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27 अप्रैल 2016

क्या दालें फिर बिगाड़ेंगी जायका

चना उत्पादन में कमी के आसार हैं। वहीं तुअर का स्टॉक मांग से कम है। वहीं आयात के भी ज्यादा विकल्प नहीं हैं। ऐसे में सवाल ये हैं कि क्या दालें फिर बिगाड़ेंगी जायका? गौरतलब है कि देश में 2012-13 में 1.83 करोड़ टन, 2013-14 में 1.92 करोड़ टन दल का उत्पादन हुआ। अनुमान है कि 2015-16 में 1.83 करोड़ टन दाल का उत्पादन होगा। अगर मांग की बात करें तो साल 2013-14 में दाल की मांग रही 21.7 करोड़ टन। जबकि 2014-15 में दाल की मांग रही 22.68 करोड़ टन। दाल की मांग को पूरा करने के लिए 2014-15 में 37 लाख टन दाल का आयात किया गया है। वहीं अनुमान है कि साल 2015-16 में 50 लाख टन दाल का आयात किया जाएगा।

महाराष्ट्र सरकार ने नई पहल करते हुए प्राइस कंट्रोल बिल लागू करने का निर्णय लिया है। कैबिनेट ने इस बिल पर अपनी मुहर लगा दी है। जिसके तहत जरूरी सामान का एमआरपी सरकार तय करेगी। दाल, तेल और अनाज इस कानून के दायरे में आएंगे। एमआरपी से ज्यादा दाम पर बेचने पर जुर्माना भरना होगा।

इधर दाल की सप्लाई को लेकर चिंता बनी हुई है। चने के उत्पादन में भारी कमी की आशंका है। इस साल 87 लाख टन चना उत्पादन का अनुमानहै। ये भी आशंका है कि उत्पादन अनुमान से 40 फीसदी कम रह सकता है। ऊंचे भावों पर भी चने की आवक कम है। तुअर का स्टॉक भी मांग के मुकाबले कम है। आयात के विकल्प भी बेहद सीमित हैं। लगातार 2 साल सूखे से दलहन की पैदावार कम हो गई है। इसके बावजूद सप्लाई बढ़ाने के ठोस उपाय नहीं किए गए। उधर सरकार जमाखोरों के खिलाफ सख्ती कार्रवाई करने 1.5 लाख टन के बफर स्टॉक बनाने का एलान कर रही है।

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