपये प्रति क्विंटल के ऊपर था। लेकिन अब थोक में प्याज का दाम पिछले 5 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। इस महीने से गुजरात में प्याज की आवक बढ़ गई है। वहीं महाराष्ट्र के पुणे और अहमदनगर इलाकों में नया प्याज मार्केट में आ गया है। ऐसे में माना ये जा रहा है आगे कीमतों पर और दबाव बढ़ सकता है। हालांकि रिटेल में अभी भी दाम 40 से 50 रुपये किलो है।

29 जनवरी 2018

बासमती चावल का निर्यात 22 फीसदी, गैर बासमती का 45.68 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान बासमती चावल के निर्यात में मूल्य के हिसाब से 21.98 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि गैर बासमती चावल का निर्यात इस दौरान मूल्य के​ हिसाब से 45.68 फीसदी बढ़ा है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार अप्रैल से दिसंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर मूल्य के हिसाब से 18,757.52 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 15,377.01 करोड़ रुपये का हुआ था। 
गैर बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2017—18 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान बढ़कर 16,802.98 करोड़ का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इसका निर्यात 11,533.81 करोड़ रुपये का हुआ था।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2017—18 में बासमती चावल का कुल निर्यात करीब 40 लाख टन हो जायेगा। इस समय ईरान के साथ ही अन्य खाड़ी देशों की आयात मांग बासमती चावल में अच्छी बनी हुर्इ है।
हरियाणा की ​कैथल मंडी में सोमवार को पूसा बासमती धान 1,121 के भाव 3,800 रुपये, पूसा 1,509 बासमती धान के भाव 3,550 रुपये और डुप्लीकेट बासमती धान के भाव 3,600 रुपये प्रति​ क्विंटल रहे। पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव मंडी 7,000 रुपये प्रति क्विंटल रहा। उत्पादक मंडियों में धान की दैनिक आवक कम हो गई है, जबकि बासमती चावल में निर्यात मांग अच्छी है। ऐसे में आगामी दिनों में बासमती धान की कीमतों में और तेजी आने की संभावना है। .........  आर एस राणा

जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों की आय में कमी की आशंका—आर्थिक सर्वेक्षण

आर एस राणा
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को आर्थिक सर्वेक्षण 2017—18 संसद के बजट सत्र के पहले दिन पेश किया। इस बार आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि पर खास तरजीह दी गई है।  वर्ष 2017-18 में एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर की ग्रोथ 2.1 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है। यह वर्ष 2016-17 की ग्रोथ से 2.8 फीसदी कम है। पि‍छली बार एग्रीकल्‍चर सेक्‍टर की ग्रोथ 4.9 फीसदी की रही थी।

केंद्र सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। इसके लिए उसने बीज से लेकर बाजार तक कई पहल की है। संसद में पेश आर्थिक सर्वे 2017-18 में यह बात कही गई। साथ ही आशंका जताई गई है कि जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों की आय में 20-25 फीसदी तक की कमी आ सकती है। इससे बचने के लिए सिंचाई की व्यवस्‍था सुदढ़ करने, नई तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और बिजली, खाद सब्सिडी का समुचित तरीके से इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है।

सर्वे के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष 2017-18 में किसानों के लिए 20,339 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। सरकार ने उनकी आय बढ़ाने के लिए संस्थानात्मक स्रोतों से ऋण, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, लागत प्रबंध, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, ईनाम जैसे अनेक कदम उठाए हैं। सर्वे में कृषि क्षेत्र में उच्च उत्पादकता और समग्र उत्पादन प्राप्त करने के लिए ऋण को महत्वपूर्ण पहलू बताया गया है। उम्मीद जताई गई है कि यह संस्थागत ऋण किसानों को अन्य माध्यमों से ब्याज की ऊंची दरों पर उधार लेने की मजबूरी से बचाएगा।  

इलेक्ट्रानिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ईनाम) का जिक्र करते हुए कहा गया है कि अप्रैल 2016 में की गई इस शुरुआत का मकसद इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसानों को ऑनलाइन व्यापार के लिए प्रोत्साहित करना है। कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कृषि अनुसंधान और यांत्रिकीकरण पर जोर दिया गया है। सर्वे के अनुसार 2016 में अनाज की 155 उच्‍च पैदावार वाली नई किस्‍में जारी की गईं।

सर्वे बताता है कि गांवों से पुरुषों के पलायन के कारण महिलाओं की कृषि क्षेत्र में हिस्सेदारी बढ़ रही है। ग्रामीण महिलाओं ने विभिन्न तरीके के प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए प्रबंधन का एकीकृत ढांचा विकसित किया है जिससे रोजमर्रा की जरूरतें पूरी की जाती हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि अब जरूरत इस बात की है कि महिलाओं तक जमीन, पानी, क्रेडिट और प्रौद्योगिकी की पहुंच बढ़ाई जाए। 

‌विश्‍व बैंक के अनुमान के अनुसार, भारत की आधी आबादी 2050 तक शहरी हो जाएगी। ऐसा अनुमान है कि कुल श्रम बल में कृषि श्रमिकों का प्रतिशत 2001 के 58.2 प्रतिशत से गिरकर 2050 तक 25.7 प्रतिशत तक आ जाएगा। इसलिए, देश में कृषि यांत्रिकी के स्‍तर को बढ़ाने की आवश्‍यकता है। विभिन्‍न कृषि परिचालनों में श्रम की सघन भागीदारी के कारण कई फसलों में उत्‍पादन की लागत काफी अधिक है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान यांत्रिकी और बिजली के स्रोतों के उपयोग की दिशा में बदलाव आया है।   ...  आर एस राणा

डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती

डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती आई है और 1 डॉलर का दाम 63.5 रुपये पर आ गया है। ग्लोबल मार्केट में नैचुरल गैस में भारी गिरावट आई है। इसका दाम पिछले 13 महीने के ऊपरी स्तर से करीब 4.5 फीसदी लुढ़क गया है। वहीं कच्चे तेल में ऊपरी स्तर से दबाव दिख रहा है। इसमें हल्की गिरावट पर कारोबार हो रहा है। दबाव के बावजूद ब्रेंट 70 डॉलर के ऊपर बने रहने में कामयाब है। वहीं सोना भी 1350 डॉलर के स्तर पर है। डॉलर में नरमी आई है और डॉलर इंडेक्स पिछले करीब 3.5 साल के निचले स्तर पर लुढ़क गया है। ऐसे में लंदन मेटल एक्सचेंज पर जिंक का दाम 10 साल के ऊपरी स्तर पर चला गया है। लंदन मेटल एक्सचेंज  के गोदामों में जिंक का स्टॉक घटने से भी तेजी को सपोर्ट मिला है। वहीं निकेल और लेड में भी करीब 2 फीसदी ऊपर कारोबार हो रहा है। 

27 जनवरी 2018

बारिश और सर्दी से गेहूं, जौ और चना को फायदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। हाल ही में  हुई बारिश के साथ—साथ सर्दी बढ़ने से रबी की प्रमुख फसल गेहूं के साथ ही जौ और चना की फसल को फायदा होगा। उत्तर भारत के पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान के कई जिलों में हुई हल्की बारिश से गेहूं में एक पानी की बचत भी हो गई जिसका फायदा किसानों को हुआ है।
गेहूं अनुसंधान निदेशालय (डीडब्ल्यूआर) के निदेशक डॉ जी पी सिंह ने आउटलुक को बताया कि चालू सप्ताह में प्रमुख उत्पादक राज्यों में हल्की बारिश हुई है, साथ ही ​जम्मू—कश्मीर और हिमाचल में बर्फबारी हुई है जिससे ठंड बढ़ी है। अत: बारिश के साथ ही ठंड बढ़ने से गेहूं के साथ अन्य रबी फसलों जौ और चना को भी फायदा होगा। इससे गेहूं के पौधों की ग्रोथ बढ़ेगी।
उन्होंने बताया कि गेहूं की बुवाई चालू रबी में 298.67 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। हालांकि फाइनल आंकड़े अभी नहीं आए हैं, अत: फाइनल आंकड़े आने पर गेहूं की बुवाई चालू रबी में 305 लाख हैक्टेयर के करीब होने का अनुमान है। मध्य प्रदेश में किसानों ने गेहूं के बजाए चना और मसूर की बुवाई ज्यादा की है इसलिए गेहूं की बुवाई में मध्य प्रदेश में कमी आई है।
उत्पादन अनुमान के बारे में उन्होंने बताया कि अभी आकलंन करना जल्दबाजी होगी, लेकिन हाल ही में जो बारिश हुई है इससे अगले 15 दिनों तक मौसम ठंडा रहेगा। अभी तक गेहूं की फसल सभी उत्पादक राज्यों में काफी अच्छी है तथा उत्पादन कृषि मंत्रालय के तय लक्ष्य 975 लाख टन से ज्यादा ही होने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2016—17 में गेहूं का उत्पादन 983.8 लाख टन का हुआ था।
मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में जौ की बुवाई 7.59 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 8.13 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। चना की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 106.23 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 98.47 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। हालांकि सरसों की बुवाई चालू रबी में घटकर 66.60 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 70.12 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।  ...............   आर एस राणा

25 जनवरी 2018

सोना 1.5 साल के रिकॉर्ड स्तर पर

डॉलर में आई भारी गिरावट से ग्लोबल मार्केट में सोना पिछले 1.5 साल के रिकॉर्ड स्तर पर चला गया है। इसमें 1360 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। इस महीने सोने में करीब 5 फीसदी की तेजी आ चुकी है। वहीं चांदी भी 17.5 डॉलर के ऊपर है और ये पिछले 4 महीने का ऊपरी स्तर है। डॉलर इंडेक्स पिछले करीब 3.5 साल के निचले स्तर पर लुढ़क गया है। ग्लोबल मार्केट में सोने और चांदी की कीमतों को सपोर्ट मिला है। कच्चा तेल भी 37 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है। ब्रेंट में 71 डॉलर के पास कारोबार हो रहा है। अमेरिका में भंडार गिरने से क्रूड की कीमतों को दोहरा सपोर्ट मिला है। नायमैक्स क्रूड का दाम तो 66 डॉलर के भी पार है। डॉलर में गिरावट से रुपए को जोरदार सपोर्ट मिला है और डॉलर के मुकाबले ये पिछले 10 दिन के ऊपरी स्तर पर चला गया है।

24 जनवरी 2018

उत्तर भारत के कुछ इलाकों में बारिश

उत्तर भारत के कुछ इलाकों में बारिश हुई। खास करके हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में हल्की से मध्यम बारिश दर्ज की गई है। तापमान बढ़ने की आशंका जताई जा रही थी, ऐसे में इस बारिश से किसानों को काफी फायदे की उम्मीद है।

किसानों का मानना है कि ये वक्त गेहूं में सिंचाई का होता है और इस बारिश से उनकी लागत घटाने के साथ-साथ पैदावार बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। कृषि वैज्ञानिकों का भी दावा है कि इस बारिश से खास करके गेहूं की फसल को काफी फायदा होगा। इस साल देश में करीब 5 फीसदी कम गेहूं की खेती हुई है। ऐसे में कई एजेंसियों ने पैदावार में कमी की आशंका जताई है। हालांकि सरकार को कम बुआई के बावजूद 10 करोड़ टन के रिकॉर्ड पैदावार का भरोसा है। डॉलर के मुकाबले रुपये में शानदार रिकवरी आई है और एक डॉलर की कीमत 63.65 रुपये के नीचे आ गई है। रुपया 1 हफ्ते के ऊपरी स्तर पर है। जबकि डॉलर इंडेक्स पिछले 3 साल के निचले स्तर पर आ गया है।

22 जनवरी 2018

उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 46 लाख टन से ज्यादा


चालू पेराई सीजन 2017—18 में पहली अक्टूबर 2017 से 19 जनवरी 2018 तक उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 46.45 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका उत्पादन केवल 38.07 लाख टन का ही हुआ था। 
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) ने चालू पेराई सीजन में गन्ने में रिकवरी की दर बढ़कर 10.22 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में गन्ने में रिकवरी की दर केवल 9.89 फीसदी की ही आ रही थी। चालू पेराई सीजन में राज्य में 118 चीनी मिलों में पेराई चल रही है, जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में केवल 116 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही थी। सोमवार को उत्तर प्रदेश मे चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,250 से 3,375 रुपये प्रति क्विंटल (डयूटी अलग) रहे।

कच्चे तेल में तेज गिरावट

कच्चे तेल में तेज गिरावट आई है। ग्लोबल मार्केट में इसका दाम करीब 1 फीसदी फिसल गया है। ब्रेंट का दाम 68.5 डॉलर पर आ गया है। नायमैक्स क्रूड में 63 डॉलर पर कारोबार हो रहा है। अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ गया है। वहां रोज 97.5 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन हो रहा है। माना ये जा रहा है कि जल्द ही ये आंकड़ा एक करोड़ बैरल के पार चला जाएगा। ऐसे में कीमतों पर दबाव बढ़ने लगा है। कल की गिरावट के बाद सोने में आज रिकवरी आई है और इसका दाम फिर से 1330 डॉलर के स्तर पर चला गया है। बेस मेटल में आई तेजी से चांदी को भी सपोर्ट मिला है और ये 17 डॉलर के ऊपर कारोबार कर रही है। चीन में मेटल की मांग बढ़ने का अनुमान है। ऐसे में एलएमई पर कॉपर समेत सभी मेटल मजबूत है। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती है और एक डॉलर की कीमत 63.70 रुपये के नीचे आ गई है।

19 जनवरी 2018

कच्चे तेल में तेज गिरावट आई

कच्चे तेल में तेज गिरावट आई है। ग्लोबल मार्केट में इसका दाम करीब 1 फीसदी फिसल गया है। ब्रेंट का दाम 68.5 डॉलर पर आ गया है। वहीं नायमैक्स क्रूड में 63 डॉलर पर कारोबार हो रहा है। अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ गया है। वहां रोज 97.5 लाख बैरल कच्चे तेल का उत्पादन हो रहा है। माना ये जा रहा है कि जल्द ही ये आंकड़ा एक करोड़ बैरल के पार चला जाएगा। ऐसे में कीमतों पर दबाव बढ़ने लगा है।
कल की गिरावट के बाद सोने में आज रिकवरी आई है और इसका दाम फिर से 1330 डॉलर के स्तर पर चला गया है। बेस मेटल में आई तेजी से चांदी को भी सपोर्ट मिला है और ये 17 डॉलर के ऊपर कारोबार कर रही है।  चीन में मेटल की मांग बढ़ने का अनुमान है। ऐसे में एलएमई पर कॉपर समेत सभी मेटल मजबूत है। डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती है और एक डॉलर की कीमत 63.70 रुपये के नीचे आ गई है।

रबी में दलहन की बुवाई में भारी बढ़ोतरी, गेहूं और तिलहन की घटी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां दलहन की बुवाई में भारी बढ़ोतरी हुई है, वहीं तिलहनों के साथ ही गेहूं की बुवाई में कमी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में दालों की कुल बुवाई बढ़कर 163.11 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई केवल 155.76 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई बढ़कर 106.23 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि​ पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 98.47 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मसूर की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 17.27 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 17.21 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई घटकर चालू रबी में अभी तक केवल 298.67 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक देशभर में गेहूं की बुवाई 311.17 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। धान की रौपाई चालू रबी में बढ़कर 22.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी रौपाई 15.99 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
तिलहनों की बुवाई चालू रबी सीजन में घटकर 79.11 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक देशभर में तिलहनों की बुवाई 82.08 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई घटकर 66.60 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 70.12 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मूंगफली की बुवाई बढ़कर 5.32 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 4.59 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। 
मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में घटकर 54.58 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 55.99 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई 30.33 लाख हैक्टेयर में, मक्का की बुवाई 15.74 लाख हैक्टेयर में और जौ की बुवाई 7.59 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। मक्का की बुवाई में चालू रबी में जहां बढ़ोतरी हुई है, वहीं ज्वार और जौ की बुवाई पिछले साल की तुलना में घटी है। 
मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन में फसलों की कुल बुवाई घटकर 617.79 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 620.99 लाख हैक्टेयर में रबी फसलों की बुवार्इ् हो चुकी थी। ...........  आर एस राणा

18 जनवरी 2018

एमसीएक्स शुरू करेगा दुनिया का पहला पीतल वायदा

दुनिया का पहला पीतल वायदा कारोबार भारत में शुरू होने जा रहा है। देश के सबसे बड़ा कमोडिटी एक्सचेंज एमसीएक्स को इसके लिए सेबी से मंजूरी मिल गई है। मेटल सेग्मेंट में ये 6वां मेटल होगा जिसमें वायदा कारोबार की सुविधा होगी। एक्सचेंज पर अब तक कॉपर, जिंक, निकेल, लेड और एल्युमिनियम में कारोबार हो रहा है।

सोने की चमक फीकी

सोने की चमक फीकी पड़ गई है। ग्लोबल मार्केट में इसका दाम 1 हफ्ते के निचले स्तर पर आ गया है।  इसमें 1325 डॉलर पर कारोबार हो रहा है। इसमें एक दिन में ही करीब 15 डॉलर की गिरावट आ चुकी है। डॉलर में 3 साल के निचले स्तर से रिकवरी देखी गई है। ऐसे में सोने पर दबाव बढ़ गया है। वहीं चांदी में भी गिरावट आई है और ये 17 डॉलर के भी नीचे का स्तर छू चुकी है। अमेरिका में भंडार गिरने से कच्चे तेल में फिर से तेजी लौटी है। ब्रेंट और नायमैक्स क्रूड करीब 0.5 फीसदी पर कारोबार कर रहे हैं। एपीआई के मुताबिक अमेरिका में क्रूड का का भंडार करीब 51 लाख बैरल गिर गया है। वहीं चीन में मांग घटने की आशंका से बेस मेटल की चाल कमजोर पड़ गई है। डॉलर के मुकाबले रुपये में सपाट कारोबार हो रहा है। डॉलर की कीमत 64 रुपये के नीचे बनी हुई है।

चीनी का उत्पादन 261 लाख टन होने का अनुमान — उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर से शुरु हुए चालू पेराई सीजन 2017—18 में चीनी का उत्पादन बढ़कर 261 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पहले आरंभिक अनुमान के मुकाबले 10 लाख टन अधिक है। उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी से चीनी की कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को चीनी उत्पादन अनुमान और खपत की जानकारी दी। इस्मा के अनुसार पहले आरभिक अनुमान में चीनी का उत्पादन 251 लाख टन होने का अनुमान था। पिछले पेराई सीजन 2016—17 में चीनी मिलों ने लगभग 246 लाख चीनी की बिक्री की थी, जबकि चालू पेराई सीजन में चीनी की खपत 250 लाख टन होने का अनुमान है। अत: घरेलू बाजार में 10—11 लाख टन चीनी की उपलब्धता ज्यादा है।
चीनी की कुल उपलब्धता मांग की तुलना में ज्यादा है, जबकि घरेलू बाजार में चीनी के भाव दो साल के न्यूनतम स्तर पर आ गए हैं इसलिए उद्योग ने मांग की है कि चीनी निर्यात में केंद्र सरकार चीनी मिलों को कुछ छूट दे। इस समय चीनी पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क है तथा मौजूदा स्थिति में निर्यात की संभावना नहीं है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उपलब्धता सालाना खपत से ज्यादा ही है, इसलिए आयात की संभावना नहीं है। इस समय चीनी पर आयात शुल्क 40 फीसदी है।
चीनी के उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरील से चीनी की कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती ​चीनी मिल सकेगी। गुरुवार को दिल्ली में चीनी के भाव 3,550 से 3,600 रुपये और उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,275 से 3,400 रुपये तथा महाराष्ट्र में चीनी के भाव 2,925 से 3,025 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।............आर एस राणा



16 जनवरी 2018

दालों के आयात में आई कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। नवंबर महीने में दालों का आयात घटकर 7.56 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर महीने में इनका आयात 11.7 लाख टन का हुआ था। आयात घटने के बावजूद भी दलहन की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे ही बनी हुई है। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की आवक दक्षिण भारत के राज्यों में शुरु हो चुकी है, जबकि अगले महीने से इसकी दैनिक आवक बढ़ जायेगी। मसूर की नई फसल की आवक अप्रैल में बनेगी। अत: अभी दालों की कीमतों में तेजी की संभावना भी नहीं है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पिछले दो महीनों अक्टूबर और नवंबर में दलहन के आयात में कमी आई है। चना और मसूर के आयात पर दिसंबर में आयात शुल्क लगाया गया था इसलिए दिसंबर—जनवरी में दालों के आयात में और भी कमी आयेगी। उन्होंने बताया कि अक्टूबर महीने में दलहन का आयात 5.51 लाख टन का हुआ था जबकि पिछले साल के अक्टूबर महीने में दालों का आयात 6.50 लाख टन का हुआ था।
चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान दलहन का कुल आयात 20 फीसदी बढ़कर 46.89 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इनका आयात केवल 39.18 लाख टन का ही हुआ था।
केंद्र सरकार ने अगस्त में अरहर की 2 लाख टन और मूंग—उड़द के आयात की 3 लाख टन आयात की सीमा तय की थी जबकि नवंबर में मटर के आयात पर 50 फीसदी का आयात शुल्क लगाया था। उसके बाद दिसंबर महीने में केंद्र सरकार ने चना और मसूर के आयात पर 30 फीसदी का आयात शुल्क लगा दिया था।
वित्त वर्ष 2016—17 में दलहन का रिकार्ड आयात 66.1 लाख टन का हुआ था जबकि उसके पिछले वित्त वर्ष में दलहन का आयात 58 लाख टन का हुआ था।


कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2016—17 में देश में दलहन का उत्पादन 229.5 लाख टन का हुआ है जबकि देश में दालों की सालाना खपत सामान्यत: 240 से 245 लाख टन की होती है। .............  आर एस राणा

उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 42 लाख टन के करीब

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर से 12 जनवरी तक चीनी का उत्पादन बढ़कर 41.73 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका उत्पादन केवल 33.26 लाख टन का ही हुआ था।
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के अनुसार चालू पेराई सीजन में उत्तर प्रदेश में गन्ने की रिकवरी दर बढ़कर 10.19 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले साल की समान अवधि में गन्ने में रिकवरी की दर केवल 9.87 फीसदी की ही आ रही थी। चालू पेराई सीजन में राज्य में 118 चीनी मिलों में पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इस समय केवल 116 चीनी मिलों में ही पेराई चल रही थी। ...........  आर एस राणा

डॉलर में गिरावट से सोना 4 महीने के ऊपरी स्तर पर

डॉलर में गिरावट से सोना लगातार 4 महीने के ऊपरी स्तर पर बना हुआ है। इसमें 1340 डॉलर के पास कारोबार हो रहा है। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी आई है। एक डॉलर की कीमत 63.70 रुपये के पार चली गई है। कच्चे तेल का भाव लगातार बढ़ता जा रहा है। ग्लोबल मार्केट में ये पिछले 38 महीने के ऊपरी स्तर के बेहद करीब पहुंच गया है। ब्रेंट का दाम 70 डॉलर के पार है। नायमैक्स क्रूड में 64.5 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। इस बीच बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच ने कच्चे तेल पर अनुमान बढ़ा दिया है। बैंक ने इस साल ब्रेंट का औसत भाव पहले के 56 डॉलर से बढ़ाकर 64 डॉलर कर दिया है। वहीं नायमैक्स का औसत भाव 52 डॉलर से बढ़ाकर 60 डॉलर किया है। बैंक का मानना है कि इस साल सप्लाई में करीब 4.25 लाख बैरल की किल्लत देखने को मिल सकती है।

सटोरियों पर बढ़ी एनसीडीईएक्स की सख्ती

कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स ने नियमों का पालन न करने वाले ट्रेड पर सख्ती बढ़ा दी है। एक्सचेंज ने इस तरह के सौदों पर लगने वाले जुर्माने को 5000 रुपये से बढ़ाकर 10000 रुपये कर दिया है। साथ ही अगर दोबारा कोई ब्रोकर ऐसा करता है तो उस पर 1 लाख रुपये तक भी जुर्माना लग सकता है। वहीं बार-बार गड़गड़ी करने वाले मेंबर्स पर जुर्माने के अलावा सख्त कार्रवाई भी हो सकती है।

15 जनवरी 2018

ग्वार सीड में आॅप्शंस कारोबार शुरु

आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार सीड में ऑप्शंस कारोबार शुरू हो गया है। एनसीडीईएक्स के अनुसार पहले दिन ग्वार में करीब 17.88 करोड़ रुपये कीमत का ऑप्शन कारोबार हुआ। इस दौरान ओपन इंटरेस्ट 4,970 रहा। ग्वार में कुल ऑप्शन कारोबार 3,950 टन का रहा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिल्ली में रविवार को इसका उद्घाटन किया था।
एनसीडीईएक्स के अनुसार इस इस नए हेजिंग टूल से किसानों के लिए जोखिम का स्तर कम होगा और उन्हें अपने उत्पाद की बेहतर कीमत मिल सकेगी। इस तरह कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद यह टूल किसानों के लिए हर लिहाज से फायदेमंद साबित होगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने उद्घाटन के अवसर पर कहा था कि हमें आशा है कि ग्वार ऑप्शंस शुरू होने से किसानों को काफी फायदा होगा।
एनसीडीईक्स दूसरा एक्सचेंज है, जहां कमोडिटी में ऑप्शंस कारोबार शुरू हुआ है। इससे पहले एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) में ऑप्शन कारोबार शुरू हुआ था। एमसीएक्स ने गोल्ड में ऑप्शंस कारोबार लॉन्च किया था। इस तरह से ग्वारसीड पहली एग्री कमोडिटी है जिसमें ऑप्शंस शुरू हुआ है। हाल ही में सेबी ने ग्वार के ऑप्शंस कारोबार को मंजूरी दी थी। ......... आर एस राणा

13 जनवरी 2018

मौसम में गर्माहट बढ़ने का असर दलहन और तिलहनी फसलों पर

आर एस राणा
नई दिल्ली। सर्दियों की बारिश नहीं होने के साथ ही मौसम में गर्माहट बढ़ने से तिलहनों के साथ ही दलहनी फसलों की उत्पादकता प्रभावित होने की आशंका है। दलहन और ​तिलहनों की बुवाई सामान्यत: असिचिंत क्षेत्रफल में ज्यादा होती है इसलिए सर्दियों की बारिश इन फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटे में तटीय कर्नाटक, तटीय महाराष्ट्र, उत्तराखंड, केरल, तमिलनाडु, तटीय आंध्र प्रदेश, पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश में सामान्य से ऊपर न्यूनतम तापमान बनने की उम्मीद है।
चालू रबी सीजन में दलहन फसलों की बुवाई में तो भारी बढ़ोतरी हुई है, अत: दलहन का कुल उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है। दलहनी फसलों की बुवाई सामान्यत: असिचिंत क्षेत्रों में होती है, अत: सर्दियों की बारिश इनके लिए महत्वपूर्ण होती है, लेकिन चालू रबी में अभी तक बारिश नहीं हुई है, जिससे दलहनी फसलों की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में कमी आने की आशंका है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार दलहनी फसलों की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 160.91 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 154.05 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। चना की बुवाई बढ़कर 105.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 97.90 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। मसूर की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 17.19 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 17.16 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2016—17 में चना का उत्पादन 93.3 लाख टन का हुआ था।
तिलहनों की बुवाई चालू रबी में घटकर 78.62 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 81.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। रबी तिलहनों की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई घटकर चालू रबी में 66.38 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 69.90 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2016—17 में सरसों का उत्पादन 79.77 लाख टन का हुआ था।
मौसम में गर्माहट बढ़ने और बारिश नहीं होने का असर अन्य रबी फसलों गेहूं के साथ ही मोटे अनाजों की उत्पादकता पर भी पड़ने की आशंका है।....   आर एस राणा

उड़द के साथ ही मूंग की बुवाई में कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में उड़द के साथ ही मूंग की बुवाई में भी कमी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार अभी तक उड़द की बुवाई केवल 7.51 लाख हैक्टेयर ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 8.28 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। प्रमुख उत्पादक राज्यों आंध्रप्रदेश में उड़द की बुवाई घटकर चालू रबी में अभी तक केवल 3.08 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 3.55 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। तमिनाडु में उड़द की बुवाई घटकर चालू रबी में अभी तक केवल 2.55 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 2.55 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। उड़ीसा में उड़द की बुवाई 1.74 लाख हैक्टेयर में ही हुई है।
मूंग की बुवाई भी चालू रबी में घटकर अभी तक केवल 4.90 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 5.02 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। प्रमुख उत्पादक राज्य उड़ीसा में मूंग की बुवाई घटकर चालू रबी में 3.27 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 3.45 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य राज्यों में आंध्रप्रदेश में मूंग की बुवाई 87 हजार हैक्टेयर में और उड़ीसा में 52 हजार हैक्टेयर में हो चुकी है।.....   आर एस राणा

12 जनवरी 2018

रबी में दलहन की बुवाई बढ़ी, गेहूं और तिलहन की कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में जहां दलहनी फसलों की बुवाई में भारी बढ़ोतरी हुई है, वहीं गेहूं के साथ ही तिलहनों की बुवाई में कमी आई है। रबी सीजन में फसलों की कुल बुवाई जरुर पिछे चल रही है। देश भर में अभी तक चालू रबी में फसलों की बुवाई 609.51 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 615.09 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
दलहनी फसलों की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 160.91 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 154.05 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी सीजन की प्रमुख दलहनी फसल चना की बुवाई बढ़कर 105.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 97.90 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। मसूर की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 17.19 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई केवल 17.16 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। रबी में उड़द के साथ ही मूंग की बुवाई जरुर पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है।
रबी में गेहूं की बुवाई घटकर अभी तक केवल 295.53 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 309.99 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों की बुवाई घटकर 53.88 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 54.40 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई 30.14 लाख हैक्टेयर में, मक्का की बुवाई 15.26 लाख हैक्टेयर में और जौ की बुवाई 7.57 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है।
तिलहनों की बुवाई चालू रबी में घटकर 78.62 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 81.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। रबी तिलहनों की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई घटकर चालू रबी में 66.38 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 69.90 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। रबी में धान की रौपाई बढ़कर 20.57 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 15.04 लाख हैक्टेयर में ही इसकी रौपाई हो पाई थी।  .....  आर एस राणा

दिसंबर में वनस्पति तेलों के आयात में 10 फीसदी की गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। दिसंबर महीने में खाद्य तेलों के साथ ही अखाद्य तेलों का आयात 10 फीसदी घटकर 1,088,783 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल दिसंबर महीने में इनका आयात 1,209,685 टन का हुआ था। दिसंबर महीने में खाद्य तेलों का आयात 1,058,289 टन का हुआ है जबकि अखाद्य तेलों का आयात 30,494 टन का हुआ है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसईए) के चालू तेल वर्ष 2017—18 के पहले दो महीनों नवंबर और दिसंबर में खाद्य तेलों के साथ ही अखाद्य तेलों का आयात 2 फीसदी घटकर 2,283,604 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष 2016—17 की समान अवधि में इनका निर्यात 2,385,149 टन का हुआ था। केंद्र सरकार ने तिलहनों की कीमतों में सुधार लाने के लिए 17 नवंबर 2017 को आयातित खाद्य तेलों के आयात पर शुल्क को 12.5 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया था। इससे सोयाबीन के साथ ही मूंगफली की कीमतों में सुधार आया है।
एसईए ने मांग की है कि रबी सीजन में तिलहनी फसलों की नई आवक अगले महीने बनेगी, इसलिए किसानों के हितों को देखते हुए केंद्र सरकार कुड पॉम तेल और आरबीडी पामोलीन के आयात शुल्क के मौजूदा अंतर 10 फीसदी को बढ़ाकर 15 फीसदी कर देना चाहिए।
नवंबर के मुकाबले दिसंबर महीने में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में भी गिरावट आई है। आरबीडी पामोलीन के भाव भारतीय बंदरगाह पर नवंबर महीने में 702 डॉलर प्रति टन थे, जोकि दिसंबर में घटकर 661 डॉलर प्रति टन रह गए। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल के भाव 703 डॉलर प्रति टन से घटकर 662 डॉलर प्रति टन रह गए।

11 जनवरी 2018

महाराष्ट्र में राज्य सरकार खरीदेगी अरहर

आर एस राणा
नई दिल्ली। दलहन की कीमतों में चल रही भारी गिरावट से परेशान महाराष्ट्र के किसानों के लिए राहत की खबर है। राज्य सरकार अरहर की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर करेगी। राज्य से दलहन की सरकारी खरीद के लिए कृषि मंत्रालय से मंजूरी मिल चुकी है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में अरहर की एमएसपी पर खरीद के लिए पत्र लिखा था। मंत्रालय ने राज्य सरकार को इसकी मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार 15 जनवरी 2018 से अरहर की खरीद शुरु करेगी, तथा एमएसपी पर खरीद के लिए राज्य में 100 खरीद केंद्र बनाए जायेंगे। 
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2017—18 के लिए अरहर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,450 रुपये प्रति क्विंटल तय हुआ है जबकि राज्य के किसानों को मजबूरन 4,000 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अरहर बेचनी पड़ रही है।
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में अरहर की पैदावार घटकर 39.9 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 47.8 लाख टन का उत्पादन हुआ था।  ......  आर एस राणा

मध्य प्रदेश में चना और मसूर की खरीद भावांतर योजना के तहत

आर एस राणा
नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में राज्य सरकार चालू रबी में चना के साथ ही मसूर की खरीद भावांतर योजना के तहत करेगी। रबी में दलहन की खरीद के लिए भावांतर योजना पहली मार्च 2018 से शुरु होगी तथी 31 मई 2018 तक लागू रहेगी। इसके लिए फरवरी में राज्य के दलहन किसानों को भावांतर भुगतान योजना के पोर्टल पर अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा। चना की कीमतों के लिए प्रमुख उत्पादक राज्यों राजस्थान और महाराष्ट्र की मंडियों के भाव पर औसत भाव निकाला जायेगा। भावांतर योजना के तहत मंडियों में जिसं के भाव और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के अंतर का भुगतान किया जाता है।
चना के अलावा मसूर के किसानों को भी मध्य प्रदेश सरकार भावांतर योजना का लाभ देगी। सूत्रों के अनुसार मसूर के भाव का माडल उत्तर प्रदेश और बिहार की मंडियों के औसत भाव के आधार पर निकाला जायेगा। 
उत्पादक मंडियों में फरवरी में नए चना की आवक बनेगी, जबकि मसूर की आवक मार्च के आखिर और अप्रैल बनेगी। चालू सीजन में चना के साथ ही मसूर का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है जबकि उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवक बनने से पहले ही चना और मसूर के भाव एमएसपी से नीचे चल रहे हैं। 
केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2017—18 के लिए चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि मसूर का एमएसपी 4,250 रुपये प्रति क्विंटल है। मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में चना के भाव बुधवार को 3,700 रुपये और मसूर के भाव 3,375 रुपये प्रति क्विंटल रहे। ............  आर एस राणा

डॉलर में कमजोरी के कारण सोना में तेजी

डॉलर में कमजोरी के कारण सोना में तेजी देखी जा रही है और इसकी कीमतें 4 महीने की ऊंचाई पर बनी हुई हैं। कॉमेक्स में सोना 1320 डॉलर के करीब है। सोने के मुकाबले चांदी में ज्यादा तेजी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी के दाम करीब 0.5 फीसदी बढ़े हैं।  कच्चे तेल में कल की तेजी के बाद आज छोटे दायरे में कारोबार हो रहा है। हालांकि, कीमतें 3 साल के ऊपरी स्तर पर बनी हुई हैं। ब्रेंट 69 डॉलर के ऊपर है। नॉयमेक्स पर दाम 63 डॉलर के ऊपर बने हुए हैं। डिमांड बढ़ने और सप्लाई में कमी से कच्चे तेल को लगातार सपोर्ट मिल रहा है। बेस मेटल्स की बात करें तो शंघाई में एल्युमिनियम 1 फीसदी से ज्यादा चढ़ा है। वहीं कॉपर में 0.25 फीसदी की तेजी देखी जा रही है।

09 जनवरी 2018

अनुकूल मौसम से गेहूं की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। भले ही चालू रबी में अभी तक गेहूं की बुवाई पिछे चल रही हो लेकिन अनुकूल मौसम से वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि उत्पादन पिछले साल से ज्यादा ही होने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय ने चालू रबी सीजन 2017—18 में गेहूं के उत्पादन का लक्ष्य 975 लाख टन का तय किया है जबकि फसल सीजन 2016—17 में इसका उत्पादन 983.8 लाख टन का हुआ था।
गेहूं अनुसंधान निदेशालय (डीडब्ल्यूआर) के डायरेक्टर जी पी सिंह ने आउटलुक को बताया कि प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में इस समय रात को सर्दी पड़ रही है तथा दिन में धूप भी निकल रही है जोकि गेहूं की फसल के लाभकारी है। सर्दी ज्यादा होने से गेहूं के पौधों में फुटाव ज्यादा होगा, जिसका सीधा असर उत्पादकता पर पड़ेगा। उन्होंने कहां कि चालू रबी में मध्य प्रदेश में गेहूं की बुवाई में जरुर कमी आई है लेकिन उम्मीद है कि जैसे ही बुवाई के फाइनल आंकड़े आयेंगे, गेहूं की बुवाई सामान्य क्षेत्रफल 300 लाख हैक्टेयर से ज्यादा ही हो जायेगी। ​उन्होंने बताया कि अभी तक सभी राज्यों में गेहूं की फसल अच्छी स्थिति में है। ऐसे में माना जा रहा है कि चालू सीजन में कुल उत्पादन पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई अभी तक 283.46 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जब​कि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 297.67 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई 94.88 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 97.26 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। मध्य प्रदेश में गेहूं की बुवाई घटकर चालू रबी में अभी तक केवल 44.53 लाख हैक्टेयर में ही हुई है, जब​कि पिछले साल इस समय तक 53.81 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। अन्य राज्यों में पंजाब में गेहूं की बुवाई 35.01 लाख हैक्टेयर में, हरियाणा में 25.03 लाख हैक्टेयर में, राजस्थान में 28.86 लाख हैक्टेयर में और गुजरात में 10.45 लाख हैक्टेयर में तथा बिहार में 22.10 लाख हैक्टेयर में गेहूं की बुवाई हो चुकी है। 
खाद्य मंत्रालय के ए​क वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार केंद्रीय पूल में पहली दिसंबर 2017 को गेहूं का 216.65 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 164.96 लाख टन से ज्यादा है। तय मानकों के अनुसार पहली जनवरी को केंद्रीय पूल में 108 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए।


केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2018—19 के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2017—18 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 308.24 लाख टन गेहूं की खरीद की थी जबकि आगामी रबी विपणन सीजन 2018—19 में पैदावार ज्यादा होने के अनुमान से एमएसपी पर खरीद भी पिछले साल से ज्यादा ही होने का अनुमान है।  ....   आर एस राणा

जीरा की नई फसल की आवक शुरु, भाव में आयेगी गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात की उंझा मंडी में नए जीरा की आवक शुरु हो गई है तथा आगे नई फसल की दैनिक आवक बढ़ेगी। चालू सीजन में प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में जीरा की बुवाई में भारी बढ़ोतरी हुई है इसलिए आगामी दिनों में इसकी कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है। उंझा मंडी में मंगलवार को जीरा की 5 से 6 बोरी (एक बोरी—40 किलो) की आवक हुई, तथा नए जीरा का भाव 4,500 रुपये प्रति 20 किलो रहा। पुराने जीरा की आवक 3,000 से 3,500 बोरी की हुई तथा भाव 3,500 से 3,800 रुपये प्रति 20 किलो रहे।
उंझा मंडी के जीरा कारोबारी समीर भाई शाह ने बताया कि नए जीरा की आवक चालू हो गई है। हालांकि अभी आवक सीमित मात्रा में ही हो रही है, लेकिन मौसम अनुकूल है इसलिए आगामी दिनों में दैनिक आवक बढ़ेगी। चालू सीजन में बुवाई में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है इसलिए आगामी दिनों में इसकी कीमतों में मंदा गिरावट आने का अनुमान है।
गुजरात कृषि निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार राज्य में जीरा की बुवाई में 38 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल बुवाई 3.8 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई इस समय तक केवल 2.8 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
जीरा निर्यातक फर्म जैब्स प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर एस शाह ने बताया कि नई फसल को आवक को देखते हुए आयातक देशों की मांग कम हो गई है। नई फसल की आवक चालू महीने के आखिर तक बढ़ जायेगी, ऐसे में फरवरी में फिर से निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है। विश्व बाजार में भारतीय जीरा का भाव 3.70 डॉलर प्रति किलो हैं जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका भाव 3.64 डॉलर प्रति किलो था। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले छह महीनों अप्रैल से सितंबर के दौरान जीरा का निर्यात 16 फीसदी बढ़कर 79,460 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 68,596 टन का ही हुआ था। ........आर एस राणा

डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर

डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर है। 1 डॉलर की कीमत 63.5 रुपये के पार है। अमेरिका में ऑयल रिग और ओपेक की सप्लाई गिरने से कच्चे तेल में तेजी आई है। ग्लोबल मार्केट में इसका दाम करीब 3 साल की ऊंचाई पर है। ब्रेंट में 68 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। वहीं डब्ल्यूटीआई क्रूड 62 डॉलर के ऊपर है। पिछले करीब एक महीने में कच्चे तेल का दाम करीब 10 फीसदी तक उछल चुका है। सोने में गिरावट आई है और ग्लोबल मार्केट में सोना 1320 डॉलर के नीचे आ गया है। चांदी भी कमजोर है। वहीं लंदन मेटल एक्सचेंज पर मेटल में भी बेहद छोटे दायरे में कारोबार हो रहा है।

08 जनवरी 2018

पाकिस्तान से चीनी इंपोर्ट पर बढ़ सकती है ड्यूटी

सरकार पाकिस्तान से भारत आने वाली चीनी पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा सकती है। पिछले हफ्ते फूड मिनिस्ट्री के अधिकारियों के साथ हुई बैठक में मिलों को ये भरोसा मिला है। वहीं चीनी की एक्सपोर्ट ड्यूटी में सरकार दिसंबर तक किसी भी तरह की राहत देने के मूड में नहीं है। इस साल देश में करीब 250 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है घरेलू खपत भी करीब इतना ही है। ऐसे में पिछले हफ्ते हुई बैठक में सरकार ने मिलों को दो टूक कह गया है कि मांग से ज्यादा उत्पादन होने पर ही चीनी एक्सपोर्ट में रियायत दी जा सकेगी। चीनी पर फिलहाल 50 फीसदी इंपोर्ट ड्यूटी लगाई जाती है।

उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 36 लाख टन के पार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2017-2018 में पहली अक्टूबर 2017 से 5 जनवरी 2018 के दौरान उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढकर 36 लाख 55 हजार टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में केवल 29 लाख 79 हजार टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।

यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन के अनुसार चालू पेराई सीजन में गन्ने में औसतन रिकवरी ज्यादा आ रही है जबकि पिछले साल रिकवरी कम आ रही थी। राज्य में इस समय 116 चीनी मिलों में पेराई चल रही है जोकि पिछले साल के बराबर ही है। चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन जल्दी आरंभ होने से कुल उत्पादन पिछले से ज्यादा हुआ है। .......   आर एस राणा

नई फसल की आवक बढ़ने से पहले ही चना एमएसपी से नीचे

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादाक राज्यों की मंडियों में चना की नई फसल की आवक बढ़ने से पहले ही भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आ गए हैं। केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2017—18 के लिए चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है लेकिन कर्नाटका की गुलबर्गा मंडी में सोमवार को चना के भाव 3,700 से 4,225 रुपये प्रति क्विंटल, महाराष्ट्र की लातूर मंडी में 3,600 से 3,700 रुपये और मध्य प्रदेश की इंदौर मंडी में चना के भाव 3,700 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव मुंबई में 3,900 से 3,925 रुपये प्रति क्विंटल रह गए।
द​क्षिण भारत के राज्यों कर्नाटका, आंध्रप्रदेश के साथ महाराष्ट्र की मंडियों में नए चना की दैनिक आवक शुरु हो गई है। चालू रबी में इन राज्यों में बुवाई में बढ़ोतरी हुई है, अत: आगामी दिनों में दैनिक आवक बढ़ेगी। इसलिए चना की कीमतों में और मंदा आने का अनुमान है। कीमतों में गिरावट रोकने के लिए केंद्र सरकार ने चना के आयात पर 30 फीसदी का आयातशुल्क भी लगाया, लेकिन इसके बावजूद भी भाव में गिरावट बनी हुई है। चालू वित्त वर्ष 2017—18 के पहले सात महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान चना का आयात 5.84 लाख टन का हुआ है जोकि पिछले वित्त वर्ष 2016—17 की समान अवधि के मुकाबले 430 फीसदी ज्यादा है।
​कृ​षि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में चना की बुवाई बढ़कर 103.79 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 92.12 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। बुवाई में हुई बढ़ोतरी से चालू रबी में चना की पैदावार कृषि मंत्रालय के तय अनुमान 97.5 लाख टन से ज्यादा ही होने का अनुमान है। फसल सीजन 2016—17 में चना का उत्पादन 93.3 लाख टन का हुआ था।
प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में चना की बुवाई बढ़कर चालू रबी में 35.23 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 29.19 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। महाराष्ट्र में चना की बुवाई बढ़कर 18.07 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 17.73 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। कर्नाटका में चना की बुवाई बढ़कर 13.80 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल केवल 10.81 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। राजस्थान में चना की बुवाई 15.06 लाख हैक्टेयर में, उत्तर प्रदेश में 5.54 लाख हैक्टेयर में और आंध्रप्रदेश में 4.99 लाख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी है। ....... आर एस राणा

डॉलर के मुकाबले रुपये में जोरदार तेजी

डॉलर के मुकाबले रुपये में जोरदार तेजी आई है। डॉलर की कीमत 63.25 रुपये तक आ गई है। रुपया करीब 32 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है। अमेरिका में रोजगार के खराब आंकड़ों के बाद डॉलर में हल्का दबाव आया है। ऐसे में ग्लोबल मार्केट में सोने को सपोर्ट मिला है और कॉमैक्स पर सोना 1320 डॉलर के ऊपर बना हुआ है। कच्चे तेल में भी तेजी जारी है और ब्रेंट का दाम पिछले 2.5 साल के ऊपरी स्तर पर है। ईरान में तनाव और अमेरिका में ऑयल रिग घटने से भी कच्चे तेल तेल की कीमतों को सपोर्ट मिला है। दूसरी तरफ एलएमई पर कॉपर में फिर से तेजी आई है और इसका दाम पिछले 2 हफ्ते के निचले स्तर से संभलता दिखा है।

05 जनवरी 2018

मसालों का एक्सपोर्ट बढ़ा, एग्री में क्या हो रणनीति

सालों में एक्सपोर्ट में बढ़त देखने को मिली है। अप्रैल से सितंबर तक मसालों का एक्सपोर्ट करीब 24 फीसदी बढ़ गया है। इस दौरान भारत से 5.5 लाख टन से ज्यादा मसाला एक्सपोर्ट हुआ है जिसकी कीमत करीब 8850 करोड़ रुपये है। इसमें सबसे ज्यादा लाल मिर्च, हल्दी और मेंथा का एक्सपोर्ट हुआ है। हालांकि उसके बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये में करीब 4 फीसदी की मजबूती आ चुकी है। इस बीच रुपये में मजबूती के बावजूद खाने के तेलों में तेजी आई है। सोया और पाम तेल में बढ़त पर कारोबार हो रहा है। ग्लोबल मार्केट में खाने के तेल महंगे हो गए हैं।

नए साल के पहले हफ्ते में सोना करीब 1.5 फीसदी महंगा हो गया है। ग्लोबल मार्केट में इसका दाम 1320 डॉलर के ऊपर है। ये लगातार चौथा हफ्ता है जब सोना बढ़त बनाने में कामयाब हुआ है और इस दौरान इसका दाम पिछले साढ़े तीन महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है। इस दौरान रुपया भी मजबूत हुआ और इसके बावजूद घरेलू बाजार में सोने का भाव बढ़ा है। फिलहाल डॉलर के मुकाबले रुपया 2.5 साल की ऊंचाई पर है। एक डॉलर की कीमत 63.30 रुपये के पास है। अमेरिका में नॉन फार्म पेरोल डाटा आएगा। कच्चा तेल 2.5 साल के ऊपरी स्तर पर मजबूती से टिका हुआ है। अमेरिका में क्रूड का भंडार करीब 74 लाख बैरल गिर गया है। नैचुरल गैस का दाम करीब 2 फीसदी फिसल गया है। बेस मेटल में आज गिरावट आई है। कॉपर समेत सभी मेटल कमजोर हैं।

दिसंबर में डीओसी का निर्यात 22 फीसदी घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। दिसंबर महीने में डीओसी के निर्यात में 22 फीसदी की गिरावट आकर कुल निर्यात 2,36,000 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल दिसंबर महीने में इसका निर्यात 3,01,556 टन का हुआ था।
उद्योग के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान डीओसी का निर्यात बढ़कर 20,90,468 टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 11,69,914 टन का ही हुआ था।
केंद्र सरकार ने 17 नवंबर 2017 को खाद्य तेलों के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी, साथ ही सोया डीओसी के निर्यात पर मिलने वाले इंशसेंटिव को 5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है, उसके बाद घरेलू मंडियों में सोयाबीन, सरसों आदि की कीमतों में आई तेजी से विश्व बाजार में भारतीय डीओसी प्रतिस्पर्धी हो गई है जिसका असर दिसंबर में इसके निर्यात पर पड़ा है।  ......  आर एस राणा

मूंगफली दाने के निर्यात में आई कमी, भाव में तेजी की उम्मीद नहीं

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान मूंगफली दाने के निर्यात में कमी आई है। एपिडा के अनुसार इस दौरान मूंगफली दाने का निर्यात घटकर केवल 3,15,904 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि में इसका निर्यात 3,29,023 टन का हुआ था। मूंगफली में मांग कमजोर है जबकि उत्पादक मंडियों में स्टाॅक ज्यादा है इसलिए इसकी कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है।
उत्पादक राज्यों में खरीफ मूंगफली की आवक चल रही है तथा मांग कमजोर होने इसके भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बने हुए हैं। गुजरात की मंडियों में मूंगफली के भाव 3,500 से 4,100 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि खरीफ विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार मूंगफली का एमएसपी 4,450 रुपये प्रति क्विंटल बोनस सहित तय किया हुआ है। 
उत्पादक मंडियों में भाव एमएसपी से नीचे होने के कारण नेफैड उत्पादक राज्यों गुजरात, राजस्थान, आंध्रप्रदेश के साथ ही कर्नाटका की मंडियों से एमएसपी 4,450 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीद कर रही है। नेफैड अभी तक इन राज्यों से 7,81,126 टन मूंगफली की खरीद कर चुकी है।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू फसल सीजन 2017-18 में मूंगफली का उत्पादन 62.13 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 62.21 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में मूंगफली की बुवाई 4.33 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 4.03 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। प्रमुख उत्पादक राज्य तेलंगाना में जहां रबी में बुवाई पिछड़ी है वहीं, कर्नाटका में बुवाई आगे चल रही है।  ...........  आर एस राणा

चालू रबी में दलहन की बुवाई ज्यादाए गेहूं और तिलहन की कम

आर एस राणा
नई दिल्ली, चालू रबी सीजन में जहां दलहन की बुवाई में भारी बढोतरी हुई है वहीं गेहूं के साथ ही तिलहनों की बुवाई में कमी आई है1 हालांकि कुल बुवाई में हल्की गिरावट आई है1 देश भर में अभी तक कुल बुवाई 586 लाख 37 हजार हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 587 लाख 62 हजार हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी1
दलहनों की बुवाई बढकर चालू रबी में 154 लाख 91 हजार हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 143 लाख 45 हजार हैक्टेयर में ही हुई थी1 रबी में चना की बुवाई बढकर 103 लाख 80 हजार हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 92 लाख 13 हजार हैक्टेयर में ही हुई थी1 मसूर की बुवाई बढकर चालू रबी में 17 लाख 04 हजार हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 16 लाख 56 हजार हैक्टेयर में ही हो पाई थी1
रबी में गेहूं की बुवाई घटकर अभी तक केवल 283 लाख 46 हजार हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 297 लाख 67 हजार हैक्टेयर में इसकी बुवाई हो चुकी थी1 मोटे अनाजों की बुवाई घटकर 52 लाख 54 हजार हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 52 लाख 75 हजार हैक्टेयर में हो चुकी थी1 मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई 29 लाख 78 हजार हैक्टेयर मेंए मक्का की बुवाई 14 लाख 42 हजार हैक्टेयर मेंए जौ की बुवाई 7 लाख 49 हजार हैक्टेयर में हो चुकी है1
तिलहनों की बुवाई चालू रबी में घटकर 76 लाख 69 हजार हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई 80 लाख 77 हजार हैक्टेयर में हो चुकी थी1 तिलहनों में सरसों की बुवाई घटकर चालू रबी में 65 लाख 25 हजार हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 69 लाख 53 हजार हैक्टेयर में हो चुकी थी1 रबी में धान की रौपाई बढकर 18 लाख 77 हजार हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 12 लाख 99 हजार हैक्टेयर में ही इसकी रौपाई हो पाई थी1   ....... आर एस राणा

04 जनवरी 2018

कच्चे तेल में तेजी

कच्चे तेल में तेजी आई है इसका 2.5 साल के ऊपरी स्तर पर चला गया है। नायमेक्स क्रूड 62 डॉलर के पार है जो मई 2015 का ऊपरी स्तर है। ब्रेंट में 68 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है और घरेलू बाजार में ये 3950 रुपये के स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिका में क्रूड का भंडार 50 लाख बैरल गिर गया है। वहीं ईरान में तनाव से कीमतों को दोहरा सपोर्ट है। नैचुरल गैस में भी तेजी आई है। इसमें 1 से 2 फीसदी ऊपर कारोबार हो रहा है। अमेरिका और यूरोप में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ऐसे में नैचुरल गैस की डिमांड रिकॉर्ड स्तर पर है। डॉलर में तीन महीने के निचले स्तर से रिकवरी से सोने पर दबाव बढ़ गया है और इसका दाम 1310 डॉलर के नीचे आ गया है। वहीं चांदी में भी 17 डॉलर के नीचे कारोबार हो रहा है। 

एग्री प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने की जरूरत: सिराज हुसैन

सरकार की ओर से किसानों की आय बढ़ाने को लेकर वादे तो बहुत हुए हैं लेकिन जमीन पर अभी तक ये दिखाई नहीं दे रहा। पिछले 1 साल से आय बढ़ने के बजाए गिरती जा रही है। किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम भी नहीं मिल पा रहा। इस बार बजट को सरकार किसानों और खेती पर फोकस कर सकती है। पूर्व कृषि सचिव सिराज हुसैन ने कहा कि किसानों से उनकी उपज की खरीद के लिए बजट बढ़े। किसानों के लिए राज्यों के साथ मिलकर पॉलिसी बनाने की जरूरत है। बजट में पैदावार बढ़ने के साथ ही खपत बढ़ाने पर भी फोकस होना चाहिए। देश में एग्री प्रोसेसिंग को बढ़ावा देने की जरूरत है। फूड प्रोसेसिंग विभाग का बजट बढ़ाकर 5 गुना किया जाना चाहिए। फल-सब्जियों के लिए कोल्ड स्टोरेज पर निवेश बढ़ाया जाए। इसके साथ ही बजट घोषणाओं को जल्द से जल्द लागू करना भी जरूरी है।

अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में बासमती चावल का निर्यात बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली1 अक्टूबर के मुकाबले नवंबर महीने में बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है1 नवंबर महीने में बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 2 लाख 56 हजार टन का हुआ है जबकि अक्टूबर में इसका निर्यात केवल 2 लाख 34 हजार टन का हुआ था1
हालांकि ‌चालू वित्त वर्ष के नवंबर में बासमती चावल का निर्यात पिछले साल के नवंबर के मुकाबले कम हुआ है1 नवंबर 2017 में बासमती चावल का निर्यात 2 लाख 56 हजार टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल नवंबर में इसका निर्यात 2 लाख 75 हजार टन का हुआ था1
एपिडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष  2017-2018 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान बासमती चावल का कुल निर्यात बढ़कर 26 लाख 21 हजार टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष  2016-2017 की समान अवधि  में इसका निर्याता 25 लाख 78 हजार टन का ही हुआ था1
गैर बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष  2017-2018 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान बढ़कर 55 लाख 70 हजार टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 41 लाख 71 हजार टन का ही हुआ था1 .... आर एस राणा

नवंबर में ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 9 हजार टन ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली1 चालू वित्त वर्ष  2017-2018 के नवंबर ‌महीने में ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 9 हजार टन की बढोतरी होकर क़ुल ‌निर्यात 39,000 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष  2016-2017 के नवंबर महीने में केवल 30,000 टन का ही निर्यात हुआ था1
एपिडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष  2017-2018 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान कुल निर्यात बढ़कर तीन लाख ईक्कीस हजार टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष  2016-2017 की समान अवधि  में इनका निर्याता दो लाख छब्बीस हजार टन का ही हुआ था1  ...   आर एस राणा

03 जनवरी 2018

चीनी उत्पादन में 26 फीसदी की बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर से 31 दिसंबर 2017 तक चीनी का उत्पादन 26 फीसदी बढ़कर 103.26 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका उत्पादन केवल 81.91 लाख टन का ही हुआ था।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़कर 33.80 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल राज्य में केवल 26.78 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 38.24 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 25.35 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था।
कर्नाटका में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 16.17 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 15.43 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। अन्य राज्यों में गुजरात में 3.70 लाख टन, आंध्रप्रदेश में 1.90 लाख टन, तमिलनाडु में 1.70 लाख टन, बिहार में 1.65 लाख टन, हरियाणा में 1.80 लाख टन, पंजाब में 1.60 लाख टन और उत्तराखंड में 1.20 लाख टन तथा मध्य प्रदेश में 1.30 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन बढ़कर 251 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल केवल 203 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था। चालू पेराई सीजन के आरंभ में पहली अक्टूबर को 38.76 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक भी बचा हुआ था। देश में चीनी की सालाना खपत 250 लाख टन की होती है।......  आर एस राणा

एलएमई पर जिंक का दाम पिछले 10 साल के ऊपरी स्तर पर

एलएमई पर जिंक का दाम पिछले 10 साल के ऊपरी स्तर पर चला गया है इसके भंडार में 2015 के बाद से करीब 70 फीसदी की कमी आ चुकी है। बाकी मेटल में आज सुस्त कारोबार हो रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया कल 2.5 साल का ऊपरी स्तर छूने क बाद आज दबाव में है और हल्की कमजोरी के साथ कारोबार कर रहा है। ग्लोबल मार्केट में सोना 3.5 महीने के ऊपरी स्तर से फिसल गया है। कारोबार के शुरुआत में आज ये 1320 डॉलर का स्तर छूने के बाद अब 1315 डॉलर के नीचे कारोबार कर रहा है। डॉलर में नरमी से सोने में तेजी आई थी लेकिन ऊंचे भाव पर सोने की मांग घटने का अनुमान है। इस बीच चांदी में भी करीब 0.5 फीसदी की गिरावट आई है। कच्चे तेल में भी 2.5 साल के ऊपरी स्तर से दबाव है। गिरावट के बावजूद नायमैक्स क्रूड 60 डॉलर के ऊपर बना हुआ है। ब्रेंट में 66 डॉलर पर कारोबार हो रहा है।

02 जनवरी 2018

किसानों की आमदनी दोगुना करने का रोडमैप तैयार

किसानों की आमदनी को 2022 तक दोगुना करने के लिए कृषि मंत्रालय ने रोडमैप तैयार किया है। इसमें कृषि पॉलिसी में बदलाव लाने, एग्री एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री जनवरी में इस योजना को हरी झंडी देंगे। नई कृषि नीति के तहत सरकार कृषि उत्पादों के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देगी। सिंचाई पर फोकस बढ़ेगा। इस नीति में फसल कटने के बाद के नुकसान को कम करने, किसानों को स्टोरेज की सुविधा देने, फसल बीमा योजना को कारगर बनाने, डेयरी, मुर्गीपालन, मछलीपालन को बढ़ावा देने, कृषि में निवेश और किसानों को कर्ज उपलब्ध कराने और कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप को बढ़ावा देने पर फोकस होगा।

कच्चे तेल में तेजी जारी

कच्चे तेल में भी तेजी जारी है। साल 2014 के बाद नायमैक्स और ब्रेंट दोनों 60 डॉलर के ऊपर हैं। ब्रेंट में फिलहाल 67 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। सप्लाई घटने से कीमतों को सपोर्ट मिला है। सोने में साल की शुरुआत तेजी के साथ हुई है और ग्लोबल मार्केट में इसका दाम पिछले 2.5 महीने की ऊंचाई पर चला गया है। ये करीब 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ 1305 डॉलर के ऊपर कारोबार हो रहा है। डॉलर 3 महीने के निचले स्तर के पास है। ऐसे में चांदी को भी सपोर्ट मिला है और इसका दाम 17 डॉलर के बेहद करीब पहुंच गया है। पिछले साल सोने में करीब 12 फीसदी और चांदी में करीब 6 फीसदी की तेजी देखने को मिली। लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर में भी तेजी का रुख है। इसका दाम पिछले चार साल के ऊपरी स्तर के पास पहुंच गया है। हालांकि कल की जोरदार तेजी दिखाने के बाद आज डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की कमजोरी है।

01 जनवरी 2018

डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की मजबूती

साल के पहले कारोबारी दिन डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की मजबूती आई है। एक डॉलर की कीमत 63.80 रुपये के पास है और ये पिछले करीब 4 महीने का ऊपरी स्तर है। वैसे पिछले 1 साल में रुपया करीब 6 फीसदी मजबूत हो चुका है। 2017 में रुपया 7 साल में पहली बार सालाना बढ़त बनाने में कामयाब हुआ है। वहीं पिछले 10 साल की ये सबसे बड़ी सालाना बढ़त है। पिछले साल डॉलर इंडेक्स में करीब 10 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। डॉलर में आई गिरावट से ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम पिछले 1 साल में करीब 12 फीसदी उछल गया।

उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू पेराई सीजन 2017-18 में पहली अक्टूबर से 29 दिसंबर 2017 तक उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन बढ़कर 32.50 लाख टन का हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में केवल 26.12 लाख टन का ही उत्पादन हुआ था।
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के अनुसार चालू पेराई सीजन में पेराई शुरु जल्दी होने से चीनी के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई हुई है, साथ ही गन्ने में रिकवरी की दर भी पिछले साल से ज्यादा औसतन 10.13 फीसदी की आ रही है जबकि पिछले साल औसत रिकवरी 9.87 फीसदी की ही आ रही थी। राज्य में इस समय 116 चीनी मिलों में पेराई चल रही है जबकि पिछले साल की समान अवधि में भी इतनी ही मिलों में पेराई चल रही थी। ..............   आर एस राणा