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31 मई 2016

धान और दलहन के एमएसपी में बढ़ोतरी की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में भारी बढ़ोतरी कर सकती है। एक जून को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में धान के एमएसपी में 60 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी पर मोहर लग सकती है।
सूत्रों के अनुसार कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए धान के एमएसपी में 60 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया है। ऐसे में खरीफ सीजन 2016-17 के लिए कॉमन धान का एमएसपी 1,460 रुपये और ग्रेड-ए धान का एमएसपी 1,510 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया जा सकता है।
इसके अलावा अरहर और उड़द के एमएसपी में 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो सकती है। अरहर का एमएसपी खरीफ विपणन सीजन 2015-16 के लिए 4,350 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि इसमें 200 रुपये प्रति क्विंटल बोनस अलग से था। अतः खरीफ विपणन सीजन 2016-17 के लिए एमएसपी 4,550 रुपये प्रति क्विंटल किया जा सकता है जबकि 200 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस अलग से रह सकता है। इसी तरह से उड़द का एमएसपी 200 रुपये बढ़ाकर 4,550 रुपये तथा 200 रुपये बोनस अलग से घोषित किया जा सकता है। मूंग के एमएसपी में 150 रुपये की बढ़ोतरी की संभावना है। इस समय मूंग का एमएसपी 4,600 रुपये प्रति क्विंटल है अतः नए सीजन के लिए 4,750 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी और 200 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस अलग से तय किया जा सकता है।......आर एस राणा

कपास से मुंह मोड़ रहे हैं उत्तर भारत के किसान


 देश के उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में कपास की बुआई शुरू हो चुकी है। इस बार कपास की खेती में उल्लेखनीय कमी आने का अनुमान है। किसानों को पिछले साल कीटों के हमले (व्हाइटफ्लाई) और लीफ कर्व वायरस जैसी बीमारियों के कारण भारी नुकसान हुआ था। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में बुआई चल रही है और देखने में आ रहा है कि किसान कपास छोड़कर दूसरी फसलों का रुख कर रहे हैं। पिछली बार हुए नुकसान से सबक लेकर किसान खासकर दालों (अरहर और मूंग) की बुआई कर रहे हैं।   पंजाब में कपास का रकबा पिछले साल के 540,000 हेक्टेयर की तुलना में इस बार घटकर 320,000 हेक्टेयर रहने का अनुमान है। यानी कपास की खेती में 40 प्रतिशत की कमी। हरियाणा में भी कपास के रकबे में 20 प्रतिशत आने की संभावना है। राज्य सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पिछले साल हरियाणा में कपास का रकबा 583,000 हेक्टेयर था।    पंजाब और हरियाणा को पिछले साल व्हाइटफ्लाई से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे और पंजाब में तो राज्य के कृषि विभाग द्वारा वितरित नकली कीटनाशक से कई किसानों की पूरी फसल तबाह हो गई थी। धान और ग्वार खरीफ की दो अहम वैकल्पिक फसलें हैं लेकिन धान की फसल पानी की कमी वाले क्षेत्रों के लिए अनुकूल नहीं है और ग्वार की कीमतों में अस्थिरता के चलते हरियाणा के किसान इससे परहेज करते हैं। एक अधिकारी ने कहा कि बीज की उपलब्धता के मुताबिक पंजाब और हरियाणा में दालों का रकबा बढ़ सकता है। पंजाब और हरियाणा ने फसल की बीमारियों लगने के कारणों के अध्ययन और इससे बचने के लिए उपाय सुझाने के वास्ते एक समिति का गठन किया था। समिति ने एक ही तरह की फसल उगाने के चक्र को तोडऩे और कपास की देसी किस्मों को बढ़ावा देने का सुझाव दिया है। लेकिन कपास की देसी किस्मों के प्रमाणित बीजों की सीमित उपलब्धता इसमें एक बड़ी रुकावट है और यही वजह है कि अधिकांश इलाकों में बीटी कॉटन बोया जाता है।   पंजाब जिनिंग मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवान बंसल ने कहा कि सूखे और लू की मौजूदा स्थिति कपास की फसल के लिए आदर्श है क्योंकि इस स्थिति में कीट जिंदा नहीं रह सकते। यही वजह है कि इस बार अच्छी फसल होने की संभावना है। राजस्थान में भी कपास का रकबा कम हो सकता है क्योंकि नहरों में बहुत कम पानी है और मॉनसून भी एक हफ्ते पिछड़ चुका है। राजस्थान जिनिंग मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आदित्य चित्तलंगिया ने कहा कि जिन किसानों के पास सिंचाई के वैकल्पिक साधन हैं वे ही कपास की बुवाई कर सकते हैं बाकी किसान दूसरी फसलों का रुख कर चुके होंगे। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष धीरेन सेठ ने कहा कि कुल रकबे पर टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी लेकिन ऐसी रिपोर्ट हैं कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की सरकारें कपास की खेती को हतोत्साहित कर रही हैं। 

30 मई 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाये, कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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गेहूं की सरकारी खरीद 228.95 लाख टन

सरकार ओएमएसएस के तहत गेहूं जुलाई में बेचेगी
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपनणन सीजन 2016-17 में गेहूं की सरकारी खरीद 228.95 लाख टन ही हो पाई है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन की समान अवधि में 271.13 लाख टन की गेहूं की खरीद हो चुकी थी।
हरियाणा के बाद मध्य प्रदेष में भी सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं की आवक बंद हो गई है तथा इस समय केवल पंजाब, उत्तर प्रदेष और उत्तर प्रदेष में ही खरीद केंद्रों पर आवक हो रही है लेकिन इन राज्यों में भी आवक काफी कम हो गई है। ऐसे में उम्मीद है कि गेहूं की सरकारी खरीद 230 से 232 लाख टन ही हो पायेगी, जबकि पिछले रबी विपणन सीजन में एमएसपी पर 280.87 लाख टन गेहूं की खरीद की थी। गेहूं में इस समय स्टॉकिस्टों की अच्छी खरीद बनी हुई है जिससे भाव तेज बने हुए हैं। उत्पादक मंडियों मंें आवक कम हो गई है जबकि सरकारी जुलाई से पहले गेहूं की बिक्री षुरु नहीं करेगी, इसलिए मौजूदा कीमतों में और भी तेजी आने का अनुमान है।
चालू रबी विपणन सीजन में अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब से 106.29 लाख टन, हरियाणा से 67.21 लाख टन, उत्तर प्रदेष से 7.98 लाख टन, मध्य प्रदेष से 39.90 लाख टन तथा राजस्थान से 7.46 लाख टन गेहूं की ही खरीद हुई थी। पिछले साल की समान अवधि में पंजाब से 103.31 लाख टन, हरियाणा से 66.91 लाख टन, उत्तर प्रदेष से 16.40 लाख टन, मध्य प्रदेष से 71.94 लाख टन और हरियाणा से 11.95 लाख टन गेहूं खरीदा गया था। अतः इस बार जहां पंजाब और हरियाणा से गेहूं की खरीद में बढ़ोतरी हुई है वहीं मध्य प्रदेष, उत्तर प्रदेष और राजस्थान से खरीद में कमी आई है। सबसे ज्यादा खरीद में कमी मध्य प्रदेष से आई है तथा मध्य प्रदेष से केवल 39.90 लाख टन गेहूं ही खरीदा गया है मध्य प्रदेष को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में आवंटन के लिए ही 35 लाख टन गेहूं की जरुरत होगी। ऐसे में अन्य राज्यों को यहां से गेहूं का आवंटन नहीं के बराबर होगा।
देषभर की फलोर मिलों को गेहूं का आवंटन पंजाब और हरियाणा से ही होगा जोकि दक्षिण भारत की मिलों को मध्य प्रदेष और हरियाणा के मुकाबले महंगा पड़ेगा। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास पहली मई को 314.45 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद है जबकि पिछले साल पहली मई को स्टॉक 341.27 लाख टन था, और पहली जून 2015 को 403.51 लाख टन था।.......आर एस राणा

चीनी का निर्यात 34 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित वर्ष 2016-17 के पहले महीने अप्रैल 2016 में देष से चीनी के निर्यात में मूल्य के हिसाब से 34.69 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अप्रैल 2016 में देष से चीनी का निर्यात 861.65 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि अप्रैल 2015 में इसका निर्यात केवल 639.71 करोड़ रुपये का हुआ था।....आर एस राणा

अप्रैल में बासमती चावल का निर्यात मूल्य के हिसाब से घटा, गैर बासमती का बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित वर्ष 2016-17 के अप्रैल महीने में बासमती चावल के निर्यात में मूल्य के हिसाब से 18.27 फीसदी की गिरावट आई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार अप्रैल 2016 में देष से 1,745.86 करोड़ रुपये मूल्य का बासमती चावल का निर्यात ही हुआ है जबकि अप्रैल 2015 में 2,136.09 करोड़ रुपये मूल्य का बासमती चावल का निर्यात हुआ था।
हालांकि गैर-बासमती चावल के निर्यात में मूल्य के हिसाब से अप्रैल 2016 में 10.21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल 2016 में देष से 1,309.58 करोड़ रुपये मूल्य का गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल अप्रैल 2015 में केवल 1,188.24 करोड़ रुपये मूल्य का गैर बासमती चावल का निर्यात हुआ था।  ......आर एस राणा

मॉनसून

मॉनसून पिछड़ गया है। हालांकि उत्तर भारत के कई इलाकों में प्री-मॉनसून बारिश हो रही है। लेकिन स्काईमेट ने 29 मई को मॉनसून के केरल आने का अनुमान दिया था, लेकिन अब तक मॉनसून केरल में दस्तक नहीं दे सका। पिछले एक हफ्ते से मॉनसून अंडमान में ही अटका हुआ है। स्काईमेट के मुताबिक केरल में मॉनसून ऑनसेट जैसे हालात हैं। केरल के 60 फीसदी इलाके में 2 दिन में 2.5 मिलीमीटर बारिश हुई है। वहीं पूरे देश में लू की चेतावनी खत्म हो गई है और मौसम में बदलाव आ गया है। मौसम विभाग के मुताबिक आज असम और मेघालय में तेज बारिश का अनुमान है। साथ ही बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में आंधी-बारिश की संभावना जताई गई है।

28 मई 2016

मूंगफली दाने के निर्यात में बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। मूल्य के हिसाब से चालू वित वर्ष 2016-17 के पहले महीने अप्रैल में मूंगफली दाने के निर्यात में 14.55 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार इस दौरान देष से 426.66 करोड़ रुपये मूल्य का मूंगफली दाने का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष 2015-16 के पहले महीने में केवल 372.47 करोड़ रुपये मूल्य का मूंगफली दाने का निर्यात हुआ था।
गुजरात की राजकोट मंडी में मूंगफली तेल का भाव 1,160 रुपये और मुंबई में 1,180 रुपये प्रति 10 किलो है। राजकोट मंडी में मूंगफली के भाव 5,100 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे।....आर एस राणा

मौसम - आज की जानकारी

मौसम आज की जानकारी  आज देश में सबसे ज्यादा तापमान तेलंगाना के रामागुंडम में रिकॉर्ड किया गया. यहां पर पारा 46.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. वहीं, अगर अगले चौबीस घंटों के मौसम की बात करें तो विदर्भ, तटीय आंध्रप्रदेश, और तेलंगाना के कुछेक इलाकों में लू चलने की संभावना है. भारत मौसम विभाग के मुताबिक असम और मेघालय के कुछ इलाकों में तेज बारिश होने की संभावना है.वहीं, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा,चंडीगढ़,,दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गांगेय पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में तेज हवाओं के साथ बारिश होने की संभावना है. साथ ही, असम, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और तमिलनाडु के भी कुछ हिस्सों में तेज हवाओं के साथ बारिश होने के आसार हैं.

ग्वार गम उत्ग्वार गम उत्पादों का निर्यात अप्रैल में 37 फीसदी घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित वर्ष 2016-17 के पहले महीने अप्रैल में ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में मूल्य के हिसाब से 37.22 फीसदी की गिरावट आई है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार अप्रैल महीने में देष से 234.17 करोड़ रुपये मूल्य का ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ है जबकि वित वर्ष 2015-16 के अप्रैल महीने में देष से 373.02 करोड़ रुपये मूल्य का ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।
उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड औेर ग्वार गम की कीमतों में पिछले दो दिनों से सुधार आया है जिसका प्रमुख कारण इस बार ग्वार सीड की बुवाई में कमी आना माना जा रहा है। ग्वार गम उत्पादों की निर्यात मांग इस समय भी कमजोर ही है। ग्वार सीड के भाव उत्पादक राज्यों की मंडियों में न्यूनतम स्तर पर आ गए थे। अतः नीचे भाव में मांग निकलने को भी भाव आये सुधार को माना जा रहा है। जोधपुर मंडी में षनिवार को ग्वार गम का भाव 5,475 रुपये और ग्वार सीड का भाव 3,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।....आर एस राणा

चीनी की बढ़ती कीमत पर सरकार हुई चिंतित

सरकार ने चीनी की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने वाले हर कदम उठाने शुरु कर दिए हैं। सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र ने बड़े और छोटे कारोबारियों के लिए चीनी भंडारण सीमा तय कर दी है। चीनी की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी की वजह सरकार जमाखोरी मान रही है, जबकि कारोबारी इसके लिए कम उत्पादन को जिम्मेदार बता रहे हैं। इस साल चीनी के दाम 40 फीसदी बढ़ चुके हैं। उत्पादन कम होने की वजह से कीमतें और बढऩे की आशंका जताई जा रही है। 
 
देश में चीनी के सबसे बड़ा उत्पादक राज्य महाराष्ट्र ने चीनी भंडारण सीमा लागू कर दी है। पिछले महीने केंद्र सरकार ने चीनी पर भंडारण सीमा को मंजूरी दी थी। राज्य में बड़े कारोबारी 500 टन से ज्यादा भंडार  स्टॉक नहीं रख सकेंगे जबकि खुदरा कारोबारियों के लिए 50 टन की भंडारण सीमा रखी गई है। चीनी पर सरकार के तेवर लगातार सख्त होने की वजह चीनी के लगातार दामों मेंं बढ़ोतरी है। थोक बाजार में मई 2015 में चीनी के दाम 2640 रुपये प्रति क्ंिवटल पर थे जबकि इस समय 3700 रुपये प्रति क्ंिवटल पार कर चुके हैं। इस साल की शुरुआत में 3200 रुपये प्रति क्ंिवटल के हिसाब से चीनी बिक रही थी। खुदरा बाजार मेंं चीनी 45 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच चुकी है। 
 महाराष्ट्र सरकार ने यह कदम कालाबाजारी को रोकने के लिए उठाए हैं। अधिकारियों का कहना है स्टॉक लिमिट की अधिसूचना एक सप्ताह पहले दी गई थी जिसे अब लागू कर दी गई है। दरअसल बाजार मेंं उत्पादन कम होने और मांग बढऩे की बात प्रचारित हो रही है जिससे जमाखोरी और कालाबाजारी की आशंका बढ़ जाती है, इसीलिए यह कदम उठाया गया है जिसका सख्ती से पालन किया जाएगा जबकि कारोबारियों का कहना है कि सूखे के कारण लागत बढऩे और गन्ना का मूल्य बढऩे की वजह से दाम बढ़े हैं। इस्मा के अनुसार सरकार इस तरह के कदम जल्दबाजी में उठा रही है। आयात शुल्क में 40 फीसदी तक की कटौती की खबरें और भंडारण सीमा लिमिट जैसे सरकारी रुख से चीनी कारोबारी हैरान हो रहे हैं उनका कहना है कि इससे स्थानीय कीमतें गिरेगी जिसका नुकसान उद्योग के साथ किसानों को भी होगा क्योंकि वर्तमान कीमतें लगात से बस थोड़ी ज्यादा है। 
 भयानक सूखे की मार झेल रहा महाराष्ट्र चीनी वर्ष 2015-16 में चीनी का उत्पादन पिछले साल से करीब 20 फीसदी कम हुआ है। इस्मा के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में इस साल 83.75 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ हुआ जबकि पिछले साल 30 अप्रैल 2015 तक 103.74 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। अगले चीनी वर्ष मेंं यह उत्पादन और भी कम होने की आशंका है क्योंकि सूखे के कारण चीनी का रकबा कम होना तय माना जा रहा है। चीनी वर्ष 2015-16 में 30 अप्रैल तक उत्तर प्रदेश में 68 लाख चीनी का उत्पादन हुआ जबकि पिछले साल उत्तर प्रदेश में 70.42 लाख चीनी का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)

27 मई 2016

मेथी के निर्यात में कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। मेथी के निर्यात में कमी आई है। सूत्रों के अनुसार चालू महीने के दूसरे सप्ताह 9 मई से 15 मई के दौरान मेथी का निर्यात घटकर 820 टन का ही हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 1,255 टन मेथी का निर्यात हुआ था।
चालू सीजन में मेथी की पैदावार में हुई बढ़ोतरी के कारण उत्पादक मंडियों में स्टॉक ज्यादा है इसलिए आयातक सीमित मात्रा में सौदे कर रहे है। उत्पादक मंडियों में भाव घटने के बाद मेथी में निर्यात मांग बढ़ सकती है। राजस्थान की कोटा मंडी में मेंथी के भाव 3,000 से 3,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे।....आर एस राणा

गेहूं का उत्पादन अनुमान से कम होने की आषंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में गेहूं की पैदावार का अनुमान पिछले साल से भी कम होने का है। जानकारों के अनुसार गेहूं की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में कमी आई है जिससे गेहूं का उत्पादन पिछले साल से भी हुआ है जबकि सरकार ने तीसरे आरंभिक अनुमान में चालू रबी में 940.4 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया है। फसल सीजन 2014-15 में 865.3 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था।....आर एस राणा

दो करोड़ टन दलहन पैदावार का लक्ष्य

आर एस राणा
नई दिल्ली। दलहन की महंगाई पर चौरता हमला झेल रही केंद्र सरकार ने अब इससे निपटने की पुख्ता योजना बना ली है। केंद्र सरकार का मानना है कि बगैर दलहन की पैदावार बढ़ए इससे निपटा नहीं जा सकता है। इसीलिए केंद्र सरकार ने पंचवर्षीय योजना षुरु की है। कृषि मंत्रालय ने एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इस योजना के दलहन उत्पादन का लक्ष्य 200 लाख टन का तय किया है तथा इस योजना पर चालू खरीफ से अमल षुरु किया जायेगा।....आर एस राणा

महाराष्ट्र में चीनी पर स्टॉक लिमिट लगी

आर एस राणा
नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार ने चीनी पर स्टॉक लिमिट लगा दी है। राज्य में बड़े कारोबारी 500 टन से ज्यादा चीनी का स्टॉक नहीं रख सकेंगे जबकि रिटेलर पर 50 टन की स्टॉक लिमिट है। मालूम हो कि पिछले महीने केंद्र सरकार ने चीनी पर स्टॉक लिमिट लगाने को मंजूरी दी थी, जबकि खाद्य सचिवों की बैठक में खाद्य एंव उपभोक्ता मामले मंत्री ने बताया कि प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों के मुख्यमंत्रियों को चीनी पर स्टॉक लिमिट लगाने के लिए पत्र लिखा है।....आर एस राणा

26 मई 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाये, कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
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गेहूं की खरीद 228.63 लाख टन हुई

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2016-17 में गेहूं की सरकारी खरीद 228.63 लाख टन की ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 268.62 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी थी।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब से 106.05 लाख टन, हरियाणा से 67.21 लाख टन, उत्तर प्रदेष से 7.94 लाख टन, मध्य प्रदेष से 39.90 लाख टन तथा राजस्थान से 7.42 लाख टन की हुई है।.....आर एस राणा

केस्टर तेल का निर्यात 20 फीसदी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। केस्टर तेल का निर्यात चालू महीने के तीसरे सप्ताह में 20.05 फीसदी बढ़कर 11,996 टन का हुआ है तथा इस दौरान इसके निर्यात सौदे औसतन 1,138.30 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं।
साल्वेंट एक्सट्रेक्षन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार वित वर्ष 2015-16 के पहले 11 महीनों अप्रेल से फरवरी के दौरान देष से 4.34 लाख टन केस्टर तेल का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले वित वर्ष 2014-15 की समान अवधि में 4 लाख टन का निर्यात हुआ था। वित वर्ष 2014-15 में देष से केस्टर तेल का निर्यात 4.59 लाख टन का हुआ था। माना जा रहा है कि अप्रैल से षुरु हुए चालू वित वर्ष 2016-17 में केस्टर तेल के निर्यात में करीब 10 से 12 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।....आर एस राणा

कपास उत्पादन 341 लाख गांठ होने का अनुमान-सीएआई

आर एस राणा
नई दिल्ली। फसल सीजन 2015-16 में देष में कपास की पैदावार 341.50 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 382.75 लाख गांठ की हुई थी।
कॉटन एसोसिएषन आफ इंडिया (सीआईए) के अनुसार अप्रैल 2016 में कपास की आवक 22.25 लाख गांठ की हुई है जबकि पिछले साल अप्रैल में 27.05 लाख गांठ कपास की आवक हुई थी। सीआई के अनुसार चालू सीजन के षुरु से अप्रैल के अंत तक देषभर की मंडियों में 302.40 लाख गांठ कपास की आवक हो चुकी है।
चालू सीजन में 341.50 लाख गांठ कपास की पैदावार होने का अनुमान है जबकि नई फसल की आवक के समय 73.60 लाख गांठ कपास का बकाया स्टॉक बचा हुआ था। चालू सीजन में 14 लाख गांठ कपास का आयात होने का अनुमान है। अतः ऐसे में कुल उपलब्धता 429.10 लाख गांठ की होगी जबकि फसल सीजन 2014-15 में 448.60 लाख गांठ की कुल उपलब्धता था। ....आर एस राणा

ग्वार के साथ ही कपास, सोयाबीन और केस्टर की बुवाई में कमी की आषंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन में ग्वार सीड के साथ ही कपास, सोयाबीन, और केस्टर सीड की बुवाई में कमी आषंका है। इन फसलों की जगह किसान दलहन के साथ ही अन्य नगदी फसलों की बुवाई को तरजीह देंगे।
जानकारों का मानना है कि चालू सीजन में ग्वार सीड, केस्टर सीड, कपास और सोयाबीन के किसान दलहन के अलावा अन्य नगदी फसलों की बुवाई ज्यादा करेंगे, क्योंकि एक तो चालू खरीफ में मानसूनी बारिष अच्छी होने का अनुमान है। दूसरा दलहन की कीमतें खासकर के अरहर और उड़द की तेज बनी हुई है। सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेष, महाराष्ट्र और राजस्थान में इसकी बुवाई में करीब 8 से 10 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। इसी तरह से राजस्थान और हरियाणा तथा गुजरात में ग्वार सीड की बुवाई में 10 से 15 फीसदी की कमी आने का अनुमान है। ग्वार गम के निर्यात में आई भारी कमी के कारण ग्वार सीड के भाव उत्पादक मंडियों में घटकर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास रह गए है जबकि उत्पादक राज्यों में इसका स्टॉक भी ज्यादा बताया जा रहा है।
केस्टर तेल के निर्यात में बढ़ोतरी होने के बावजूद भी केस्टर सीड के भाव गुजरात की मंडियों में घटकर 3,000 से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए है जबकि इस समय उत्पादक मंडियों में सीड की दैनिक आवक भी अच्छी है। ऐसे में किसान केस्टर सीड के बजाए दलहनी फसलों के अलावा मूंगफली की बुवाई को प्राथमिकता देंगे। पिछले साल देष में 10.35 लाख हैक्टेयर में कैस्टर सीड की बुवाई हुई थी तथा पैदावार का अनुमान 18.24 लाख टन का था।
कपास की बुवाई पंजाब और हरियाणा के बाद तेलंगाना में भी कम होने की आषंका है। ऐसे में खरीफ में कपास की बुवाई में पिछले साल की तुलना में कमी आयेगी। भाव कम होने के साथ ही पिछले साल बीमारी से कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ था जिससे किसान इस बार कपास के बजाए अन्य फसलों की बुवाई ज्यादा करेंगे। पिछले तीन साल से लगातार देष में कपास की पैदावार में कमी देखी जा रही है। कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2013-14 में कपास की पैदावार 398 लाख गांठ (एक गांठ -170 किलो) की हुई थी जबकि फसल सीजन 2014-15 में पैदावार घटकर 380 लाख गांठ रह गई। चालू फसल सीजन 2015-16 में पैदावार का अनुमान 352 लाख गांठ का है।
सोया खली के निर्यात में आई भारी गिरावट से सोयाबीन के भाव में उत्पादक राज्यों मंडियों में पिछले दिनों काफी नीचे गए थे। विष्व बाजार में भारतीय सोया खली के दाम उंचे है जिसका असर भारत से इसके निर्यात पर पड़ा है। चालू वित वर्ष 2016-17 के अप्रैल महीने में केवल 54,390 टन सोया खली का निर्यात ही हुआ है जबकि पिछले साल अप्रैल महीने में 1,82,638 टन का निर्यात हुआ था। भारतीय सोया खली का भाव अप्रैल महीने में 493 डॉलर प्रति टन भारतीय बंदरगाह पर था जबकि विष्व बाजार में औसतन सोया खली का भाव 413 डॉलर प्रति टन सीएंडएफ था।.......आर एस राणा

25 मई 2016

बीएसई, एनएसई में भी कमोडिटी ट्रेडिंग संभव!

आर एस राणा
बीएसई और एनएसई में जल्द ही कमोडिटी ट्रेडिंग शुरु हो सकती है, सेबी जल्द ही इस बारे में फैसला ले सकती है इस बारे में रमेश चांद समिति की सिफारिशों के आधार पर फैसला लिए जाने की संभावना है। इसके साथ ही अब एमसीएक्स में शेयर ट्रेडिंग भी हो सकती है। रमेश चांद समिति की सिफारिश पर कमोडिटी बाजार में 2 महीने में आप्शंस प्रोडक्ट को मंजूरी मिल सकती है। इसके साथ ही कमोडिटी में इंडेक्स फ्यूचर्स भी शुरु हो सकता है। कंपनियों में घोटाले को लेकर भी सेबी कई कदम उठा सकती है। कंपनियों के ऑडिटर पर कड़ी नजर होगी और सेबी घोटाले में शामिल ऑडिटर को सजा भी देगी। कंपनियों की डीलिस्टिंग को लेकर भी सेबी राहत देने वाली है। अब डीलिस्टिंग आसान होगी। नाममात्र को लिस्ट कंपनियां बाहर होंगी। डीलिस्टिंग के समय एक्जिट आप्शन होगा। 7 साल से सस्पेंड कंपनियां डीलिस्ट होंगी। इसके साथ ही बंद हुए रीजनल एक्सचेंज की कंपनियां भी डीलिस्ट होंगी। डीलिस्टिंग के समय फेयर प्राइस देना होगा। ये फेयर प्राइस वैल्युअर तय करेगा। फेयर प्राइस न देने पर प्रोमोटर पर एक्शन लिया जाएगा जिसके तहत नकद जुर्मान लग सकता है, पूंजी जुटाने पर रोक लग सकती है।...आर एस राणा

वर्ष 2016-17 में 270.10 मिलियन टन अनाज का उत्पादन लक्ष्य

आर एस राणा
नई दिल्ली, 25 मई, 2016 केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने आज यहाँ कहा कि  देश वर्ष 2016-17 में रिकार्ड अनाज का उत्पादन करेगा। उन्होंने कहा कि चूंकि इस वर्ष मानसून के अच्छा रहने की उम्मीद है, इसलिए चालू वित्तीय वर्ष 2016-17 में 270.10 मिलियन टन अनाज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।  श्री सिंह ने कहा कि वर्ष 2016-17 में 108.50 मिलियन टन चावल उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है जबकि गेंहू के लिए यह 96.50 मिलियन टन है। सभी प्रकार की दालों के लिए उत्पादन लक्ष्य 20.75 मिलियन टन रखा गया है जबकि तिलहन के लिए यह 35 मिलियन टन है। गन्ने के लिए 355 मिलियन टन का लक्ष्य रखा गया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि लगातार दो वर्ष सूखे के बावजूद किसानों ने पिछले वर्ष के मुकाबले अनाज उत्पादन में कमी नहीं आने दी ।....आर एस राणा

सोयाबीन का रकबा 10 फीसदी घटेगा!

सोयाबीन की गिरती कीमतों के कारण देश के किसान इस साल सोयाबीन का रकबा 10 फीसदी तक घटा सकते  हैं, जिससे पाम तेल और सोयाबीन जैसे खाद्य तेलों का आयात बढऩे के आसार हैं। भारत में सोयाबीन खरीफ की प्रमुख फसल है, लेकिन पिछले दो साल में इसकी कीमतें 10 फीसदी गिरी हैं। वहीं इस अवधि में अरहर जैसी दालों की कीमतें करीब तिगुनी हो गई हैं। सोयाबीन के कम उत्पादन से देश को खाद्य तेलों का आयात बढ़ाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, जिससे कीमतों में भी तेजी आएगी। इससे भारत का खली निर्यात भी घट सकता है। कम आपूर्ति के चलते आगे कीमतें बढऩे से खली का आयात भी फायदेमंद हो जाएगा।
 देश की सबसे बड़ी खाद्य तेल रिफाइनर रुचि सोया के मुख्य अनुसंधान अधिकारी के एन रहिमन ने कहा, 'पिछले दो-तीन साल में सोयाबीन ने दालों जैसी प्रतिस्पर्धी फसलों की तुलना में कम प्रतिफल दिया है।' उन्होंने कहा, 'इस साल दालों की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचे स्तरों पर बनी हुई हैं, इसलिए किसानों का दलहन बुआई की तरफ रुझान बढ़ेगा। इस वजह से सोयाबीन के रकबे में 5 से 10 फीसदी गिरावट देखने को मिल सकती है।'
  किसानों ने वर्ष 2015-16 में 116.3 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की थी, इसलिए 10 फीसदी कमी से जुलाई से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2016-17 में रकबा घटकर करीब 105 लाख हेक्टेयर रह जाएगा। ज्यादातर भारतीय किसान सोयाबीन और दलहन की बुआई मॉनसून की बारिश आने के बाद जून में शुरू करते हैं। इन फसलों की बुआई मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में होती है।मध्य प्रदेश के मुरैना के एक किसान दिनेश गर्ग खरीफ सीजन में सोयाबीन उगाते हैं, लेकिन इस बार उन्होंने अरहर की बुआई करने का फैसला किया है। गर्ग ने पिछले साल 5 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई की थी। उन्होंने कहा, 'कम कीमतों के कारण सोयाबीन की खेती फायदेमंद नहीं है। इस साल मैं अरहर उगाना चाहता हूं।'
 सूखे और कीटों के प्रकोप से उत्पादन पर असर पडऩे के कारण 2015-16 में सोयाबीन का उत्पादन 20 फीसदी घटकर एक दशक के सबसे निचले स्तर पर रहा था। भारत एशियाई खरीदारों को सोयाखली का निर्यात करता है,  लेकिन उत्पादन घटने के कारण उसे कई सालों में पहली बार थोड़ी मात्रा में सोयाखली और सोयाबीन का आयात करना पड़ा है। कोटक कमोडिटी सर्विसेज लिमिटेड के सहायक उपाध्यक्ष (अनुसंधान) फैयाज हुदानी ने कहा कि देश अपनी खाद्य तेल की मांग पूरी करने के लिए ज्यादातर आयात करता है, इसलिए सोयाबीन की कम आपूर्ति का मतलब है कि 2016-17 में आयात और बढ़ेगा। हुदानी ने कहा, 'तिलहन का उत्पादन स्थिर बना हुआ है, लेकिन आबादी में वृद्धि और बढ़ती संपन्नता से खाद्य तेल की खपत लगातार बढ़ रही है।'....रॉयटर्स

कालीमिर्च का निर्यात बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 9 मई से 15 मई 2016 के दौरान देष से 686 टन कालीमिर्च का निर्यात हुआ है जोकि इसके पहले सप्ताह के 283 टन से ज्यादा है। इस दौरान यूएसए, यूके, कनाडा, साउदी अरब, कुवैत और स्वीडन के अलावा कालीमिर्च के प्रमुख आयातक आस्ट्रेलिया रहा।
केरल की कुमली मंडी में अनर्गाबल्ड कालीमिर्च का भाव 70,500 रुपये, ग्रेड नं. वन का 73,500 रुपये तथा बोल्ड का भाव 77,500 रुपये प्रति क्विंटल रहा। कालीमिर्च में निर्यात मांग अच्छी बनी हुई है जिससे भाव में मजबूती की संभावना है।
विष्व बाजार में भारतीय कालीमिर्च का भाव बढ़कर 9.04 डॉलर प्रति किलो हो गया जबकि चालू महीने के पहले सप्ताह में इसका भाव 8.82 डॉलर प्रति किलो था। अप्रैल महीने में विष्व बाजार में भारतीय कालीमिर्च का भाव 8.49 डॉलर प्रति किलो था। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2015-16 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान कालीमिर्च के निर्यात में 62 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 23,450 टन का हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 14,501 टन का ही हुआ था।...आर एस राणा

कैस्टर सीड मामले में सेबी की सख्ती, 2 कंपनियों पर रोक

आर एस राणा
नई दिल्ली। कैस्टर सीड ट्रेडिंग में गड़बड़ी के मामले में सेबी ने सख्ती दिखाई है। मार्केट रेगुलेटर ने इस मामले में रुचि सोया और नेषनल स्टील एंड एग्रो इंडस्ट्रीज के बाजार में कारोबार करने पर रोक लगा दी है।
सूत्रों के अनुसार सेबी ने अपनी जांच में पाया कि रुचि सोया ने एनसीडीईएक्स के 5 क्लाइंटस को 76 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम ट्रांसफर की थी जिसके चलते इन क्लाइंट्स ने कैस्टर सीड वायदा में भारी पोजिषन बनाई थी और इन्हीं क्लांइट के सौदों के कारण वायदा में भारी गड़बड़ी हुई थी जिसके कारण जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में दाम 20 फीसदी तक गिरे थे। सेबी ने नेषनल स्टील एंड एग्रो इंडस्ट्रीज को भी इस मामले में दोषी पाया है।......आर एस राणा

24 मई 2016

मौसम

मौसम की जानकारी देने वाली निजी क्षेत्र की कंपनी स्काईमेट ने कहा है कि इस साल देश में सामान्य से 109 फीसदी बारिश होगी। मध्य और पश्चिम भारत में बारिश ज्यादा होने का अनुमान है। जहां इस सीजन के दौरान महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में ज्यादा बारिश की भी आशंका है। स्काईमेट ने कहा है कि जून में सामान्य बारिश होने की 50 फीसदी संभावना है जबकि सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना 20 फीसदी है। हालांकि जुलाई के बाद मॉनसून रफ्तार पकड़ेगा और इस महीने सामान्य से ज्यादा बारिश की 25 फीसदी संभावना रहेगी। अगस्त में सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना 30 फीसदी और सितंबर में सामान्य से ज्यादा बारिश की संभावना 50 फीसदी की है। ऐसे में सीजन के अंतिम दौर में ज्यादा बारिश होगी।

चावल की कीमतों में तेजी की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व बाजार में चावल की कीमतों में तेजी आई है जिससे घरेलू बाजार में भी इसकी कीमतों में तेजी आने का अनुमान है। भारत से चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हो रही है। माना जा रहा है कि पिछले पांच साल में पहली बार विष्व में चावल की पैदावार में गिरावट आई है। भारत के साथ ही वियतनाम और थाइलैंड में सूखे से चावल की पैदावार में कमी आई थी।
प्रमुख उत्पादक राज्यों में जून-जुलाई से चावल की बुवाई का कार्य प्रारंभ होगा। हरियाणा की प्रमुख उत्पादक मंडी करनाल में 1121 पूसा बासमती रॉ चावल का भाव 5,600 रुपये, सेला 4,550 रुपये और स्टीम का भाव 5,500 रुपये प्रति क्विंटल रहा। डीबी का सेला 4,000 रुपये तथा स्टीम का भाव 4,800 रुपये प्रति क्विंटल रहा। 1509 बासमती चावल का सेला 4,000 रुपये और स्टीम 5,200 रुपये प्रति क्विंटल रहा।......आर एस राणा

विदेषी बाजार में जीरा तेज

आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व बाजार में भारतीय जीरा की कीमतों में तेजी आई है। इस समय विष्व बाजार में भारतीय जीरा का भाव बढ़कर 3.19 डॉलर प्रति किलो हो गया जबकि पिछले महीने इसका भाव 3.04 डॉलर प्रति किलो था। पिछले साल की समान अवधि में इसका भाव 3.70 डॉलर प्रति किलो था।
प्रमुख उत्पादक मंडी उंझा में जीरा की दैनिक आवक 6,000 से 7,000 बोरी (एक बोरी-55 किलो) की हो रही है जबकि दैनिक मांग 8 से 10 हजार बोरी की है। मंडी में जीरा के भाव 2,900 से 3,300 प्रति 20 किलो रहे। माना जा रहा है कि जीरा की कीमतों में अभी 100 से 200 रुपये प्रति 20 किलो की तेजी-मंदी रहेगी, लेकिन आगामी महीनों में निर्यात मांग बढ़ने पर उच्च गुणवत्ता के जीरा में अच्छी तेजी देखने को मिलेगी। सूत्रों के अनुसार उंझा मंडी में चालू सीजन में अप्रैल 2016 के आखिर तक 15.07 लाख बोरी जीरा की आवक हो चुकी है।....आर एस राणा

23 मई 2016

चना वायदा

खबर आ रही है कि सरकार चना वायदा पर रोक लगा सकती है। चने की कीमतों में आई एकतरफा तेजी के बाद सरकार इसके वायदा कारोबार को लेकर सख्त हो गई है। सूत्रों के मुताबिक आज दिल्ली में सचिवों का एक समूह चना वायदा की समीक्षा करेगा।  अब सरकार की ओर से इस पर एक्शन लेने की तैयारी हो रही है। दूसरी ओर चीनी की कीमतों पर सरकार का रूख बेहद सख्त हो गया है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा है कि मांग के मुकाबले प्रोडक्शन ज्यादा होने के बावजूद कीमतों में तेजी चीनी की जमाखोरी की ओर इशारा कर रहा है। अगर कीमतें काबू में नहीं आईं तो सरकार को सख्त कदम उठाने पड़ सकते हैं।

चावल का निर्यात 34 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 9 मई से 15 मई के दौरान देष से 1,78,007.19 टन चावल का निर्यात हुआ है जोकि इसके सप्ताह के मुकाबले 33.85 फीसदी ज्यादा है। चालू महीने के पहले सप्ताह में देष से 1,32,981.17 टन चावल का निर्यात हुआ था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार दूसरे सप्ताह में हुए कुल निर्यात में जहां बासमती चावल की हिस्सेदारी 41.36 फीसदी रही, वहीं गैर बासमती चावल की हिस्सेदारी 58.63 फीसदी है। इस दौरान जहां 73,628.68 टन बासमती चावल का निर्यात हुआ है वहीं गैर बासमती चावल का निर्यात 1,04,378.51 टन का हुआ है।....आर एस राणा

गेहूं की सरकारी खरीद 228 लाख टन हुई

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2016-17 में गेहूं की सरकारी खरीद 228.08 लाख टन की ही हो पाई है जबकि पिछले रबी विपणन सीजन की समान अवधि में 263.35 लाख टन की खरीद हो चुकी थी।....आर एस राणा

अनाज का पर्याप्त भंडार, सूखे से निपटने में सक्षम

कई राज्यों में सूखा और पेयजल के बढ़ते संकट के बीच सरकार के लिए राहत देने वाली कुछ बातों में यह वजह भी शामिल है कि केंद्रीय पूल में अनाज के भंडार की स्थिति ठीक है। अप्रैल 2016 के अंत तक केंद्रीय पूल में भारत का अनाज भंडार 3.69 करोड़ टन रहने का अनुमान लगाया गया जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 6.73 फीसदी ज्यादा है। यह भंडार, बफर भंडारण नियमों के लिए जरूरी मात्रा से अधिक लगभग 1.53 करोड़ टन है। 
 वर्ष 2016-17 में गेहूं खरीद में बाधाओं की उम्मीद कई विशेषज्ञ कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि उत्पादन में गिरावट रह सकती है। हालांकि ऐसी बाधा अगर आती भी है तो भी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) या राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के लिए अनाज की कमी नहीं होगी क्योंकि राज्यों के पास इस संकट से निपटने के लिए पर्याप्त भंडार होगा। आंकड़े दर्शाते हैं कि राज्यों के केंद्रीय पूल में अनाज का भंडार इतना पर्याप्त है कि सूखे की वजह से अचानक बढऩे वाली मांग को पूरा भी किया जा सकेगा। 
 हाल में उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में केंद्र और राज्य सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वे देश के सूखा प्रभावित राज्यों में अनाज मुहैया कराने में सक्षम नहीं हैं खासतौर पर उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा सूखा प्रभावित क्षेत्र बुंदेलखंड क्षेत्र में और यह राज्य सरकार के लिए प्रबंधन का मसला ज्यादा लगता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश ने जनवरी महीने में एनएफएसए पर अमल करना शुरू कर दिया था और मौजूदा पीडीएस तंत्र के एनएफएसए में बदलाव में लगने वाला समय भी एक ऐसी वजह हो सकता है जिसकी वजह से लाभार्थियों को अनाज नहीं मिला। 
 केंद्र के रिकॉर्ड के मुताबिक अगर कानून पर पूरी तरह अमल किया जाना शुरू होता है तो राज्यों को एनएफएसए के तहत 92 फीसदी आबादी को कवर करना होगा। करीब 80 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में जबकि 65 फीसदी शहरी क्षेत्रों में होगी और अंत्योदय योजना के तहत भी इसे कवर किया जाएगा। इसका अर्थ यह है कि 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य की आबादी करीब 20 करोड़ है जिसमें से 14 करोड़ लोगों का वर्गीकरण गरीब और एनएफएसए के तहत अनाज के लिए पात्र लोगों के तौर होगा।
 एनएफएसए के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में आबादी के न्यूनतम 75 फीसदी का कवरेज लाभार्थियों के तौर पर किया जाना चाहिए जबकि शहरी क्षेत्रों में यह कम से कम 50 फीसदी तक होना चाहिए। आंकड़े दर्शाते हैं कि उत्तर प्रदेश ने एनएफएसए के तहत कवर किए जाने योग्य ज्यादा लोगों की पहचान की है जो कानून की अनिवार्य सीमा से अधिक है। ऐसी स्थिति में एनएफएसए के तहत राज्य को आपूर्ति किए जाने वाले अनाज की पूर्ति 2016-17 के सीजन से ही की जाएगी। वर्ष 2015-16 में उत्तर प्रदेश को एपीएल (गरीबी रेखा से ऊपर), बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोग) और एएवाई (अंत्योदय अन्न योजना) और खाद्य कानून के तहत 74.7 लाख टन अनाज का आवंटन किया गया जबकि खरीदारी लगभग 97.5 फीसदी की गई। बीपीएल और एएवाई परिवारों के लिए कुल खरीद बढ़ाकर 100 फीसदी कर दिया गया इसका अर्थ यह भी हुआ कि इसकी क्षतिपूर्ति अतिरिक्त आवंटन के जरिये किया जाएगा। (BS Hindi)

21 मई 2016

दलहन, चीनी की कीमतों में कमी के लिए केंद्र सख्त

आर एस राणा
नई दिल्ली। दलहन के साथ ही चीनी की बढ़ती कीमतांे पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार सख्त हो गई है। खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री रामविलास पासवान ने राज्य सरकारों से दलहन और चीनी पर वैट के अलावा अन्य लोकल टैक्स हटाने की मांग की है। इसके अलावा राज्य सरकारों से कहां है कि चीनी और दलहन पर स्टॉक लिमिट लगाने के साथ ही बाजार में सप्लाई सुनिष्चित करें।
राज्यों के खाद्य मंत्रियों के साथ 21 मई को दिल्ली में हुई बैठक में खाद्य एंव उपभोक्ता मामले मंत्री रामविलास पासवान ने कहां कि वैट और अन्य लोकल टैक्स हटा लेने से दलहन और चीनी के अलावा खाद्य तेलों की कीमतों में 5 से 7 फीसदी की कमी आयेगी। उन्होंने कहा कि चीनी की कीमतों पर काबू करने के लिए महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेष और कनार्टक के मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा है जिससे की बाजार में चीनी की सप्लाई सुनिष्चित बने रहे। उन्होंने कहां कि चीनी मिलों को चीनी निर्यात पर दी जा रही सब्सिडी समाप्त करने से बाजार में उपलब्धता बढ़ेगी, तथा भाव में कमी आयेगी।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने बफर स्टॉक के लिए खरीफ में 50 हजार दालों की खरीद की है तथा रबी में भी 25 हजार टन दलहन खरीदने का लक्ष्य है। इसके अलावा 26 हजार टन दालों के आयात सौदे किए हैं ताकि बफर स्टॉक बनाया जाये। बफर स्टॉक से 10 हजार टन दलहन की सप्लाई राज्यों को कर दी गई है, जबकि अन्य राज्यों से भी उनकी जरुरत के लिए लिखा गया है।.....आर एस राणा

स्टॉक ज्यादा होने के साथ ही निर्यात मांग में कमी से ग्वार के भाव न्यूनतम स्तर पर

ग्वार के बजाए किसान अन्य फसलों की कर सकते हैं बुवाई
आर एस राणा
नई दिल्ली। ग्वार गम की निर्यात मांग में कमी होने के साथ ही, ग्वार सीड का स्टॉक ज्यादा होने के कारण प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में ग्वार सीड और ग्वार गम की कीमतें पिछले पांच साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। जोधपुर मंडी में ग्वार के भाव घटकर 5,100 रुपये और ग्वार सीड के भाव 3,100 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू फसल सीजन में मानसून देर से तो आयेगा, लेकिन बारिष ज्यादा होगी। ऐसे में आगामी दिनों मंे ग्वार गम और ग्वार सीड की कीमतों में सीमित घटबढ़ रहने की संभावना है।
वित्त वर्ष 2015-16 के पहले 11 महीनों में ग्वार गम की निर्यात मांग 46.5 फीसदी कम रही है। सूत्रों के अनुसार ग्वार सीड की पैदावार करीब 26 से 30 लाख टन की हुई थी। देष में ग्वार की कुल पैदावार 70 फीसदी राजस्थान में तथा 10 फीसदी हरियाणा में होती है। इसके अलावा गुजरात और पंजाब में भी होता है। राजस्थान के कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार राज्य में 22.2 लाख टन की पैदावार हुई है जोकि दूसरे आरंभिक अनुमान से 6.7 फीसदी ज्यादा है। दूसरे आरंभिक अनुुमान के अनुसार राजस्थान में ग्वार सीड की पैदावार 20.83 लाख टन होने का अनुमान लगाया था।
हरियाणा के कृषि विभाग के अनुसार राज्य में ग्वार सीड की पैदावार 2015-16 मंें 2.83 लाख टन की हुई है। उधर गुजरात के कृषि विभाग के अनुसार राज्य में ग्वार की पैदावार 1.93 लाख टन की हुई है।
चालू सीजन में ग्वार सीड के भाव में आई भारी कमी को देखते हुए खरीफ में इसकी बुवाई में कमी आने की आषंका है। सूत्रों के अनुसार चालू खरीफ में मानसूनी बारिष अच्छी होने का अनुमान है इसलिए किसान ग्वार के बजाए अन्य फसलों जैसे दलहन में मूंग और मोठ के अलावा कपास और मूंगफली की बुवाई को प्राथतिकता देंगे। आगामी सीजन में ग्वार गम और ग्वार सीड के भाव खरीफ में होने वाली बुुवाई के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों की तेजी-मंदी पर निर्भर करेंगी।
वित्त वर्ष 2015-16 में ग्वार गम उत्पादों की निर्यात मांग में काफी कम रही है। अप्रैल से फरवरी 2016 के दौरान ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 46.5 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 3.37 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.30 लाख टन और कुल निर्यात 6.88 लाख टन का हुआ था। फरवरी 2016 में केवल 36,482 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ जबकि फरवरी 2015 में 45,547 टन ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ था।
वित्त वर्ष 2015-16 के अर्प्रल-फरवरी के दौरान हुए कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 42.8 फीसदी रही है जबकि चीन की 9.3 फीसदी की जर्मनी 5.4 फीसदी रही। अमेरिका ने इस दौरान 1.44 लाख टन ग्वार गम उत्पादों का आयात किया है।
ग्वार गम और ग्वार सीड की तेजी-मंदी अब मानसून की खबरों के आधार पर ही रहेगी। माना जा रहा है ग्वार सीड के भाव 2,900 से 3,200 रुपये और ग्वार गम के भाव 5,000 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के दायरे में रहने चाहिए। मानसूनी बारिष अच्छी हुई तो किसान ग्वार के बाजए खरीफ दलहन और कपास तथा मूंगफली की बुवाई तो तरजीह देंगे, क्योंकि ग्वार सीड के भाव न्यूनतम स्तर तक पहुंच चुके हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनांें कच्चे तेल की कीमतों में सुधार आया है तथा इसकी कीमतों में आगे और बढ़ोतरी होती है तो ही ग्वार सीड के भाव सुधार बनेगा। इस समय उत्पादक राज्यों में ग्वार सीड का बकाया स्टॉक भी ज्यादा बचा हुआ है।......आर एस राणा

दलहन की कीमतें विदेष के भरोसे, सरकार म्यांमार, अफ्रीका में कराएगी खेती

आर एस राणा
नई दिल्ली। दलहन की उंची कीमतों से दो-चार हो रही मोदी सरकार के कृषि मंत्री ने इसका समाधान विदेषों में खेती करके निकालने की कवायद तेज कर दी है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का मानना है कि भारतीय कंपनियों को म्यांमार और अफ्रीका में कांट्रैक्ट फार्मिंग करनी चाहिए। ऐसे में अब यह तय है कि मोदी सरकार का भारतीय किसानों पर से भरोसा उठ गया है, तथा इसका समाधान केवल और केवल विदेषी में ही छिपा है।
कृषि सचिव (भारत सरकार) ने इस मुद्दे पर 19 मई 2016 को एक अहम बैठक की है, इस बैठक में म्यांमार और अफ्रीकी देषों में खेती कराने के बारे में चर्चा की गई। यह कवायद पिछले 9 महीने से कृषि मंत्रालय में चल रही है। यह अलग बात है कि अभी तक इस मुद्दे पर करीब पांच से छह बैठके तो हो चुकी है लेकिन किसी एक भी बैठक में दलहन पैदावार करने वाले किसी किसान या उनके संगठन को षामिल नहीं किया है। सूत्रों के अभी तक किसी भी बैठक में देष के किसी भी किसान संगठन को षामिल नहीं किया है। इसका मतलब साफ है कि देष के किसानों पर कृषि मंत्री और मोदी सरकार को भरोसा ही नहीं है।
सूत्रों के अनुसार दलहन उत्पादन और खपत आदि पर 14 सितंबर 2015 को सचिवों की एक समिति की बैठक में चर्चा की गई। इस बैठक में कृषि मंत्रालय को विदेषी मंत्रालय और कामर्स मंत्रालय के साथ बातचीत कर अफ्रीकी देषों में दलहन उत्पादन के विकल्प खोजने के लिए कहा गया। इसके बाद 5 नवंबर 2015 को एक अंतरमंत्रालयी बैठक भी हुई। इस बैठक में विदेषी मंत्रालय, डिपार्टमेंट आफ इंडस्ट्रीयल पॉलिसी एंड प्रमोषन के अलावा नैफेड, स्माल फार्मर्स एग्रीबिजनेस कंसोर्सियम, एसटीसी के अलावा पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज जैसी सार्वजनिक संस्थाओं के अलावा कारपोरेट संगठन सीआईआई और महेंद्रा एंड महेंद्रा जैसी निजी कंपनियों के पदाधिकारियों ने भी भाग लिया। इस बैठक में वैसे तो सभी वर्गो को बुलाया गया लेकिन किसान जोकि दलहन पैदा करता है उसके किसी भी संगठन को भुलाया ही नहीं गया।
इस मुद्दे पर 15 दिसंबर 2015 को भी एक अंतरमंत्रालयी बैठक हुई जिसमें सरकार के मंत्रालय के अलावा निजी संगठनों के पदाधिकारियों को भुलाया गया। सीआईआईए ने अफ्रीकी देषों में दलहन उत्पादन के मुद्दे पर एक वर्कषाप भी आयोजित की, जिसमें कृषि मंत्रालय के अलावा विदेष मंत्रालय के अधिकारियों ने भी भाग लिया। सीआईआई के अलावा फिक्की और एसोचैम को भी अफ्रीकी देषों में जमीन तलाषनें में सहयोग के लिए कहां गया।
सीआईआई ने एग्रीबिजनेस में षामिल बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ मिलकर 20 जनवरी 2016 को एक वर्कषॉप आयोजित की। इसके बाद 11 अप्रैल 2016 को कृषि मंत्री ने विदेष मंत्री को पत्र लिखकर सुझाव दिया कि अफ्रीकी देषों को भारत द्वारा दी जा रही सहायता के तहत इस प्रोजेक्ट को षामिल किया जा सकता है। इस संबंध में सहकारी संस्थाओं इफको और कृभको से भी सुझाव मांगे। इसके अलावा पेस्टीसाईड कंपनी हिंदुस्तान इसेंक्टिसाइड लिमिटेड और नेषनल सीड कापोरेषन को भी इस संबंध में चर्चा करने के लिए मंत्रालय ने लिखा।......आर एस राणा

मौसम अपडेट-

 मौसम अपडेट-
 आज की जानकारी  उत्तर भारत समेत देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी पड़ रही है. भारत मौसम विज्ञान विभाग ने पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश और गुजरात के कई इलाकों में तेज लू चलने की संभावना जताई है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पूर्वी राजस्थान, विदर्भ, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, दक्षिणी उत्तर प्रदेश और पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछेक इलाकों में भी लू चल सकती है. अगर शुक्रवार की बात की जाए तो..राजस्थान के फलौदी में पारा 50 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया..जबकि पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर में तापमान 49 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. वहीं, कोटा में 48.2 जबकि चुरू में 48.1 डिग्री सेल्सियस पारा रिकॉर्ड किया गया.
देश के कुछ इलाकों में भीषण गर्मी के हालात बने हुए हैं. तो दक्षिणी और उत्तर  पूर्वी भारत में  कई इलाकों में बारिश हो रही है. आज के मौसम की अगर  बात करें…तो असम,मेघालय,नगालैंड,मणिपुर,मिजोरम और त्रिपुरा में कुछ जगहों पर तेज बारिश होने के आसार हैं. इसके अलावा तटीय ओडिशा के उत्तरी भाग और गांगेय पश्चिम बंगाल में कुछेक इलाकों में तेज बारिश होने की संभावना बनी हुई है.  ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में 40 से 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं. इसके अलावा दक्षिणी असम, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के कुछ इलाकों में तो 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना है. ऐसे  हालात में मछुआरों को सलाह दी जाती है कि वो ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों में मछली पकड़ने के लिए समुद्र में नहीं जाए.

20 मई 2016

चीनी मिलों को झटका, सरकारी रियायत खत्म

चीनी मिलों को एक्सपोर्ट पर मिलने वाली सब्सिडी खत्म हो गई है। केंद्र सरकार ने गन्ने की कीमत पर 4.5 रुपये प्रति क्विंटल की रियायत को खत्म कर दिया है। इस बारे में कल देर शाम नोटिफिकेशन भी जारी हो गया है। एक्सपोर्ट न होने और घरेलू बाजार में चीनी की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने कदम उठाया है। सरकार के इस फैसले से वायदा में चीनी की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है।

मॉनसून

मॉनसून को आने मे अभी थोड़ा वक्त है, इससे पहले मौसम का मिजाज लोगों पर भारी पड़ रहा है। जी हां, उत्तर भारत जहां भीषण गर्मी की चपेट में है, तो दक्षिण भारत के कई इलाकों में रिकॉर्ड तोड़ बारिश हो रही है। मौसम बिल्कुल उटपटांग हो गया है।
उत्तर भारत के कई इलाकों में पारा 50 डिग्री के पास है। मौसम विभाग ने चेतावनी जारी कर कहा है कि उत्तर प्रदेश से लेकर पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में अभी गर्मी का कहर जारी रहेगा। लेकिन दक्षिण भारत में हालात अलग हैं। खास करके तटीय इलाकों का। मॉनसून के आने से पहले दरअसल रोआनू नाम का समुद्री तूफान आ गया है और इस वजह से तमिलनाडु से लेकर आंध्रप्रदेश और ओडिशा के तटीय इलाकों में भारी बारिश हुई है। खास तौर से आंध्रप्रदेश में हालात ज्यादा खराब हैं।

केस्टर तेल का निर्यात 9 फीसदी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में केस्टर सीड की कीमतें कम होने से केस्टर तेल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। वित वर्ष 2015-16 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान केस्टर तेल के निर्यात में 9 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल 4,34,645 टन तेल का निर्यात हो चुका है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में केवल 4,00,084 टन तेल का निर्यात हुआ था।

उद्योग के अनुसार चीन के साथ ही अन्य आयातक देखों की मांग में इस दौरान बढ़ोतरी देखी गई। इस समय केस्टर तेल के निर्यात सौदे औसतन सौदे 1,130 से 1,150 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं। वित वर्ष 2014-15 में देष से कुल केस्टर तेल का निर्यात 4,59,378 टन का हुआ था। उद्योग के अनुसार अप्रैल से ष्षुरु हुए चालू वित वर्ष 2016-17 में केस्टर तेल के निर्यात में करीब 8 से 10 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड के भाव 3,100 से 3,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे है।.....आर एस राणा

19 मई 2016

चीनी का निर्यात मूल्य के हिसाब से 83 फीसदी ज्यादा


आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2015-16 में मूल्य के हिसाब से चीनी का निर्यात 83.37 फीसदी बढ़कर 9,771.73 करोड़ रुपये का हो गया जबकि पिछले वितत वर्ष 2014-15 में इसका निर्यात 5,328.83 करोड़ रुपये का ही हुआ था।....आर एस राणा

मूल्य के हिसाब से ग्वार गम निर्यात 61 फीसदी घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2015-16 में मूल्य के हिसाब से ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में 61.88 फीसदी की भारी गिरावट आई है। इस दौरान देष से केवल 3,612.97 करोड़ रुपये मूल्य का ही ग्वार गम उत्पादों का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 9,478.26 करोड़ रुपये का हुआ था।
मात्रा के हिसाब वित्त वर्ष 2015-16 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात घटकर 3.29 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.30 लाख टन का निर्यात हुआ था।.................आर एस राणा

मौसम

भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार निकोबार द्वीप समूह, दक्षिणी अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी के कुछ हिस्सों पर अगले 24 घंटों में दक्षिण पश्चिम मानसून की बारिश होने की संभावना है. आईएमडी के मुताबिक मानसून के पहुंचने की स्थितियां यहां पर बन रही हैं. भारत मौसम विभाग के मुताबिक तटवर्ती उत्तरी तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में 55 से 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती है…जो 75 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक जा सकती हैं. ऐसे में तमिलनाडु, केरल, लक्षद्वीप और दक्षिण आंध्रप्रदेश के तटीय इलाकों में मछुआरों को सलाह दी जाती है कि वो समुद्र में मछली पकड़ने नहीं जाएं. राजस्थान, मध्य प्रदेश और विदर्भ में कई स्थानों पर लू चलने की संभावना बनी हुई है. जबकि हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी कुछ स्थानों पर गर्म हवाएं चल सकती हैं. तो उधर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और गुजरात के कुछेक इलाकों में भी गर्म हवाएं चलने की आशंका भारत मौसम विभाग ने जताई है देश के उत्तरी और पश्चिमी भाग में गर्म हवाएं चलने की संभावना है तो वहीं पूर्वात्तर और दक्षिण भाग  बारिश होने के आसार नजर आ रहे हैं. उत्तरी तटवर्ती तमिलना़डु और दक्षिणी और मध्य आंध्र प्रदेश के कुछेक हिस्सों में तेज बारिश हो सकती है. जबकि तमिलनाडु के दक्षिण और आंतरिक हिस्सों ें कुछेक जगहों पर और रायलसीमा, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में कुछेक जगहों पर बारिश हो सकती है. तो वहीं, उप हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, तटीय कर्नाटक, केरल और लक्षद्वीप में कुछेक स्थानों पर बारिश होने की संभावना है. असम, गांगेय पश्चिम बंगाल, बिहार और नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में कुछेक स्थानों पर तेज हवाओं के साथ हल्की बारिश होने के आसार हैं.

कृषि उत्पादों के ऊंचे दामों से खाद्य महंगाई पर दबाव

कृषि और गैर-कृषि  जिंसों की बढ़ती कीमतों के कारण थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) तीन साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। डब्ल्यूपीआई लगातार 17 महीने तक ऋणात्मक रहने के बाद अप्रैल में धनात्मक हुआ था। दालों, सब्जियों और चीनी की कीमतों में भारी तेजी के चलते अप्रैल में डब्ल्यूपीआई का रुख पलटा था। इस मॉनसून सीजन में बारिश सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि गर्मियों में बोई जाने वाली फसलें (खरीफ) इस साल अगस्त तक मंडियों में आएंगी और तब तक कृषि जिंसों के दाम ऊंचे बने रहेंगे। पिछले दो वर्षों में सूखा रहा है, जिससे दालों, चीनी और सब्जियों का कम उत्पादन हुआ है। इसकी वजह से ही अप्रैल में डब्ल्यूपीआई 0.34 फीसदी रहा।
 डेलॉयट में वरिष्ठ अर्थशास्त्री रिचा गुप्ता कहती हैं, 'डब्ल्यूपीआई सूचकांक का विनिर्माण उत्पाद खंड वैश्विक जिंसों की कीमतों से कदम से कदम मिलाता है, इसलिए आने वाले महीनों में इसमें कुछ तेजी देखने को मिल सकती है। हमारा आकलन दर्शाता है कि डब्ल्यूपीआई ईंधन सूचकांक में कुछ बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि नया कैलेंडर वर्ष शुरू होने से लेकर अब तक भारतीय क्रूड बास्केट की कीमत ईंधन सूचकांक से ज्यादा बढ़ी हैं। दूसरी ओर पिछले दो वर्षों में पर्याप्त बारिश नहीं होने और कृषि अर्थव्यवस्था में ढांचागत समस्याओं से कुछ खाद्य उत्पादों की कीमतों में असामान्य बढ़ोतरी हुई है। दालें इसका अच्छा उदाहरण है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए हमारा अनुमान है कि डब्ल्यूपीआई में वर्षभर बढ़ोतरी जारी रहेगी और यह इस दौरान 3 फीसदी का आंकड़ा पार कर सकता है।' 
 पिछले एक महीने में कृषि जिंसों की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसके बावजूद दालों की कीमतें बढ़ी हैं। अप्रैल में चना दाल के दाम करीब 25 फीसदी बढ़कर 5,720 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। दालों का डब्ल्यूपीआई में भारांश 0.72 फीसदी है। मुंबई की दाल आयातक पंचम इंटरनैशनल के प्रबंध निदेशक बिमल कोठारी ने कहा, 'अलनीनो की वजह से मॉनसून की कम बारिश के कारण पिछले दो साल में दालों का वैश्विक उत्पादन कम रहा। संयोग से भारत में भी उत्पादन कम रहा। अगस्त में अगले सीजन की फसल आने तक ग्राहकों ऊंची कीमतों का सामना करना पड़ेगा।' (BS Hindi)

18 मई 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाये, कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
rsrana2001@gmail.com
09811470207

उड़द की पैदावार पिछले साल से कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2015-16 में उड़द की पैदावार घटकर 18.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2014-15 में इसकी पैदावार 19.6 लाख टन की हुई थी।
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में उड़द की पैदावार में कमी आयेगी। उड़द का उत्पादन खरीफ के साथ ही रबी सीजन में भी होता है। फसल सीजन 2015-16 के खरीफ में उड़द का उत्पादन 11.5 लाख और रबी सीजन में 7.3 लाख टन होने का अनुमान है।
म्यंमार से आयातित उड़द एफएक्यू का भाव चैन्नई पहुंच 1,560 डॉलर और एसक्यू का भाव 1,650 डॉलर प्रति टन है। जून षिपमेंट के सौदे भारतीय बंदरगाह पर पहुंच 11,200 से 11,300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे हैं ऐसे में उड़द की कीमतों में गिरावट आने की संभावना नहीं है।....आर एस राणा

पंजाब और हरियाणा में कपास की बुवाई कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। पंजाब के साथ ही चालू सीजन में हरियाणा में कपास की बुवाई कम हो रही है। पंजाब में अभी तक केवल 2.08 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई हुई है जबकि लक्ष्य 5 लाख हैक्टेयर का था। इसी तरह से हरियाणा में बुवाई का लक्ष्य 6.20 लाख हैक्टेयर का है जबकि अब अभी तक केवल 65 फीसदी में बुवाई हुई है।
सूत्रों के अनुसार पिछले साल इन राज्यों में कपास की फसल को भारी नुकसान हुआ था, इसलिए किसान अन्य फसलों की बुवाई को प्राथमिकता दे रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार पंजाब में चालू सीजन में 3.50 लाख हैक्टेयर में और हरियाणा में 5.50 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई होने का अनुमान है।....आर एस राणा

दलहन आयात 22 फीसदी कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू महीने के दूसरे सप्ताह 9 मई से 15 मई के दौरान देष में दलहन के आयात में 22 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 56.6 हजार टन का ही हुआ है जबकि इसके पहले सप्ताह में 72.9 हजार टन दालों का आयात हुआ था। केंद्र सरकार दलहन पर स्टॉकिस्ट लिमिट लगा देने से आयातकों द्वारा आयात सौदे सीमित मात्रा में किए जा रहे हैं, साथ ही दलहन की कीमतें काफी उंची बनी हुई है जबकि केंद्र के साथ ही राज्य सरकारों का प्रयास दलहन की कीमतों में कमी लाने का है।...आर एस राणा

केंद्र कोल्हुओं को देगा प्रोत्साहन

केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को आमदनी का वैकल्पिक स्रोत मुहैया कराने पर विचार कर रही है। इसमें स्थानीय कोल्हुओं को सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग की श्रेणी में शामिल कर उन्हें प्रोत्साहन मुहैया कराया जाएगा। गन्ने की पेराई कर गुड़ और खांड बनाने वाले इन कोल्हुओं को एमएसएमई में शामिल किए जाने से ये सरकारी लाभ और कर रियायतें प्राप्त कर सकेंगे। 
 पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर, बागपत और शामली जिलों में अगले चीनी सीजन से गुड़ बनाने वाली स्थानीय इकाइयों को फिर से शुरू करने की प्रायोगिक परियोजना की योजना बनाई जा रही है। अगला सीजन अक्टूबर 2016 से शुरू होगा। इन तीनों जिलों को अपने परंपरागत गुड़ एवं खांडसारी उद्योग के लिए जाना जाता है। ये उत्तर प्रदेश के बड़े गन्ना उत्पादक क्षेत्र भी हैं। इन जिलों में निजी क्षेत्र की कुछ बड़ी चीनी मिलें भी हैं। अकेले मुजफ्फरनगर में ही 14 से ज्यादा चीनी मिले हैं, जो उत्तर प्रदेश के किसी जिले में सबसे अधिक मिलें हैं। अधिकारियों ने कहा कि कोल्हू लगाने और उन पर कर कम करने की संभावना तलाशने के लिए राज्य सरकार से भी बातचीत की जाएगी।
 इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाने वाले कृषि राज्य मंत्री संजीव कुमार बाल्यान ने बताया इसका मकसद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को आय का वैकल्पिक स्रोत मुहैया कराना है ताकि वे केवल चीनी मिलों पर निर्भर न रहें। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्योग मंत्री कलराज मिश्र के साथ शुरुआती बातचीत की योजना बनाई जा रही है। (BS Hindi)

17 मई 2016

हरियाणा और राजस्थान से गेहूं की सरकारी खरीद बंद

गेहूं की सरकारी खरीद 226.72 लाख टन हुई
आर एस राणा
नई दिल्ली। हरियाणा के साथ ही राजस्थान में सरकारीखरीद केंद्रों पर गेहूं की आवक बंद हो गई है जिससे इन राज्यों में गेहूं की खरीद भी बंद हो गई है। चालू रबी विपणन सीजन 2016-17 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद 226.72 लाख टन हो गई है जबकि रबी विपणन सीजन 2015-16 की समान अवधि में 255.77 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी थी।
अभी तक हुई कुल खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 105.59 लाख टन, हरियाणा की 67.21 लाख टन, उत्तर प्रदेष की 7.40 लाख टन, मध्य प्रदेष की 39.46 लाख टन और राजस्थान की 6.94 लाख टन है।.......आर एस राणा

मॉनसून

मॉनसून तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक मॉनसून आज अंडमान में दस्तक दे सकता है। यहां पिछले 24 घंटे से भारी बारिश हो रही है। दक्षिण भारत के तमिलनाडु और केरल के कई इलाकों में भी बारिश जारी है, साथ ही अगले 24 घंटे में यहां भारी बारिश का भी अनुमान है। पिछले 24 घंटे के दौरान चेन्नई में पिछले 5 साल की रिकॉर्ड बारिश दर्ज हुई है। भारतीय मौसम विभाग ने मछुआरों को तमिलनाडु के समुद्र में न जाने की चेतावनी जारी की है। आज और कल यहां तटीय इलाकों में 50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवा चलने की आशंका है।

मेंथा की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान

नई आवक बनने पर भाव में आ सकती है गिरावट
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन में मेंथा तेल का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है। पिछले साल कुल 38 से 40 हजार टन मेंथा तेल का उत्पादन हुआ था जबकि चालू सीजन में उत्पादन 45 हजार टन से ज्यादा होने का अनुमान है।
जानकारों के अनुसार जून महीने के पहले सप्ताह में मेंथा की नई फसल की आवक षुरु हो जायेगी, उत्पादक क्षेत्रों में मौसम फसल के अनुकूल बना हुआ है। हालांकि जहां सिंचाई के साधन कम है वहां तेल की मात्रा में कमी आ सकती है लेकिन बुवाई में बढ़ोतरी को देखते हुए पैदावार पिछले साल से ज्यादा ही होने का अनुमान है।
इस समय उत्पादक केंद्रों पर मेंथा की दैनिक आवक 100 से 150 ड्रम (एक ड्रम-180 किलो) की हो रही है जबकि भाव 990 से 1,000 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। जून में आवक बढ़ने पर इसकी कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति किलो की गिरावट आ सकती है। इस समय उत्पादक केंद्रों पर बकाया स्टॉक कम है तथा कीमतें पहले ही काफी नीचे हैं इसलिए मौजूदा कीमतों में 50 से 100 रुपये प्रति किलो की गिरावट आने पर खरीद ही करनी चाहिए क्योंकि भविष्य तेजी का ही है।
सामान्यतः देष में मेंथा तेल की सालाना खपत करीब 35 से 40 हजार टन की ही होती है लेकिन नीचे भाव पर खपत बढ़ जाती है, क्योंकि भाव नीचे होने के कारण स्थिेंटिक मेंथा का उपयोग कम हो जाता है। इस समय मेंथा तेल के निर्यात सौदे भी नहीं के बराबर हो रहे है तथा आयातक नई फसल का इंतजार कर रहे हैं।
भारतीय मसला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2015-16 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान मेंथा उत्पादों का निर्यात 14,400 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 20,196 टन का हुआ था। इस समय निर्यात सौदे 15.50 से 16 डॉलर प्रति किलो की दर से हो रहे हैं।.......आर एस राणा

16 मई 2016

पिछड़ रहीं है एमएसपी पर गेहूं की खरीद

गेहूं की सरकारी खरीद 226 लाख टन के पार
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2016-17 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद 226.30 लाख टन हो गई है जबकि रबी विपणन सीजन 2015-16 की समान अवधि में 252.47 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी थी।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार अभी तक पंजाब से 105.47 लाख टन गेहूं खरीदा गया है जबकि हरियाणा से 67.21 लाख टन, उत्तर प्रदेष से 7.20 लाख टन, मध्य प्रदेष से 39.37 लाख टन और राजस्थान से 6.94 लाख टन गेहूं की खरीद ही हुई है। पिछले साल की समान अवधि में जहां पंजाब से 99.98 लाख टन गेहूं खरीदा गया था वहीं हरियाणा से 66.91 लाख टन, उत्तर प्रदेष से 10.42 लाख टन, मध्य प्रदेष से 65.12 लाख टन और राजस्थान से 9.40 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी।
राजस्थान में सरकारी खरीद केंद्रों पर गेहूं की आवक बंद हो चुकी है जबकि हरियाणा और पंजाब में भी आवक पहले की तुलना में कम हो गई है। उत्तर प्रदेष और मध्य प्रदेष की मंडियों गेहूं की आवक तो हो रही है जबकि मध्य प्रदेष में भाव एमएसपी से उपर है इसलिए सरकारी खरीद एजेंसियों को नहीं मिल रहा है। उत्तर प्रदेष में भी सरकारी एजेंसियों को काफी कम गेहूं मिल रहा है ऐसे में कुल खरीद चालू रबी में 250 लाख टन से भी कम रहेगी जबकि सरकार ने खरीद का लक्ष्य 304.85 लाख टन का रखा था।......आर एस राणा

केरल में देर से दस्तक देगा मानसून, 7 जून तक

केरल के लोगों को मानसून के लिए ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने बताया कि मानसून केरल में 7 जून के आसपास दस्तक देगा. इस तारीख में 4 दिन की त्रुटि की संभावना भी मौसम विभाग ने व्यक्त की है. इसका सीधा सा मतलब ये हुआ कि केरल में मानसून 3 जून से लेकर 11 जून के बीच दस्तक दे सकता है.
केरल में आम तौर पर 1 जून तक मानूसन आ जाता है. मानसून की हवाओं की बात करें तो बंगाल की खाड़ी में ये हवाएं तेजी पकड़ रही हैं. अंडमान निकोबार में मानसून के आने की सामान्य तिथि 20 मई है. श्रीलंका के पास बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाव का क्षेत्र बन चुका है. साइक्लोन सेंटर के डायरेक्टर एम महापात्रा के मुताबिक ये वेदर सिस्टम अगले दो तीन दिनों में और ज्यादा ताकतवर होकर डीप डिप्रेशन में तब्दील हो जाएगा. 17 तारीख को इस डीप डिप्रेशन के तमिलनाडु के तट पर पहुंचने की आशंका है. इस वेदर सिस्टम के चलते अंडमान निकोबार में मानसून 17 तारीख को पहुंचने की संभावना बताई जा रही है. इस तरह से अंडमान निकोबार में मानसून तीन दिन पहले पहुंच जाएगा.
अंडमान निकोबार में तीन दिन पहले पहुंचेगा मानसून
मौसम विभाग के चीफ फोरकास्टर बीपी यादव के मुताबिक अंडमान निकोबार में मानसून तीन दिन जल्दी पहुंचेगा इससे केरल में मानसून की दस्तक का कोई लेना देना नहीं है. कई बार ऐसा देखा गया है कि अंडमान निकोबार में मानसून जल्दी आ गया लेकिन केरल में मानसून देर से पहुंचा. इस बार भी कुछ ऐसा ही होने जा रहा है.
इस बार सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान
पिछले पांच सालों की बात करें तो 2015 में मानसून ने 5 जून को केरल में दस्तक दी थी. वर्ष 2014 में मानसून ने 6 जून को केरल में दस्तक दी थी.2013 में मानसून ने केरल में 1 जून को दस्तक दी थी. 2012 में मानसून ने केरल में 5 जून को दस्तक दी थी. 2011 की बात करें तो इस साल केरल में मानसून ने 29 मई को दस्तक दी थी. इस बार देश भर में मानसून की बारिश सामान्य के मुकाबले 106 फीसदी रहने की भविष्यवाणी मौसम विभाग पहले ही जारी कर चुका है.

चीनी के तेज दाम, सरकार लगाएगी विराम, मिलें परेशान

कई महीनों की भरमार के बाद सरकार हाल के सप्ताहों के दौरान चीनी की कीमतों में आई असामान्य तेजी को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएगी। निर्यात प्रोत्साहनों का मतलब है घरेलू कीमतों में मजबूती आना और अधिशेष की समस्या को दूर करना और इसमें धीरे-धीरे कमी आ रही है। साथ ही आयात पर प्रतिबंधों को हटाने के लिए भी कदम उठाए गए हैं। केंद्र का कहना है कि दिल्ली, चेन्नई और कुछ अन्य शहरों के खुदरा बाजारों में पर्याप्त आपूर्ति के बावजूद कीमतें हाल के सप्ताहों में 4-5 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ी हैं। 2015-16 के गन्ना सत्र की शुरुआत में (अक्टूबर में) कीमतें लगभग 31 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास थीं। नैशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स इंडेक्स में मई, जुलाई और अक्टूबर के लिए वायदा कीमतें संभावित तेजी की तुलना में अधिक रहने का अनुमान जताया गया है।
 
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा, 'इन परिस्थितियों में और कुछ कारोबारियों द्वारा बाजार में हेरफेर के प्रमाण के साथ केंद्र इस तरह का कदम उठाने के लिए बाध्य हुआ है।'
वर्ष 2015-15 के सीजन के पहले 6 महीनों में आपूर्ति एक साल पहले की तुलना में लगभग 600,000 टन अधिक थी। हालांकि चीनी मिलों ने इस पर सहमति जताई है कि पिछले कुछ सप्ताहों में कीमतों में आई तेजी असामान्य थी, लेकिन माना जा रहा है कि केंद्रीय कार्रवाई कुछ हद तक समय से पहले की गई है। उद्योग के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि व्यापारियों और बिचौलियों द्वारा लगभग 20 लाख टन (एक महीने की खपत) चीनी की जमाखोरी की गई है। अधिकारी ने कहा, 'ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई सही है, लेकिन इस प्रक्रिया में उद्योग या किसानों को नुकसान पहुंचाना सही नहीं है।'
 
कीमतों में तेजी ने चीनी मिल मालिकों को अपनी उत्पादन लागत की भरपाई करने और किसानों का गन्ना बकाया चुकाने में भी सक्षम बनाया है। सरकार इसे लेकर सहमत है कि कुल बकाया भुगतान सत्र के शुरू में घटकर 12,160 करोड़ रुपये रह गया जो 2014-15 के शुरू में 21,500 करोड़ रुपये के स्तर पर था। बकाया भुगतान में कमी लाने में बड़ा योगदान कीमतों में आई मजबूती भी है। इसके अलावा मिलों को बकाया घटाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा मदद मुहैया कराए जाने से भी मदद मिली है। चीनी मिल मालिकों का कहना है कि जब तक औसत एक्स-फैक्टरी कीमत सुधरकर 36 रुपये प्रति किलोग्राम (खुदरा बाजार में, इसका मतलब होगा 41-42 रुपये प्रति किलोग्राम) पर नहीं आ जाती, तब तक वे अपनी उत्पादन लागत नहीं वसूल पाएंगे या उस 10,000 करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाने में सक्षम नहीं रहेंगे जो केंद्र ने 2014 से उन्हें दिया है। (BS Hindi)

14 मई 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाये, कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........
आर एस राणा
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09811470207

अमेरिका में चना की बुवाई ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। यूएसडीए के अनुसार चालू सीजन में अमेरिका में चने की बुवाई में बढ़ोतरी पिछले साल की तुलना में ज्यादा बढ़ोतरी होगी। इसका प्रमुख कारण निर्यात मांग अच्छी होने से कीमतों मंें आई तेजी को माना जा रहा है। यूएसडीए के अनुसार अमेरिका में स्माल चने की बुवाई का एरिया 15 फीसदी बढ़कर 83,000 एकड़ में होने का अनुमान है जबकि बड़े चने की बुवाई बढ़कर 1,63,000 एकड़ में होगी।....आर एस राणा

कनाडा में मसूर और मटर की बुवाई ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। कनाडा में किसानों ने गेहूं के बजाए मसूर और मटर की बुवाई ज्यादा की है। सूत्रांे क अनुसार चालू सीजन में भारत की मांग ज्यादा होने से मसूर और मटर के भाव में आई तेजी के कारण किसानों ने इनकी बुवाई को तरजीह दी है। कनाडा कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में मसूर की बुवाई 5 मिलियन एकड़ में की गई है जबकि 4.6 मिलियन में मटर की बुवाई की है। एक अनुमान के अनुसार कनाडा में गेहूं की बुवाई 23.2 मिलियन एकड़ में कम हुई है।......आर एस राणा

13 मई 2016

मॉनसून पर दूसरा अनुमान 15 मई को

भारतीय मौसम विभाग 15 मई को मॉनसून पर अपना दूसरा अनुमान जारी करेगा। जिसमें मॉनसून के आने की तारीख का एलान हो सकता है। पहले अनुमान के मुताबिक इस साल देश में सामान्य का 106 फीसदी बारिश होने का अनुमान है। महाराष्ट्र में 27 फीसदी ज्यादा बारिश का अनुमान है। 15 मई को मौसम विभाग मॉनसून के आने की तारीख बताएगा। वहीं स्काईमेट के मुताबिक मॉनसून 29 मई तक केरल पहुंचेगा।

गेहूं की सरकारी खरीद 224 लाख टन के पार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी विपणन सीजन 2016-17 में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) देषभर की मंडियों से अभी तक 224.81 लाख टन गेहूं की खरीद कर चुकी है जोकि पिछले रबी विपणन सीजन की समान अवधि के 245.09 लाख टन से कम है।
अभी तक हुई खरीद में पंजाब की हिस्सेदारी 105.51 लाख टन, हरियाणा की 67.08 लाख टन, उत्तर प्रदेष की 6.78 लाख टन, मध्य प्रदेष की 39.02 लाख टन तथा राजस्थान की 6.66 लाख टन है। पिछले साल की समान अवधि में पंजाब से 98.29 लाख टन, हरियाणा से 66.26 लाख टन, उत्तर प्रदेष से 9.32 लाख टन, मध्य प्रदेष से 61.83 लाख टन और राजस्थान से 8.78 लाख टन गेहूं की खरीद हो चुकी थी।
गत रबी विपणन सीजन में केंद्र सरकार ने एमएसपी पर 280.87 लाख टन गेहूं की खरीद की थी जबकि चालू रबी विपणन सीजन के लिए खरीद का लक्ष्य 304.85 लाख टन का था लेकिन मौजूदा खरीद को देखते हुए चालू सीजन में खरीद 250 लाख टन के आसपास ही हो पायेगी। मध्य प्रदेष और राजस्थान तथा उत्तर प्रदेष से दक्षिण भारत के साथ ही अन्य राज्यों के स्टॉकिस्टों के साथ ही फ्लोर मिलर्स की खरीद अच्छी बनी हुई है जिससे इन राज्यों में खरीद पिछले साल की तुलना में कम रहेगी।.......आर एस राणा

गुजरात में जीरा का उत्पादन 7 फीसदी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। राज्य सरकार के कृषि विभाग के अनुसार गुजरात में चालू सीजन में जीरा की पैदावार 7 फीसदी बढ़कर 2.13 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2014-15 में इसकी पैदावार 1.97 लाख टन की हुई थी।
राज्य के कृषि विभाग के अनुसार चालू सीजन में जीरा की बुवाई 10.8 फीसदी बढ़कर 2,95,400 हैक्टेयर में हुई थी जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2,66,700 हैक्टेयर में बुवाई हुई थी।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2015-16 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान देष से केवल 78,965 टन जीरा का ही निर्यात हुआ है जबकि इसके पिछले साल 1.46 लाख टन जीरा का निर्यात हुआ था। विष्व बाजार में भारतीय जीरा का भाव 3.19 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले महीने इसका भाव 3.09 डॉलर प्रति किलो था।
जानकारों के अनुसार इस समय बढ़िया क्वालिटी जीरा में निर्यात मांग अच्छी है, साथ ही उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक कम हो रही है जबकि स्टॉकिस्ट भविष्य में तेजी मान कर स्टॉक भी कर रहा है।.....आर एस राणा

अप्रैल में वनस्पति तेलों का आयात 12 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। अप्रैल महीने में वनस्पति तेलों के आयात में 12 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 1,242,387 टन का हुआ है जबकि अप्रैल 2015 में इसका आयात 1,108,678 टन का हुआ था।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएषन आफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू तेल वर्ष के पहले छह महीनों (नवंबर 2015 से अप्रैल 2016) के दौरान वनस्पति तेलों के आयात में 17 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल आयात 7,557,169 टन का हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में 6,466,902 टन का आयात हुआ था। इस दौरान आरबीडी पामोलीन के आयात में भारी बढ़ोतरी हुई है। नवंबर-2015 से अप्रैल 2016 के दौरान 13.23 लाख टन आरबीडी पामोलीन का आयात हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में केवल 4.92 लाख टन का आयात हुआ था।
आरबीडी पामोलीन और क्रुड पाम तेल की कीमतों में अंतर कम होने के कारण आरबीडी पामोलीन का आयात ज्यादा मात्रा में हो रहा है। भारतीय बंदरगाह पर अप्रैल महीने में आयातित आरबीडी पामोलीन का भाव 739 डॉलर प्रति टन था जबकि क्रुड पाम तेल यानि सीपीओ का भाव 738 डॉलर प्रति टन था। क्रुड सोयाबीन तेल का भाव भारतीय बंदरगाह पर अप्रैल महीने में 790 डॉलर और क्रुड सनफ्लावर तेल की कीमत 864 डॉलर प्रति टन थी।..........आर एस राणा

12 मई 2016

ब्राजील में सोयाबीन उत्पादन अनुमान में कटौती

आर एस राणा
नई दिल्ली। फसल सीजन 2015-16 में ब्राजील में सोयाबीन के उत्पादन में कमी आने का अनुमान है। प्रतिकूल मौसम के कारण ब्राजील में सोयाबीन की पैदावार घटकर 550 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पहले उत्पादन अनुमान 590 लाख टन का था।....आर एस राणा

एमएमटीसी 35 हजार टन पीली मटर का आयात करेगी

आर एस राणा
नई दिल्ली। सार्वजनिक कंपनी एमएमटीसी ने 35 हजार टन कनाडा से पीली मटर के आयात के लिए निविदा आमंत्रित की है। कंपनी के अनुसार पीली मटर का आयात जेएनपीटी और मुंबई बंदरगाह पर किया जायेगा तथा षिपमेंट 15 अगस्त से 30 सितंबर के बीच ली जायेंगी। निविदा बंद होने की अंतिम तारिख 9 जून है तथा 16 जून को निविदा खोली जायेंगी।.....आर एस राणा

विष्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों से आयात बिल में होगी बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। विष्व बाजार में खाद्य तेलों की कीमतों में आई तेजी से देष के खाद्य तेलों के आयात बिल में बढ़ोतरी होगी। नवंबर महीने मंे सीपीओ की औसत कीमत 2,100 रिंगिट थी जोकि अक्टूबर में घटकर नीचे के स्तर 1,800 रिंगिट पर आ गई थी लेकिन इस समय कीमत बढ़कर 2,685 रिंगिट पर पहुंच गई है।
उद्योग के अनुसार कीमतों में हुई बढ़ोतरी हुई है साथ ही चालू तेल वर्ष में खाद्य तेलों का आयात भी बढ़ेगा जिससे खाद्य तेलों के आयात बिल में 20 फीसदी की बढ़ोतरी होगी। चालू तेल वर्ष (नवंबर-15 से अक्टूबर-16 के दौरान देष में 160 लाख टन तेलों का आयात होने का अनुमान है जिसकी कीमत 75,000 करोड़ रुपये हो जायेगी जबकि तेल वर्ष 2014-15 में 145 लाख टन तेलों का आयात हुआ था जिसकी कीमत 60,000 करोड़ रुपये थी।
नवंबर-2015 से मार्च 2016 के बीच 27,990 करोड़ रुपये के 62.7 लाख टन वनस्पति तेलों का आयात हो चुका है। प्रतिकूल मौसम के कारण विष्व के दो सबसे बड़े उत्पादक देषों इंडोनेषिया और मलेषिया में आपूर्ति घटने के कारण इस साल कीमतें मजबूत रहने के आसार है। विदेषी बाजार में खाद्य तेलों की उंची कीमतों का असर घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों की कीमतों पर पड़ेगा। केंद्र सरकार के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार घरेलू बाजार में खाद्य तेलों के उत्पादन में भी कमी आने का अनुमान है।
मलेषिया में सीपीओ का उत्पादन 15 से 20 लाख टन घटकर 190 लाख टन रह सकता है जबकि इंडोनेषिया में उत्पादन 310 लाख टन रहने का अनुमान है। वैष्विक पाम तेल उत्पादन में इन दोनों देषों की हिस्सेदारी 86 फीसदी है। भारत में कुल खाद्य तेल आयात में करीब एक तिहाई हिस्सा रिफाइंड तेल का है जबकि दो-तिहाई सीपीओ का होता है।....आर एस राणा

11 मई 2016

एग्री कमोडिटी में मुनाफे का अच्छा अवसर

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाये, कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........ आर एस राणा rsrana2001@gmail.com 09811470207

चीनी का निर्यातक से आयातक बनने का डर

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारत इस समय चीनी का निर्यात कर रहा है तथा चालू पेराई सीजन 2015-16 (अक्टूबर से सितंबर) में देष से करीब 15 लाख टन चीनी का निर्यात होने का अनुमान है। हालांकि विष्व बाजार में हाल ही में चीनी की कीमतों में कुछ कमी आई है जिससे निर्यात सौदे पहले की तुलना में कम हुए है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नए पेराई सीजन में महाराष्ट्र के साथ ही कर्नाटका में भी चीनी उत्पादन में कमी आने की आषंका है ऐसे में नए पेराई सीजन 2016-17 में हम चीनी के निर्यातक से आयातक बन सकते हैं। ऐसे में सरकार मिलों पर 32 लाख टन चीनी के निर्यात की अनिवार्यता को वापिस लेने पर विचार कर रही है।....आर एस राणा

महाराष्ट्र में चीनी उत्पादन 30 फीसदी घटने की आषंका

आर एस राणा
नई दिल्ली। देष के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में अक्टूबर से षुरु होने वाले नए पेराई सीजन 2016-17 में चीनी का उत्पादन घटकर 55 से 60 लाख टन ही होने का अनुमान है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार महाराष्ट्र में गन्ने वाले क्षेत्रों में सूखे का ज्यादा प्रभाव है इसलिए नए पेराई सीजन में गन्ने की पैदावार में भारी गिरावट आने की आषंका है। उन्होंने बताया कि चालू पेराई सीजन 2015-16 में राज्य में अभी तक 83.75 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है तथा अभी राज्य में कुछ मिलों में पेराई चल रही है ऐसे में चालू सीजन में कुल चीनी उत्पादन 85 लाख टन होने का अनुमान है। माना जा रहा है कि अभी तक की सूखे की स्थिति को देखते हुए राज्य में चीनी का उत्पादन नए सीजन में 29 से 35 फीसदी तक कम रह सकता है।....आर एस राणा

29 मई को केरल पहुंचेगा मानसून -स्काईमेट

आर एस राणा
नई दिल्ली। इस साल मानसून समय से पहले दस्तक देगा। मौसम की जानकारी देने वाली निजी क्षेत्र की कंपनी स्काईमेट की माने तो 29 मई को मानूसन केरल पहुंच जायेगा, जबकि आमतौर पर यहां एक जून तक मानसून का आगमन होता है। इसी तरह से मुंबई में 12 जून और दिल्ली में एक जुलाई तक मानसून के पहुंचने की संभावना है।
पांच जुलाई तक मानसून का आगमन जयपुर में हो जायेगा। दरअसर देष के कई इलाकों में प्री मानसून की बारिष ष्षुरु हो चुकी है। दक्षिण भारत के आंध्रप्रदेष और तेलंगाना के कई इलाकों में पिछले एक सप्ताह से बारिष हो रही है। पूर्वोत्तर और उत्तराखंड में भी प्री मानसून बारिष हो रही है। झारखंड और बिहार में भी पिछले दिनों बारिष हुई है इसके अलावा मध्य प्रदेष और महाराष्ट्र के भी कई इलाकों में प्री मानूसन की अच्छी बारिष देखने को मिली है।....आर एस राणा

बासमती चावल का निर्यात 8 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। वित वर्ष 2015-16 (अप्रैल से मार्च) के दौरान देष से बासमती चावल के निर्यात में 8 फीसदी की बढ़ोतरी होकर कुल निर्यात 40 लाख टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2014-15 में देष से 37 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था।
एपिडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संयुक्त अरब अमरात के साथ ही यूरोपीय यूनियन देषों की आयात मांग बढ़ने से बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। ईरान को भी वित वर्ष 2015-16 में बासमती चावल का निर्यात ज्यादा हुआ है। उन्होंने बताया कि ईरान द्वारा भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर लगी हटा लेने से निर्यात में बढ़ोतरी हुई है तथा इस समय हो निर्यात को देखकर लगता है कि चालू वित वर्ष 2016-17 में देष से बासमती चावल के निर्यात में 10 से 12 फीसदी की बढ़ोतरी होगी।
वाणिज्य एंव उद्योग मंत्रालय के अनुसार वित वर्ष 2015-16 (अप्रैल से मार्च) के दौरान मूल्य के हिसाब से बासमती चावल के निर्यात में 17.66 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान देष से 22,714.37 करोड़ रुपये मूल्य का बासमती चावल का निर्यात हुआ है जबकि पिछले वित वर्ष की समान अवधि में 27,586.71 करोड़ रुपये का बासमती चावल का निर्यात हुआ था। उन्होंने बताया कि घरेलू बाजार में बासमती चावल की कम कीमतों के कारण मूल्य के हिसाब गिरावट आई है।........आर एस राणा

10 मई 2016

सरकार ने अरहर उत्पादन अनुमान बढ़ाया, चने का घटाया

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने फसल सीजन 2015-16 के लिए अरहर के उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी की है जबकि चना उत्पादन अनुमान में कटौती की है। कृषि मंत्रालय ने तीसरे आरंभिक अनुमान में अरहर का उत्पादन अनुमान 26 लाख टन होने का लगाया है जबकि दूसरे आरंभिक अनुमान में अरहर की पैदावार का अनुमान 25.5 लाख टन का था।
चना उत्पादन अनुमान में सरकार ने 6.1 लाख टन की कमी है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चना की पैदावार घटकर 74.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि तीसरे आरंभिक अनुमान में इसका उत्पादन 80.9 लाख टन होने का अनुमान लगाया था। व्यापारियों का मानना है कि चना का उत्पादन इससे भी कम होने की आषंका है।
केंद्र सरकार दलहन की कुल पैदावार के अनुमान में भी कटौती की है। कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में दलहन की कुल पैदावार 170.6 लाख टन होने का अनुमान है जबकि दूसरे आरंभिक अनुमान में दलहन की पैदावार का अनुमान 173.3 लाख टन का था। ऐसे में दलहन की पैदावार में कमी आने का मतलब आयातित दलहन पर निर्भरता और बढ़ोतरी जिससे भविष्य में इनकी कीमतों में फिर से तेजी आने का अनुमान है।....आर एस राणा

सोयाबीन और मूंगफली उत्पादन अनुमान में कटौती, सरसों उत्पादन ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2015-16 में तिलहन की प्रमुख फसलें सोयाबीन और मूंगफली के उत्पादन अनुमान में कमी आयेगी जबकि सरसों का उत्पादन ज्यादा होने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार मूंगफली की पैदावार में 2.91 लाख टन और सोयाबीन की पैदावार में 2.14 लाख टन की कमी आने का अनुमान है जबकि सरसों का उत्पादन 0.2 लाख टन ज्यादा होगा।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार सरसों की पैदावार चालू रबी में 68.5 लाख टन होने का अनुमान है जबकि मंत्रालय ने दूसरे आरंभिक अनुमान में सरसों की पैदावार का अनुमान 68.3 लाख टन होने का लगाया था।
सोयाबीन का उत्पादन चालू फसल सीजन 2015-16 में घटकर 89.2 लाख टन होने का लगाया है जबकि कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार सोयाबीन की पैदावार का अनुमान 91.34 लाख टन होने का था।
इसी तरह से मूंगफली का उत्पादन फसल सीजन 2015-16 में घटकर 68.9 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि मंत्रालय ने दूसरे आरंभिक अनुमान में मूंगफली की पैदावार 71.81 लाख टन होने का अनुमान लगाया था।
तिलहन की कुल पैदावार फसल सीजन 2015-16 में दूसरे आरंभिक अनुमान में 263.39 लाख टन होने का अनुमान था जबकि तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार तिलहन की कुल पैदावार 259 लाख टन की होगी।....आर एस राणा

गेहूं उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी, चावल उत्पादन में कमी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चालू फसल 2015-16 में गेहूं के उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी की है जबकि चावल की पैदावार में हल्की कमी आने का अनुमान लगाया है। कृषि मंत्रालय के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में देष में गेहूं का उत्पादन 940.4 लाख टन होने का अनुमान है जबकि तीसरे आरंभिक अनुमान में गेहूं का उत्पादन 938.2 लाख टन होने का अनुमान लगाया था।
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चावल का उत्पादन 103.36 मिलियन टन होने का अनुमान है जबकि दूसरे आरंभिक अनुमान में चावल उत्पादन का अनुमान 103.61 मिलियन टन होने का अनुमान था।
मंत्रालय के अनुसार मोटे अनाजों के उत्पादन में कमी आने का अनुमान है। तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार मोटे अनाजों का उत्पादन घटकर 377.8 लाख टन होने का अनुमान है जबकि दूसरे आरंभिक अनुमान में 384 लाख टन मोटे अनाजों के उत्पादन का अनुमान था। मोटे अनाजों की प्रमुख फसल मक्का की पैदावार 210 लाख टन होने का अनुमान है जोकि पिछले अनुमान के लगभग बराबर ही है।
देष के कई हिस्सों में सूखे जैसे हालात जरुर बने हुए हैं लेकिन कृषि मंत्रालय के अनुसार खाद्यान्न की पैदावार पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा है। मंत्रालय द्वारा जारी तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2015-16 में खाद्यान्न की पैदावार 25.22 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि दूसरे आरंभिक अनुमान में 25.31 करोड़ टन होने का अनुमान था।.....आर एस राणा

वक्त से पहले आ सकता है मॉनसून

देश के भीतरी इलाकों में मॉनसून वक्त से पहले आ सकता है। कई इलाकों में प्री मॉनसून बारिश होने से आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के क्षेत्रीय मौसम विभाग ने उम्मीद जताई है कि हैदराबाद में मॉनसून 5 जून तक दस्कत दे सकता है। आमतौर पर यहां 10 जून तक मॉनसून आता है। दरअसल आंध्रप्रदेश के कई इलाकों में पिछले कई दिनों से तेज बारिश हो रही है। मौसम विभाग के मुताबिक पिछले 24 घंटों में मध्य महाराष्ट्र और राजस्थान के कुछ इलाकों के अलावा उत्तराखंड में बारिश हुई है। मौसम विभाग ने उत्तराखंड के कुछ इलाकों में तेज बारिश होने की भी आशंका जताई है।

दिल्ली में दालों की भंडारण सीमा बढ़ेगी

दालों की बढ़ती कीमतों के बीच दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में इसकी भंडारण सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। दिल्ली सरकार ऐसे समय में भंडारण सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है, जब केंद्र ने सभी राज्यों को दालों की जमाखोरी रोकने के लिए इनके भंडारण की सीमा तय करने के लिए कहा है। केंद्र सरकार कीमतों पर लगाम कसने के लिए दालों का बफर स्टॉक भी तैयार कर रही है।    दिल्ली में दाल कारोबारियों को फिलहाल 2,000 क्विंटल तक दाल का भंडारण करने की अनुमति है, लेकिन वे राज्य में उत्पादन नहीं होने का हवाला देकर यह सीमा खत्म करने की मांग कर रहे हैं। वे गोदामों को नियमित करने की मांग भी कर रहे हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पुरानी दिल्ली की अनाज मंडी में एक कार्यक्रम में कहा कि भंडारण सीमा बढ़ाने के मसले पर जल्द ही कारोबारियों के साथ बैठक की जाएगी और सभी तथ्यों पर चर्चा कर कुछ न कुछ किया जाएगा।    दिल्ली ग्रेन मर्चेंट एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश जैन ने कहा कि दिल्ली में दलहन का उत्पादन नहीं होता, लेकिन दालों की खपत बहुत ज्यादा होती है। इसके अलावा दिल्ली से दालें दूसरे राज्यों को भी भेजी जाती हैं। ऐसे में केवल 2,000 क्विंटल दाल के भंडारण की सीमा कहीं से भी जायज नहीं है। इस पर केजरीवाल ने कार्रवाई का भरोसा दिलाया। मुख्यमंत्री के सकारात्मक रुख को देखते हुए कारोबारी मान रहे हैं कि भंडारण सीमा बढ़ाकर 5,000 क्विंटल की जा सकती है।

09 मई 2016

दाम में तेजी से घटेगा कपास निर्यात!

भारत का कपास निर्यात सितंबर को समाप्त होने वाले चालू वर्ष में करीब 10 प्रतिशत घटकर 60 लाख गांठ रह जाने की संभावना है, क्योंकि घरेलू कीमतों में वृद्धि ने इसको वैश्विक बाजार में गैर प्रतिस्पर्धी बना दिया है। भारत ने विपणन वर्ष (अक्टूबर से सितंबर) 2014-15 में 67 लाख गांठों (एक गांठ 170 किलोग्राम) का निर्यात किया था। भारत के प्रमुख निर्यातक बांग्लादेश, पाकिस्तान और वियतनाम जैसे देश हैं। भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक बीके मिश्रा ने बताया, 'अभी तक हमने 50 लाख गांठों का निर्यात किया है। अब आगे निर्यात नहीं हो रहा है क्योंकि इसकी वैश्विक कीमतें घट रही हैं और घरेलू कीमतों में तेजी है। वर्ष 2015-16 में कुल कपास निर्यात करीब 60 लाख गांठों का होगा।'
 उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में घरेलू कीमतें प्रति कैंडी 1,000 रुपये बढ़कर 34,000-35,000 रुपये हो गई है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि देश में अक्टूबर से नई फसल के आने तक कुछ समय के लिए बढ़त का ये रुख जारी रहेगा।' मिश्रा ने कपास की बढ़ती कीमतों की वजह बताते हुए कहा कि कीमतों में वृद्धि का कारण सूखे से घरेलू कपास उत्पादन में गिरावट आना है जो वर्ष 2015-16 में 3.53 करोड़ गांठ होने का अनुमान है जो इसके पिछले वर्ष में 3.8 करोड़ गांठ था।
इस परिस्थिति के कारण व्यापारी कपास का निर्यात नहीं कर रहे हैं क्योंकि वैश्विक बाजार में उन्हें बेहतर मार्जिन नहीं प्राप्त हो रहा है और उन्हें घरेलू बाजार में अधिक संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। उन्होंने कहा कि अधिकांश भारतीय कपास पाकिस्तान को निर्यात की गई है जो चालू वर्ष में अभी तक 20 लाख गांठ है। कीमतें जब समर्थन मूल्य से नीचे चली जाती हैं तो सीसीआई किसानों से कपास की खरीद करती है। सीसीआई ने कहा कि चालू वर्ष में अभी तक उसने 8,40,000 कपास गांठ की खरीद की है। कपास की कीमतों के बढऩे के साथ मिश्रा ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि कोई और खरीद होगी क्योंकि कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक जा रही हैं।