कुल पेज दृश्य

11 अगस्त 2017

दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की बुवाई पिछड़ी, कपास और धान की बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ में जहां दलहन, तिलहन और मोटे अनाजों की बुवाई पिछड़ी है, वहीं कपास के साथ ही धान की रौपाई बढ़ी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में फसलों की बुवाई बढ़कर 943.45 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 936.95 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में दलहन की बुवाई घटकर 127.48 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक दलहन की बुवाई 129.59 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। दलहनी फसलों में अरहर की बुवाई में करीब 10 लाख हैक्टेयर में कमी आई है, जबकि मूंग की बुवाई भी पिछले साल की तुलना में घटी है। हालांकि उड़द की बुवाई पिछले साल की तुलना में ज्यादा हुई है।
तिलहनों की बुवाई चालू खरीफ में घटकर 154.29 लाख हैक्टेयर में ही पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में तिलहनों की बुवाई 171.15 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। तिलहनों में सोयाबीन के साथ ही मूंगफली की बुवाई भी पिछड़ रही है। सोयाबीन की बुुवाई चालू खरीफ में अभी तक केवल 101.59 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 111.91 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हो चुकी थी। मूंगफली की बुवाई भी चालू खरीफ में घटकर 36.50 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 42.02 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
खरीफ की प्रमुख फसल धान की रौपाई बढ़कर चालू रबी में 320.29 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 314.01 लाख हैक्टेयर में रौपाई ही हो पाई थी। मोटे अनाजों की बुवाई चालू रबी में पिछले साल की तुलना में घटकर अभी तक केवल 167.50 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 169.98 लाख हैक्टेयर में मोटे अनाजों की बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में जहां बाजरा की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है वहीं मक्का के साथ ही ज्वार की बुवाई पिछे चल रही है।
कपास की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 117.11 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 99.03 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई हो पाई थी। गन्ने की बुवाई भी चालू सीजन में बढ़कर 49.73 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 45.64 लाख हैक्टेयर में ही गन्ने की बुवाई हो पाई थी।....................   आर एस राणा

कोई टिप्पणी नहीं: