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30 जुलाई 2016

दलहन बुआई में 41 फीसदी बढ़ोतरी

आर एस राणा
देश के ज्यादातर हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून लगातार अच्छा बना हुआ है। ऐसा लगता है कि बेहतर मॉनसून का सबसे ज्यादा फायदा दलहन फसलों को मिला है। इस साल दलहन का रकबा पिछले साल के औसत रकबे का स्तर पहले ही पार कर चुका है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 29 जुलाई तक दलहन की बुआई करीब 110.3 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल इस समय तक के रकबे से करीब 41 फीसदी अधिक है। आमतौर पर खरीफ सीजन के दौरान दलहन की बुआई करीब 108 लाख हेक्टेयर में होती है। इसका मतलब है कि 2016-17 में रकबा सामान्य रकबे से ज्यादा हो चुका है। दलहन में अरहर की सबसे ज्यादा रकबे में बुआई की गई है।
शुक्रवार तक के आंकड़ों से पता चलता है कि अरहर की बुआई करीब 42.9 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल के रकबे से करीब 68 फीसदी अधिक है। इस साल की शुरुआत में अरहर के दाम 200 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर पहुंच गए थे। हो सकता है कि उसी वजह से किसानों ने अरहर की फसल की ज्यादा बुआई की। केंद्र सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अहम बढ़ोतरी करने और अपना बफर स्टॉक बनाने के लिए बाजार दरों पर फसल की खरीद की वादे से किसान दलहन फसलों की बुआई को प्रोत्साहित हुए हैं। खरीफ में  उगाई जाने वाली मुख्य दालों उड़द और मूंग के रकबे में पिछले साल के मुकाबले क्रमश: 35 फीसदी और 38 फीसदी  बढ़ोतरी हुई है। दलहन के रकबे में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी गुजरात, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और कर्नाटक के असिंचित इलाकों में हुई है। अधिकारियों ने कहा कि इस साल मध्य प्रदेश में सोयाबीन, राजस्थान में ग्वार और गुजरात एवं महाराष्ट्र में कपास के रकबे में दलहन की बुआई हुई है।
उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड क्षेत्र में किसानों ने दालों विशेष रूप से अरहर की बुआई की है। यह क्षेत्र पिछले दो साल से भयंकर सूखे के दौर से गुजर रहा है। लेकिन इस बार यहां पर्याप्त बारिश हुई है। अगस्त के पहले सप्ताह में उत्तर और मध्य भारत में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून और अधिक सक्रिय होने के आसार हैं, इसलिए रकबे में और बढ़ोतरी होने का अनुमान है। केंद्र सरकार का अनुमान है कि इस साल दालों का उत्पादन 2 करोड़ टन से अधिक रहेगा, जो पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक होगा। लेकिन अगर बुआई की यह रफ्तार आगे भी जारी रही तो कुल उत्पादन उम्मीद से ज्यादा रह सकता है।.........आर एस राणा

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