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16 जून 2016

नकली कीटनाशकों का बढ़ता धंधा, किसान बेहाल

बगैर रेगुलेशन का बाजार कैसा होगा, अगर ये देखना है तो एक बार देश में कृषि कीटनाशकों के बाजार पर नजर डाल लीजिये। बड़ी अजीबोगरीब स्थिति होती है, जब भी किसी इलाके में फसलों पर किसी बीमारी या कीटों का प्रकोप आता है, इलाके के बाजार अनजाने ब्रांड वाले कीटनाशकों से सज जाते हैं। अखबार और दुसरे प्रसार माध्यमों से किसानों को कीटनाशकों के इस्तेमाल के सुझाव दिए जाने लगते हैं और यहीं से शुरू होता है नकली जहर का काला कारोबार। क्योंकि ज्यादातर इन दवाओं के इस्तेमाल के बाद किसान अपनी फसल से हाथ धो बैठता है। अब यूएन की संस्था एफएओ ने कहा है कि देश के कीटनाशक बाजार में 25 फीसदी नकली उत्पाद हैं।
देश में अच्छे मॉनसून के अनुमान से खेती की तस्वीर सुधरने की उम्मीदें लगाई जा रही हैं। राज्य सरकारों ने अपने यहां खरीफ का लक्ष्य भले बढ़ा दिया है लेकिन नकली दवाओं और केमिकल्स के इस्तेमाल से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है। जी हां, संयुक्त राष्ट्र की संस्था एफएओ ने कहा है कि देश में बिकने वाले पेस्टीसाइड और कृषि केमिकल्स में 25 फीसदी तक नकली हैं। इसका खेती और लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
गौरतलब है कि नकली कीटनाशकों को बाजार लगातार बढ़ रहा है और इससे किसानों को नुकसान हो रहा है। नकली कीटनाशकों के चलते 2007 से किसानों के करीब 12000 करोड़ रुपये डूब गए हैं। दरअसल रजिस्ट्रेशन में छूट से नकली उत्पादों का बाजार बढ़ रहा है। देश में करीब 19000 करोड़ रुपये का कीटनाशक कारोबार है और नकली कीटनाशकों का बाजार करीब 5000 करोड़ रुपये का है।
वहीं फिक्की की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 30 फीसदी कीटनाशक नकली हैं और सालाना आधार पर नकली कीटनाशकों का कारोबार 20 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। नकली कीटनाशकों से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और कर्नाटक का नाम आगे है। (Hindimoneycantrol.com)

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