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05 अगस्त 2017

महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना में कपास की बुवाई ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में महाराष्ट्र के साथ ही गुजरात और तेलंगाना में कपास की बुवाई अच्छी बढ़ोतरी हुई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार अभी तक महाराष्ट्र में कपास की बुवाई बढ़कर 39.39 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में 37.33 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई हो पाई थी।
अन्य राज्यों में तेलंगाना में चालू खरीफ में कपास की बुवाई बढ़कर 17.47 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में कपास की बुवाई 11.50 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। गुजरात में भी कपास की बुवाई बढ़कर 26.35 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में कपास की बुवाई केवल 21.86 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
अन्य राज्यों में आंध्रप्रदेश में कपास की बुवाई बढ़कर 4.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 3.06 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। इसी तरह से हरियाणा में कपास की बुवाई बढ़कर 6.56 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 4.98 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई हुई थी। कर्नाटका में कपास की बुवाई 4.08 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक कर्नाटका में 3.91 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
मध्य प्रदेश में जरुर चालू खरीफ में कपास की बुवाई कम होकर 5.76 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में कपास की बुवाई 5.99 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। पंजाब में कपास की बुवाई बढ़कर 3.85 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल पंजाब में कपास की बुवाई 2.56 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। राजस्थान में भी कपास की बुवाई बढ़कर 5.03 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल राज्य में इस समय तक केवल 3.83 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में कपास की कुल बुवाई बढ़कर 114.34 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 96.48 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई हुई थी। चालू खरीफ में कपास की बुवाई में हुई बढ़ोतरी से पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है, जबकि इस समय रुई में निर्यातको के साथ ही घरेलू यार्न मिलों की मांग कम है, इसलिए आगामी दिनों में कपास और रुई की कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है।............   आर एस राणा

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